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Income Tax Return: आईटीआर भरने की आखिरी तारीख आज

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वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने का रविवार को आखिरी दिन है। शनिवार रात 8.36 बजे तक 5 करोड़ से अधिक लोग आईटीआर दाखिल कर चुके हैं। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 5.89 करोड़ आईटीआर दाखिल हुए थे। हालांकि, तब इसकी सीमा 21 दिसंबर तक बढ़ाई गई थी।

अब इसकी आखिरी तिथि समाप्त होने में कुछ ही घंटे बचे हैं ऐसे में अगर आपने अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो आपको बिना समय गंवाए इसे फाइल कर लेना चाहिए। आइए जानते हैं कैसे खुद फाइल कर सकते हैं आईटीआर:-

  • अगर आपने भी अब तक अपना आईटीआर फाइल नहीं किया है, तो इसके लिए आपको पहले आधिकारिक लिंक https://www.incometax.gov.in/iec/foportal पर जाना है।
  • फिर ‘ई-फाइल’ पर जाकर ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ वाले विकल्प पर क्लिक करें। अब साल चुनें और अगर ऑरिजनल भरना है तो उसे चुनें। लेकिन अगर रिवाइज्ड भर रहे हैं, तो ‘रिवाइज्ट रिटर्न’ चुनें।
  • फिर ‘Prepare and Submit Online’ वाले ऑप्शन पर क्लिक करें। अब वेरिफिकेशन पेज पर जाकर वेरिफाई पर क्लिक करें। आखिर में ‘प्रिव्यू एंड सबमिट’ पर क्लिक कर दें।

लग सकता है जुर्माना
अगर आप करदाता हैं, तो आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी हो जाता है। लेकिन अगर आप आखिरी तारीख तक भी ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो आयकर प्रावधानों के मुताबिक आपके ऊपर जुर्माना लग सकता है। वहीं, आपको नोटिस भी आ सकता है।

टैक्स डिडक्शन की सुविधा
इनकम टैक्स के तहत आने वाले कई प्रावधानों के तहत टैक्स डिडक्शन की सुविधा मिलती है पर इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित है 80C। इसका फायदा नौकरीपेशा लोगों को सबसे अधिक मिलता है। इसके अलावे इसके उपसेक्शन 80सीसीडी(1बी) के तहत होम लाेन, एजुकेशन लोन और बीमा पॉलिसी टैक्स बचाने में आपकी मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं टैक्स बचाने के लिए हमें अपनी रणनीति कैसे बनानी चाहिए।

स्टैंडर्ड डिडक्शन (5 लाख रुपये)
सबसे पहले इस बात की जानकारी होनी जरूरी है कि इनकम टैक्स के सेक्शन 87ए के तहत पांच लाख रुपये तक की आय पर किसी तरह की टैक्स की देनदारी नहीं होती है। ऐसे में अगर आपकी आमदनी 10 लाख रुपये है तो सबसे पहले तो 87ए की तहत मिलने वाली राहत के अनुसार दस लाख में से पांच लाख रुपये घटाएं तो आप पर टैक्स की देनदारी पांच लाख रुपये की आमदनी पर ही बनेगी। इसके अलावे नौकरीपेशा लोगों और पेंशनधारकों को 50,000 रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन की सुविधा मिलती है। इस आधार पर 50 हजार रुपये और घट जाते हैं और आप पर टैक्स की देनदारी 4.5 लाख रुपये की आमदनी के लिए बनती है।

80सी डिडक्शन (1.5 लाख रुपये)
इनकम टैक्स कानून की धारा 80सी के तहत सालाना डेढ़ लाख रुपये तक की निवेश पर आयकर में छूट का लाभ लिया जा सकता है। 80सी के तहत आयकर में छूट लेने की स्थिति में 4.5 लाख रुपये में से 1.5 लाख रुपये और घट जाएंगे इस तरह आप पर महज तीन लाख रुपये की आमदनी पर टैक्स की देनदारी बचेगी। 80सी के तहत पांच वर्ष से अधिक समय के लिए किए गए किसी भी तरह निवेश पर आपको आयकर में छूट की सुविधा मिल सकती है।

एनपीएस डिडक्शन  (50 हजार रुपये)
अगर आपने नेशनल पेंशन स्कीम के तहत निवेश किया हुआ है तो आपको 80सीसीडी (1बी) के तहत 50,000 रुपये का अतिरिक्त छूट आयकर में मिल सकता है। यानी 50 हजार रुपये तीन लाख रुपये की आमदनी में से घटाने पर आप पर 2.5 लाख रुपये पर ही टैक्स की देनदारी बनेगी।

होम लोन पर छूट (2 लाख रुपये)
अगर आपने होम लोन ले रखा है तो आयकर बचाने में यह सबसे अहम कड़ी साबित हो सकता है। होमलोन के ब्याज पर आपको दो लाख रुपये तक की कर राहत मिल सकती है। इस तरह 2.5 लाख रुपये में दो लाख रुपये कम हो जाएंगे और आपको 50 हजार रुपये पर ही आयकर भरना होगा।

हेल्थ इंश्योरेंस से भी बचा सकते हैं टैक्स (75 हजार रुपये) 
अगर आपकी आमदनी दस लाख रुपये सालाना है और आप ऊपर दिए गए सभी अर्हताओं को पूरा करते हुए 9.5 लाख रुपये पर टैक्स बचाने में सफल हो जाते हैं तो आप टैक्स बचाने की जंग लगभग जीत चुके हैं। अब आप बचे हुए 50 हजार रुपये पर भी टैक्स देने से बच सकते हैं, अगर आपने स्वास्थ्य बीमा लिया हुआ है। स्वास्थ्य बीमा लेने वालों को भी आयकर में 75 हजार रुपये तक की छूट मिलती है। अगर आपने अपना और अपने परिवार वालों का स्वास्थ्य बीमा करवा रखा है तो आपको इसके सालाना 25000 रुपये के प्रीमियम पर टैक्स में छूट मिल सकती है। अगर आपने अपने माता-पिता का भी स्वास्थ्य बीमा करवा रखा है तो आपको 50 हजार रुपये तक की अतिरिक्त छूट भी मिल सकती है। ऐसे में ऊपर दी गई सारी शर्तों को पूरा करते हुए दस लाख रुपये आमदनी होने के बावजूद एक भी रुपया इनकम टैक्स देने से बच सकते हैं।

