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Women Reservation Bill – महिला आरक्षण बिल को राज्यसभा से मिली मंजूरी

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Women Reservation Bill Passed Rajya Sabha: संसद के विशेष सत्र के दौरान राज्यसभा (Rajya Sabha) में गुरुवार (21 सितंबर) को महिला आरक्षण बिल सर्वसम्मति से पास हो गया. सभी दलों ने इस बिल का समर्थन किया. बिल के समर्थन में 215 वोट और विरोध में कोई वोट नहीं पड़ा. ये बिल बुधवार को लोकसभा में लंबी चर्चा के बाद पारित हो गया था.
राज्यसभा में इस बिल पर प्रस्तावित सारे संशोधन भी गिर गए. लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 454 और विरोध में 2 वोट पड़े थे. इस विधेयक में लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है.
राज्यसभा में वोटिंग से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में पहुँचे, इसके बाद वोटिंग की कार्यवाही पूरी की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस बिल पर चर्चा के लिए 132 सदस्य खड़े हुए, जो कि ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन करने के लिए सभी सांसदों का अभिनंदन करते हुए आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महिला आरक्षण बिल पर जिस तरह से एकजुटता संसद में दिखी है, ये एक अप्रतिम उदाहरण की तरह याद रहेगा। पीएम मोदी ने कहा कि नारी शक्ति को सम्मान सिर्फ विधेयक पारित होने से नहीं मिल रहा, बल्कि सभी के मन में सकारात्मक सोच के होने से मिल रहा है। ये हमारे उज्जवल भविष्य की गारंटी बनने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में सभी सांसदों से सर्वसम्मति से मतदान की अपील की और सभी को हृदय से धन्यवाद दिया।
इस बिल पर सरकार की तरफ से जवाब देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोर्चा सँभाला। उन्होंने चुन-चुन कर कॉन्ग्रेस पर हमला बोला और अतीत में की गई कॉन्ग्रेस की गलतियों को भी गिनाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जनगणना के बाद परिसीमन होने के बाद ये कानून लागू होगा। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा सरकार को घेरा, उन्होंने कहा कि ये कानून 9 साल में कभी भी लाया जा सकता था।
हालाँकि, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के सवालों के जवाब में कहा कि जनगणना जैसा महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होने के बाद ही इस कानून को लागू किया जा सकता है। इसके लिए 2026 तक संवैधानिक बाध्यताओं को पार करने तक हमें रुकना होगा, तभी परिसीमन हो पाएगा।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भाजपा की सरकार प्रचंड बहुमत में है। आप ने एक झटके में तमाम चीजें कर दी। नोटबंदी कर दी। लेकिन महिला आरक्षण का मुद्दा लटकाए रखा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार रोटेशन में महिला आरक्षण अभी से दे सकती थी। उन्होंने कहा कि ओबीसी कैटिगिरी की महिलाओं को भी आरक्षण दिया जा सकता था, इसके लिए संविधान में संसोधन कर प्रावधान लाया जा सकता था।
उन्होंने कहा कि तमाम असहमतियों के बावजूद मैं पूरी तरह से बिल का समर्थन करता हूँ। उन्होंने बैकवर्ड क्लास की महिलाओं को आरक्षण में शामिल न करने के लिए सरकार पर सवाल उठाया। उन्होंने सरकार से इस कानून को लागू करने के लिए तारीख भी पूछा।

 

इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में ‘लापता लेडीज़’ को मिली शानदार प्रतिक्रिया से बेहद खुश हैं आमिर खान और किरण राव

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 टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (टीआईएफएफ) में आमिर खान प्रोडक्शंस और किंडलिंग प्रोडक्शंस के बैनर तले आमिर खान और ज्योति देशपांडे द्वारा निर्मित और किरण राव द्वारा निर्देशित फिल्म ‘लापता लेडीज’ पिछले दिनों टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (टीआईएफएफ) में दिखाई गई। जहां इस फिल्म से सभी इम्प्रेस नजर आए। जियो स्टूडियोज द्वारा प्रस्तुत, ‘लापता लेडीज’ की स्क्रिप्ट बिप्लब गोस्वामी की अवॉर्ड विनिंग कहानी पर आधारित है। इसका स्क्रीनप्ले और डायलॉग स्नेहा देसाई द्वारा लिखे गए हैं जबकि अतिरिक्त संवाद दिव्यनिधि शर्मा द्वारा लिखे गए हैं।
अपनी रिलीज़ से बहुत पहले ही सुर्खियों में रहने के बाद इस कॉमेडी-ड्रामा को दर्शकों से खूब तारीफ मिल रही है और आलोचकों ने भी इसकी सराहना की है। इस तरह के जबरदस्त प्यार के साथ, सभी की निगाहें 5 जनवरी 2024 को इसकी रिलीज पर है। ‘लापता लेडीज’ बतौर निर्देशक किरण राव की पहली निर्देशित फिल्म ‘धोबी घाट’ के बाद उनकी नई फिल्म है। इस फिल्म से आमिर खान और किरण राव एक साथ आए हैं। फिलवक्त टोरंटो
 इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में ‘लापता लेडीज़’ को मिली शानदार प्रतिक्रिया से आमिर खान और किरण राव बेहद खुश हैं।
प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय

कनाडा सेआनंद महिंद्रा की कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अपना कारोबार समेटने का फैसला लिया

