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टाइगर अपने ख़ाली हाथों से लोगों की सेना से मुकाबला कर सकता है! : सलमान खान

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मुम्बई। सुपरस्टार सलमान खान 16 अक्टूबर को यशराज फिल्म्स की टाइगर 3 का ट्रेलर जारी करने के लिए तैयार हैं। निर्माताओं ने सलमान उर्फ टाइगर की एक अनदेखी तस्वीर के माध्यम से ट्रेलर रिलीज का समय दोपहर 12 बजे बताया, जो लोहे की चेन पहने ख़ाली हाथों से अपने विरोधियों को तोड़ने के लिए तैयार है!
सलमान ने खुलासा किया कि फिल्म का एक्शन रॉ, रियलिस्टिक लेकिन शानदार’ होगा और नई तस्वीर यह तय करती है कि ट्रेलर से क्या उम्मीद की जा सकती है – टाइगर अपने दुश्मन को अपनी ताकत की फोर्स से नष्ट करने की तलाश में होगा। वाईआरएफ स्पाई यूनिवर्स फिल्म, टाइगर 3 बड़ी दिवाली विंडो पर रिलीज होने के लिए तैयार है।
सलमान कहते हैं, “टाइगर 3 में एक्शन रॉ, रियलिस्टिक लेकिन शानदार है। आऊट ऑफ वर्ल्ड है. टाइगर फ्रैंचाइज़ के बारे में मुझे जो पसंद है वह यह है कि नायक लार्जर देन लाइफ हिंदी फिल्म नायक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जो अपने नंगे हाथों से लोगों की सेना से मुकाबला कर सकता है! उसे खून बहाना और तब तक खड़ा रहना ठीक लगता है जब तक उसके आस-पास के सभी दुश्मन ख़त्म न हो जाएँ।
वह आगे कहते हैं, “(टाइगर की) वीरता इसमें है कि वह चुनौती का डटकर सामना करे और पीछे न हटे, जैसा कि वास्तविक जीवन में बाघ अपने लक्ष्य का शिकार करते समय करता है। मेरा किरदार टाइगर कभी भी लड़ाई से पीछे नहीं हटेगा। वह आखिरी सांस लेने तक कभी हार नहीं मानेंगे और वह अपने देश के लिए खड़े होने वाले आखिरी व्यक्ति होंगे।
वह कहते हैं, “मुझे पसंद है कि वाईआरएफ द्वारा टाइगर को बड़े पर्दे पर कैसे प्रस्तुत किया गया है और इसने दर्शकों को अपनी और खींचा है। वे टाइगर को एक्शन में देखना पसंद करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें अब तक के सबसे गंभीर और बेहतरीन एक्शन सीक्वेंस देखने को मिलेंगे। मुझे उम्मीद है कि उन्हें टाइगर 3 का ट्रेलर पसंद आएगा क्योंकि इसमें ज़बरदस्त एक्शन के कुछ उन्मादी क्षण हैं जो लोगों ने आज तक देखे हैं।
मनीष शर्मा द्वारा निर्देशित टाइगर 3 के ट्रेलर को लेकर इंटरनेट पर हलचल मची हुई है। यह फिल्म अगले अध्याय का खुलासा करने के लिए तैयार है कि कैसे आदित्य चोपड़ा वाईआरएफ स्पाई यूनिवर्स को आकार दे रहे हैं जिसने अब तक बॉक्स ऑफिस पर 100 प्रतिशत ब्लॉकबस्टर परिणाम दिया है। वाईआरएफ स्पाई यूनिवर्स की अब तक की फिल्में एक था टाइगर, टाइगर जिंदा है, वॉर, पठान और अब टाइगर 3 हैं।

