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हाइवे पर बलात्कार की घटनाएं और रतन वंश की शॉर्ट फिल्म “आवागमन”

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कुछ वर्षों में हाइवे आवागमन से अधिक अपहरण और बलात्कार व हत्या का अड्डा बन गया है। आये दिन दुर्घटनाओं से जान माल की जितनी क्षति होती है उससे अधिक अपहरण और फिर बलात्कार की घटनाएं होने लगी हैं। नवविवाहिताओं के साथ ऐसी घटनाएं बड़ी संख्या में बढ़ी है। नवविवाहिताओं का अपहरण कर उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म कर मरणासन्न अवस्था में फेंक देना आम बात हो गई है। स्त्री के पति / प्रेमी को मार देना या ज़ख्मी कर देना भी इसका ही अंग है। लेखक निर्माता रतन विश्वकर्मा वंश के अनुसार, यह आंतरिक सुरक्षा का विषय है और इसकी रोकथाम सरकार की जिम्मेदारी बनती है। वंश ने अपनी शॉर्ट फिल्म “आवागमन” में यही विषय उठाया है। पटकथा की पृष्ठभूमि राजस्थान का मारवाड़ क्षेत्र है।
“आवागमन” लघु चित्र को आगे फीचर फिल्म के रूप में भी बनाने की योजना है। इस शॉर्ट फिल्म के लेखक निर्माता और मुख्य अभिनेता रतन विश्वकर्मा वंश हैं और उनकी नायिका हैं प्रिया चतुर्वेदी। सहयोगी कलाकार हैं – रमजान डायर, मनीष नाहर, यश सोलंकी, गणेश कुमावत, दिनेश पुरी, जयेश वैष्णव, थिया, वीरेन्द्र आदि। जमना कुमारी द्वारा प्रस्तुत और अरावली फिल्म्स के बैनर तले बनी इस शॉर्ट फिल्म के निर्देशक हैं राकेश प्रभु राठौड़। नृत्य निर्देशक (कोरियोग्राफर ) प्रवीण बारिया और छायाकार (कैमरामैन) राकेश जायसवाल हैं। सह निर्माता अजय सागर व सह निर्देशक भरत कांकरिया और मीडिया कंसल्टेंट अब्दुल क़दीर हैं। “आवागमन” के बाद रतन विश्वकर्मा वंश द्वारा लिखित दूसरी फिल्म का शीर्षक है आज़ाद दोस्तियां।
अब्दुल क़दीर

स्वीकृति शर्मा ने पीएस फाउंडेशन के डॉक्टर्स डे समारोह और चलता फिरता मुफ्त दवाखाना के एक वर्ष की सफलता के उत्सव का किया नेतृत्व

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मुंबई। कई वर्षों से निरंतर समाज में अपना बड़ा योगदान देने वाला पी एस फाउंडेशन (प्रदीप शर्मा फाउंडेशन) लगातार अंधेरी पूर्व विधानसभा के गली मोहल्ले में जाकर एंबुलेंस के जरिए मुफ्त में लोगों का इलाज करा रहा है। यह संस्था रक्तदान शिविर के अलावा मोतियाबिंद, कैंसर और अन्य प्रकार के बीमारियों के इलाज में अपना योगदान करती आ रही है। हाल ही में पी एस फाउंडेशन द्वारा स्वास्थ्य शिविर के आयोजन को सफल बनाने वाले डॉक्टरों को सम्मानित करके उनका उत्साह बढ़ाया गया।
मुंबई जैसे महानगर में यह एक ऐसी पहली संस्था है जो अंधेरी विधानसभा में सभी जनमानस को मिली हुई है। लगभग डेढ़ वर्षो से लगातार लोगों के बीच में जाकर के लोगों का मुफ्त में इलाज किया जाता है जिसकी देखरेख प्रदीप शर्मा एवं स्वीकृति प्रदीप शर्मा की निगरानी में की जाती है।
संस्था के वालंटियर अंधेरी पूर्व विधानसभा के सभी वॉर्ड में जाकर स्थानीय नागरिकों का इलाज मुफ्त में कराते हैं।
चलता फिरता मुफ्त दवाखाना की विशेषता यह है कि सर्दी जुखाम, बुखार, खुजली, आंखों में समस्या, डायबिटीज जैसी बीमारियों के इलाज के लिए एंबुलेंस में डॉक्टर उपलब्ध रहते हैं।
पीएस फाउंडेशन द्वारा 80 से 90 हजार लोगों का इलाज मुफ्त में किया जा चुका है। मोतियाबिंद का ऑपरेशन लगभग 1300 लोगों का किया जा चुका है। कैंसर जैसी बीमारियों का भी लोगों का इलाज मुफ्त में करवाया जा चुका है।
कई सामाजिक कार्यों में पी एस फाउंडेशन ने अपना योगदान दिया जैसे कि बिजली मीटर की गड़बड़ी को लेकर आवाज उठाई गई। दसवीं और बारहवीं के बच्चों को उत्तीर्ण होने पर सम्मानित कर उत्साहवर्धन किया गया।
पिछले 8 वर्ष से लगातार पी एस फाउंडेशन द्वारा रक्तदान शिविर आयोजित किया जाता है।
अनेकों बार निःशुल्क चश्मा वितरण का कैम्प का आयोजन अंधेरी में किया गया। फुल बॉडी चैकअप का शिविर कई बार लगाया गया।
पी एस फाउंडेशन के संस्थापक प्रदीप शर्मा एवं स्वीकृति प्रदीप शर्मा ने डॉक्टरों को सम्मानित करते हुए फाउंडेशन की पूरी टीम को धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि यह पूरा परिवार मेरा सदैव इसी तरह जनता की सेवा के लिए खड़ा रहेगा।

