बहुजन हिताय सर्वजन हिताय समाज के लोग अपने जीवन को सुखी बना पा रहे हैं, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय महात्मा ज्योतिबा फुले को जाता है
विद्या हासिल न होने के कारण इतना घोर अनर्थ हुआ। शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए ज्योतिबा फुले पैदल गाँव - गाँव जाकर लोगों को शिक्षा के लिए प्रेरित करते थे। सामाजिक भेदभाव, जाति प्रथा, अशिक्षा,अज्ञान, कुप्रथा, अन्धविश्वास के विरुद्ध संघर्ष करते हुए ज्योतिबा फुले ने समाज को एक नई दिशा प्रदान की। उनके कार्यों से प्रभावित होकर सन 1888 में बम्बई की एक विशाल जनसभा में उन्हें "महात्मा" की उपाधि दी गई। उन्होंने किसानों की भलाई के लिए बहुत काम किये। इनके कार्यों से प्रभावित होकर अंग्रेजों ने 'कृषि एक्ट' बनाया। अंग्रेज़ उन्हें महिला शिक्षा का पुरोधा मानते थे। महात्मा ज्योतिबा फुले ने अपने ज्ञान और अनुभव से साहित्य के क्षेत्र में भी योगदान दिया। "गुलामगिरी", "तृतीय रत्न छत्रपति शिवाजी महाराज", "राजा भोंसले का पखड़ा", "किसान का कोड़ा", "अछूतों की कैफियत" आदि इनकी प्रमुख साहित्यिक रचनाएं हैं।