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नई दिल्ली: बीते कुछ दिनों से कनाडा और भारत के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों के बीच बढ़ती टेंशन का असर कारोबार पर दिखने लगा है। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच कारोबारी आनंद महिंद्रा ने कनाडा को झटका दिया है। आनंद महिंद्रा की कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने कनाडा से अपना कारोबार समेटने का फैसला किया है। महिंद्रा एंड महिंद्रा की सब्सिडियरी कंपनी रेसन एयरोस्पेस कॉरपोरेशन कनाडा से अपना संचालन बंद करने का ऐलान किया है। आपको बता दें कि रेसन एयरोस्पेस कॉरपोरेशन में महिंद्रा एंड महिंद्रा की 11.18 फीसदी हिस्सेदारी है। कंपनी ने कनाडा में ऑपरेशन को बंद करने का ऐलान किया है।
रेसन खेती से जुड़े टेक सॉल्यूशन बनाती थी। महिंद्रा एंड महिंद्रा भी खेती से जुड़े कई कारोबार करती है। वह खेती के उपकरण बनाने से लेकर अन्य कार्यों में संलग्न है और विश्व की सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता है। महिंद्रा अमेरिका तथा कनाडा में भी अपना ट्रैक्टर आदि बेचती है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भारतीय उद्योगपति आनंद महिंद्रा के मालिकाना हक वाली महिंद्रा ने SEBI को बताया है कि उसे रेसन से कम्पनी बंद होने की सूचना मिली है। रेसन के बंद होने पर महिंद्रा को 2.8 मिलियन कनाडाई डॉलर (28.7 करोड़ रुपए) मिलेंगे।
हालाँकि, रेसन एयरोस्पेस के बंद होने से महिंद्रा एंड महिंद्रा के कारोबार पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ेगा। भारत और कनाडा के बीच जारी कूटनीतिक लड़ाई के बीच इस खबर को लोग दूसरे नजरिए से भी देख रहे हैं।
बता दें कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत और कनाडा के बीच का व्यापार लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा है। दोनों देशों के बीच आयात और निर्यात लगभग बराबर है। भारत, कनाडा का 10वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है जबकि कनाडा भारत का 17वाँ बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयरों पर दिखा असर
कंपनी के इस फैसले के बाद महिंद्रा एंड महिंद्रा के फैसले पर असर देखने को मिला है। इस फैसले का असर महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयरों पर देखने को मिला है। आज महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर 3 फीसदी की गिर गए। कंपनी के शेयर गिरकर 1584 रुपये से शुरू होकर 1575.75 रुपये पर बंद हुए। शेयरों में गिरावट का असर कंपनी की वैल्यूएशन पर पड़ा। कंपनी को एक दिन में 7200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बाद कारोबार पर असर होने लगा है। आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच साल 2023 में 8 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ है। भारत की तीस से अधिक कंपनियों ने कनाडा में निवेश किया है। वहीं कनाडा की कनाडा पेंशन फंड का भारत की 70 कंपनियों में निवेश है। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव का असर कारोबार पर पड़ा तो इसका असर इकॉनमी पर भी पड़ेगा।

मेरी गणपति मूर्ति अन्य सभी आदर्शों से अलग है-लिजा मलिक

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अनिल बेदाग, मुंबई
गणेश चतुर्थी जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान गणेश के जन्म की याद में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। अभिनेत्री और गायिका लिज़ा मलिक इस साल गणेश चतुर्थी महोत्सव के दौरान फिर से उत्साहित हैं। इस साल गणपति का 11वां साल है, जहां वह एक बार फिर बप्पा को धूमधाम से घर ले आई हैं। लिज़ा ने कहा कि उनकी गणपति मूर्ति अन्य सभी आदर्शों से अलग है क्योंकि सभी डिज़ाइन बहुत अनुकूलित हैं। वह हमेशा अपने नियमित विक्रेता से मूर्ति का ढांचा या संरचना चुनती हैं और फिर वह थीम और सजावट के अनुसार इसे डिजाइन करने के लिए बहुत उत्सुक रहती हैं। विशेष वर्ष की। इस वर्ष उनकी गणेश प्रतिमा गुलाबी रंग की है, और भगवान गणेश की पोशाक सफेद मोतियों से बनी है। पंडाल की पूरी सजावट बढ़ई या किसी और की मदद के बिना लिजा ने खुद की है। इस वर्ष भोग के रूप में रखे जाने वाले विशेष खाद्य पदार्थ लिजा ने स्वयं तैयार किए हैं। इसलिए, उन्होंने आज सुबह जल्दी उठकर मोदक और 11 विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार किए हैं जो 11 वें वर्ष का प्रतीक हैं।अभिनेत्री का कहना है कि पहले दिन का ‘भोग’ या ‘नैवेद्य’ लिजा द्वारा तैयार किया जाता है और दूसरे दिन के ‘भोग’ के लिए वह लोगों से थोड़ी मदद लेना पसंद करती हैं। यही वह चीज़ है जो इसे उसके लिए खास बनाती है। वह फैशन गणपति में विश्वास नहीं करती है, लेकिन वह इस त्योहार को ईमानदारी से मनाती है। वह वास्तव में अपने दम पर काम करना पसंद करती है।
      मशहूर गायिका और उनकी दोस्त शिबानी कश्यप भी लिजा मलिक के घर भगवान गणेश का आशीर्वाद लेने पहुंचीं। गणपति उत्सव एक ऐसा समय है जब हम न केवल एक भगवान के रूप में, बल्कि एक दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में भी गणेश के साथ अपने घनिष्ठ संबंध की पुष्टि करते हैं, जो हमें अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए आवश्यक ज्ञान देते हैं।

