वाशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय अमेरिका के दौरे पर हैं. इस दौरान वह QUAD की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. पीएम मोदी ने विलमिंगटन, डेलावेयर में क्वाड शिखर सम्मेलन की शुरुआत करते हुए शनिवार (स्थानीय समय) को उद्घाटन भाषण में कहा कि चतुर्भुज गठबंधन ‘यहां हमेशा के लिए’ है और ‘किसी के खिलाफ नहीं’ है. उन्होंने चीन के संदर्भ में कहा कि क्वाड के नेता नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और संप्रभुता के सम्मान के पक्षधर हैं. बता दें कि चीन दुनिया में अपना एकतरफा वर्चस्व चाहता है. चीन इस वर्चस्व के लिए अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ साजिश रचता है, खासकर भारत के खिलाफ. चीन को लगता है कि QUAD उसी के खिलाफ बनाया गया है और ऐसा है भी. ऐसे में पीएम मोदी का यह संदेश कई मायनों में अहम है.

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि समूह ‘चल रहे संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान’ चाहता है, क्योंकि यह ऐसे समय में बैठक कर रहा है जब विश्व कई विवादों से जूझ रहा है. पीएम मोदी ने कहा, “साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर क्वाड का एक साथ काम करना पूरी मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हम किसी के खिलाफ नहीं हैं. हम सभी नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हैं.”

PM मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा ”हमारा संदेश स्पष्ट है- क्वाड यहां रहने, सहायता करने, साझेदारी करने और पूरक बनने के लिए है. मैं एक बार फिर राष्ट्रपति बाइडन और अपने सभी सहयोगियों को बधाई देता हूं. हमें 2025 में भारत में क्वाड लीडर्स समिट आयोजित करने में खुशी होगी. ”

इस साल QUAD सम्मेलन भारत में होने वाला था
बता दें कि इस साल क्वाड लीडर्स समिट पहले भारत में आयोजित होने वाली थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अपने होम टाउन में कार्यक्रम आयोजित करने के इच्छुक थे. यह बाइडन के लिए विदाई शिखर सम्मेलन था, क्योंकि वह अपने कार्यकाल के अंत के करीब हैं.

चीन को QUAD से क्यों लगता है डर
अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने 2017 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार का मुकाबला करने के लिए “क्वाड” या चतुर्भुज गठबंधन की स्थापना के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव को आकार दिया था. चार सदस्यीय क्वाड या चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता, एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत को बनाए रखने की वकालत करती है. चीन का दावा है कि समूह का उद्देश्य उसके उदय को रोकना है.

 

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