मीराबाई चानू ने सोना जीतकर रचा इतिहास, कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को मिला पहला गोल्ड

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Mirabai Chanu Wins Gold, CWG 2022: महिलाओं के वेटलिफ्टिंग में भारत की मीराबाई चानू ने कमाल कर दिया. उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में देश को पहला गोल्ड मेडल दिलाया. मीराबाई चानू ने कुल 201 किलो का वजन उठाया. क्लीन एंड जर्क के पहले राउंड में उन्होंने 109 किलो भार उठाया. इसके साथ ही उन्होंने गोल्ड मेडल जीत लिया. बर्मिंघम 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का यह पहला गोल्ड और कुल तीसरा मेडल है. इससे पहले भारत को संकेत सरगर ने सिल्वर और गुरुरात पुजारी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता.

मीराबाई ने स्नैच राउंड में पहले प्रयास में 84 किग्रा भार उठाया. उन्होंने पहले प्रयास में ही आठ किलो की बढ़त बनाई. वहीं मीराबाई ने दूसरे प्रयास में 88 किलो का भार उठाया. इसके साथ ही उन्होंने अपने नेशनल रिकॉर्ड की बराबरी कर ली. दूसरे ही राउंड में मीराबाई ने गोल्ड मेडल पक्का कर लिया था.

गौ-संरक्षण में योगदान पर प्रशांत चतुर्वेदी का सम्मान

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जयपुर, 30 जुलाई (हि.स.)। गौ-संरक्षण में अपना बहुमूल्य योगदान देने पर भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ ने चार जनों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया है। सनराइज ऑर्गेनिक पार्क, श्रीपिंजरापोल गोशाला परिसर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पिछले दिनों 192 मीट्रिक टन गोबर निर्यात करने में अपना अहम योगदान देने पर सनराइज एग्रीलैंड एंड डवलपमेंट रिसर्च प्रा.लि. के डायरेक्टर प्रशांत चतुर्वेदी, कंपनी की रीजनल मैनेजर (मार्केटिंग) कोमल चौधरी कंपनी के कर्मचारी ओमप्रकाश मीणा को साफा पहनाकर व शॉल ओढाकर सम्मानित किया गया।

इसी तरह गौ-माता के संरक्षण को लेकर समाचारों के माध्यम से आमजन को जागरूक करने पर मैं हूं किसान कृषि पत्रिका के उप संपादक गुरजंट सिंह धालीवाल को फूल माला पहनाकर व साफा बांधकर सम्मानित किया गया। ओएफपीएआई की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष संगीता गौड़ ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान हैनिमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी की सचिव मोनिका गुप्ता ने पुरस्कृत प्रतिनिधियों को बधाई व शुभकामनाएं दी।

प्रकृति संरक्षण: हमारे समाधान प्रकृति में हैं

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विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है ताकि यह पहचाना जा सके कि एक स्वस्थ पर्यावरण एक स्थिर और उत्पादक समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नींव है। प्रकृति है तो जीवन है, जीवन है तो मानव है, मानव है तो मानवता है। प्रकृति संरक्षण सबसे बड़ा पुण्य का काम है।  विश्व प्रकृति दिवस पर आइये हम मिलकर संकल्प लें कि प्रकृति संरक्षण ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। लेकिन ये कानून की बाध्यता से संभव नहीं है ये हमारे और आपके सामूहिक प्रयास से ही संभव हो सकेगा।

-सत्यवान ‘सौरभ’

प्रकृति में कई प्रकार की प्रजातियां एक पारिस्थितिकी तंत्र में कार्य करती हैं। प्रत्येक जीव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के साथ-साथ पर्यावरण के विभिन्न अन्य जीवों के लिए भी कुछ उपयोगी योगदान देता है। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है ताकि यह पहचाना जा सके कि एक स्वस्थ पर्यावरण एक स्थिर और उत्पादक समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नींव है।

प्रजातियां ऊर्जा भंडारण और उपयोग करती हैं, कार्बनिक पदार्थों का उत्पादन और विघटन करती हैं, पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में पानी और पोषक तत्वों के चक्र का हिस्सा हैं, वातावरण में गैसों को ठीक करती हैं और जलवायु को विनियमित करने में भी मदद करती हैं। इस प्रकार, वे मिट्टी के निर्माण, प्रदूषण को कम करने, भूमि, जल और वायु संसाधनों की सुरक्षा में मदद करते हैं। जैव विविधता के ये कार्य पारिस्थितिक तंत्र के कार्यों और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।

विभिन्न पौधे, जानवर और सूक्ष्मजीव जो जैव विविधता का निर्माण करते हैं, हमें अनाज, मछली आदि जैसे खाद्य पदार्थ प्रदान करते हैं, हमारे कपड़ों के लिए फाइबर जैसे कपास, ऊन आदि, जीवित रहने के लिए ईंधन लकड़ी के साथ-साथ नीम जैसे दवा उत्पाद भी प्रदान करते हैं।  जैव विविधता स्थानीय और साथ ही वैश्विक जलवायु को नियंत्रित करती है, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसों के वैश्विक स्तर का प्रबंधन करती है, मीठे पानी की गुणवत्ता बनाए रखती है, कार्बन सिंक आदि के रूप में कार्य करके कार्बन को अवशोषित करती है। इस प्रकार जैव विविधता जीवन और जीवन को  नियंत्रित करती है।

