नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आश्चर्य जताया कि वह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार को फिर से कैसे बहाल कर सकता है, जबकि उसे विश्वास मत हासिल करने की राज्यपाल की कार्रवाई अवैध लगती है. शीर्ष न्यायालय ने इस बात पर भी गौर किया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने यह स्वीकार करते हुए कि वे अल्पमत में थे, शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना ही इस्तीफा दे दिया था.

शिवसेना राजनीतिक संकट के मद्देनजर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करने के दौरान पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ की अध्यक्षता करने वाले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यह (सरकार को बहाल करना) एक तार्किक बात होती, बशर्ते आप विधानसभा के पटल पर विश्वास मत खो देते। फिर आप निश्चित रूप से सत्ता से बेदखल हो जाते क्योंकि विश्वास मत आपके साथ नहीं रहता.’

सीजेआई ने कहा, ‘हमारी समस्या यह है कि बौद्धिक पहेली को देखें. ऐसा नहीं है कि राज्यपाल द्वारा गलत तरीके से तलब किए गए विश्वास मत के कारण आपको सत्ता से बेदखल किया गया है. आपने किसी भी कारण से इसे नहीं चुना, आप विश्वास मत का सामना नहीं करना चाहते थे…’ यह टिप्पणी तब आई जब ठाकरे समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने पीठ से यथास्थिति बहाल करने का आग्रह किया. पीठ में जस्टिस एम आर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पी एस नरसिम्हा भी शामिल हैं.

ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ से महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के जून 2022 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया, जिसमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा गया था.

सिब्बल ने कहा, ‘मुझे पूरा यकीन है कि इस अदालत का हस्तक्षेप नहीं होने से हमारा लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा क्योंकि किसी भी चुनी हुई सरकार को नहीं रहने दिया जाएगा. इसी उम्मीद के साथ मैं इस अदालत से इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए (बहुमत परीक्षण) के आदेश को रद्द करने का आग्रह करता हूं.’ शीर्ष अदालत ने नौ दिनों तक दलीलें सुनने के बाद, महाराष्ट्र राजनीतिक संकट के संबंध में ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समूहों की क्रॉस-याचिकाओं के बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

इससे एक दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने महज शिवसेना विधायकों के बीच मतभेद होने पर बहुमत परीक्षण का आदेश देने के लिए कोश्यारी के व्यवहार पर सवाल उठाए थे. न्यायालय ने बुधवार को कहा था कि राज्यपाल की ऐसी कार्रवाई से एक निर्वाचित सरकार गिर सकती है और किसी राज्य का राज्यपाल ऐसा नहीं चाहेगा.

दरअसल, 29 जून 2022 को महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट चरम पर पहुंच गया था जब शीर्ष अदालत ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली 31 महीने पुरानी गठबंधन सरकार को बहुमत परीक्षण कराने के राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. ठाकरे ने हार को भांपते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा सरकार बनी थी

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