साहित्यिक सफर जारी है हेमलता त्रिपाठी का

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डॉ जीतेन्द्र पांडेय

लखनऊ की कवयित्री व पत्रकार सुश्री हेमलता त्रिपाठी गऊ भारत भारती समाचार पत्र, मुंबई की लखनऊ ब्यूरो चीफ के रूप में कार्यरत हैं। उनकी पत्रकारिता, साहित्य व लेखन की यात्रा जारी है। वे कहती हैं कि, “मैं मूल रूप से कवयित्री हूं। पर मेरे मन में पत्रकारिता और लेखन में करियर बनाने का सपना एक लम्बे समय से बसा है। मैं सन 2016 से मुंबई से प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक अखबार “ विकलांग की पुकार” की रिपोर्टर तथा देश की प्रथम मीडिया डायरेक्टरी ‘पत्रकारिता कोश’ के ‘लखनऊ सूचना ब्यूरो’ के रूप में कार्यरत हूँ। वैसे, मेरी कविताएं, कहानियां व लेख मुक्ता, सरिता, सरस सलिल, दोपहर का सामना, विकलांग की पुकार, अवध 24, अग्निशिला, चारभुजा टाइम्स, वृत्त मित्र, राष्ट्रीय अधिकार, कर्म कसौटी, द मोरल, संगठन भारत, जन सामना, सरयूपारीण समाचार, मुंबई मित्र, नई पीढी, दो बजे दोपहर, खबरें पूर्वांचल, हिंद स्वाभिमान, गऊ भारत भारती, मुंबई अमरदीप टाइम्स, समरस चेतना, हिंदी विवेक, प्रदेश विस्तार, शिखर सत्ता, हमारा मुंबई मित्र, सिटी चैनल, क्राइम स्कैन आदि पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। मेरी कविताओं का संग्रह “ये आसमां गुडिया का” को भारत पब्लिकेशन, मुंबई ने 3 दिसंबर 2018 को प्रकाशित किया है। मेरी अन्य उपलब्धियों में- मेरी जीवनी डॉ शिवम तिवारी के ग्रंथ “सुधियों के दस्तावेज” ( विश्व पुस्तक प्रकाशन, नई दिल्ली ) में शामिल की गई है। मेरी कविताएं श्री राम कुमार, डा प्रमोद पांडेय तथा डा शिवम तिवारी द्वारा संपादित “काव्य तरंगिणी” ( आर के पब्लिकेशन, मुंबई ) में समाहित हैं। मेरी कविताएं डॉ जितेंद्र पांडेय द्वारा संपादित “चार पीढ़ी के कवि” (भारत पब्लिकेशन, मुंबई ) में समाहित हैं।”

हेमलता त्रिपाठी की दो पुस्तकें प्रकाशकाधीन हैं पहला कहानी संग्रह “सिर्फ तुम” (भारत पब्लिकेशन, मुंबई) और आलेख संग्रह “हम किसी से कम नहीं”(भारत पब्लिकेशन, मुंबई)। इसके अलावा उन्होंने आई ई एन चैनल, मुंबई की डाक्युमेंटरी फिल्म “ये जो हैं हस्ती” ( सुप्रसिद्ध गजलकार हस्तीमल हस्ती के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित) के लिए शोध किया है। उनकी विशेष उपलब्धियों में राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन-वाजा इण्डिया की महाराष्ट्र इकाई की तरफ से मुंबई में 8 अक्टूबर 2017 को ‘काव्य गौरव सम्मान’-2017 से सम्मानित, जनवरी 2018 में हिंदुस्तानी भाषा अकादमी, नई दिल्ली द्वारा सम्मनित, अप्रैल 2018 में मुंबई में “लोकायन काव्य रत्न सम्मान”, “साहित्य मिलन सम्मान” तथा “विकलांग की पुकार विशिष्ट सम्मान” के साथ गऊ भारत भारती अखबार द्वारा सम्मानित। सितंबर 2018 में आशीर्वाद युवा लेखन पत्रकारिता प्रतिभा पुरस्कार प्राप्त। मार्च 2021में मुंबई में महाराष्ट्र के राज्यपाल महामहिम भगत सिंह कोश्यारी ने राजभवन में राष्ट्रीय सेवा सम्मान से सम्मानित किया। 2023 में संगठन भारत साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित। सितंबर 2023 में शिवसेना के मुखपत्र हिंदी सामना ने काव्य रत्न-2023 से सम्मानित किया। सामना के निवासी संपादक श्री अनिल तिवारी ने उन्हें सामना भवन, मुंबई में ट्राफी व शॉल प्रदान कर सम्मानित किया है।

गऊ माता के रक्षण के लिए भारत के सभी गऊ प्रेमियों और संगठनों को एक मंच पर आने की जरुरत – गौभक्त , भगवत चिंतक श्री एमएल सोनी

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परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी का दिव्य भव्य चातुर्मास्य मुंबई में।

 

गऊ माता के रक्षण के लिए भारत के सभी गऊ प्रेमियों और संगठनों को एक मंच पर आने की जरुरत – गौभक्त , भगवत चिंतक श्री एमएल सोनी

मुंबई – महानगर मुंबई के कोरा केंद्र में दिनाँक १० जुलाई से ७ सितंबर होने जा रहे परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी का दिव्य भव्य चातुर्मास्य कोरा केंद्र मैदान नंबर २ और ३ में होने जा रहा है। जहा गऊ माता को राष्ट्र माता के का दर्जा दिलवाने तथा श्री गो -प्रतिष्ठा महायज्ञ ३३ करोड़ आहुतियों का महायज्ञ का आयोजन तो होगा ही अन्य वैदिक अनुष्ठान और कार्यक्रम जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी के आशीर्वाद से संपन्न होगा।
दिनाँक १० जुलाई से ७ सितंबर तक चलने वाले इस दिव्य चातुर्मास्य में लाखो गौभक्तो और सनातनियों के भाग लेने की संभावना है। इस दिव्य चातुर्मास्य आयोजन में अपनी प्रमुख भूमिका निभा रहे परम गौभक्त सनातन धर्म के ध्वजारक्षक भगवत चिंतक समाजसेवी श्री एमएल सोनी से दिव्य चातुर्मास्य आयोजन के कुछ विशेष बिंदुओं और गौमाता पर चर्चा की है प्रस्तुत है।

१- एमएल सोनी जी परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी का दिव्य भव्य चातुर्मास्य मुंबई में करवा रहे है क्या कहेंगे आप ?