जैव विविधता परागण, पोषक तत्वों के चक्रण के साथ-साथ पुनर्चक्रण, ग्रीनहाउस गैस को कम करने में मदद करती है। जैव विविधता हमें सौंदर्य सुख प्रदान करती है। समृद्ध जैविक विविधता पर्यटन को प्रोत्साहित करती है। कई समुदायों और संस्कृतियों ने जैविक रूप से विविध वातावरण द्वारा प्रदान किए गए परिवेश और संसाधनों के साथ सह-विकसित किया है। इसलिए, यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक भूमिका भी निभाता है। जैव विविधता द्वारा प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण सेवाएं हैं: मनोरंजन और विश्राम, पर्यटन विशेष रूप से पारिस्थितिकी पर्यटन, कला, डिजाइन और प्रेरणा आध्यात्मिक अनुभव।

जैव विविधता खाद्य जाल को बनाए रखने में मदद करती है। इसलिए, प्रत्येक प्रजाति के जीवित रहने की संभावना अधिक होती है। इसके परिणामस्वरूप अधिक स्थिर खाद्य श्रृंखलाएं और खाद्य जाले बनते हैं। जैव विविधता वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा और निगरानी में मदद करती है। जैव विविधता, इस प्रकार, जीवन के कामकाज और भूमिका को समझने में मदद करती है जो प्रत्येक प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने में निभाती है जिसमें हम मनुष्य भी एक हिस्सा हैं।

विशेष रूप से, प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र का फसल भूमि में परिवर्तन, रेल और सड़क मार्ग जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का विकास, शहरीकरण और खनन गतिविधियों में वृद्धि से जीवों के निवास स्थान का नुकसान और विखंडन भूमि उपयोग के परिवर्तन के माध्यम से हुआ है। लिविंग प्लैनेट की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 40 वर्षों में लगभग 50% उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय वन और 45% समशीतोष्ण घास के मैदानों को मानव उपयोग के लिए परिवर्तित कर दिया गया है। कुछ नुकसान के अलावा, प्रदूषण से कई आवासों का क्षरण भी कई प्रजातियों के अस्तित्व को खतरे में डालता है।

अधिक शिकार या प्रजातियों का अवैध शिकार, पौधों के उत्पादों की अधिकता और अधिक कटाई से जैव विविधता में तेजी से गिरावट आ सकती है। मानव के बदलते उपभोग पैटर्न को अक्सर प्राकृतिक संसाधनों के इस सतत दोहन के प्रमुख कारण के रूप में उद्धृत किया जाता है। कई प्रजातियां जो पिछली 5 शताब्दियों में विलुप्त हो गई, जैसे स्टेलर की समुद्री गाय, यात्री कबूतर, मनुष्यों द्वारा अति-शोषण के अधीन थीं। इसी तरह प्लास्टिक प्रदूषण से जानवरों की मौत होती है। साथ ही, उद्योगों और वाहनों से वायु प्रदूषण के कारण शहरी क्षेत्रों में कई पक्षी प्रजातियों की मृत्यु हुई है।

वन्य जीवन, पौधे और पशु संसाधनों और क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के पारंपरिक जीवन के संरक्षण के लिए संरक्षित भूमि के बड़े क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव अभ्यारण्य हो सकते हैं। भारत के आदिवासियों ने वनों की जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आदिवासियों ने पवित्र उपवनों में वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण किया है। अन्यथा, ये वनस्पति और जीव प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र से गायब हो गए होते। सरकार को क्षेत्र में अपनी एजेंसियों और इन वनों पर निर्भर लोगों के बीच विश्वास पैदा करने का प्रयास करना चाहिए, उन्हें देश में हर किसी की तरह समान नागरिक माना जाना चाहिए।

आज की वैश्वीकृत दुनिया में वन्य जीवन और प्रकृति के संरक्षण ने अधिक महत्व ग्रहण कर लिया है।  दूसरों के जीवन की देखभाल और प्रकृति के लिए सहानुभूति हमें मानसिक रूप से हमारी प्रकृति के साथ जोड़ सकती है जो हमें उपभोग के लालच से छुटकारा दिला सकती है जिसने हमारे पर्यावरण को नष्ट कर दिया है।  विकसित राष्ट्र इस बात से अवगत हैं कि उनका विकास प्रकृति या अन्य विकासशील देशों की कीमत पर नहीं हो सकता है। संरक्षण पर सार्वजनिक करुणा को बढ़ावा देने से इन प्रयासों में मजबूत तालमेल हो सकता है।

पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों में हवा, पानी, मिट्टी, खनिज, ईंधन, पौधे और जानवर शामिल हैं। इन संसाधनों की देखभाल करना और इनका सीमित उपयोग करना ही प्रकृति का संरक्षण है ताकि सभी जीवित चीजें भविष्य में उनके द्वारा लाभान्वित हो सकें। प्राकृतिक, संसाधन और पर्यावरण हमारे जीवन और अस्तित्व का आधार हैं। प्रकृति है तो जीवन है, जीवन है तो मानव है, मानव है तो मानवता है। प्रकृति संरक्षण सबसे बड़ा पुण्य का काम है। हम बड़े भाग्यशाली हैं कि हमारा संबंध ब्रह्मांड के उस सबसे अनोखे ग्रह से है जिस पर जीवन है।

लेकिन हमारी जीवनशैली के कारण केवल मानव ही नहीं बल्कि सभी जीवों के अस्तित्व पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। हम ये भी कह सकते हैं कि हमारे इस सबसे अनोखे ग्रह पर जीवन के अस्तित्व का खतरा पैदा हो गया। विश्व प्रकृति दिवस पर आइये हम मिलकर संकल्प लें कि प्रकृति संरक्षण ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। लेकिन ये कानून की बाध्यता से संभव नहीं है ये हमारे और आपके सामूहिक प्रयास से ही संभव हो सकेगा।

