Amul vs Nandini : अमूल 77 साल तो नंदिनी 50 साल से डेली पहुंचा रहे हैं दूध, जानें फिर क्यों छिड़ गई लड़ाई

कर्नाटक में चुनावों से पहले डेयरी प्रोडक्ट्स अमूल और नंदिनी राजनीतिक विवाद हो गया है। इनमें एक देश का प्रमुख डेयरी ब्रांड है तो दूसरा कर्नाटक में खास पहचान रखता है। दोनों के पास अच्छा-खासा बिजनेस नेटवर्क है।

कर्नाटक में अगले महीने विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां हर मुद्दे को भुनाने में लगी हुई है। इसी बीच प्रमुख डेयरी प्रोडक्ट ब्रांड्स अमूल और नंदिनी भी राजनीतिक लड़ाई के बीच में आ गये हैं। दरअसल अमूल ने ऐलान किया है कि यह बैंगलोर में एंट्री करेगी। पर कर्नाटक कांग्रेस ने इसे बीजेपी की साजिश करार दिया है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार राज्य के नंदिनी ब्रांड को बंद कराना चाहती है, जो राज्य के किसानों के लिए बहुत अहम है। इस पूरे विवाद में कारोबार की दुनिया में कहां खड़े हैं अमूल और नंदिनी ब्रांड्स, आगे जानिए।

77 साल पुराना है अमूल

अमूल की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार अमूल की शुरुआत स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित होकर 1946 में बिचौलियों द्वारा किए जा रहे शोषण के खिलाफ एक विरोध के सिम्बल के तौर पर हुई थी। तब गुजरात के लोकल ट्रेड कार्टेल किसानों का शोषण कर रहे थे। इससे नाराज होकर किसानों ने समाधान के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल से संपर्क किया। उन्होंने किसानों को बिचौलियों से छुटकारा पाने और अपनी सहकारी समिति बनाने की सलाह दी, जो उनके जरिए ही खरीद, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग करे।

बेंगलुरु, एजेंसी। अमूल ब्रांड की एक घोषणा के बाद कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले सियासत गर्मा गई है। ब्रुहट बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन ने ‘राज्य के (डेयरी) किसानों का समर्थन करने के लिए’ केवल नंदिनी दूध का उपयोग करने का फैसला किया है।
बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन ने फैसला किया है कि अब वह सिर्फ स्थानीय डेयरी ब्रांड नंदिनी का ही इस्तेमाल करेंगे। स्थानीय किसानों को समर्थन के लिए बृहत बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन ने यह फैसला किया है।
बृहत बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन ने एक बयान में अमूल का नाम लिए बगैर कहा कि कन्नडिगा को केवल नंदिनी दुग्ध उत्पादों का प्रचार करना चाहिए।
कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने भी किया  नंदिनी ब्रांड समर्थन 
इस मामले पर कर्नाटक के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि पिछले कुछ दिनों में खुदरा क्षेत्र में नंदिनी दूध और दही की आपूर्ति कम थी और अब अमूल चालाकी से बाजार में प्रवेश कर रहा है। यह स्पष्ट है कि अमित शाह अमूल की मदद करने के लिए चाल चल रहे हैं और नंदिनी को तबाह करने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गुजरात स्थित अमूल ने पहले दूध और दही बेचने के लिए कर्नाटक के बाजार में प्रवेश करने की कोशिश की थी। हमने तब ऐसा नहीं होने दिया था, लेकिन अब भाजपा बाहें फैलाकर उनका स्वागत कर रही है। दरअसल, गुजरात की डेयरी कंपनी अमूल ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में अपने व्यवसाय को प्रवेश करने का निर्णय लिया है। इस मुद्दे पर कांग्रेस आक्रामक हो गई है और इसे स्थानीय लोगों के बीच ले जाने का फैसला किया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जब हमारे पास खुद के राज्य का नंदिनी (Nandini) ब्रांड है तो फिर हम बाहरी राज्य के ब्रांड को क्यों बढ़ावा दें? इतना ही नहीं अब इस मुद्दे को विपक्षी पार्टी कांग्रेस चुनाव में भी भुनाने का फैसला कर लिया है।
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