आलेख – सार्थक चिन्तन

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सार्थक चिन्तन
अंकु श्री –

कुछ-न-कुछ सोचते रहना मनुष्य की आदत होती है। एकान्त में बैठने पर चिन्तन की धाराएं और तेजी से फूटती हैं।
चंचल मन चिंतन की धाराओं को क्षण-क्षण बदलता रहता है। एक विषय के बारे में मन पूरी तरह कुछ सोच नहीं पाता
कि दूसरा विषय उससे आ टकराता है। मन के अंदर विषयों या विचारों का गुम्फन-सा हो जाता है। विषयों या विचारों
के गुम्फन में काफी देर तक उलझे रहने के बाद भी कोई एक विषय या विचार उभर कर सामने नहीं आ पाता। इसका
एक मात्र कारण है सार्थक चिन्तन का अभाव।

कोई व्यक्ति अपनी कलम से कागज पर सार्थक रेखाएं खींच कर एक चित्र बना लेता है। लेकिन एक कुशल चित्रकार
भी कागज पर रेखाएं खींच-खींच कर परेशान हो जाता है और वह कोई चित्र नहीं उकेर पाता। ऐसा तब होता है, जब
उसके द्वारा खींची गयी रेखाएं सार्थक नहीं हो पातीं।

शब्दों और ध्वनियों की स्थिति भी रेखाओं की तरह है। उनके सार्थक उपयोग से ही कोई कथ्य या संगीत बन पाता है।
बड़े-बड़े साहित्यकारों की मोटी-मोटी पुस्तकों में क्या है ? सिर्फ शब्दों का तारतम्य ही तो है, जो उनकी सोच को
उजागर करता है।

खिलाडिय़ों के साथ भी यही बात है। खेल में उनकी सार्थकता तभी तक बनी रहती है, जब तक वे खेलते समय सिर्फ
खेल के बारे में सोचते हैं और समग्र रूप से खेल में लगे रहते हैं. अच्छे-अच्छे खिलाडिय़ों को भी खेल से ध्यान हटते
मैदान से हटना पड़ जाता है। वैज्ञानिकों के साथ भी यही बात है। उनकी सोच की सार्थकता ही उनकी उपलब्धि है।
पूजा हो या ध्यान – सार्थक चिन्तन के बिना सफलता संभव नहीं है। पूजा-ध्यान में मन जितना भटकता है, उतना
दूसरे किसी काम में नहीं। चंचल मन जिस गति से भागने-दौडऩे लगता है, उस गति को हवा, ध्वनि या रोशनी भी नहीं
छू पाती। जबकि पूजा-ध्यान का उद्देश्य ही है मन को भटकने से रोकने का अभ्यास करना। पूजा के समय ध्यान
केन्द्रित रहे – यही उसकी सार्थकता है।

कार्यालय के कार्यों का निष्पादन हो या विद्यालय-महाविद्यालय में शिक्षण का काम हो – सभी अपने काम में सफल
नहीं रहतें। या सबों को बराबर-बराबर सफलता नहीं मिल पाती।

सफलता की भिन्नता या असफलता व्यक्ति की कार्य-क्षमता पर निर्भर करती है. यह कार्य-क्षमता ही उस व्यक्ति के
सार्थक चिन्तन पर निर्भर है। स्थापना संबंधी काम को निपटाते समय कर्मचारी (या पदाधिकारी) के दिमाग में यदि
लेखा संबंधी बातें घूमने लग जाये  तो वह अपने कामों को उस ढंग़ से नहीं निपटा पाता है, जिस ढंग़ से निपटाने की
उसकी क्षमता होती है।

यही स्थिति शिक्षकों द्वारा पढ़ाये जा रहे विषय के संबंध में भी है। कक्षा में गणित पढ़ाते समय घर की आर्थिक
व्यवस्था दिमाग में घूमने लग जाये तो शिक्षक अपनी वास्तविक क्षमता का उपयोग पढ़ाने में नहीं कर पायेगा।
संपादित किये जा रहे विषय के संबंध में सार्थक चिन्तन नहीं किये जाने के कारण ऐसा होता है।

सार्थक चिन्तन के अभाव में मात्र बाहरी कार्य प्रभावित नहीं होते हैं, अपितु घर-गृहस्थी के कामों में भी इससे बाधा
आती है। बाल-बच्चों का लालन-पालन हो या उनकी पढ़ाई-लिखाई अथवा उनका स्वास्थ्य – माता-पिता में सार्थक
सोच के अभाव से उनका जीवन का विकास पूरी तरह प्रभावित होता है।

