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महेश भट्ट द्वारा प्रशंसित सतीश पंचारिया और विक्रम भट्ट की दूरदर्शिता ‘स्टूडियो वर्चुअल वर्ल्ड’

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के सेरा सेरा व विक्रम भट्ट ने दहिसर में 50,000 स्क्वायर फुट में फैला भारत का पहला वर्चुअल प्रोडक्शन स्टूडियो खोला जहाँ ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर बेस्ड फिल्म ‘खिलौने’ और ‘1920 हॉरर ऑफ द हार्ट’ का होगा निर्माण

मुम्बई। पूरी तरह से वर्चुअल प्रोडक्शन में बनी दुनिया की पहली फिल्म ‘जुदा होके भी’ की सफलता का उत्सव मुम्बई के फाइव स्टार होटल जे डब्ल्यू मैरियट में मनाया गया जहां महेश भट्ट, विक्रम भट्ट और के सेरा सेरा के चेयरमैन सतीश पंचारिया उपस्थित थे।
इस अवसर पर वर्चुअल वर्ल्ड द्वारा बनाई जा रही दो और फिल्मों की भी घोषणा की गई। उनमें से एक फिल्म ‘खिलौने’ होगी जो हिंदी के साथ अंग्रेजी में भी बनाई जा रही है जिसे विक्रम भट्ट निर्देशित करने जा रहे हैं। वहीं 1920 की फ्रेंचाइजी ‘1920 हॉरर ऑफ द हार्ट’ की घोषणा भी की गई जिसे विक्रम भट्ट की पुत्री कृष्णा भट्ट डायरेक्ट करेंगी। 1920 की अगली कड़ी में जहां अविका गौर मुख्य भूमिका में होंगी वहीं फिल्म ‘खिलौने’ में अनुप्रिया गोयंका सेंट्रल किरदार प्ले करेंगी।
इस अवसर पर विक्रम भट्ट ने देश के पहले और सबसे बड़े वर्चुअल प्रोडक्शन स्टूडियो के बारे में भी बात की जिसे उन्होंने सतीश पंचारिया के साथ मिलकर खोला है।
महेश भट्ट ने कहा कि फिल्म ‘खिलौने’ ह्यूमन ट्रैफिकिंग की कहानी है। ‘जब इंसान की औकात एक खिलौने की तरह हो जाती है’ इसी सिचुएशन की स्टोरी है इसलिए इसका टाइटल खिलौने है। एक लड़की की दिल को छू लेने वाली कहानी है। जैसा कि सतीश जी ने कहा कि हम सिर्फ 9000 सिनेमाघरों को टारगेट नहीं कर रहे हैं बल्कि दुनिया भर के डेढ़ लाख सिनेमाघरों तक फिल्म को पहुंचाने का टारगेट रखते हैं। हमें थोड़ी हिम्मत और जुर्रत करके बड़े सपने देखने चाहिए। सपने भी अगर छोटे देखें तो फिर क्या बात हुई। लेकिन सिर्फ सपने देखने से काम नहीं चलेगा आपको विज़नरी भी होना होगा, विक्रम भट्ट और सतीश पंचारिया ने एक ख्वाब देखा और उसे पूरा किया। और वो भी ऐसे समय मे किया जब कोविड का बुरा दौर चल रहा था।
महेश भट्ट ने आगे कहा कि जैसा कि विक्रम ने बताया कि इसने कभी ऐसा सोचा ही नहीं था कि कभी ऐसा समय भी आएगा जब वह एक कमरे में कम्प्यूटर से घिरा होगा, और सिर्फ एक स्टूडियो में पूरी फिल्म बना देगा। ‘जुदा होके भी’ में हर तरह के सीन हैं, रेलवे स्टेशन है, ट्रेन है, बर्फ के पहाड़ हैं, महल हैं सब कुछ है। लेकिन यह सब वर्चुअल शूट किया गया है और यह सब लेटेस्ट तकनीक का कमाल है जिसे विक्रम भट्ट ने डिस्कवर किया है। विक्रम भट्ट 14-18 घन्टे तक काम करते थे।
‘जुदा होके भी’ फिल्म एक मिसाल बन गई है जिसे हिंदुस्तान की अवाम ने सराहा है। किसी को भी फ़िल्म, टेलीविजन, ओटीटी के लिए कोई कंटेन्ट बनाना है तो इस स्टूडियो में हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है।
विक्रम भट्ट ने बताया कि मेरी बेटी कृष्णा ने जब फिल्मों में अपनी रुचि दिखाई तो सबसे पहले वह फिल्म 1920 के सेट पर आई थी जिसे मैं डायरेक्ट कर रहा था। उस वक्त वह हॉरर सीन में बहुत डरती थी और आज वह ‘1920 हॉरर ऑफ द हार्ट’ डायरेक्ट कर रही है। इस फिल्म को भी हम वरचुअल वर्ल्ड में शूट कर रहे हैं। मैं फिल्म ‘खिलौने’ खुद डायरेक्ट कर रहा हूँ। यह बहुत बड़ी एक्शन फिल्म होगी और यह दुनिया की सबसे बड़ी एक्शन फिल्मों का मुकाबला करेगी। इसलिए हम इसे अंग्रेजी में भी बना रहे हैं।
आपको बता दें कि के सेरा सेरा और विक्रम भट्ट की वर्चुअल प्रोडक्शन तकनीक फिल्म निर्माण के ढंग को बदलने के लिए तैयार है। के सेरा सेरा और विक्रम भट्ट ने मुंबई में स्थित दहिसर हाईवे पर भारत का पहला वर्चुअल प्रोडक्शन स्टूडियो खोला है जो 50,000 स्क्वायर फुट के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें एक समय में 4 फिल्मों की शूटिंग के लिए 4 फ्लोर हैं।
के सेरा सेरा और विक्रम भट्ट के स्टूडियो वर्चुअल वर्ल्ड के द्वारा खर्च पर काफी कंट्रोल किया जा सकता। यह बहुत ही भव्य और हॉलीवुड सिनेमा के बराबर है। अब बॉलीवुड फिल्म निर्माता हमसे जुड़कर ग्लोबल बन सकते हैं और क्षेत्रीय फिल्म निर्माता इसे राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा बना सकेंगे। सरल शब्दों में कहें तो कम से कम निवेश के साथ हम ज़्यादा विज़ुअलाइज़ेशन प्रदान करते हैं। अगर आप किसी प्रोजेक्ट में 5 करोड़ का निवेश करते हैं, तो हमारा स्टूडियो वर्चुअल वर्ल्ड इसे 30 करोड़ के प्रोजेक्ट जैसा बना देगा।
सतीश पंचारिया ने कहा कि इस तकनीक से हमारी पूरी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री दुनिया को अपनी ताकत दिखा सकती है। हम हमेशा एक खास तरह की फिल्म एक निश्चित बजट में बनाते रहे हैं। हमारे पास ‘द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’, ‘स्टार वार्स’ और एवेंजर्स जैसी बड़ी फिल्में बनाने के लिए बजट नहीं था। लेकिन इस नई तकनीक के साथ यह सम्भव हो गया है।

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