चंदू चैंपियन’ में कार्तिक आर्यन बिल्कुल नए अवतार में नज़र आएंगे

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साजिद नाडियाडवाला और कबीर खान द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म ’चंदू चैंपियन’ में बॉलीवुड अभिनेता कार्तिक आर्यन बिल्कुल नए अवतार में नज़र आएंगे। फिल्म के पोस्टर में कार्तिक आर्यन का इंटेंस लुक पहले ही लोगों को एक्साइट कर चुका है। अब फिल्म को लेकर एक ऐसी जानकारी सामने आई है जिसे सुनकर यकीनन सभी की धड़कने तेज हो जाएंगी।
खबर है कि ‘चंदू चैंपियन’ के लिए एक 8 मिनट का सिंगल शॉट वॉर सीक्वेंस शूट किया गया है। इस सीक्वेंस की शूटिंग समुद्र तल से 9000 फीट की ऊंचाई पर हुई है और जो निश्चित रूप से एक रोमांचक सिनेमाई अनुभव साबित होगा। यह फिल्म फिलहाल अपने दूसरे शेड्यूल में है और टीम के इस प्रयास का मुख्य आकर्षण 1965 की लड़ाई का इतने बड़े पैमाने पर फिल्मांकन था जो सिंगल शॉट एक्शन सीक्वेंस के लिए शानदार है। इस सीक्वेंस को जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत अरु घाटी में शूट किया गया है जो समुद्र तल से 9000 फीट की ऊंचाई पर है, जहां टीम द्वारा एक बड़ा आर्मी कैंप बनाया गया था। कबीर खान द्वारा निर्देशित इस फिल्म की कहानी हार न मानने की असाधारण असल जिंदगी की कहानी पर आधारित है। इस फिल्म में कार्तिक आर्यन के साथ विजय राज और भुवन अरोड़ा भी अहम भूमिका में नज़र आएंगे। ‘चंदू चैंपियन’ 14 जून 2024 को रिलीज होगी।
प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय

इजराइल- फिलिस्तीन संघर्ष के मध्य केंद्र व धामी सरकार के प्रयासों से उत्तराखंडी प्रवासियों की सकुशल वापसी

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13 अक्टूबर 2023,शुक्रवार
नई दिल्ली/ देहरादून, 13 अक्टूबर 2023.
आखिरकार इजराइल- फिलिस्तीन संघर्ष के मध्य केंद्र सरकार व उत्तराखंड की धामी सरकार के समन्वय से उत्तराखंडी प्रवासी सकुशल अपने गृह प्रदेश आने में सफल हुए।
विदित हो. जब-जब भी विदेश में किसी भी प्रकार का संघर्ष या आपदा से भारतीयों का आमना – सामना होता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा -निर्देश के तहत विदेश मंत्रालय शीघ्र सक्रिय होकर अपने कर्तव्य का पालन करने पर जुट जाता है.. !इसी कर्तव्य परायणता के तहत इजराइल -फिलिस्तीन में हो रहे संघर्ष में फंसे भारतीयों को वतन वापसी के लिए मिशन ” ऑपरेशन अजय” प्रारंभ किया गया.!
केंद्र की मोदी सरकार की तत्परता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि इससे पूर्व सूडान में फंसे भारतीयों के लिए ऑपरेशन कावेरी.., तालिबान- अफ़गानिस्तान संकट में ऑपरेशन देवी शक्ति.., हो या रूस- यूक्रेन युद्ध संकट में ऑपरेशन गंगा.! मोदी सरकार प्रत्येक मिशन में सफल रही है यही नहीं किसी भी प्रकार के प्राकृतिक आपदा जैसे कोरोना काल में “बंदे भारत” मिशन हो या फिर “समुद्र सेतु” या फिर यमन सरकार व हौथी विद्रोहियों के आपसी संघर्ष के मध्य उत्पन्न संकट में आपरेशन राहत.. समय-समय पर केंद्र सरकार ने समस्त मिशनों को सफलतापूर्वक पूर्ण किया है.!
इसी प्रकार के मिशन ऑपरेशन अजय के तहत भारत सरकार की ओर से विशेष विमान से उत्तराखंडी नागरिक सुश्री आरती जोशी व आयुष मेहता इजराइल से नई दिल्ली सुबह 5:50 पर पहुंचे., जिनको उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार सरकारी प्रतिनिधि द्वारा एयरपोर्ट पर रिसीव किया गया ! तत्पश्चात उन्हें नई दिल्ली स्थित उत्तराखंड भवन में रहने, खाने व मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराकर उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई।
अनुमानतः 18000 (हजार ) से भी अधिक भारतीयों के इजराइल में फंसे होने की संभावना है। जिनकी वतन वापसी के लिए केंद्र व धामी सरकार कृत संकल्प है.! मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इजरायल में संकट में रह रहे प्रत्येक नागरिक को सकुशल वापस लाया जाएगा।