–  सत्यवान ‘सौरभ’,
रिसर्च स्कॉलर, कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,

Howrah News : झारखंड के तीन विधायक हावड़ा से गिरफ्तार, भारी संख्या में नोट बरामद, रुपये गिनने के लिए मंगाई गई मशीन

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Photo By Jagaran

रांची,  Black Money Recovered From Jharkhand Congress MLAs झारखंड के तीन विधायक कोलकाता के हावड़ा में शनिवार को गिरफ्तार कर लिए गए हैं। इनके पास से भारी संख्या में रुपये बरामद होने की सूचना है। इन रुपयों को गिनने के लिए मशीन मंगाई गई है। इन विधायकोंं में नमन विक्सल कोंगाडी, डा इरफान अंसारी और राजेश कच्छप का नाम सामने आ रहा है। तीनों कांग्रेस के विधायक हैं। बताया जा रहा कि हावड़ा के 16 नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पुलिस ने इन्हें दबोचा है। इनके पास से बड़े पैमाने पर रुपये देखकर पुलिस भी दंग रह गई। पूछताछ में इन्होंने अभी तक नहीं बताया है कि यह रुपये किसके हैं, कहां से लेकर आ रहे थे।

मनाही के बावजूद चुपके से चले गए थे कोलकाता

बताया जा रहा कि झारखंड प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय इस समय झारखंड में मौजूद हैं। चंद रोज पहले ही उन्होंने विधायकों की बैठक की थी। विधायकों को सख्त हिदायत दी गई थी कि कोई भी राज्य से बाहर नहीं जाएगा। अगर जाएगा तो इसकी पूरी सूचना पार्टी को पहले देनी होगी। बावजूद यह तीनों विधायक झारखंड से चुपचाप कोलकाता पहुंच गए। अब खबर आ रही कि इन विधायकों के पास से भारी मात्रा में रुपये बरामद हुआ है। कांग्रेस में टूट की संभावना को देखते हुए इन विधायकों को राज्य से बाहर जाने से मना किया गया था। कई दिनों से ऐसी अटकले लगाई जा रही हैं कि झारखंड कांग्रेस के कई विधायक पार्टी तोड़कर भाजपा में शामिल होने की योजना बना रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी लाइन से इतर जाकर कुछ विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू को वोट दे दिया था। इसके बाद से ही यह राजनीतिक अटकलें लगाई जा रही हैं।

 

हावड़ा के रानीहाटी मोड़ पर पकड़े गए तीनों विधायक

जानकारी के अनुसार, कोलकाता के हावड़ा के रानीहाटी मोड़ पर यह तीनों विधायक रुपये के साथ पकड़े गए हैं। एक गाड़ी पर जामताड़ा विधायक का बोर्ड भी लगा हुआ है। हावड़ा के राष्ट्रीय राजमार्ग 16 पर पुलिस ने गुप्त सूचना के बाद यह कार्रवाई की है। गाड़ी में विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल के होने की बात कही जा रही है। इन सभी विधायकों को हावड़ा के पांचाला थाना लाया गया है। भारी संख्या में रुपयों की गिनती के लिए मशीन मंगाई गई है। पुलिस इन विधायकों से पूछताछ भी कर रही है।

हावड़ा के ग्रामीण एसपी ने की रुपये बरामद होने की पुष्टि

हावड़ा के ग्रामीण एसपी स्वाति भांगलिया ने इन विधायकों की गिरफ्तारी और रुपये बरामद होने की पुष्टि कर दी है। बताया कि तीनों विधायक रुपये लेकर जा रहे थे। इसी बीच किसी ने सूचना दी। इसके बाद पुलिस ने छापेमारी की। जब गाड़ी की जांच की गई तो रुपये बरामद हुए। अभी तक इन्होंने यह नहीं बताया है कि रुपये कहां ले जा रहे थे। यह रुपये किससे मिले हैं। डा इरफान अंसारी झारखंड के जामताड़ा के विधायक हैं। वहीं, राजेश कच्छप खिजरी के विधायक हैं। जबकि नमन विक्सल कोलेबिरा के विधायक हैं।

प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ पुस्तिका के जून संस्करण को साझा किया

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सभी नागरिकों को 31 जुलाई को सुबह 11 बजे ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जुलाई संस्करण को सुनने के लिए आमंत्रित किया है।

 

प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ पुस्तिका के जून संस्करण को भी साझा किया है जिसमें अंतरिक्ष में भारत की शानदार प्रगति, खेल के मैदान पर अद्भुत गौरव, और रथ यात्रा जैसे अनगिनत दिलचस्प विषयों को शामिल किया गया है।

 

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया:

‘मैं आप सभी को कल, 31 जुलाई को सुबह 11 बजे इस महीने की #मन की बात को सुनने के लिए आमंत्रित करता हूं। इसके साथ ही एक पुस्तिका को भी साझा कर रहा हूं जिसमें पिछले महीने के दिलचस्प विषयों जैसे कि अंतरिक्ष में भारत की शानदार प्रगति, खेल के मैदान पर अद्भुत गौरव, रथ यात्रा, इत्‍यादि को शामिल किया गया है।’

 

#HarGharTiranga – 75 वें साल के मौके पर हम तय करें कि बाकी का जीवन अपने विकास के साथ-साथ देश के विकास को समर्पित करेंगे – अमित शाह