वस्तुत: सार्थक चिन्तन एक आदत-सी बन जाती है. इसके अभाव में निरर्थक चिन्तन में मन भटकता रहता है और
इससे कार्य की सफलता बाधित होती है। यों तो उम्र विशेष के बाद आदत में पूर्णत: बदलाव लाना आसान काम नहीं है,
किन्तु अभ्यास द्वारा उसमें आंशिक सुधार अवश्य हो सकता है। आध्यात्म का सहारा और गुरु का मार्ग-दर्शन इसमें
विशेष उपयोगी हो सकता है, क्योंकि आध्यात्म के द्वारा मानसिक भटकाव पर नियंत्रण की संभावना विकसित
बुद्धि वालों के लिये अब नया विषय नहीं रह गया है। (विभूति फीचर्स)

कहानी – मर्द और पतझड

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डा. गोपाल नारायण आवटे-

गर्मी का मौसम चल रहा था और तेज धूप से धरती पर मानो आग लगी हुई थी, लेकिन मुकुल दास के बगीचे की
अमराईयों में कोयल मस्ती के साथ इस डाल से उस डाल पर फुदक रही थी और जब उसकी इच्छा होती पूरी ताकत
और जोश के साथ कूक रही थी।

ऐसी गर्मी में कूलर भी बेकार साबित हो रहे थे। लेकिन आम के वृक्षों तले तो प्रकृति ने मानों छांव की ठण्डक फैला रखी
थी। अनुराग ने लुंगी को घुटनों के ऊपर थोड़ा मोड़कर लपेट लिया और एक खटिया लेकर पीछे आम के पेड़ तले जा
पहुंचा। कल वह हाजीपुर में जाकर लड़की को पसंद कर आयेगा और फिर शादी होगी। शादी का सपना उसकी आंखों मे
ना जाने कितने बरसों से पल रहा था, लेकिन उसने ऐसे सपने को कभी भी आंखों में बसने नहीं दिया था। जब भी ऐसा
कोई विचार आया कि तुरंत स्वयम् को संयत कर लिया-अभी नहीं-पहले बबली की शादी हो जाये फिर वह विचार
करेगा। हमेशा ऐसे ही विचारों से स्वयम् को उसने परिपूर्ण रखा।

खटिया बिछाकर वह आंखे मूंद कर लेट गया। अतीत की स्मृतियां किसी सूखे पत्ते की तरह उस पर झरने लगी थीं।
कानों में कोयल का मधुर स्वर गूंज रहा था। परिवार में वह बड़ा पुत्र था और उससे छोटी तीन बहनें थीं। पापा चीनी
फैक्ट्री में लेखापाल का काम देखते थे, जब उसकी पढ़ाई पूरी हुई और एक शिक्षक की छोटी सी नौकरी उसकी झोली में
आई तो वह इसलिए प्रसन्न था कि पापा की हाड़ तोड़ मेहनत में वह सहयोगी हो जाएगा। अक्सर रात में जब उसकी
नींद खुलती थी तो वह पापा को बात करते या बड़बड़ाते पाता था कि-‘जल्दी से अनुराग की शादी कर दो और जो दहेज
मिलेगा उससे थोड़ा जोड़ कर दोनों बेटियों का विवाह कर देंगे, तीसरी अभी छोटी है तब तक ईश्वर कुछ न कुछ
व्यवस्था कर ही देगा।
वह अभी कुल जमा 23-24 वर्ष का ही तो हुआ था, अभी वह यह सारी झंझटों में पडऩा नहीं चाहता था परिणाम स्वरूप
उसने एक दिन मां से स्पष्ट कह दिया कि ‘पापा से कह देना मैं अभी शादी के झंझट में नहीं पडूंगा, पहले मेरी बहनों की
शादी होगी तब मैं विवाह करुंगा।
‘पागल हुआ है क्या? मां ने टोका था।
‘मां शादी के बाद पत्नी अगर खराब स्वभाव की आ गई तो मैं अपनी जिम्मेदारी कैसे निभा पाऊंगा?
‘पगले सब पति पर निर्भर करता है कि वह अपनी पत्नी को किस तरह मोड़कर रखे। वह तो नई आई हुई रहती है, पति
जैसा व्यवहार पति परिवार के सदस्यों से करेगा वह भी वैसा ही करेगी। मां ने समझाया।
‘नहीं मां-कभी नहीं मानी और हमने जबरदस्ती की तो दहेज का मामला लगाकर सबको जेल भेज देगी , उसने हंसते
हुए कहा।
‘अगर यही किस्मत में लिखा हो तो क्या किया जा सकता है।
‘मैंने कसम खा रखी है मां कि पहले तीनों बहनों की जिम्मेदारी से मुक्त होने के बाद ही विवाह करुंगा। कहकर वह
बाहर निकल गया था।

उसके लिए रिश्ते आना शुरु हो गए थे परिवार वालों ने उसे बहुत समझाया, दहेज भी अच्छा मिल रहा था, लेकिन
उसने मना कर दिया। पहले बहनों की शादी फिर मेरी। आखिर बड़ी बहन की शादी के लिए लड़का खोजा जाने लगा।
कहीं लड़का अच्छा था तो उसकी कीमत (दहेज) अधिक की मांग थी और जहां दहेज कम मांगा जा रहा था वहां लड़का
विशेष नहीं था। परिणाम स्वरूप एक ऐसे बिंदु पर सब पहुंच जाना चाहते थे जहां पर सब ठीकठाक हो। शक्कर मिल से
पापा ने अपने पी.एफ. से रुपये निकलवा लिये और कुछ जमा पूंजी थी। कुल 10 लाख में बड़ी बेटी का विवाह हो गया
था। लेकिन अभी दो शेष थीं। लगभग सब कुछ दांव पर लग चुका था। मंझली की किस्मत अच्छी थी उसको पसंद
करने वाले घर बैठे ही आ गए और कोई मांग उनकी नहीं थी। विवाह की तैयारी होने लगी थी, लेकिन परिवार जानता
था कि मंझली के विवाह में खर्च कम किया तो जीवन भर ताने सुनने को मिलेंगे। बाजार से उधार लेकर उसका विवाह
भी लगभग शान के साथ किया। पूरा परिवार आर्थिक बोझ से दब गया था।