– महाराष्ट्र की पवन धरा का यह शौभाग्य है कि परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर गद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी ने दिव्य भव्य चातुर्मास्य के लिए मुंबई को चुना मेरे लिए और मेरे परिवार के लिए यह शौभाग्य है कि हमें सेवा का मौका मिला। गौमाता की सेवा के लिए हम कृतज्ञ हैं। और सब से बड़ी बात यह भी है कि जगद्गुरु शंकराचार्य जी का दिव्य भव्य चातुर्मास्य मुम्बईकरो का कल्याण करने और उन्हें गौमाता की सेवा के लिए प्रेरित करने के लिए हो रहा है। सैकड़ो वर्षो से गौमाता की लड़ाई लड़ी जा रही है स्वामी करपात्री जी महाराज ने जिस तरह से गौ माता की लड़ाई लड़ी और गोलियां खाई आप को पता होगा स्वामी करपात्री जी महाराज ने गौ माता की रक्षा के लिए बहुत संघर्ष किया। उन्होंने 1966 में हुए गौरक्षा आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसमें उन्होंने और हजारों साधुओं ने दिल्ली में प्रदर्शन  किया। इस दौरान, सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं, जिसमें कई साधु मारे गए और घायल हुए थे। आज हमारे परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु  शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी ने उसी काम को आगे बढ़ाते हुए गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा सरकार दे उसके लिए संघर्ष कर रहे है। हमें भी सेवा का अवसर मिल रहा है यही हमारे लिए गर्व की बात है।

२- दिव्य भव्य चातुर्मास्य की अन्य रुपरेखा ?

– इस दिव्य भव्य चातुर्मास्य में नाना प्रकार के वैदिक अनुष्ठानो के साथ भव्य श्री गो प्रतिष्ठा महायज्ञ ३३ करोड़ आहुतियों का कार्यक्रम है जो गौमाता के प्राण प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए है इस में कोई भी गौभक्त भाग ले सकता है। इस आयोजन में धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज जी की जयंती , परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी १००८ जी का वर्धापन दिवस , २६ जुलाई को होगा। अन्य होने वाले कार्यक्रम की पूरी जानकारी निमंत्रण पत्रिका में दी गई है आप देख सकते है।

३- गऊ माता की रक्षा के लिए आप के विचार से और क्या क्या कार्य होने चाहिए ?

– मेरे विचार से तो मैं यही कहूंगा की भारत की सभी गौमाता की रक्षा करने वाली संस्थाए एक मंच पर आ कर काम करे तभी ये सरकार भी हमारी सुनेगी नहीं तो हमें और भी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। सभी देश के लोगो और समस्त सनातनियों को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी १००८ जी का साथ देना चाहिए क्योकि एक वही है वर्तमान में जो हमारी गौमाता को बचा सकते है और गौमाता के वैभव को अमर करने की शक्ति यदि भगवान् ने दी है तो वो है हमारे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी १००८ जी महाराज।

४ – और क्या – क्या किया जा सकता है ?

– बहुत कुछ किया जा रहा है , खासकर मैं आप के अखबार के माध्यम से यह भी कहूंगा की गौआधारित अर्थव्यवस्था को और मजबूती देने की जरुरत है गाय आधारित अर्थव्यवस्था की ताकत , गायें दूध का प्राथमिक स्रोत हैं, जो भारतीय आहार का प्रमुख हिस्सा हैं। हमारी गायें स्थानीय डेयरी उद्योग में योगदान देती हैं, जिससे ताजा और पौष्टिक दूध मिलता है। जैविक खेती – गाय का गोबर और मूत्र शक्तिशाली प्राकृतिक उर्वरक और कीटनाशक हैं। वे जैविक कृषि प्रथाओं की सुविधा प्रदान करते हैं जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं, रासायनिक उपयोग को कम करते हैं और फसल की उपज को बढ़ाते हैं। जैविक खेती तकनीकों को अपनाकर आज किसानो ने अपनी अर्थव्यवस्था बढ़ाई है।
आयुर्वेद और गाय आधारित उत्पाद आज पुरे देश में माँगा जा रहा है।आयुर्वेदिक दवाओं और हर्बल उपचारों में अक्सर गाय से प्राप्त सामग्री जैसे घी और गोमूत्र शामिल होते हैं। इन उत्पादों ने अपने समग्र स्वास्थ्य लाभों के लिए लोकप्रियता हासिल की है और ये आर्थिक विकास के संभावित स्रोत हैं।
इको-पर्यटन – गाय आधारित अर्थव्यवस्था भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का अनुभव करने में रुचि रखने वाले पर्यावरण-पर्यटकों को भी आकर्षित कर सकती है। आगंतुक गाय पालन प्रथाओं, गाय-आधारित उत्पादों के उपयोग के पारंपरिक तरीकों के बारे में सीख सकते हैं और स्थानीय जीवन शैली में डूब सकते हैं।
यैसे बहुत सारे श्रोत है जिस से गौ आधारित रोजगार कर के गौमाता को बचाया जा सकता है। सरकार को और ध्यान देने की जरुरत है। महाराष्ट्र में गौमाता को राज्य माता का दर्जा दिया गया। इस से भी काफी फर्क पड़ा है। अंत में मैं यही कहूंगा – गऊ आधारित अर्थव्यवस्था भारत को समृद्ध बनाएगा। और गौमाता की रक्षा भी होगी।
खैर महानगर मुंबई के कोरा केंद्र में दिनाँक १० जुलाई से ७ सितंबर होने जा रहे परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी का दिव्य भव्य चातुर्मास्य में श्री सोनी जी के साथ गणपत कोठरी , जयकांत शुक्ल , डॉ भरत शाह , शैलेश परसरामपुरिया , हर्ष गुप्ता , गुनीश गर्ग शामिल है। और अपना सहयोग दे रहे है।