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New Delhi – केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज चंडीगढ़ के मौलीजागरां में विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया। इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक श्री बनवारीलाल पुरोहित और केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों को भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का उदाहरण देते हुए कहा कि किस प्रकार वे कई कठिनाईयों के बावजूद अपने जीवन में लोगों की सेवा का संकल्प करके, देश के विकास के लक्ष्य को मन में रखकर सतत परिश्रम करती रहीं और आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के संविधान की संरक्षक बनकर राष्ट्रपति पद पर हैं। श्री शाह ने बच्चों से कहा कि हमारा संविधान सबको ये मौक़ा देता है और आप भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बन सकते हो।  उन्होंने बच्चों से कहा कि आप सभी भाग्यवान हो कि आपकी शिक्षा-दीक्षा अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत होने वाली है। इस नीति को बहुत बारीकी से बनाया गया है और मोदी जी द्वारा लाई गई ये नीति रटे-रटाए कोर्स के बग़ैर बच्चे को सर्वज्ञ बनाना, उसके व्यक्तित्व, मानसिक क्षमता का विकास करना, विश्वभर में उसके सामने उपलब्ध संभावनाओं को समझाकर उसे स्वयं अपना रास्ता चुनने लायक़ बनाने वाली है।

श्री अमित शाह ने संस्कृत का एक श्लोक उद्धत करते हुए बच्चों से कहा कि आप किसी भी क्षेत्र में जाइए परिश्रम की पराकाष्ठा का कोई विकल्प नहीं है। अगर सफल व्यक्ति बनना है तो परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। जो नित्य परिश्रम का संकल्प करेगा उसे कभी कोई पराजित नहीं कर सकता। दुनिया हमेशा सफल व्यक्ति को नहीं बल्कि बड़े व्यक्तियों को याद रखती है और बड़ा वो बनता है जो अपने लिए परिश्रम ना करे, बल्कि दूसरों के लिए करे। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि जो ‘स्व’ से ऊपर उठ कर ‘पर’ यानी दूसरों का विचार करना शुरू कर दे वही ज्ञानी होता है। सफल व्यक्ति बनने का मूल मंत्र परिश्रम है और बड़ा व्यक्ति बनने का मूल मंत्र दूसरों के बारे में सोचना है। महाराजा रंजीत सिंह जी हों, गुरू गोविंद सिंह जी हों, महात्मा गांधी हों, शिवाजी महाराज हों या महाराणा प्रताप हों, इन सबका नाम सैकड़ों सालों के बाद आज भी सम्मान से लिया जाता है। इन सब महान लोगों ने अपना जीवन ख़ुद के लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जिया था। सफल व्यक्ति बनने के साथ-साथ बड़ा व्यक्ति बनने का भी लक्ष्य रखना चाहिए।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पहले के जमाने में शिक्षक को गुरु कहते थे और अब कोई गुरु नहीं कहता है। ऐसा इसीलिए है क्योंकि जब अभिभावक बच्चे को शिक्षक के पास छोड़कर जाता है तब उसकी बुद्धि लघु होती है और समझ छोटी होती है और उसे अच्छे बुरे की समझ भी नहीं होती है। इस लघु को जो गुरु बना दे वही गुरु होता है और तभी आप शिक्षक से गुरु बन पाएंगे। आप शिक्षक हैं लेकिन फिर भी कोर्स के बाहर देश-दुनिया, अच्छे व्यक्ति और अच्छे नागरिक बनने की समझ बच्चों को नहीं देते हैं तो आप शिक्षक ही रह जाओगे गुरु नहीं बन पाओगे। जो बच्चा आपके पास लघु रूप में आया है उसको गुरु बना कर बाहर भेजोगे तो बहुत आत्मसंतोष मिलेगा और आत्मसंतोष से बड़ी कोई कमाई कभी नहीं होती। जब तक शिक्षक गुरु नहीं बनता, विद्यार्थी बड़े नागरिक नहीं बनते। यह सब कुछ नई शिक्षा नीति 2020 की नींव में है और अगर आप इसे बारीकी से देखोगे तो जान जाओगे कि यह सारी चीजें शिक्षा नीति में गर्भित अर्थ से रखी हैं। आपके पास जो बच्चा आया है इसके व्यक्तित्व को बड़ा बनाना, उसको बड़ा व्यक्ति बनाना यह आपका काम है।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि 15 अगस्त हमारी आजादी के अमृत महोत्सव का दिन है और उस दिन आजादी को 75 साल हो जाएंगे। आपने और मैंने आजादी के लिए बलिदान नहीं दिया है, भगत सिंह, उधम सिंह की तरह हम फांसी के फंदे पर नहीं चढ़े, लाला लाजपत राय की तरह प्राण नहीं दिए, लेकिन आजादी के फल तो हम भी आज भोग रहे हैं। हम सबको ईश्वर ने देश के लिए मरने का मौका नहीं दिया मगर देश के लिए जीने का मौका ईश्वर ने हमें जरूर दिया है। इस 75वें साल के मौके पर हम तय करें कि बाकी का जीवन अपने विकास के साथ- साथ देश के विकास को समर्पित करेंगे, तो भारत को दुनिया में सबसे बड़ा बनने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि प्रतीकात्मक रूप से यह संकल्प लेने के लिए देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आह्वान किया है कि 15 अगस्त को देश का हर नागरिक अपने घर पर तिरंगा फहराये। तिरंगा फहराने का मतलब है कि हम सब अपना बाकी का जीवन फिर से एक बार देश को समर्पित करने का संकल्प करते हैं। उन्होंने बच्चों से कहा कि तिरंगा फहराकर एक सेल्फी लेकर उसे भारत सरकार की साइट पर #घरघरतिरंगा के साथ पोस्ट करें।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज यहां चंडीगढ़ के छोटे बच्चों के लिए 3 विद्यालय समर्पित हुए हैं। 81 करोड़ की लागत से एक बहुमंजिला पार्किंग भी बनी है और गर्भवती महिलाओं को पोषक आहार देने की भी व्यवस्था हुई है। इनके अलावा चंडीगढ़ की सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था में 40 बसों का एक फ्लीट भी आज जोड़ा गया है। साथ ही दिव्यांग व्यक्तियों की पेंशन में भी वृद्धि की गई है।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि उन्हें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि चण्डीगढ़ प्रशासन के 1691 पद जो COVID-19 अवधि के दौरान ” डीम्ड – समाप्त” श्रेणी में आ गए थे, तत्काल प्रभाव से पुनः प्रवर्तित हो गए हैं। साथ ही चण्डीगढ़ प्रशासन के विभिन्न विभागों में 2096 पदों के सृजन के प्रस्ताव को स्वीकृति देते हुए भी प्रसन्नता हो रही है, जिससे यू.टी. के मामलों को अधिक कुशलता से चलाने में चण्डीगढ़ प्रशासन को बहुत लाभ होगा।