प्रधानमंत्री 13 अक्टूबर को 9वें जी20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन (पी20) का उद्घाटन करेंगे

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New Delhi , प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 13 अक्टूबर 2023 को सुबह लगभग 11 बजे यशोभूमि, नई दिल्ली में 9वें जी-20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन (पी20) का उद्घाटन करेंगे। शिखर सम्मेलन की मेजबानी भारत की संसद भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी के व्यापक दायरे के तहत कर रही है।
भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी की थीम के अनुरूप, 9वें पी20 शिखर सम्मेलन का विषय “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के लिए संसद” है। इस कार्यक्रम में जी-20 के सदस्य देशों और आमंत्रित देशों की संसदों के अध्यक्ष भाग लेंगे। 9-10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली जी-20 लीडर्स समिट में अफ्रीकी संघ के जी-20 का सदस्य बनने के बाद पैन-अफ्रीकी संसद पहली बार पी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेगी।
इस पी20 शिखर सम्मेलन के दौरान विषयगत सत्र निम्नलिखित चार विषयों सार्वजनिक डिजिटल मंचों के माध्यम से लोगों के जीवन में बदलाव; महिलाओं के नेतृत्व में विकास; एसडीजी में तेजी लाना; और सतत ऊर्जा पारगमन पर केंद्रित होंगे।
प्रकृति के साथ तालमेल में हरित और टिकाऊ भविष्य की दिशा में पहलों पर विचार-विमर्श करने के लिए 12 अक्टूबर 2023 को एलआईएफई (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) पर एक पूर्व शिखर सम्मेलन संसदीय मंच भी आयोजित किया जाएगा।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग समीक्षा बैठक विज्ञान भवन में आयोजित की गई

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पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव (एएचडी)श्रीमती अलका उपाध्याय की अध्यक्षता में विभाग के कार्यक्रमों/योजनाओं के कार्यान्वयन की प्रगति पर चर्चा के लिए एक क्षेत्रीय समीक्षा बैठक आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित की गई। यह बैठक में पश्चिमी राज्यों के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव सहित संबंधित निदेशकों के साथ हुई। मीक्षा बैठक में अतिरिक्त सचिव, पशुपालन आयुक्त, संयुक्त सचिव, मुख्य लेखा नियंत्रक और पशुपालन और डेयरी विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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श्रीमती अलका उपाध्याय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पशुधन क्षेत्र 2014-15 से 2021-22 (स्थिर कीमतों पर) के दौरान 7.67% की उच्च चक्रवृद्धि वार्षिक दर (सीएजीआर) के साथ लगातार बढ़ रहा है, जिसका श्रेय डेयरी, बोवाइन, मुर्गी पालन, बकरी पालन/सूअर पालन आदि  पशुधन क्षेत्र के मापदंडों को दिया जाता है। साथही, पशुधन क्षेत्र ने वर्ष 2021-22 के दौरान कुल कृषि और संबद्ध क्षेत्र जीवीए (स्थिर कीमतों पर) में लगभग 30.19% का योगदान दिया है।

बैठक में उन्होंने राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम), राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) के तहत उद्यमिता विकास, राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी), डेयरी प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचे के विकास फंड (डीआईडीएफ), नेशनल प्रोग्राम फॉर डेयरी डेवलपमेंट (एनपीडीडी), एनिमल हसबेंडरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एएचआईडीएफ) जिन्हें भारत सरकार द्वारा राज्यों में कार्यान्वित किया जा रहा है, सहित सभी पशुपालन और डेयरी योजनाओं की वास्तविक और वित्तीय प्रगति की समीक्षा की।