तीसरी बेटी एम.ए. करके किसी प्राइवेट स्कूल में नौकरी कर रही थी। कुछ ट्यूशन भी कर रही थी जितनी आमदनी थी
उससे केवल ब्याज ही चुकाया जा रहा था। उसको देखने आते और जवाब देंगे कहकर जो जाते तो लौट कर ही नहीं
आते। धीरे-धीरे समय निकलते जा रहा था और छोटी बहन बड़ी दीदी की उम्र तक जा पहुंचने को तैयार थी। कहां से
दहेज जुटाएं? पूरा परिवार परेशान था। आखिर एक बैंक में कार्यरत क्लर्क से बात पक्की हुई तो उसकी मांग-कार और
नगदी की थी। इतना रुपये कहां से जुटा पाएंगे, क्योंकि अब घर में कुछ भी नहीं था। या तो घर बेच दें या फिर अनुराग
विवाह कर ले। लेकिन उसका वचन तो मर्द का था कि पहले बहनों की शादी हो। अब उधार लेने के लिए रिश्तेदार और
परिचित ही बचे थे। जीवन में मनुष्य अपने पूरे जीवन को सामान्य-साधारण तरीके से जी ले, किंतु कभी भी घनिष्ठ
मित्र या रिश्तेदार से उधार ना ले। उससे मित्रता भी चली जाती है और रिश्ता भी छोटा हो जाता है, लेकिन समय की
मांग थी कि रुपयों की व्यवस्था करना है- सो पूरा परिवार रुपयों की व्यवस्था में जुट गया। प्रत्येक रिश्तेदार से मांगे।
किसी ने हजारों दिये, किसी ने आश्वासन और किसी ने स्वयम् की आर्थिक स्थिति खराब होने की बात कही। विवाह
की तारीख पक्की हो गई थी। अभी कुछ लाख एकत्र करना शेष थे। उसने अपने शाला में शिक्षकों से मांगे और सब
जोड़-तोड़ करके इतने रुपये हो पाए कि विवाह किया जा सके।

बिदाई के बाद पूरा परिवार एक बड़े बोझ से मुक्त हो गया लेकिन उधारी के बोझ से दब गया था। अब एक ही कार्य था
किसी भी तरह से यह उधारी चुकाई जाये। मां ने अपने मंगलसूत्र को छोड़कर सब गहने बेच दिये। कुछ तो बोझ कम
होगा। उसने अपना पूरा वेतन पापा के हाथों में रखना शुरु कर दिया। उसने ट्यूशन भी शुरु कर दी थी। खर्च ऐसी
आदत है जो एक बार प्रारंभ हो जाता है तो फिर कम ही बार रुक पाता है। इस मध्य बड़ी बेटी प्रसव के लिए आ गई थी।

उसका भी खर्च था। खुशी अवश्य थी लेकिन महत्वपूर्ण खर्च को जुटाना भी था। कुछ खर्च से संभले तो अनुराग का
विवाह तय करें। उसकी उम्र भी 37-38 को छूने लगी थी। विवाह के जो सपने कभी रंगीन हुआ करते थे वह अब पूरी
तरह से ठोस शिलाखण्ड जैसे कठोर हो चुके थे जिसमें ऐसी कोई कोमल भावनाएं शेष नहीं बची थी यह देह का
आकर्षण ही था, लेकिन विवाह तो विवाह होता है। मर्द की निशानी है विवाह करे और बच्चों को पैदा करे। उसके लिए
दूर के रिश्ते से एक खबर आई थी। लड़की नौकरी में थी, अच्छा वेतन भी पा रही थी, दहेज भी बहुत मिलने का
आश्वासन बिचौलिए पंडित जी ने दिया था। उसने भी सोचा कर्ज भी पट जाएगा और जो वेतन आयेगा उससे उधारी
भी चुक जाएगी। आखिर उसके हिस्से में भी खुशियां आ ही रही थीं।

कई बार दर्पण में उसके युवा चेहरे को प्रौढ़ होते देखकर उसके मन में ठेस लगी थी, लेकिन निर्णय उसी का था, वचन
का कितना पक्का था कि आखिर तीनों बहनों का विवाह हंसते-रोते किया और फिर उसने विवाह के लिए हामी भरी
थी।

सांझ घिर आई थी। हवा में अभी भी गर्मी की लहर थी। उसका ध्यान टूटा-कल हाजीपुर जाना है। साथ में पापा भी जा
रहे हैं। लड़की को देखकर वह इसी गर्मी में विवाह कर लेगा। कभी कभी देह की मांग को भी पूरा कर ही लेना चाहिए। मां
भी प्रसन्न थी कि आखिर अनुराग का विवाह होने जा रहा था-बस एक औपचरिकता थी कि लड़की देखकर आएं और
फिर मुहूर्त निकाल लें। मंझली दीदी भी आई हुई थी, उसका भी प्रसव होना था। वह भैया को खोजते हुए आम बगीचे में
आ गई-‘क्यों भैया यहां क्या कर रहे हो? ‘बहुत गर्मी थी-यहां काफी ठंडक है। ‘चलिए सब चाय के लिए इंतजार कर रहे
हैं मंझली ने कहा।