आजीविका मिशन से बढ़ा महिलाओं का स्वावलंबन

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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का काम किया है।  स्वयं सहायता समूहों की महिलाएँ न केवल अपने अधिकार के लिए जागरूक हो रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को उनका हक़ दिलाने और उनकी समस्याएँ सुलझाने के लिए भी प्रयास कर रहीं हैं। गाँवों में महिला सशक्तिकरण का यह अद्भुत उदाहरण है। हरियाणा के भिवानी जिले के सिवानी ब्लॉक के आजीविका मिशन प्रोग्राम मैनेजर जगबीर रमेश सिंहमार का कहना है कि गरीबों में गरीबी से बाहर आने की तीव्र इच्छा होती है, और उनमें जन्मजात क्षमताएं होती हैं इसलिए गरीबों की जन्मजात क्षमताओं को उजागर करने के लिए सामाजिक लामबंदी और गरीबों की मजबूत संस्थाओं का निर्माण महत्वपूर्ण है। सामाजिक लामबंदी, संस्था निर्माण और सशक्तिकरण प्रक्रिया को प्रेरित करने के लिए आजीविका मिशन समर्पित और संवेदनशील संरचना है।

-प्रियंका ‘सौरभ’

आजीविका मिशन ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बड़ा सामाजिक आर्थिक परिवर्तन ला रहा है।  ग्रामीण विकास मंत्रालय ग्रामीण गरीब विशेषकर स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों का आर्थिक और सामाजिक दर्जा सुधारने के लिए संकल्पबद्ध है। दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आत्म विश्वासी, जागरूक और आत्मनिर्भर बनाना है।

ये केंद्र सरकार का गरीबी राहत कार्यक्रम है। इसे वर्ष 2011 में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा ‘आजीविका – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के रूप में लॉन्च किया गया था। 2015 में इसका नाम बदलकर दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कर दिया गया।

दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रशिक्षण लेकर स्वयं सहायता समूहों की महिलाएँ न केवल अपने अधिकार के लिए जागरूक हो रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को उनका हक़ दिलाने और उनकी समस्याएँ सुलझाने के लिए भी प्रयास कर रहीं हैं। गाँवों में महिला सशक्तिकरण का यह अद्भुत उदाहरण है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का काम किया है। देश भर के ब्लाकों में महिला स्वयं सहायता समूहों की कैंटीन संचालित हो रही हैं। उचित दर की दुकानों का संचालन भी समूह की महिलाएं कर रही हैं। जैविक खेती में भी महिला समूहों ने नया कीर्तिमान बनाया है।

यह योजना पहले की स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना का एक उन्नत संस्करण है। कार्यक्रम आंशिक रूप से विश्व बैंक द्वारा समर्थित है; इसका उद्देश्य प्रभावी और कुशल संस्थागत मंच बनाना है ताकि ग्रामीण गरीबों को स्थायी आजीविका संवर्द्धन और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुंच के माध्यम से अपनी घरेलू आय बढ़ाने में सक्षम बनाया जा सके। इसके अतिरिक्त, गरीबों को अधिकारों, सार्वजनिक सेवाओं और अन्य अधिकारों तक बेहतर पहुंच प्राप्त करने में सक्षम बनाया जाएगा।

हरियाणा के भिवानी जिले के सिवानी ब्लॉक के आजीविका मिशन प्रोग्राम मैनेजर  जगबीर रमेश सिंहमार का कहना है कि गरीबों में गरीबी से बाहर आने की तीव्र इच्छा होती है, और उनमें जन्मजात क्षमताएं होती हैं इसलिए गरीबों की जन्मजात क्षमताओं को उजागर करने के लिए सामाजिक लामबंदी और गरीबों की मजबूत संस्थाओं का निर्माण महत्वपूर्ण है। सामाजिक लामबंदी, संस्था निर्माण और सशक्तिकरण प्रक्रिया को प्रेरित करने के लिए एक बाहरी समर्पित और संवेदनशील संरचना की आवश्यकता है। ज्ञान के प्रसार, कौशल निर्माण, ऋण तक पहुंच, विपणन तक पहुंच और अन्य आजीविका सेवाओं तक पहुंच को सुगम बनाना इस कार्यक्रम की गतिशीलता को रेखांकित करता है।

एनआरएलएम के तहत हम सभी गतिविधियों का मार्गदर्शन करने वाले मूल मूल्य संजोकर गरीब महिलाओं को आगे बढ़ने कि दिशा देते है, जैसे- सभी प्रक्रियाओं में सबसे गरीब को शामिल करना और सबसे गरीब को सार्थक भूमिका देना, सभी प्रक्रियाओं और संस्थानों की पारदर्शिता और जवाबदेही, सभी चरणों में गरीबों और उनके संस्थानों का स्वामित्व और महत्वपूर्ण भूमिका, योजना कार्यान्वयन और निगरानी, समुदाय आत्मनिर्भरता और चरणबद्ध कार्यान्वयन और एनआरएलएम द्वारा परिकल्पित जिलों और ब्लॉकों के कवरेज के संदर्भ में वर्षवार विवरण।

मिशन का उद्देश्य गरीबों की अंतर्निहित क्षमताओं का दोहन करना और उन्हें अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिए क्षमताओं (जैसे ज्ञान, सूचना, उपकरण, वित्त, कौशल और सामूहिकता) से लैस करना है।