उन्होंने राज्यों के पास बची हुई  शेष राशि को खर्च करने पर जोर दिया। केंद्रीय सचिव ने इस बात पर भी जोर दिया कि  पारंपरिक डेटा अपडेशन, भारतकोश के माध्यम से भुगतान पर ब्याज आदि से संबंधित मुद्दों को जल्दी हल करने की आवश्यकता है ताकि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत सरकार राज्यों को धन जारी कर सके। उन्होंने देश भर में एफएमडी और ब्रुसेला के खिलाफ टीकाकरण की स्थिति, मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) के संचालन, दूध की स्थिति, चारे की स्थिति आदि की भी समीक्षा की। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि प्रत्येक राज्य को आगे की कार्रवाई के लिए सूक्ष्म स्तर पर योजना का निर्माण करना चाहिए।

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श्रीमती अलका उपाध्याय ने पशुआहार और चारे की उपलब्धता पर जोर दिया और राज्यों से संतुलित राशन की उपलब्धता को आसान बनाने के लिए टास्कफोर्स गठित करने को कहा। उन्होंने कहा  कि स्वास्थ्य देखभाल के माध्यम से पशुधन का संरक्षण और सुरक्षा विभाग के लिए एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है। उन्होंने राज्यों सलाह दी कि एफएमडी, ब्रुसेला और पीपीआर टीकाकरण में तेजी लाने की जरुरत है। उन्होंने पशुधन और डेयरी किसानों तक योजना के लाभों को पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और जिला अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी के साथ राज्यों में ग्राम पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान आयोजित किए जाने की जरूरत पर भी जोर दिया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने गौ माता की सेवा की

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उत्तर प्रदेश राज्य ब्यूरो , आज गोरखपुर , गोरखनाथ मंदिर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने गौशाला में जा कर गौमाता की सेवा की और गौमाता को चारा खिलाया।

उत्तराखंड विशेष – आस्था ही नहीं आर्थिकी का भी केंद्र है उत्तराखंड.-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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– राज्य ब्यूरो – उत्तराखंड से संजय बलोदी प्रखर की रिपोर्ट 
पिथौरागढ (उत्तराखंड )12 अक्टूबर 2023,गुरूवार    पिथौरागढ़, गुरुवार,12 अक्टूबर, आज भारत की आध्यात्मिक भूमि उत्तराखंड के आदि कैलाश पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.. !..यहां तय समयानुसार शिव मंदिर में पूजा करते हुए प्रधानमंत्री ने आदि कैलाश के विराट दर्शन किए और देश की सुख, समृद्धि एवं खुशहाली के लिए प्रार्थना की।
शिव धाम आदि कैलाश आगमन पर प्रधानमंत्री मोदी का स्थानीय लोगों व श्रद्धालुओं द्वारा अभूतपूर्व स्वागत हुआ। लोग अपने प्रिय प्रधानमंत्री की एक झलक पाने को लालयित थे. !इस दौरान उत्तराखंड के यस्वश्वी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे। विदित हो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार एक दिवसीय उत्तराखंड की यात्रा पर आये थे..!

प्रधानमंत्री मोदी अपने निर्धारित कार्यक्रम के तहत 12 अक्टूबर, 2023 को सुबह 8.45 बजे हेलीकॉप्टर से पिथौरागढ़ जनपद में ज्योलिंगकांग हेलीपैड पर उतरे। यहां से दाहिनी ओर करीब डेढ़ किमी की दूरी कार से तय करते हुए हिमालय की चोटी पर स्थित पार्वती सरोवर और शिव मंदिर पहुॅचे। करीब 25 मिनट तक शिव की पूजा और ध्यान किया।
आदि कैलाश मंदिर में रं-समुदाय के लामा पुजारियों ने पौराणिक काल से प्रसिद्ध शिव-पार्वती की “माटी पूजा’ पूरे विधि विधान के साथ संपन्न की।
तत्पश्चात प्रधानमंत्री ने आदि कैलाश पर्वत और पार्वती सरोवर के दर्शन भी किए। आदि कैलाश और पार्वती सरोवर के दर्शन कर अभीभूत हो कर उन्होंने कहा कि आदि कैलाश के दर्शन कर उनका मन प्रसन्न और जीवन धन्य हो गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देव भूमि है। यहां कण-कण में देवी देवताओं का वास है। भगवान आदि कैलाश के दर्शन कर उन्हें परम आनंद की अनुभूति हुई है। देवभूमि के मंदिर आस्था ही नही आर्थिकी का भी केंद्र हैं। इन मंदिरों से हजारों लोगों की आर्थिकी प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़ी है। धार्मिक पर्यटन अर्थात तीर्थाटन को बढ़ावा देने के लिए सभी मंदिरों को एक सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को आदि कैलाश और आसपास के क्षेत्र के सम्बन्ध में जानकारी दी।

