परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी का दिव्य भव्य चातुर्मास्य मुंबई में।

 

गऊ माता के रक्षण के लिए भारत के सभी गऊ प्रेमियों और संगठनों को एक मंच पर आने की जरुरत – गौभक्त , भगवत चिंतक श्री एमएल सोनी

मुंबई – महानगर मुंबई के कोरा केंद्र में दिनाँक १० जुलाई से ७ सितंबर होने जा रहे परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी का दिव्य भव्य चातुर्मास्य कोरा केंद्र मैदान नंबर २ और ३ में होने जा रहा है। जहा गऊ माता को राष्ट्र माता के का दर्जा दिलवाने तथा श्री गो -प्रतिष्ठा महायज्ञ ३३ करोड़ आहुतियों का महायज्ञ का आयोजन तो होगा ही अन्य वैदिक अनुष्ठान और कार्यक्रम जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी के आशीर्वाद से संपन्न होगा।
दिनाँक १० जुलाई से ७ सितंबर तक चलने वाले इस दिव्य चातुर्मास्य में लाखो गौभक्तो और सनातनियों के भाग लेने की संभावना है। इस दिव्य चातुर्मास्य आयोजन में अपनी प्रमुख भूमिका निभा रहे परम गौभक्त सनातन धर्म के ध्वजारक्षक भगवत चिंतक समाजसेवी श्री एमएल सोनी से दिव्य चातुर्मास्य आयोजन के कुछ विशेष बिंदुओं और गौमाता पर चर्चा की है प्रस्तुत है।

१- एमएल सोनी जी परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी का दिव्य भव्य चातुर्मास्य मुंबई में करवा रहे है क्या कहेंगे आप ?

– महाराष्ट्र की पवन धरा का यह शौभाग्य है कि परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर गद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी ने दिव्य भव्य चातुर्मास्य के लिए मुंबई को चुना मेरे लिए और मेरे परिवार के लिए यह शौभाग्य है कि हमें सेवा का मौका मिला। गौमाता की सेवा के लिए हम कृतज्ञ हैं। और सब से बड़ी बात यह भी है कि जगद्गुरु शंकराचार्य जी का दिव्य भव्य चातुर्मास्य मुम्बईकरो का कल्याण करने और उन्हें गौमाता की सेवा के लिए प्रेरित करने के लिए हो रहा है। सैकड़ो वर्षो से गौमाता की लड़ाई लड़ी जा रही है स्वामी करपात्री जी महाराज ने जिस तरह से गौ माता की लड़ाई लड़ी और गोलियां खाई आप को पता होगा स्वामी करपात्री जी महाराज ने गौ माता की रक्षा के लिए बहुत संघर्ष किया। उन्होंने 1966 में हुए गौरक्षा आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसमें उन्होंने और हजारों साधुओं ने दिल्ली में प्रदर्शन  किया। इस दौरान, सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं, जिसमें कई साधु मारे गए और घायल हुए थे। आज हमारे परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु  शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी ने उसी काम को आगे बढ़ाते हुए गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा सरकार दे उसके लिए संघर्ष कर रहे है। हमें भी सेवा का अवसर मिल रहा है यही हमारे लिए गर्व की बात है।

२- दिव्य भव्य चातुर्मास्य की अन्य रुपरेखा ?

– इस दिव्य भव्य चातुर्मास्य में नाना प्रकार के वैदिक अनुष्ठानो के साथ भव्य श्री गो प्रतिष्ठा महायज्ञ ३३ करोड़ आहुतियों का कार्यक्रम है जो गौमाता के प्राण प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए है इस में कोई भी गौभक्त भाग ले सकता है। इस आयोजन में धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज जी की जयंती , परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी १००८ जी का वर्धापन दिवस , २६ जुलाई को होगा। अन्य होने वाले कार्यक्रम की पूरी जानकारी निमंत्रण पत्रिका में दी गई है आप देख सकते है।

३- गऊ माता की रक्षा के लिए आप के विचार से और क्या क्या कार्य होने चाहिए ?

– मेरे विचार से तो मैं यही कहूंगा की भारत की सभी गौमाता की रक्षा करने वाली संस्थाए एक मंच पर आ कर काम करे तभी ये सरकार भी हमारी सुनेगी नहीं तो हमें और भी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। सभी देश के लोगो और समस्त सनातनियों को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी १००८ जी का साथ देना चाहिए क्योकि एक वही है वर्तमान में जो हमारी गौमाता को बचा सकते है और गौमाता के वैभव को अमर करने की शक्ति यदि भगवान् ने दी है तो वो है हमारे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी १००८ जी महाराज।

४ – और क्या – क्या किया जा सकता है ?

– बहुत कुछ किया जा रहा है , खासकर मैं आप के अखबार के माध्यम से यह भी कहूंगा की गौआधारित अर्थव्यवस्था को और मजबूती देने की जरुरत है गाय आधारित अर्थव्यवस्था की ताकत , गायें दूध का प्राथमिक स्रोत हैं, जो भारतीय आहार का प्रमुख हिस्सा हैं। हमारी गायें स्थानीय डेयरी उद्योग में योगदान देती हैं, जिससे ताजा और पौष्टिक दूध मिलता है। जैविक खेती – गाय का गोबर और मूत्र शक्तिशाली प्राकृतिक उर्वरक और कीटनाशक हैं। वे जैविक कृषि प्रथाओं की सुविधा प्रदान करते हैं जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं, रासायनिक उपयोग को कम करते हैं और फसल की उपज को बढ़ाते हैं। जैविक खेती तकनीकों को अपनाकर आज किसानो ने अपनी अर्थव्यवस्था बढ़ाई है।
आयुर्वेद और गाय आधारित उत्पाद आज पुरे देश में माँगा जा रहा है।आयुर्वेदिक दवाओं और हर्बल उपचारों में अक्सर गाय से प्राप्त सामग्री जैसे घी और गोमूत्र शामिल होते हैं। इन उत्पादों ने अपने समग्र स्वास्थ्य लाभों के लिए लोकप्रियता हासिल की है और ये आर्थिक विकास के संभावित स्रोत हैं।
इको-पर्यटन – गाय आधारित अर्थव्यवस्था भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का अनुभव करने में रुचि रखने वाले पर्यावरण-पर्यटकों को भी आकर्षित कर सकती है। आगंतुक गाय पालन प्रथाओं, गाय-आधारित उत्पादों के उपयोग के पारंपरिक तरीकों के बारे में सीख सकते हैं और स्थानीय जीवन शैली में डूब सकते हैं।
यैसे बहुत सारे श्रोत है जिस से गौ आधारित रोजगार कर के गौमाता को बचाया जा सकता है। सरकार को और ध्यान देने की जरुरत है। महाराष्ट्र में गौमाता को राज्य माता का दर्जा दिया गया। इस से भी काफी फर्क पड़ा है। अंत में मैं यही कहूंगा – गऊ आधारित अर्थव्यवस्था भारत को समृद्ध बनाएगा। और गौमाता की रक्षा भी होगी।
खैर महानगर मुंबई के कोरा केंद्र में दिनाँक १० जुलाई से ७ सितंबर होने जा रहे परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज जी का दिव्य भव्य चातुर्मास्य में श्री सोनी जी के साथ गणपत कोठरी , जयकांत शुक्ल , डॉ भरत शाह , शैलेश परसरामपुरिया , हर्ष गुप्ता , गुनीश गर्ग शामिल है। और अपना सहयोग दे रहे है।

 

श्री शैलेश परसरामपुरिया , उद्योगपति ,समाजसेवी ,  आयोजन समिति सदस्य

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