मुंबई, पीटीआई। अदाणी मामले पर दिए गए बयान के बाद विपक्षी खेमे में मची हलचल के बीच राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को कहा कि वे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने के पूरी तरह खिलाफ नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात को दोहराया कि सुप्रीम कोर्ट की समिति ज्यादा उपयोगी और प्रभावशाली होगी।
जेपीसी में सत्तारूढ़ दल के सदस्यों की संख्या ज्यादा होगी : पवार
अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस से अलग रुख अपनाते हुए पवार ने पत्रकारों से कहा कि मैं अदाणी समूह पर लगाए गए आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट की समिति से कराने के पक्ष में हूं। जेपीसी में सत्तारूढ़ दल के सदस्यों की संख्या ज्यादा होगी, क्योंकि संसद में उसकी ताकत ज्यादा है। ऐसे में जेपीसी से जांच कराने पर संदेह बना रहेगा।
जेपीसी मुद्दे पर पार्टी के सदस्य
राकांपा प्रमुख ने आगे कहा- हालांकि 18-19 विपक्षी दल अदाणी मुद्दे पर एक साथ आए हैं, लेकिन उनमें से सभी को जेपीसी में प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, क्योंकि उनमें से कुछ के पास संसद में केवल एक या दो सदस्य हैं। अगर जेपीसी में 21 सदस्य बनाए जाते हैं, तो उनमें से लगभग 15 सत्ताधारी पार्टी से होंगे।
अदाणी पर आरोप
राकांपा प्रमुख ने यह भी कहा कि उन्हें अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च के पिछले इतिहास की जानकारी नहीं है, जिसने गौतम अदाणी की कंपनियों के शेयर में हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। पवार ने कहा, एक विदेशी कंपनी देश में स्थिति का जायजा लेती है। हमें यह तय करना चाहिए कि इस पर कितना ध्यान दिया जाना चाहिए। जेपीसी के बजाय सुप्रीम कोर्ट की समिति अधिक प्रभावी होगी।
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