यह योजना स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और संघ संस्थानों के माध्यम से 7 करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों को कवर करने और 8-10 वर्षों में आजीविका सामूहिक के लिए समर्थन करने के एजेंडे के साथ शुरू हुई। एनआरएलएम केंद्रीय मंत्रालयों के अन्य कार्यक्रमों के साथ जुड़ाव पर अत्यधिक जोर देता है।

गरीबों की संस्थाओं के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तालमेल विकसित करने के लिए राज्य सरकारों के कार्यक्रमों के साथ-साथ लीड करता हुआ चलता है।

आजीविका मिशन अपने तीन स्तंभों के माध्यम से गरीबों की मौजूदा आजीविका संरचनाओं को बढ़ावा देने और स्थिर करने पर केंद्रित है। एक ग्रामीण गरीब परिवार की कम से कम एक महिला सदस्य को एक एसएचजी के नेटवर्क में लाया जाना है। यह गरीबों की वित्तीय प्रबंधन क्षमता को मजबूत करने के लिए है।पहला मौजूदा आजीविका का विस्तार करके और कृषि और गैर-कृषि दोनों क्षेत्रों में आजीविका के नए अवसरों का दोहन करके; दूसरा रोजगार निर्माण कौशल के जरिये और तीसरा उद्यम/स्वरोजगार को बढ़ावा देकर।  इस योजना की एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह ग्रामीण विकास मंत्रालय की अन्य सरकारी योजनाओं के साथ भागीदारी को उच्च प्राथमिकता देती है। यह पंचायती राज संस्थाओं के साथ संबंध बनाने का भी प्रयास करता है।

आज देश के गांवों में कई स्वयं सहायता समूह जैविक तरीके से सब्जी की खेती कर रहे हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का काम किया है।

ब्लाकों में महिला स्वयं सहायता समूहों की कैंटीन संचालित हो रही हैं। उचित दर की दुकानों का संचालन भी समूह की महिलाएं कर रही हैं। जैविक खेती में भी महिला समूहों ने नया कीर्तिमान बनाया है। गांवों में कई स्वयं सहायता समूह जैविक तरीके से सब्जी की खेती कर रहे हैं। महिला समूहों की महिलाओं ने खेती में रोजगार तलाशा है।

एनआरएलएम ने स्व-प्रबंधित स्वयं सहायता समूहों और संस्थानों के माध्यम से  8-10 वर्षों की अवधि में  देश के 600 जिलों, 6000 ब्लॉकों, 2.5 लाख ग्राम पंचायतों और 6 लाख गांवों में 7 करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों को कवर करने और उन्हें समर्थन देने के लिए एक एजेंडा निर्धारित किया है।

जिस से गरीबों को उनके अधिकारों और सार्वजनिक सेवाओं, विविध जोखिम और सशक्तिकरण के बेहतर सामाजिक संकेतकों तक पहुंच बढ़ाने में सुविधा होगी। एनआरएलएम गरीबों की जन्मजात क्षमताओं का उपयोग करने में विश्वास रखता है और देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिए उन्हें क्षमताओं सूचना, ज्ञान, कौशल, उपकरण, वित्त और सामूहिकता के साथ पूरा करता है।

चंद लोग भारत का माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं -एनएसए अजीत डोभाल

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उदयपुर हत्याकांड (Udaipur Murder Case) समेत देश में हाल में हुई बर्बर वारदातों और आतंकी गतिविधियों (Terrorist Activities) की निंदा करने और सद्भाव का संदेश देने के लिए राजधानी दिल्ली (Delhi) में आज ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल (All India Sufi Sajjadanshin Council) ने इंटरफेथ कॉन्फ्रेंस (Interfaith Conference) का आयोजन किया. इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) भी शामिल हुए और इस मौके पर उन्होंने कड़ा संदेश दिया. एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि हम सब एक जहाज में हैं, डूबेंगे साथ में और बेड़ा पार भी साथ में होगा. अजीत डोभाल ने कहा, ”हर भारतीय के मन में विश्वास करे कि वो यहां महफूज है और किसी पर भी बात आएगी तो सारे उसके लिए खड़े हो जाएंगे. हम सब एक जहाज में हैं. डूबेंगे साथ में और बेड़ा पार होगा साथ में.”

एनएसए ने आगे कहा कि दुनिया में कॉन्फ्लिक्ट का माहौल है अगर इससे निपटना है तो अपने देश में हमें एक रहना होगा. देश की तरक्की से सबको फायदा होगा. उन्होंने कहा, ”चंद लोग भारत का महौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. वे धर्म और विचारधारा के नाम पर कटुता और संघर्ष पैदा कर रहे हैं, वे देश के बाहर भी फैले हुए और देश को प्रभावित कर रहे हैं. हमें मूकदर्शक बने रहने के बजाय अपनी आवाज को मजबूत करने के साथ-साथ अपने मतभेदों पर जमीनी स्तर पर काम करना होगा. हमें भारत के हर संप्रदाय को यह महसूस कराना है कि हम एक साथ एक देश हैं, हमें इस पर गर्व है और यहां हर धर्म को स्वतंत्रता के साथ माना जा सकता है.”

अजीत डोभाल ने कहा कि यहां अलग-अलग जगहों के धर्म गुरु आए हैं. मैं शुक्रगुजार हूं कि सूफी काउंसिल का, जिसने मुझे यहां बुलाया, बोलने का मौका दिया है, कल पता चला तो मैंने कहा कि यह बहुत अच्छी शुरुवात है. अगर हमें इसका मुकाबला करना है तो जमीन पर काम करना होगा, कोई गलतफमी है तो दूर करनी होगी, घर-घर पैगाम ले जाना होगा कि मुल्क हर धर्म के लिए है और इस देश की तरकी में सबका योगदान है.” उन्होंने कहा कि अब इस माहौल को सही करने की जिम्मेदारी सबकी है, इसके लिए नीयत और काबलियत की जरूरत है, नीयत सबके पास है लेकिन काबलियत सबमें नहीं लेकिन आप लोगो में है. इसलिए आपकी जिम्मेदारी बड़ी है. हम आज की लड़ाई आज के लिए और कल के लिए लड़ रहे हैं.