प्रधानमंत्री के भ्रमण से चीन सीमा पर तैनात सेना के जवानों के साथ ही सीमा पर बसे गांव कुटी, नाबि, रोंगकांग, गुंजी, नपल्चयू, गर्व्यांग, बूंदी के ग्रामीणों में अपार उत्साह देखने को मिला। आदि कैलाश के दर्शन करने के बाद पीएम मोदी ज्योलिंगकांग हैलीपेड से गुंजी के लिए रवाना हुए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुंजी गांव में स्थानीय लोगों से मिलकर उनसे बातचीत की। गुंजी गांव में दूर-दराज से पहुंचे लोग प्रधानमंत्री को अपने बीच पाकर उत्साहित दिखे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने च्यूबाला पहनी रंगस्या (महिलाओं) से आशीर्वाद भी लिया।
गुंजी में सेना के जवानों के साथ बातचीत कर प्रधानमंत्री ने उनका हौसला बढ़ाया। प्रधानमंत्री ने रं समाज कल्याण समिति के लोगों से भी भेंटवार्ता की। रं समाज कल्याण समिति के लोग पारम्परिक वेशभूषा में थे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर स्वयं नगाड़ा भी बजाया।
प्रधानमंत्री ने भारत-तिब्बत व्यापार के प्रमुख केन्द्र गुंजी गांव में स्थानीय कला और उत्पादों पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर उन्होंने आदि कैलाश, पार्वती सरोवर, कुटी गांव, रांगकॉग गांव, नाबी, गुंजी, ओम पर्वत की फोटो गैलरी का भी अवलोकन किया।
गुंजी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री को अंग वस्त्र व प्रतीक चिन्ह के रूप में ओम पर्वत की फोटो भेंट की। वही रं समाज द्वारा मानसरोवर का पवित्र जल भरा कलश भेंट किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी आदि कैलाश की यात्रा करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री भी बन गए है। तीन देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगी इस भूमि से प्रधानमंत्री ने पूरे विश्व को अध्यात्म और वैश्विक क्षेत्र में उभरती भारत की शक्ति का संदेश भी दिया। प्रधानमंत्री के भ्रमण से आदि कैलाश क्षेत्र में आध्यात्मिक पर्यटन की संभावनाएं बढ गई है।
पिथौरागढ़ जनपद में आदि कैलाश 14 हजार फुट से अधिक ऊॅचाई पर चीन और नेपाल की सीमा से सटा है और भारत की आध्यात्मिक भूमि है। आदि कैलाश के बारे में मान्यता है कि यह स्थान भगवान शिव के परिवार का निवास स्थान है। आदि कैलाश मार्ग पर मुख्य आकर्षण ओम पर्वत है। इस पर्वत पर ओम की आकृति उभरी हुई है। ओम पर्वत कैलाश यात्रा मार्ग में नावीढांगा में स्थित है। ओम पर्वत को आदि कैलाश का छोटा कैलाश भी कहा जाता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणाएं भी की.. !

प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 4200 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी

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New Delhi – प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में ग्रामीण विकास, सड़क, बिजली, सिंचाई, पेयजल, बागवानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन सहित अन्य क्षेत्रों में लगभग 4200 करोड़ रुपये की अनेक विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित की।

