छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना 1 नवंबर 2000 को हुआ था। छत्तीसगढ़ भारत का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है प्रकृति और संस्कार का गढ़ है लेकिन कहीं ना कहीं इसकी महत्ता को अनदेखा किया गया है। छत्तीसगढ़ भारत का भूमिगत रत्नों, पर्यावरण और संस्कृति से भरा खजाना है यहाँ के लोग ही नहीं जंगल और जीव भी अद्वितीय है लेकिन यहाँ जितनी भी सरकारें बनी वो इस राज्य के वैभव को जग जाहिर नहीं कर पाई आज भी भारत के अन्य प्रान्त के लोग इससे अनजान है।
मुंबई में रहने वाले अभिनेता, निर्माता और सामाजिक कार्यकर्ता राज बघेल छत्तीसगढ़ मुंगेली के रहने वाले हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य की लोककला, भाषा, लोक खेल, लोकगीत, संस्कृति, पोशाक, संस्कार, खानपान और प्रकृति के विकास और वृद्धि के लिए सदा प्रयास किया है। साथ ही लोक कलाकारों, स्थानीय खिलाड़ियों और गायकों के विकास, आर्थिक उन्नति और उत्थान के लिए भी सदा प्रयासरत रहे हैं। कई वर्षों से वह इस कार्य के लिए उच्च वर्ग के लोगों और राज्य सरकार से याचना कर चुके हैं लेकिन इस ओर राज्य सरकार विमुख ही रही लोक कलाकार, लोकगायक, खिलाड़ियों, आर्ट्स और कला जगत के लोगों की उपेक्षा की गई है जिससे लोग अपनी लोक संस्कृति और कला से विमुख होकर आजीविका की खोज में अन्य मार्ग पर जा रहे हैं।
वर्तमान समय में नवीन सरकार के गठन के साथ राज बघेल ने इन आर्ट्स, खेल, कला से जुड़े लोगों के विकास और आर्थिक उत्थान के लिए नई योजनाओं को नवीन सरकार के समक्ष पुनः रखने का निर्णय लिया है साथ ही एक नवीन योजना और सुझाव भी राज्य सरकार के समक्ष रखने जा रहे हैं जिसमें राज्यसभा की भांति विधान परिषद में राज्यपाल या शासन द्वारा नामांकित विधायकों के चुनाव हो जिनका मुख्य कार्य जनता की मांगें सीधे तौर पर सरकार तक पहुंच सके। इसके लिए छत्तीसगढ़ के फिल्म निर्माता, अभिनेता, गायक, व्यवसायी, खिलाड़ी व अन्य से भी सहयोग की आशा की गई है।
राज बघेल विधान परिषद के लिए भी मांग कर रहे हैं, जिसमें खिलाड़ी कलाकार ग्रेजुएशन किए हुए हैं, लड़के लड़कियां और शिक्षक अपना खुद का विधायक चुन सकें और खिलाड़ी और कलाकार सीधे राज्यपाल के माध्यम से एमएलसी बन सकें।
राज बघेल का कहना है कि हमारे छत्तीसगढ़ के खेल, कला, संस्कृति से जुड़े लोगों के कार्यों की उचित सराहना नहीं की जा रही है। इस क्षेत्र में रहते हुए उन्हें पर्याप्त आमदनी भी नहीं मिल पा रही है जिससे वे आर्थिक दृष्टि से कमजोर हो रहे हैं। साथ ही उन्हें किसी प्रकार की आर्थिक सहायता भी नहीं मिल पा रही है जिससे वो हमारी संस्कृति और लोक कला का त्याग कर रहे हैं। यदि किसी देश की संस्कृति, कला जैसे उसके नींव खत्म हो गए तो वहाँ का विनाश भी तय है। जो देश या राज्य अपनी जड़ों से जितना ज्यादा जुड़ा होता है वह उतना ही मजबूत होता है। हमारे छत्तीसगढ़ में प्रकृति का खजाना, प्राचीन कलाकृति, स्तूप, मंदिर, शिलालेखों और पुरातात्विक चीजों का भरमार है। पर्यटन की दृष्टि से भी यह किसी स्वर्ग से कम नहीं यदि यहाँ का पुनरुद्धार किया जाएगा तो विदेशी सैलानियों का आवागमन होगा, जिससे राज्य और राज्य के आम नागरिकों को रोजगार और आय प्राप्ति के साधन मिलेंगे जिससे राज्य का विकास होगा।
इसके अलावा राज बघेल का यह भी कहना है कि लोग स्ट्रीट फूड के ज्यादा आदी हो गए हैं। इस स्ट्रीट फूड के खानों में स्वाद हेतु जिन केमिकलों और हानिकारक तेलों का प्रयोग होता है वह हमारे राज्य की जनता के लिए हानिकारक है। साथ ही इन स्ट्रीट फूड स्टाल में स्वच्छता में भारी कमी होती है जिससे लोगों में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए ऐसे स्ट्रीट फूड स्टालों जिनमें स्वच्छता और सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा जाता उनको बंद कर देना चाहिए। इन स्ट्रीटफूड स्टालों के खानों में मैदा, अजीनोमोटो, रंग, पाम तेल आदि हानिकारक वस्तुओं का प्रयोग अधिक होता है, बार बार खाने को गर्म किया जाता है, सफाई ना के बराबर होती है जिसका सीधा असर हमारे बच्चों खासकर हमारी बेटियों के स्वास्थ्य पर अधिक होता है।
कई सर्वे में बताया गया है इन खाद्य पदार्थों से हार्मोन से जुड़ी समस्या, कैंसर, पेट से जुड़ी समस्या आदि जैसे कई गंभीर रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
– गायत्री साहू