उसने खटिया खड़ी की और बगीचे से घर की ओर लौट गया। बीस मीटर दूर ही तो घर था। मां-पापा सब चाय की
प्रतीक्षा में बैठे थे। वह पहुंचा, चाय आई, अगले दिन जाने की चर्चा निकल आई। हाजीपुर घर से अधिक दूर नहीं था।
लड़की वालों पर प्रभाव डालने के लिए किराये की कार लेने पर सहमति बनी। कौन-कौन जायेगा? अनुराग के दो दोस्त
होंगे, मंझली ने जिद की वह भी जाएगी तो मां ने कहा हम भी चलेंगे। आखिर में सबके जाने पर सहमति हो गई।
अगला दिन आने के मध्य एक रात शेष थी। अनुराग रात में जब अपने बिस्तर पर लेटा था तो सामने दीवार पर एक
सुंदर फिल्मी युवती की फोटो लगी थी जो अभी अभी फिल्मों में आई थी और उसकी उम्र 18-20 के मध्य की थी,
लेकिन क्या गजब का अभिनय करती है।

अनुराग ने पूरी रात सपनों में उसी के साथ बिताई। सुबह नींद खुली तो खाली बिस्तर और सूना सूना कमरा था। उसे स्वयम् की नालायकी पर हंसी हो आई। लगभग नौ बजे कार दरवाजे पर आ गई थी। जब सब गाड़ी में बैठ गये तब पापा ने कहा-‘अनुराग एक दो महीनों के बाद अपनी भी कार होगी। सब हंस दिये थे। सब इस अभिप्राय को समझ रहे थे कि पापा क्या कहना चाह रहे हैं। जब हाजीपुर पहुंचे तब लगभग ग्यारह बज रहे थे। गर्मी बहुत अधिक थी। लड़की वालों का घर नहीं बल्कि बहुत बड़ा बंगला था। बंगले के बाहर आम, नारियल के वृक्ष लगे थे। लीची हल्की गुलाबी हो कर लटक रही थी। उनके परिवार ने बहुत सादर सत्कार किया। ठंडा लेकर वह आई जिसकी प्रतीक्षा अनुराग को पिछले 38 वर्षों से थी। उसने उसे देखा-लगा कि सब कुछ कृत्रिम है। युवा अवस्था को जबरदस्ती बांध कर रखा हुआ है। केश भी काले किए हुए थे। गहरे मेकअप से झुरियां दबाई गई थीं। दोनों  को कुछ देर बात करने के लिए एकांत दे दिया गया था। कुछ देर दोनों के मध्य चुप्पी रही। वह कुछ प्रश्न करना चाह रहा था लेकिन वह क्या कहे? लड़की (प्रौढ़) ने ही प्रश्न कर डाला-‘आप कैसे हैं?
‘ठीक हूं-आप क्या करती हैं?
‘एक कंपनी में सीईओ हूं।
‘एक प्रश्न करना चाह रहा था यदि बुरा ना मानें तो?
‘अवश्य पूछिए ना।
‘आपने विवाह क्यों नहीं किया?
दोनों के मध्य चुप्पी छा गई, फिर उसने संयत करके कहना प्रारंभ किया-‘मेरे दो छोटे भाई थे, मां का बचपन में निधन
हो गया था, उनको पांव पर खड़ा करने की जिम्मेदारी मेरी थी। शिक्षा, नौकरी और व्यवसाय में समय लगाते लगाते
कब उम्र हाथ से निकलती चली गई पता ही नहीं चला-ठीक आप की ही तरह।
‘मेरी तरह? मैंने आश्चर्य से पूछा।

‘आपके विषय में पंडित जी ने मुझे सब विस्तार से बताया। इस जमाने में कोई बिरला ही होता है जो अपनी बहनों के
सुखों की इतनी चिंता करे।

‘निश्चित रूप से त्याग के मामले में मुझसे अधिक तो आप हैं। मैंने उसका सम्मान रखने हुए कहा।

‘आपकी शिक्षा कितनी है? मैंने ही प्रश्न किया। ‘मैंने पी.एच.डी. की है और उसके साथ ही कई छोटे छोटे एक वर्षीय
कोर्स भी किये हैं। एम.बी.ए. तो बहुत बाद में किया। मुझे कई पुरस्कार और सम्मान भी मिले।कहकर वह उत्तर की
प्रतीक्षा किए बिना उठकर अंदर गई और एक मोटी फाइल को उठा लाई जिसमें मार्कशीट, प्रमाण पत्र, सम्मान पत्र,
फोटो, पेपर कटिंग लगी थी। उसने बहुत उत्साह से सब देखा। उसे जो देखना था वह उसने देख लिया था।
तब ही मां-दीदी-पापा सब आ गऐ और बातें वहीं समाप्त हो गईं। पापा उसके चेहरे की ओर देख रहे थे कि उसने क्या
निर्णय लिया है, लेकिन वह मौन था। उसका एक दोस्त भी बैठा था, उसने भी इशारे से पूछा। उसने इशारे में कहा-‘कुछ
देर बात घर जाकर बताऊंगा।