एनएसए डोवाल ने कहा, ”आप सबके कई मुरीद है लेकिन आपको मिलकर काम करना चाहिए, संगठन की शक्ति चाहिए. सभी धर्म के गुरु हैं. हम किसी को भी, देश की अखंडता को कुछ नहीं होने देंगे. हम सब जहाज में डूबेंगे तो साथ में, पार होंगे तो साथ में, देश पिछड़ेगा तो हम सब पिछड़ेंगे.गलतफहमियो को दूर करना होगा. हम आज की लड़ाई अपने लिए कम और आने वाली नस्लों के लिए ज्यादा लड़ रहे हैं. देश में भावना पैदा की जाए कि हम किसी को भी देश की एकता के साथ समझौता नहीं करने देंगे.”

इस मौके पर दीवान अजमेर शरीफ हजरत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने एनएसए अजीत डोभाल की मौजूदगी में कहा, ”जब कोई घटना होती है तो हम निंदा करते हैं. अब कुछ करने का समय आ गया है. कट्टरपंथी संगठनों पर लगाम लगाना और उन पर प्रतिबंध लगाना समय की मांग है. अगर उनके खिलाफ सबूत हैं तो उन्हें बैन किया जाना चाहिए.”

 

राजनीति नहीं राष्ट्रनीति की जरूरत – पीएम मोदी बोले

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नई दिल्ली। हर गांव, हर घर को बिजली देने और 24 घंटे बिजली देने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार की पीठ कई बार थपथपाई है लेकिन शनिवार को उनका मिजाज पूरी तरह से अलग था। बिजली सेक्टर से जुड़ीं कई परियोजनाओं का शुभारंभ करने के अवसर पर प्रधानमंत्री ने बिजली को लेकर होने वाली राजनीति पर करारा प्रहार किया। यह चेतावनी भी दी कि अगर यह राजनीति बंद नहीं की गई तो हमारी आने वाली पीढि़यों को फिर से अंधेरे का सामना करना पड़ सकता है। चुनाव जीतने के लिए बिजली सब्सिडी देने की घोषणा कर बाद में इसका भुगतान नहीं करने वाले राज्यों को भी उन्होंने आड़े हाथों लिया। साथ ही उनसे बिजली कंपनियों के बकाया लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये का जल्द से जल्द भुगतान करने का आग्रह भी किया।

राजनीतिक दलों को दिखाया आईना

पीएम मोदी ने बिजली वितरण सेक्टर में सुधार के लिए सरकार की नई नीति रीवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम को लांच किया। इस स्कीम पर अगले पांच वर्षों में कुल 3.03 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी। वह ‘उज्ज्वल भारत, उज्ज्वल भविष्य – पावर एट 2047’ कार्यक्रम में शामिल हुए। सरकारी कंपनी एनटीपीसी की 5,200 करोड़ रुपये की विभिन्न ग्रीन एनर्जी परियोजनाओं का शिलान्यास किया। नेशनल सोलर रूफटाप पोर्टल को लांच किया। उक्त सारे कार्यक्रम एक साथ हुए। इसमें देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री, बिजली मंत्री व दूसरे प्रतिनिधियों के साथ ही बिजली क्षेत्र की निजी व सरकारी कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। संभवत: यही कारण था कि प्रधानमंत्री ने इस मौके पर बिजली सेक्टर के साथ ही राजनीतिक दलों को आईना दिखाया। यह भी बताते चलें कि आम आदमी पार्टी के बाद अब भाजपा, कांग्रेस ही नहीं तमाम दूसरे क्षेत्रीय दल भी बिजली सब्सिडी को अपना प्रमुख राजनीतिक हथकंडा बना चुके हैं।

देश की प्रगति में ऊर्जा और बिजली क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले 25 वर्षो में देश की प्रगति को रफ्तार देने में ऊर्जा और बिजली क्षेत्र को बड़ी भूमिका निभानी है। इसलिए ऊर्जा क्षेत्र का मजबूत होना बहुत महत्वपूर्ण है। यह कारोबार करने सुगमता के साथ ही साथ जीवन की सुगमता के लिए भी जरूरी है।

सच बताने से बचते हैं कुछ राज्य

बिजली क्षेत्र को लेकर होने वाली राजनीति से उपजी समस्या को गंभीर चिंता की बात बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे समय में राजनीति में एक गंभीर विकार आ गया है। राजनीति में सच बताने का साहस होना चाहिए लेकिन कुछ राज्य इससे बचने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। यह तात्कालिक तौर पर अच्छी राजनीति लग सकती है लेकिन यह बच्चों के भविष्य को तबाह करने वाली राजनीति है। इस सोच की वजह से कई राज्यों में पावर सेक्टर गंभीर संकट में है। जब एक राज्य का पावर सेक्टर कमजोर होता है तो उसका असर पूरे देश पर पड़ता है।

बिजली लेनी है, लेकिन पैसे नहीं दे रहे

पीएम मोदी ने कहा कि बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) को शायद ही कभी बकाये का भुगतान समय पर होता हो। उनका अलग अलग राज्य सरकारों पर एक लाख करोड़ रुपये का बकाया है। ये पैसा उन्हें बिजली उत्पादक कंपनियों को देना है, उनसे बिजली लेनी है, लेकिन पैसे नहीं दे रहे हैं। बिजली वितरण कंपनियों का कई राज्यों में सरकारी विभागों और स्थानीय निकायों पर भी 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। बिजली सब्सिडी के रूप में अलग-अलग राज्यों पर बिजली कंपनियों की 75,000 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी बाकी है। इस तरह से बिजली सेक्टर का लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये फंसा हुआ है।