 

श्री शैलेश परसरामपुरिया , उद्योगपति ,समाजसेवी ,  आयोजन समिति सदस्य

भारत की एकता- अखंडता को समर्पित युगपुरुष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी

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(हेमन्त खण्डेलवाल-विनायक फीचर्स)

कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जो अपने विचारों, संघर्षों और बलिदानों से समय की धारा को मोड़ने का संकल्प रखते हैं। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ऐसे ही युगपुरुष थे, जिनकी राष्ट्रभक्ति, दूरदृष्टि और दृढ़ संकल्प ने भारत की एकता-अखंडता को सुदृढ़ किया। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ऐसे ही एक युगदृष्टा थे, जिनका जीवन भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए समर्पित था। वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि शिक्षाविद्, समाज सुधारक और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रबल प्रवक्ता भी थे। 6 जुलाई को उनका जन्मदिवस केवल एक स्मरण तिथि नहीं, बल्कि राष्ट्रनिष्ठा, त्याग और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

देश की स्वतंत्रता के पश्चात जम्मू-कश्मीर को लेकर जो परिस्थितियाँ निर्मित हुईं, वे राष्ट्र की एकता के लिए चुनौती बन गईं थी। अनुच्छेद 370 और 35 ए जैसे प्रावधानों ने जम्मू-कश्मीर को भारत से पृथक करने का प्रयास किया। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस वैचारिक विभाजन का डटकर विरोध किया। उनका स्पष्ट मत था कि “एक देश में दो प्रधान, दो विधान और दो निशान नहीं चल सकते।” यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि उनका जीवन दर्शन था। उन्होंने कहा था कि जब कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, तो वहाँ भी भारत के समान संविधान और शासन होना चाहिए। अपने इस सिद्धांत को सत्य सिद्ध करने के लिए उन्होंने अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया, वर्षों बाद उनका सपना साकार हुआ जब 2019 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त किया गया। यह कदम केवल एक संवैधानिक सुधार नहीं था, बल्कि यह भारत की एकता और अखंडता को मजबूत करने का ऐतिहासिक संकल्प था। इस निर्णय के पीछे डॉ. मुखर्जी के राष्ट्रवाद की विचारधारा स्पष्ट रूप से झलकती है।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय राजनीति में एक स्पष्ट और सशक्त राष्ट्रीय विचारधारा प्रस्तुत की। जब पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में वैचारिक प्रतिबद्धताएँ राष्ट्रहित से टकराने लगीं, तब उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। यह केवल पद का त्याग नहीं था, बल्कि राष्ट्रहित के लिए एक साहसिक और कर्त्तव्यनिष्ठ कदम था। इसके बाद उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो भविष्य में भारतीय जनता पार्टी के रूप में विकसित होकर देश की सबसे बड़ी राजनीतिक शक्ति बनी। डॉ. मुखर्जी का सबसे बड़ा संघर्ष जम्मू-कश्मीर की ‘परमिट प्रणाली’ के खिलाफ था। यह व्यवस्था कश्मीर में भारतीय नागरिकों की स्वतंत्र आवाजाही को सीमित करती थी, जिससे भारत के अंदरूनी हिस्सों को एक-दूसरे से जोड़ना मुश्किल हो रहा था। 1953 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर की यात्रा करने का साहस दिखाया, जिसके पश्चात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। श्रीनगर की जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु 23 जून 1953 को हुई। अत्यंत पीड़ादायक है कि न उन्हें समुचित चिकित्सा प्रदान की गई और न ही उनकी मौत की निष्पक्ष जांच की गई। उनकी माता श्रीमती योगमाया देवी ने इसे ‘मेडिकल मर्डर’ करार दिया, पर सत्ता तंत्र मौन रहा। डॉ. मुखर्जी का यह बलिदान व्यर्थ नहीं गया। उनके निधन के कुछ सप्ताहों के भीतर ही कश्मीर की परमिट प्रणाली समाप्त कर दी गई और धीरे-धीरे वह व्यवस्था बदली, जिसने देश के भीतर अलगाव और तनाव पैदा किया था। हालांकि कांग्रेस सरकारों ने दशकों तक उनकी चेतावनियों को नजरअंदाज किया, परन्तु उनकी विचारधारा आज भी भारतीय राष्ट्रवाद का आधार है।

2004 के बाद जब देश में कांग्रेस की सत्ता रही, तब जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता देने की बातें पुनः उठी। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 2010 में जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता की बात कहकर भारत की जनता के हितों के साथ खिलवाड़ किया। कांग्रेस ने पीडीपी की कठपुतली बनकर आतंकवादियों के प्रति नरमी बरती, जिससे कश्मीर में दशकों तक हिंसा और विस्थापन हुआ। हजारों नागरिक शरणार्थी बने और उनकी जिंदगी कठिन हुई। इस दौरान अलगाववादी शक्तियों को बढ़ावा मिला और भारत विरोधी गतिविधियां फलने-फूलने लगीं। इसके विपरीत, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के बाद जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद और अलगाववाद को दफन कर देश की एकता को मजबूत किया। डॉ. मुखर्जी के संघर्ष और बलिदान के कारण ही जम्मू-कश्मीर आज भारत का अभिन्न हिस्सा है। भारतीय जनसंघ से भाजपा तक की राजनीति का मूल राष्ट्रवाद रहा है, जिसने देश की अखंडता और सुरक्षा को सर्वोपरि रखा।
शिक्षा के क्षेत्र में भी डॉ. मुखर्जी ने अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने उच्च शिक्षा को भारतीय संस्कृति से जोड़ने पर जोर दिया, ताकि देश की युवा पीढ़ी अपने सांस्कृतिक मूल्यों के साथ आधुनिक ज्ञान प्राप्त कर सके। आज नई शिक्षा नीति में भी उनके विचारों की परछाई मिलती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार की कई जनकल्याणकारी योजनाएं प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, तीन तलाक विरोधी कानून, डॉ. मुखर्जी के सामाजिक दृष्टिकोण और राष्ट्रहित के विचारों का प्रतिफल हैं। ये योजनाएं देश के गरीब और पिछड़े तबकों को सशक्त बनाने का प्रयास करती हैं, जिसका डॉ. मुखर्जी ने सदैव समर्थन किया था।

डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी भारत के महान राष्ट्रवादी नेता थे, जिनका जीवन देशभक्ति और समर्पण की मिसाल है। वे पद, प्रतिष्ठा या स्वार्थ से ऊपर उठकर केवल देश की सेवा में लगे रहे। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जीवन हमें सिखाता है कि सच्चा राष्ट्रवाद केवल सत्ता प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि सिद्धांतों और न्याय के लिए निरंतर संघर्ष है। आज जब भारत 2047 में स्वावलंबी और विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है, तब उनकी शिक्षाएं और भी प्रासंगिक हो जाती हैं। डॉ. मुखर्जी का आदर्श और बलिदान हमारे लिए एक अमर प्रेरणा हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को एकजुट, मजबूत और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए प्रेरित करते रहेंगे। (विनायक फीचर्स) (लेखक मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष व बैतूल विधायक हैं।)

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गोदरेज कैपिटल के लेंडिंग बिजनेस के विस्तार के लिए सेल्सफोर्स एआई-आधारित प्रक्रियाओं को बढ़ाएगा आगे

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गोदरेज कैपिटल और सेल्सफोर्स ने की रणनीतिक साझेदारी की घोषणा

मुंबई। गोदरेज इंडस्ट्रीज़ ग्रुप की वित्तीय सेवा शाखा गोदरेज कैपिटल और दुनिया नंबर 1 एआई-सीआरएम कंपनी सेल्सफोर्स ने एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। इस सहयोग का उद्देश्य गोदरेज कैपिटल की सहायक कंपनियों को डिजिटल लोन प्रणाली को और बेहतर बनाना और पूरे भारत में बेहतर ग्राहक अनुभव प्रदान करना है। इस पहल के लिए डेलॉइट इंडिया को टेक्नोलॉजी पार्टनर के रूप में शामिल किया गया है, जो सेल्सफोर्स के उन्नत प्लेटफ़ॉर्म्स को गोदरेज कैपिटल की लोन व्यवस्था में तेजी से और आसानी से जोड़ने में सहायता करेगा।

गोदरेज कैपिटल हमेशा से नए इनोवेशन और जनरेटिव एआई आधारित तकनीकों को अपनाने में आगे रहा है। गोदरेज कैपिटल ने इस साझेदारी के माध्यम से एक भविष्य के लिए तैयार, डिजिटल रूप से मजबूत लोन व्यवस्था बनाने की साझा सोच को साकार किया है। डेलॉइट के पास बड़े पैमाने पर तकनीकी परिवर्तन देने का अनुभव है, जिससे गोदरेज कैपिटल के सभी उत्पादों में कामकाज की गति, ग्राहक अनुभव और जोखिम समझदारी में बड़ा सुधार होने की उम्मीद है।

इस सहयोग के तहत, कंपनी अपने लोन ओरिजिनेशन सिस्टम (एलओएस) को सेल्सफोर्स द्वारा संचालित एआई-सक्षम प्लेटफ़ॉर्म में एकीकृत कर अपनी लोन प्रक्रिया को और मजबूत बना रहा है। यह पूरे उत्पाद पोर्टफोलियो में, पहले से मौजूद कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट (सीआरएम) सिस्टम के साथ मिलकर काम करेगा। इस नई तकनीकी व्यवस्था से लोन प्रक्रिया पहले से ज्यादा स्मार्ट, आसान और व्यक्तिगत बन जाएगी – आवेदन से लेकर लोन मिलने तक का पूरा सफर तेज और सुगम होगा। इसका उद्देश्य लोन प्रोसेस में लगने वाला समय घटाना, ज्यादा सटीकता लाना और देशभर के लोगों और व्यवसायों को बेहतर तरीके से क्रेडिट (लोन) सुविधा देना है।

सेल्सफोर्स की एआई टेक्नोलॉजी का उपयोग करके कंपनी एक तेज़ और डेटा-आधारित लोन प्रक्रिया तैयार कर रही है, जिससे स्मार्ट तरीके से अन्य प्रोडक्ट्स की बिक्री (क्रॉस-सेलिंग), जोखिम प्रबंधन में सुधार और बड़े पैमाने पर ग्राहकों को उनकी ज़रूरत के अनुसार बेहतर अनुभव मिल सकेगा। कंपनी को अपने ग्राहकों की पूरी जानकारी एक ही जगह (360-डिग्री व्यू) में मिल रही है — चाहे वे किसी भी प्रोडक्ट, चैनल या संपर्क माध्यम से जुड़े हों। इससे कंपनी को बेहतरीन ग्राहक सेवा देने, तेज़ी से काम करने और कम मैन्युअल प्रक्रिया में पूरा लोन सिस्टम संभालने में मदद मिल रही है।