नाश्ते के बाद भोजन आदि के बाद सबकी नजर उस पर ही थी। वह कुछ भी नहीं कह रहा था। वह मन ही मन सोच रहा
था कि इसके परिवार में आने से कितना लाभ मिलेगा। ‘घर जाकर बताते हैं कहकर वे जब लौट रहे थे तब आंखों ही
आंखों में उन दोनों ने एक दूसरे को देखा और इजाजत ली। रात को घर पहुंचे। सब जान लेना चाह रहे थे कि इतने
अच्छे रिश्ते को तुरंत हां कर देना चाहिए। सब उसके रंग, रुप, शिक्षा की प्रशंसा कर रहे थे। बस उसके हां करने की देर
थी। उसके मन में अचानक एक बात आई-पूरा जीवन ही परिवार के सुख और जिम्मेदारियों में बिता दिया। अपने लिए
दो पल सुख के मैं खोज नहीं पाया। विवाह एकदम निजी मामला है। इसमें भी वह परिवार का सुख-अपना कर्ज, अपना
लाभ देख रहा है- जबकि वह जिसे वह देखने गया वह कहां से युवती लग रही थी? उसकी मार्कशीट में उसकी जन्म
तारीख देखी थी, वह तो 40 को छूने जा रही है। उसके लिए तो जीवन बसंत नहीं पतझड़ हो चुका होगा। शायद उसके
जीवन के बहुत झरने तो सूख कर मरुस्थल में बदल चुके होंगे? वह परिवार में कहां संतान दे पायेगी? वह पुरुष है-
उसको अंतिम निर्णय लेना है बिना भावुकता से। यदि विवाह के लिए हां कर दिया तो शेष जीवन संतान की लालसा में
भटकता ही रहेगा। मां, दीदीयां सब तानें कसती रहेंगी-क्या यह उचित होगा? अपने जीवन में इस तरह पतझड़ का
स्वागत् करके पूरे परिवार को वह भले ही सुखी कर दे, लेकिन अपना जीवन नर्क कर लेगा-नहीं-बिलकुल नहीं- वह
अपने लिए कुछ व्यक्तिगत सुख के लिए जीना चाहता है। उसने निर्णय ले लिया कि-‘कमरे में प्रतीक्षा कर रहे परिवार
के सदस्यों से कह दूंगा कि मैं उससे विवाह नहीं करुंगा। इस सोच को दृढ़ निश्चय का रूप देकर वह उन्हें उत्तर देने के
लिए जा पहुंचा। (विभूति फीचर्स)

आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए कांग्रेस कोई चुनौती नहीं है – नरोत्तम मिश्रा

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MP Election 2023
MP – प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए कांग्रेस कोई चुनौती नहीं है। कांग्रेस नेता कमल नाथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कभी बराबरी नहीं कर सकते। वे ना तो चौहान की तरह रथ यात्राएं कर सकते हैं और ना ही प्रवास कर सकते हैं।
इस चुनाव में भाजपा दो तिहाई बहुमत हासिल करेगी। जन आशीर्वाद यात्रा के रायसेन के लिए रवाना होने से पहले पत्रकारों से बातचीत में मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस द्वारा निकाली जा रही जन आक्रोश यात्रा में कांग्रेस नेताओं को ही जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि इस यात्रा में एक भी दलित और महिला का चेहरा नहीं रखा गया है, इससे कांग्रेस की सोच उजागर होती है। मिश्रा ने कहा कि इंडी गठबंधन का कोई चरित्र, नीति और उद्देश्य नहीं है। वे सनातन धर्म पर सवाल उठाते है। धर्म विशेष पर कुछ नहीं बोलते। उनके लिए हिंदू और हिंदुत्व साफ्ट टारगेट है।
कांग्रेस की राजनीति के सिर्फ दो आधार है पहला मुसलमानों को भय दिखाओ और हिंदुओं को जाति में बांटकर रखो। गृह मंत्री मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस अब सिर्फ टीवी और इंटरनेट मीडिया तक सिमट कर रह गई है। अब कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं बचा है। इसके पूर्व जन आशीर्वाद यात्रा के प्रभारी रणवीर सिंह रावत ने कहा कि यह यात्रा अब तक 43 में से 39 विधानसभा क्षेत्र में पहुंच चुकी है।
आज और कल रायसेन जिले के चार विधानसभा क्षेत्र में पहुंचकर बाड़ी में समापन होगा। यह यात्रा अब तक 1732 किमी की दूरी तय कर चुकी है। इस दौरान 14 लाख 33 हजार लोगों से संपर्क किया गया है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा को भारी जन समर्थन मिल रहा है।

बूमरंग-चा राजा ने सबसे ऊंची ईको फ्रेंडली गणपति मूर्ति के लिए बनाया विश्व रिकॉर्ड

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राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष महंत जन्मेजय शरण महाराज ने आकर आशीर्वाद दिया

