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मां शैलपुत्री व्रत में लगाएं गाय के घी का भोग

मां शैलपुत्री को सफेद रंग का पुष्प, श्वेत वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद गाय के घी से मां को भोग लगाएं। भोग लगाने से मां की भक्तों पर विशेष कृपा बरसेगी। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर कलश स्थापना करें। इसके बाद मां दुर्गा की स्वरूप मां शैलपुत्री का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त करें।

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मां शैलपुत्री व्रत से नवरात्रि शुरू, लगाएं गाय के घी का भोग

मुंबई। मां शैलपुत्री के व्रत से नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। मां शैलपुत्री को सफेद रंग का पुष्प, श्वेत वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद गाय के घी से मां को भोग लगाएं। भोग लगाने से मां की भक्तों पर विशेष कृपा बरसेगी। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर कलश स्थापना करें। इसके बाद मां दुर्गा की स्वरूप मां शैलपुत्री का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त करें।
पंडित विजय भारद्वाज ने बताया कि मां दुर्गा के नौ रूपों का नौ दिन विशेष महत्व है। पहले व्रत के दिन ही कलश स्थापना की जाती है। स्नान करने के बाद कलश में कलावा बांधकर कलश में सुपारी, फूल, अक्षत, सिक्का डालकर जल से भरें। इसके बाद स्वास्तिक बनाकर, आम की डाली, नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर चावल का अष्टदल बनाकर उस पर कलश स्थापना करें। लाल रंग के आसन पर माता की प्रतिमा को विराजमान कर देसी घी का दीपक जलाएं। इसके बाद मां की कथा और मंत्रों के साथ पूजा शुरू करें। प्रथम दिवस में मां शैलपुत्री को सफेद रंग का पुष्प व श्वेत वस्त्र अर्पित कर गाय के घी का भोग लगाएं। द्वितीय दिवस में मां ब्रह्मचारिणी को पीले रंग का वस्त्र, गुड़हल का पुष्प व पंचामृत का भोग लगाएं। तृतीय दिवस में मां चंद्रघंटा को सुनहरे या पीले वस्त्र, सफेद कमल का पुष्प व दूध या खीर का भोग लगाएं। चतुर्थ दिवस में मां कुष्मांडा को नीले रंग के वस्त्र, पीले रंग का कमल का पुष्प व दही का भोग लगाएं। पंचम दिवस में मां स्कंदमाता को हरे रंग का वस्त्र, लाल गुलाब का पुष्प व केले के फल का भोग लगाएं। षष्टम दिवस में मां कात्यायनी को पीले वस्त्र, लाल गुलाब का पुष्प व शहद का भोग लगाएं। सप्तम दिवस में मां कालरात्रि को लाल वस्त्र, सोलह सिंगार, गुड़हल का पुष्प, गुड़ से बने नैवेद्य का भोग लगाएं। अष्टम दिवस में मां महागौरी को सफेद वस्त्र, मोगरा का पुष्प व नारियल का भोग लगाएं। नवम दिवस में मां सिद्धिदात्री को लाल वस्त्र, चंपा का पुष्प, अनार और तिल का भोग लगाएं।

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