मनीष शाह (एमडी और सीईओ, गोदरेज कैपिटल) ने कहा,“गोदरेज कैपिटल में हमारा फोकस टेक्नोलॉजी पर है, और हम लगातार जनरेटिव एआई में निवेश कर रहे हैं ताकि हम अपने फाइनेंशियल सॉल्यूशंस को बड़े स्तर पर पहुंचा सकें। सेल्सफोर्स जैसी एआई आधारित ग्लोबल कंपनी के साथ हमारा यह सहयोग हमारी प्रयासों को और मजबूत करता है। इससे हम ग्राहकों को और भी स्मार्ट क्रेडिट अनुभव दे सकते हैं, कामकाज को ज़्यादा कुशल बना सकते हैं, और तेज़ी से व्यक्तिगत सेवाएं दे सकते हैं। सबसे जरूरी बात यह है कि यह साझेदारी दिखाती है कि हम दोनों कंपनियां टेक्नोलॉजी का उपयोग वास्तविक वित्तीय समस्याएं हल करने और भारत की आर्थिक तरक्की में योगदान देने के लिए कर रहे हैं, एक ऐसा कर्ज़ तंत्र बनाकर जो ज्यादा समावेशी, तेज़ और सुगम हो।

अरुंधती भट्टाचार्य (अध्यक्ष और सीईओ, सेल्सफोर्स – दक्षिण एशिया) ने कहा,“वित्तीय सेवा क्षेत्र एक निर्णायक मोड़ पर है, जहां टेक्नोलॉजी केवल सिस्टम को बेहतर नहीं बना रही, बल्कि यह पूरी तरह से यह बदल रही है कि संस्थाएं अपने ग्राहकों से कैसे जुड़ती हैं, निर्णय कैसे लेती हैं और सेवाएं कैसे देती हैं। इस डिजिटल-प्रथम दुनिया में, भविष्य उन्हीं का होगा जो समझदारी, तेज़ी और विश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं। एआई इस बदलाव का केंद्र है—यह तेज़ी से निर्णय लेने, ग्राहकों को गहराई से समझने और बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत सेवा देने में मदद करता है। गोदरेज कैपिटल इस क्षेत्र में एक साहसी इनोवेटर के रूप में उभर कर सामने आया है, जो ग्राहक को सबसे पहले रखने की सोच को डिजिटल सोच के साथ जोड़ रहा है। वे सिर्फ भारत के एमएसएमई (छोटे और मध्यम उद्योगों) के लिए नहीं, बल्कि हर उधारकर्ता, उद्यमी और परिवार के लिए कर्ज़ सेवाओं को नए तरीके से तैयार कर रहे हैं, जो देश की प्रगति में योगदान देता है। हमें गर्व है कि हम इस सफर में उनका साथ दे रहे हैं, एक एआई-चालित प्लेटफॉर्म के ज़रिए जो डेटा, समझ और स्पीड को एक साथ लाकर समावेशी विकास की नई राह खोल रहा है।”

अश्विन बल्लाल (पार्टनर, डेलॉइट इंडिया) ने कहा,“हमें गोदरेज कैपिटल के साथ इस महत्वाकांक्षी परिवर्तन में साझेदारी करके खुशी हो रही है। सेल्सफोर्स की एआई-आधारित तकनीक और गोदरेज कैपिटल की डिजिटल-फर्स्ट सोच को जोड़ने से भारत में कर्ज़ देने के अनुभव को नए तरीके से तैयार करने का शानदार मौका मिल रहा है। हमारा गहरा अनुभव, सफल प्रोजेक्ट लागू करने की क्षमता और अंतरराष्ट्रीय स्तर की बेहतरीन कार्यप्रणालियाँ गोदरेज कैपिटल को एक ऐसा डिजिटल सिस्टम तैयार करने में मदद करेंगी जो तेज़, स्केलेबल, बड़े स्तर पर काम करने वाला और भविष्य के लिए तैयार हो और जो असली बिज़नेस परिणाम भी दे सके।”

गोदरेज कैपिटल अपने बढ़ते प्रभाव क्षेत्र के साथ, स्केलेबल और भविष्य-तैयार टेक्नोलॉजी में लगातार निवेश कर रहा है। कंपनी की इन-हाउस टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में जनरेटिव एआई आधारित समाधान तैयार कर रही हैं ताकि कामकाज और ज़्यादा कुशल हो सके। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, कंपनी का एंटरप्राइज ग्रेड जेनएआई और मशीन लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म सक्षम एआई से जुड़े सभी विकास कार्यों को एक जगह लाता है, सुरक्षित एलएलएम (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) इंटीग्रेशन की सुविधा देता है, और आसान गवर्नेंस सुनिश्चित करता है। इसका लक्ष्य ग्राहकों के लिए स्मार्ट और उपयोगी समाधान देना है, ताकि तेजी से बदलते बीएफएसआय (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस) सेक्टर की जरूरतें पूरी की जा सकें ।

प्रोडक्ट इनोवेशन के तहत, सेल्सफोर्स लगातार एंटरप्राइज एआई की सीमाओं को और आगे बढ़ा रहा है। इसका नया प्लेटफॉर्म एजेंटफोर्स कंपनियों को ऐसे एआई एजेंट बनाने और इस्तेमाल करने की सुविधा देता है जो खुद से (स्वतः) अलग-अलग बिज़नेस कामों को अंजाम दे सकते हैं। एजेंटफोर्स सेल्सफोर्स के विकास का अगला कदम है — एक ऐसा प्लेटफॉर्म जहां एआई एजेंट इंसानों के साथ मिलकर काम करते हैं। इससे एक डिजिटल वर्कफोर्स टीम बनती है जो इंसानों की क्षमता को और बेहतर बनाती है और पहले से कहीं ज्यादा तेज़ और स्मार्ट तरीके से नतीजे देती है।

सेल्सफोर्स, दुनिया का नंबर 1 सीआरएम है, जो एआई टेक्नोलॉजी और क्षमताओं द्वारा सशक्त है।