मुम्बई। रामनगरी अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष महंत जन्मेजय शरण महाराज ने दुनिया के सबसे ऊंचे इको फ्रेंडली बूमरंग चा राजा की स्थापना की। मुंबई के चांदीवली में स्थित बूमरंग बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स में गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर बूमरंग-चा गणपति उत्सव ने एक इतिहास रच दिया और सबसे ऊंची इको-फ्रेंडली गणपति मूर्ति का विश्व रिकॉर्ड बनाया।
राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के महंत जन्मेजय शरण जी महाराज ने आशीर्वाद दिया और पूजा में शामिल हुए।
इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के पदाधिकारी ने इस मूर्ति निर्माण की पूरी प्रक्रिया और गणपति की मूर्ति की ऊंचाई का मूल्यांकन किया और बाद में नमो नमो संगठन ट्रस्ट के डॉ. अरुण कुमार शर्मा को “विश्व की सबसे ऊंची पर्यावरण-अनुकूल गणपति मूर्ति” का प्रमाण पत्र प्रदान किया।
बप्पा के बड़े भक्त डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने कहा कि यह बेहद खुशी और गर्व की बात है कि हम पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने और पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों को साझा करते हैं। अधिक हरे भरे भारत के नजरिये के अनुसार, हमने अपने बूमरंग परिसर में एक शानदार पर्यावरण-अनुकूल गणपति मूर्ति की मेजबानी करने की पहल की है।


इस पूरे कार्यक्रम का आयोजन नमो नमो संगठन ट्रस्ट द्वारा किया गया था, जिसका नेतृत्व संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने किया, जो अग्रणी खाद्य तेल कंपनी – फेल्डा ऑयल प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं।
डॉ शर्मा ने आगे कहा कि हमारा ट्रस्ट देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हम नरेंद्र मोदी जी के हर घर मोदी जी और हर घर पर्यावरण-अनुकूल गणेश के नजरिये का समर्थन करते हैं।
डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने पूरे बूमरंग कॉम्प्लेक्स के लोगों, फेल्डा ऑयल कंपनी और उसके सभी कर्मचारियों और शुभचिंतकों की ओर से सभी भक्तों और महंत की गरिमामय उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त किया।

देवभूमि में निराश्रित गौ माता को मिलेगा अब आश्रय

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देहरादून  20सितम्बर 2023,, ( -संजय बलोदी प्रखर )  देहरादून,आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर त्वरित कार्यवाही करते हुए मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में निराश्रित गौवंशीय पशुओं के लिए गौसदनों के विस्तार एवं निर्माण के सम्बन्ध में अधिकारियों के साथ बैठक की।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को प्रदेश में गौसदनों के विस्तार एवं निर्माण कार्यों को ससमय पूर्ण करने के लिए समयसीमा निर्धारित किए जाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश को गौसदनों की दृष्टि से सैचुरेट करना है। उन्होंने प्रदेश के सभी स्थानीय निकायों को शीघ्रता-शीघ्र गौसदनों का विस्तारीकरण एवं स्थापना आदि कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए।
उन्होंने गौसदनों तक पशुओं को ले जाने के लिए हाईड्रॉलिक वाहनों की समुचित व्यवस्था भी सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि जहां नए गौसदनों का निर्माण होना है उसके भूमि चिन्हांकन के कार्य सहित डीपीआर तैयार कर शीघ्र प्रस्तुत की जाए। जिला योजना में भी गौसदनों के लिए बजट मद की व्यवस्था की जाए।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु, सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरूषोत्तम एवं निदेशक शहरी विकास श्री नितिन सिंह भदौरिया सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

Women Reservation Bill: लोकसभा से पास हुआ महिला आरक्षण बिल , पक्ष में 454 वोट, विरोध में सिर्फ 2

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नई दिल्ली, । केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लाया गया ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ लोकसभा में पारित हुआ। अत्याधुनिक सुविधाओं वाली नई संसद के निचले सदन से पारित होने वाला यह पहला विधेयक है। इस विधेयक को विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को लोकसभा में पेश किया था।
महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में 33 पर्सेंट आरक्षण देने वाला बिल लोकसभा में पास होने के साथ ही बीजेपी का एक और चुनावी वादा पूरा होने की तरफ बढ़ा है। बीजेपी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में यह वादा किया था। लोकसभा में बिल को लेकर हुई चर्चा के दौरान बीजेपी की तरफ से कहा गया कि बीजेपी के लिए महिला सशक्तीकरण राजनीतिक मुद्दा नहीं है बल्कि मान्यता का सवाल है।
लोकसभा में नारी शक्ति वंदन विधेयक पर पर्ची से वोटिंग कराई गई। विधेयक के पक्ष में 454 मत, जबकि दो मत खिलाफ में पड़े। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दो तिहाई बहुमत से विधेयक के पारित होने की जानकारी साझा की।
लोकसभा में ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ को लेकर हुई चर्चा में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, रायबरेली सांसद और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी सहित 60 सदस्यों ने हिस्सा लिया। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने रानी दुर्गावती, रानी चेन्नम्मा, रानी अहिल्याबाई, रानी लक्ष्मी जैसी असंख्य वीरांगनाओं का उल्लेख किया।

 

बहरहाल, विधेयक के प्रावधान यह स्पष्ट करते हैं कि इसके कानून बनने के बाद कराई जाने वाली जनगणना के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए परिसीमन की कवायद या निर्वाचन क्षेत्रों के पुन: सीमांकन के बाद ही आरक्षण लागू होगा.