प्रोविडेंट फंड के क्लर्क को रिश्वत लेने के आरोप में तीन साल की सजा
नवी मुंबई की सीबीआई की विशेष अदालत ने प्रोविडेंट फंड दफ्तर के एक क्लर्क को रिश्वत लेने के आरोप में तीन साल की सजा सुनाई है। विशेष अदालत के जज एम शेटे ने 55 वर्षीय आरोपी कल्लाकुरी विजय रामाराव को तीन साल की सजा सुनाने के साथ 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
आरोपी पर एक कंपनी से रिश्वत के तौर पर तीन लाख रुपये लेने का आरोप है। अदालत ने एक अन्य व्यक्ति को बरी कर दिया, जिसपर आरोप को बढ़ावा देने का आरोप लगा था। विशेष लोक अभियोजक ओम प्रकाश चौहान ने अदालत को सूचित किया कि वाशी के एक इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म ने 2002 से अपना पीएफ रिटर्न फाइल नहीं किया था। उसे 2008 में सुनवाई के लिए भी बुलाया गया था।
शिकायतकर्ता जो फर्म का प्रतिनिधि है, वह पीएफ दफ्तर में आरोपी से मिला, जिसके बाद उसे बताया गया कि कंपनी के ऊपर 10 लाख रुपये का जुर्माना है, जो 50 लाख भी हो सकता है। आरोपी ने मामला को रफा-दफा करने के लिए पांच लाख रुपये की मांग की। हालांकि, दोनों के बीच तीन लाख का समझौता हुआ। इसके बाद फर्म के प्रतिनिधि ने सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद एक ऑपरेशन के तहत 2008 में आरोपी रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।