आदिवासियों को गाय देगी सरकार

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रायपुर छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी परिवारों की महिलाओं को साहीवाल गाय देने का निर्णय लिया है। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत छह जिलों में सरकार ने 325 आदिवासियों को गाय वितरित करेगी। इस योजना का उद्देश्य प्रदेश के दुग्ध उत्पादन में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। वहीं अब साहीवाल गाय योजना को लेकर पक्ष- विपक्ष के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है। प्रदेश के आदिवासी परिवारों को गाय देने के निर्णय पर अब सियासी पारा चढ़ता हुआ नजर आ रहा है। मामले में कांग्रेस ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा- भाजपा 2003 से गाय देने के नाम पर झूठ बोल रही है। पहले हर आदिवासी को जर्सी गाय देने की बात कही थी अब साहिवाल नस्ल का गाय देने की बात कर रही है। आज तक एक आदिवासी परिवार को गाय नहीं मिला है।

जनहित के कामों से कांग्रेस को पेट में दर्द होता है – साव

कांग्रेस के तंज पर अब डिप्टी सीएम अरुण साव का बयान सामने आया है। अरुण साव ने पलटवार करते हुए कहा- जनहित के कामों से कांग्रेस को पेट में दर्द होता है। झूठ की मास्टरी अगर किसी पार्टी में है तो वह कांग्रेस है। जनता अब कांग्रेस के वादों की सच्चाई समझ चुकी है, दोबारा नहीं ठगे जाएंगे।

गौ राष्ट्र यात्रा -भारत सिंह राजपुरोहित ने किसानों की आय वृद्धि और गौशालाओं की आत्मनिर्भरता पर दिया विशेष बल

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रानी, पाली (राजस्थान) – 3 जुलाई 2025 – जीव-जंतु कल्याण एवं कृषि शोध संस्थान (AWRI) के अध्यक्ष श्री भारत सिंह राजपुरोहित के नेतृत्व में राष्ट्रव्यापी ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ आज राजस्थान के पाली जिले स्थित राधे कृष्णा गौशाला सेवा समिति, रानी कल्ला पहुँची। यात्रा टीम का स्थानीय गौभक्तों और समाजसेवियों द्वारा अत्यंत गर्मजोशी और सम्मान के साथ भव्य स्वागत किया गया, जिसने पूरे वातावरण को गौ-सेवा के संकल्प से ओतप्रोत कर दिया। यह पड़ाव देसी गौवंश के संरक्षण और गौ-आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

किसानों और गौशालाओं के लिए आत्मनिर्भरता का मंत्र

कार्यक्रम में उपस्थित विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए AWRI अध्यक्ष श्री भारत सिंह राजपुरोहित ने गौमाता के आर्थिक और सामाजिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि कैसे देसी गौवंश के उचित प्रबंधन और गौ-आधारित कृषि पद्धतियों को अपनाकर किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि की जा सकती है। राजपुरोहित जी ने विस्तार से समझाया कि गौपालन को केवल एक पारंपरिक प्रथा के रूप में नहीं, बल्कि एक सशक्त और लाभदायक आर्थिक मॉडल के रूप में देखा जाना चाहिए, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की धुरी बन सकता है।
उन्होंने प्रदेश और देश भर की गौशालाओं के लिए आत्मनिर्भरता का एक स्पष्ट मार्ग भी सुझाया। उन्होंने बताया कि गौशालाएँ केवल गौवंश के आश्रय स्थल न रहें, बल्कि वे गाय के गोबर, गौमूत्र और अन्य गौ-उत्पादों के निर्माण का केंद्र बनें। इन उत्पादों, जैसे जैविक खाद, कीटनाशक, औषधियाँ, और विभिन्न दैनिक उपयोग की वस्तुएँ बनाकर गौशालाएँ न केवल अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा कर सकती हैं, बल्कि अच्छा मुनाफ़ा भी कमा सकती हैं, जिससे गौ संरक्षण का कार्य वित्तीय रूप से टिकाऊ और आत्म-निर्भर हो सकेगा।

यात्रा मार्ग में मिला व्यापक जनसमर्थन
राधे कृष्णा गौशाला सेवा समिति पहुँचने से पहले भी ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ की टीम का पूरे मार्ग में कई स्थानों पर स्थानीय समुदायों द्वारा अभूतपूर्व स्वागत और सत्कार किया गया। हर गाँव और कस्बे में लोगों ने उत्साह के साथ यात्रा का अभिनंदन किया। इस दौरान अनेक प्रमुख हस्तियाँ और गौभक्त यात्रा के समर्थन में उपस्थित रहे:
* रोहट: श्री ललित पालीवाल
* पाली-पुनाडिया: श्री ज्वाला माता, श्री जितानंदजी महाराज, श्री यशपाल सिंह जी पुनाडिया
* रानी (राधे कृष्णा गौशाला): श्री भरत जी राठौड़ (अध्यक्ष, रानी नगरपालिका), श्री हरीश जी सोनी, श्री शेषाराम जी घाची (अध्यक्ष, गौशाला), संरक्षक श्री भरत जी धनरेचा, श्री रंगराज जी, श्री श्रवण सिंह जी महेचा, श्री धर्मेंद्र सिंह जी, श्री रमेश गहलोत, श्री बजरंग जी हुरकट, श्री कमल जी गोयल, श्री गिरधारी सिंह पीलवा
* नदी गौशाला: श्री शैतान सिंह आउवा, श्री पीयूष शर्मा, श्री श्रवण सिंह धुरासनी
इन सभी गणमान्य व्यक्तियों और हजारों गौभक्तों की उपस्थिति ने ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ के प्रति जन-समर्थन की गहराई और व्यापकता को दर्शाया। यह यात्रा देसी गौवंश के संरक्षण और ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के अपने लक्ष्य की ओर निरंतर अग्रसर है, और हर पड़ाव पर यह संकल्प और भी दृढ़ होता जा रहा है।