एकत्र जनसमूह को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा पर उत्तराखंड के लोगों के अभूतपूर्व प्यार, स्नेह और आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त किया और कहा, “यह स्नेह की गंगा बहने की तरह था।” श्री मोदी ने अध्यात्म और वीरता की भूमि विशेषकर साहसी माताओं को नमन किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बैद्यनाथ धाम में जय बद्री विशाल के उद्घोष से गढ़वाल राइफल्स के जवानों का जोश और उत्साह बढ़ता है और गंगोलीहाट के काली मंदिर में घंटियों की ध्वनि कुमाऊं रेजिमेंट के जवानों में नए साहस का संचार करती है। मानसखंड में प्रधानमंत्री ने बैद्यनाथ, नंदादेवी, पूर्णागिरि, कसारदेवी, कैंचीधाम, कटारमल, नानकमत्ता, रीठा साहिब और अनेक अन्य मंदिरों का उल्लेख किया जो इस भूमि की भव्यता और विरासत को दर्शाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “जब भी मैं आपके बीच उत्तराखंड में होता हूं, हमेशा खुद को धन्य समझता हूं।”
इससे पहले प्रधानमंत्री ने पार्वती कुंड में पूजा और दर्शन किए। “मैंने प्रत्येक भारतीय के अच्छे स्वास्थ्य और विकसित भारत की मजबूती का संकल्प लेते हुए प्रार्थना की। मैंने आशीर्वाद मांगा कि उत्तराखंड के लोगों की सभी आकांक्षाएं पूरी हों।
प्रधानमंत्री ने सैनिकों, कलाकारों और स्वयं सहायता समूहों के साथ अपनी बैठकों का भी उल्लेख किया और सुरक्षा, समृद्धि और संस्कृति के स्तंभों के मिलने पर खुशी व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि यह दशक उत्तराखंड का दशक होगा। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार उत्तराखंड के लोगों की प्रगति और जीवन को आसान बनाने के लिए पूरे समर्पण और निष्ठा के साथ काम कर रही है।” प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के साथ अपने लंबे जुड़ाव और निकटता को याद किया। नारीशक्ति वंदन अधिनियम के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने राज्य से मिले समर्थन और प्रतिक्रिया का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने भारत की विकास की प्रगति के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “दुनिया भारत और भारतीयों के योगदान को पहचान रही है।” अतीत की हताशा को याद करते हुए, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने चुनौतियों से घिरे वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत आवाज का उल्लेख किया। उन्होंने जी20 की अध्यक्षता और शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए भारत की वैश्विक सराहना का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने देश की सफलता का श्रेय लोगों को दिया क्योंकि उन्होंने लंबे अंतराल के बाद केंद्र में एक स्थिर और मजबूत सरकार चुनी। उन्होंने कहा कि उन्हें 140 करोड़ भारतीयों का भरोसा और विश्वास प्राप्त है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 5 वर्षों में 13.5 करोड़ से अधिक भारतीय गरीबी के दुष्‍चक्र से बाहर आए हैं। इसके लिए उन्होंने सरकार के सर्व-समावेशी दृष्टिकोण को श्रेय दिया, जिसके तहत दूरदराज के स्थानों में रहने वाले लोगों को भी सरकारी लाभ मिलता है। श्री मोदी ने जोर देकर कहा, “दुनिया आश्चर्यचकित है” क्‍यों‍कि 13.5 करोड़ लोगों में ऐसे लोग भी शामिल हैं जो दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये 13.5 करोड़ लोग इस बात के उदाहरण हैं कि भारत अपनी क्षमता से ही देश की गरीबी को खत्म कर सकता है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि भले ही पिछली सरकारों ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था, लेकिन यह ‘मोदी’ है, जो कहता है कि स्वामित्व और जिम्मेदारी लेकर गरीबी को जड़ से समाप्‍त किया जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा, ” हम एक साथ मिलकर गरीबी मिटा सकते हैं।” उन्होंने भारत के चंद्रयान का उल्लेख किया, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने में कामयाब रहा और इसने वह उपलब्धि हासिल की, जिसे अब तक कोई देश प्राप्‍त नहीं कर सका है। प्रधानमंत्री ने कहा, “जिस स्थान पर चंद्रयान उतरा, उसका नाम शिव शक्ति रखा गया है और इस प्रकार उत्तराखंड की पहचान अब चंद्रमा पर भी मौजूद है।” उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कदम-कदम पर शिव शक्ति योग देखने को मिलता है।
