जबलपुर, प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश का पहला डेयरी एस्टेट जबलपुर के बरेला तहसील से लगे ग्राम खम्हरिया में बनकर तैयार है। कुक्कुट विकास निगम को इसे विकसित करने से लेकर डेयरी संचालकों को जमीन आवंटन करने और यहां पर तय सुविधाओं को देने की जिम्मेदारी दी गई है। इस परियोजना की हकीकत यह है कि इसके शुभारंभ को चार माह होने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक एक भी जमीन लेने वाले डेयरी संचालक ने निर्माण कार्य तक शुरू नहीं किया। यहां की मौजूदा व्यवस्था का जब जायजा लिया तो पता चला कि यहां पर अब तक लाइट का कनेक्शन तक नहीं लगा है। नईदुनिया के खबर के अनुसार पानी की टंकी बनाई है, लेकिन भूजल नीचे होने की वजह से यह नहीं भर पाती। वहीं विभाग ने यहां तक जो लैब और अन्य सुविधाएं देने का दावा किया, वो अभी तक कागजों से बाहर नहीं आया।

30 से जमा ही नहीं किया लीज का पैसा-
यहां पर 70 प्लांट हैं, जिसमें से 56 लोगों ने ही इन्हें लिया। इसमें से भी जमीन को 10 साल के लिए लीज पर लेने के लिए विभाग ने जो शुल्क तय की, उसे देने वालों में अब तक सिर्फ 26 लोग ही हैं। अभी तक 30 लोगों ने लीज का पैसा ही नहीं जमा कराया, जो लगभग 16 लाख रुपये से ज्यादा है। सूत्र बताते हैं कि यह जमीन लेने से पीछे हट रहे हैं। इसकी वजह यहां की व्यवस्थाएं हैं। अब विभाग इन लोगों की काउंसलिंग कर उन्हें यह बताने का प्रयास करेगा कि यदि वे यहां पर अपनी डेयरी लगाते हैं तो उनके लिए यह फायदे का सौदा होगा।

70 प्लॉट के लिए आए थे 146 आवेदन, सिर्फ 56 ने ली जमीन

डेयरी एस्टेट में उपलब्ध 70 भूखंड आवंटन के लिये ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित आए। इनमें से सिर्फ 56 लोगों ने ही यहां जमीन ली है। अभी भी 12 प्लाट खाली हैं। वहीं 56 में से भी 30 ने अब तक लीज का पैसा भी जमा नहीं किया। इनका कहना है कि यहां पर जो व्यवस्थाएं और सुविधाएं होनी चाहिए, वो अभी तक नहीं है। दरअसल यहां पर सड़क, 33 के.व्ही. विद्युत स्टेशन, पानी की उपलब्धता, पशु चिकित्सालय, कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र, रोग अनुसंधान प्रयोगशाला, चारा एवं दाना गोदाम, बायो गैस संयंत्र, आरसीसी ड्रेनेज कैनाल आदि अधो-संरचनाओं देनी हैं, जिसमें से अधिकांश है ही नहीं।

शुभारंभ कर चले गए पशुपालक मंत्री

नईदुनिया के खबर के अनुसार प्रदेश का पहला डेयरी एस्टेट बरेला के ग्राम खम्हरिया में बनाया जा रहा है। इसका शुभारंभ करने के लिए प्रदेश के पशुपालन मंत्री प्रेमसिंह पटेल ने किया। इस दौरान प्रबंध संचालक राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम डॉ. एच.बी.एस. भदौरिया भी यहां अाए। मंत्री जी ने इसे प्रदेश का पहला डेयरी एस्टेट होने और यहां पर सभी सुविधाएं देने का दो वादा किया, वो अभी तक पूरा ही नहीं हुआ। यहां पर सिर्फ अस्पताल, सड़क और पानी की टंकी बनाया गया है। बाकी काम अभी भी अधूरे हैं।

अस्पताल में भी नहीं आता कोई

डेयरी एस्टेट में पशुओं की चिकित्सा के लिये 2 अस्पताल बनाए गए हैं, जिनमें डॉक्टर और कंपाउंडर सहित स्टाफ की नियुक्ति की गई है। पशु चिकित्सक और स्टाफ की सुगम उपलब्धता के लिये इनके आवास भी परिसर में बनाये गये हैं। जल व्यवस्था के लिये 4 ट्यूबवेल का खनन किया गया है और 2-2 लाख लीटर के ओवरहेड टेंक बनाये गये हैं। हालांकि अभी तक एक भी डेयरी संचालक ने यहां पर डेयरी बनाने का काम भी शुरू नहीं किया है। इसको लेकर दो दिन पूर्व कलेक्टर इलैया राजा टी ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए निर्माण कार्य शुरू न होने पर नाराजगी बयां की थी।

सभार – नईदुनिया

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