जीव-जंतु कल्याण एवं कृषि शोध संस्थान (AWRI) के बारे में:
AWRI एक अग्रणी संस्था है जो जीव-जंतु कल्याण और कृषि शोध के क्षेत्र में कार्य करती है। यह देसी नस्लों के संरक्षण, जैविक खेती के प्रचार और ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
भारत सिंह राजपुरोहित
मोबाइल: 9772923956
ईमेल: gousevaa@gmail.com
वेबसाइट: www.gaurashtrayatra.com
कार्यक्रम आयोजक संपर्क:
राधे कृष्णा गौशाला सेवा समिति, रानी कल्ला, जिला पाली, राजस्थान
मोबाइल: 7850828850

वन शॉट में बनी हेमवंत तिवारी की अनोखी फिल्म “कृष्णा अर्जुन” सेंसर बोर्ड की मंजूरी के लिए संघर्षरत

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मुंबई। फिल्म लेखक निर्माता, निर्देशक और अभिनेता हेमवंत तिवारी की फिल्म “कृष्णा अर्जुन” चर्चा का विषय बनी हुई है। यह फिल्म तकनीकी दृष्टि से बेहद अनोखी मानी जा रही है क्योंकि इसे पूरी तरह एक ही टेक में शूट किया गया है। लगभग 2 घंटे 14 मिनट की यह वन शॉट फिल्म बिना किसी कट या रिटेक के पूरी की गई है, जो भारतीय सिनेमा में पहली बार हुआ है।

फिल्म की कहानी दो जुड़वां भाइयों अर्जुन और कृष्णा के इर्द-गिर्द घूमती है। कृष्णा दबंग लेकिन उदार दिल का है, साथ ही वह होमोसेक्सुअल है, जिसके कारण उसके परिवार और समाज से उसे तिरस्कार झेलना पड़ता है। सामाजिक निंदा से परेशान होकर वह परिवार से दूर चला जाता है। दूसरी तरफ अर्जुन परिवार के साथ रहकर उनका सहारा बनता है।

फिल्म में कई ज्वलंत मुद्दे उठाए गए हैं। अर्जुन के पिता पर कर्ज चुकाने का दबाव इतना बढ़ जाता है कि वह आत्मदाह की कोशिश करते हैं और वहीं लोन एजेंट उन्हें जला देता है। वहीं एक मंत्री द्वारा बलात्कार और हत्या की घटनाएं भी दिखायी गई हैं। मंत्री की करतूतों के खिलाफ गर्भवती पीड़िता जब पुलिस के पास जाती है तो उसी पर मामला दर्ज कर लिया जाता है।

कहानी में अर्जुन और मंत्री के बीच भी संघर्ष है। मंत्री ने अर्जुन की मां के इलाज के बदले तीन लोगों की हत्या की सुपारी दी थी, लेकिन अर्जुन ने उन हत्याओं को अंजाम नहीं दिया। यह सच सामने आने के बाद मंत्री उसे फंसाने के लिए पुलिस का सहारा लेता है। थाने में अर्जुन उसी गर्भवती लड़की से मिलता है जो उसकी पहली नजर का प्यार है। अब अर्जुन उसे मंत्री के चंगुल से बचाने की कोशिश करता है।

फिल्म की पटकथा में सामाजिक सच्चाइयों, हिन्दू-मुस्लिम तनाव, जाति प्रथा, अफसरशाही, राजनीति, और एलजीबीटी मुद्दों को भी जगह दी गई है। फिल्म में अश्लील भाषा और कुछ दृश्य सेंसर बोर्ड को आपत्तिजनक लगे हैं। बोर्ड ने इन्हें हटाने को कहा है। लेकिन हेमवंत तिवारी का तर्क है कि चूंकि यह वन शॉट फिल्म है, कोई भी कट लगाने से इसका स्वरूप और असर खत्म हो जाएगा।

निर्देशक ने सेंसर बोर्ड से आग्रह किया है कि वे कट लगाने के बजाय विवादित दृश्यों को ब्लर या ब्लैक पैच से ढकने की अनुमति दें। तिवारी कहते हैं कि बड़े बजट की फिल्मों में भी ऐसा किया जाता है। उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया है कि अगर बोर्ड को कंटेंट आपत्तिजनक लगे तो फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट या 18+ टैग दे दिया जाए, लेकिन थिएटर में प्रदर्शित होने की अनुमति दी जाए।

फिल्म को सेंसर बोर्ड से मंजूरी न मिलने के कारण यूट्यूब पर रिलीज किया गया है, जहां इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। बावजूद इसके, निर्देशक और उनकी टीम की ख्वाहिश है कि यह फिल्म बड़े पर्दे पर भी दिखे। इसके लिए हाल ही में मुंबई के इम्पा दफ्तर में फिल्म की स्क्रीनिंग और प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जहां हेमवंत तिवारी ने मीडिया को इस प्रयोग की चुनौतियों और इसकी अनोखी कला के बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने कहा कि इस वन शॉट फिल्म को संभव बनाने के लिए सभी तकनीशियनों सहित कलाकारों ने आठ महीने तक कड़ी मेहनत और रिहर्सल की। फिल्म में कोई गाना नहीं है, बल्कि एक रॉ और रियल ड्रामा है जिसमें प्यार, दर्द, मारधाड़ और हास्य के साथ-साथ समाज की सच्चाइयों को भी दिखाया गया है।

निर्देशक का मानना है कि यह फिल्म खासतौर पर युवाओं को पसंद आएगी जो आज के समाज की कड़वी सच्चाई को देखना और समझना चाहते हैं। ऐसी घटनाएं आये दिन देश के किसी कोने में घटित हो रही है। उन्होंने सेंसर बोर्ड से अपील की है कि उनकी मेहनत और इस नई कला-शैली का सम्मान करते हुए उनकी फिल्म को थिएटर में रिलीज की अनुमति दी जाए।

वैसे फिल्मकार ने अच्छा प्रयास किया है इसलिए इस फिल्म को 5 में 3.5 स्टार दिया जाता है।

– गायत्री साहू