प्रधानमंत्री ने भारत की खेल शक्ति को रेखांकित किया और देश में अब तक की सबसे अधिक पदक तालिका की खुशी के बारे में बात की। भारतीय दल में उत्तराखंड के 8 एथलीट शामिल थे और लक्ष्य सेन तथा वंदना कटारिया की टीमों ने पदक जीते। प्रधानमंत्री के आह्वान पर दर्शकों ने अपने मोबाइल फोन की फ्लैशलाइट जलाकर इस उपलब्धि का जश्न मनाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार एथलीटों को उनके प्रशिक्षण और अवसंरचना के लिए पूरी सहायता प्रदान कर रही है। आज हल्द्वानी में हॉकी ग्राउंड और रुद्रपुर में वेलोड्रोम का शिलान्यास किया गया। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय खेलों की पूरी लगन से तैयारी करने के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “उत्तराखंड के हर गांव ने भारत की सीमाओं की रक्षा करने वाले सैन्‍य कर्मियों को जन्म दिया है।” उन्होंने उल्लेख किया कि वर्तमान सरकार ने ‘वन रैंक वन पेंशन’ की उनकी दशकों पुरानी मांग को पूरा किया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि ‘वन रैंक वन पेंशन’ योजना के तहत पूर्व सैनिकों को अब तक 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अंतरित की जा चुकी है, जिससे पूर्व सैनिकों के 75,000 से अधिक परिवारों को अत्‍यधिक लाभ हुआ है। उन्होंने कहा, “सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास, सरकार की प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक है।” उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में नई सेवाओं का तेजी से विकास हो रहा है। पिछली सरकारों के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास की कमी की ओर इशारा करते हुए, प्रधानमंत्री ने अवसंरचना विकास को लेकर पड़ोसी देशों द्वारा भूमि हड़पने के उनके डर के बारे में बात की। प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में हो रहे अवसंरचना विकास के बारे में बात करते हुए कहा, “न तो न्‍यू इंडिया किसी चीज से डरता है, न ही यह दूसरों में डर पैदा करता है।” उन्होंने बताया कि पिछले 9 वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों में 4,200 किमी से अधिक सड़कें, 250 पुल और 22 सुरंगें निर्मित की गई हैं। प्रधानमंत्री ने आज की परियोजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि रेलवे को सीमावर्ती इलाकों तक पहुंचाने की योजना पर काम चल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवंत ग्राम योजना ने देश के आखिरी गांवों को पहले गांवों में बदल दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा प्रयास उन लोगों को वापस लाना है, जो इन गांवों को छोड़ चुके हैं। हम इन गांवों में पर्यटन बढ़ाना चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि पानी, दवा, सड़क, शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं के संदर्भ में अतीत की गलत नीतियों के कारण लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में इन क्षेत्रों में नई सुविधाओं और अवसंरचनाओं का निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा कि सड़कों, सिंचाई सुविधाओं और आज शुरू की गई पॉलीहाउस योजना से सेब की खेती को फायदा होगा। इन परियोजनाओं पर 1100 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड के हमारे छोटे किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए इतना पैसा खर्च किया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत, उत्तराखंड के किसानों को अब तक 2200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्राप्‍त हुई है।”
प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड में कई पीढ़ियों से उगाए जा रहे श्री अन्न का उल्लेख किया और इसके महत्व को दुनिया भर में फैलाने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देशभर में एक अभियान शुरू किया गया है, जिससे उत्तराखंड के छोटे किसानों को बहुत लाभ होगा।
महिलाओं के नेतृत्व में होने वाले विकास को सुनिश्चित करने के कदमों के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी सरकार माताओं और बहनों की हर कठिनाई एवं हर असुविधा को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए हमारी सरकार ने गरीब बहनों को पक्के मकान दिये। हमने अपनी बहनों-बेटियों के लिए शौचालय बनवाए, उन्हें गैस कनेक्शन दिए, बैंक खाते खोले, मुफ्त इलाज एवं मुफ्त राशन की व्यवस्था की। ‘हर घर जल योजना’ के तहत उत्तराखंड के 11 लाख परिवारों की बहनों को पाइप से पानी की सुविधा मिली है। उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराने की उस योजना का भी उल्लेख किया, जिसकी घोषणा उन्होंने लाल किले की प्राचीर से की थी। ये ड्रोन खेती से लेकर उपजों के परिवहन में भी मददगार साबित होंगे। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रदान किए गए ड्रोन उत्तराखंड को आधुनिकता की नई ऊंचाइयों पर ले जायेंगे।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “उत्तराखंड में, हर गांव में गंगा और गंगोत्री हैं। भगवान शिव और नंदा यहां की बर्फ की चोटियों पर निवास करते हैं।” उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के मेले, कौथिग, थौल, गीत, संगीत और खान-पान की अपनी अनूठी पहचान है और यह भूमि पांडव नृत्य, छोलिया नृत्य, मांगल गीत, फूलदेई, हरेला, बग्वाल और रम्माण जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों से समृद्ध है। उन्होंने इस भूमि के विभिन्न व्यंजनों के बारे में भी बात की और अरसे, झंगोरे की खीर, काफुली, पकौड़े, रायता, अल्मोडा की बाल मिठाई और सिंगोरी का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने काली गंगा की भूमि और चंपावत स्थित अद्वैत आश्रम के साथ अपने आजीवन संबंधों को भी याद किया। उन्होंने जल्द ही चंपावत के अद्वैत आश्रम में समय बिताने की इच्छा भी जताई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटन और तीर्थाटन के विकास से जुड़े डबल इंजन की सरकार के प्रयास अब रंग ला रहे हैं। इस साल उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगभग 50 लाख होने वाली है। बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण का पहला चरण पूरा हो चुका है। श्री बद्रीनाथ धाम में भी सैकड़ों करोड़ रुपये की लागत से अनेक कार्य किये जा रहे हैं।” उन्होंने केदारनाथ धाम और हेमकुंट साहिब में रोपवे का काम पूरा होने के बाद होने वाली सुविधा का उल्लेख किया। केदारनाथ और मानसखंड के बीच कनेक्टिविटी पर दिए गए ध्यान को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज शुरू हुआ मानसखंड मंदिर माला मिशन कुमाऊं क्षेत्र के कई मंदिरों तक पहुंच को आसान बनाएगा और भक्तों को इन मंदिरों में आने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि उत्तराखंड की बढ़ती कनेक्टिविटी राज्य के विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली है। उन्होंने चारधाम मेगा प्रोजेक्ट और हर मौसम में आवागमन के योग्य सड़क के साथ ही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का भी उल्लेख किया। उड़ान योजना के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पूरे क्षेत्र में सस्ती हवाई सेवाओं का भी विस्तार किया जा रहा है। उन्होंने बागेश्वर से कनालीछीना, गंगोलीहाट से अल्मोडा और टनकपुर घाट से पिथौरागढ तक जाने वाली सड़कों सहित आज की परियोजनाओं का भी उल्लेख किया और कहा कि इससे न केवल आम लोगों को सुविधा मिलेगी बल्कि पर्यटन से होने वाली आय के अवसर भी बढ़ेंगे। पर्यटन क्षेत्र को सर्वाधिक रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र बताते हुए, श्री मोदी ने सरकार द्वारा होमस्टे को प्रोत्साहित किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “आने वाले समय में पर्यटन क्षेत्र का काफी विस्तार होने वाला है। क्योंकि आज पूरी दुनिया भारत आना चाहती है। और जो कोई भी भारत को देखना चाहता है वह निश्चित रूप से उत्तराखंड आना चाहेगा।”
उत्तराखंड की आपदाग्रस्त होने की प्रकृति को स्वीकार करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले 4-5 वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी के लिए विभिन्न परियोजनाओं पर 4000 करोड़ रुपये खर्च किए जायेंगे। उन्होंने कहा, “’उत्तराखंड में ऐसी सुविधाएं निर्मित की जायेंगी ताकि आपदा की स्थिति में राहत और बचाव कार्य तेजी से किया जा सके।”
अपने संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत का अमृत काल है। उन्होंने कहा, “यह समय देश के हर क्षेत्र एवं हर वर्ग को सुविधाओं, सम्मान और समृद्धि से जोड़ने का है।” उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बाबा केदार और बद्री विशाल के आशीर्वाद से देश अपने संकल्पों को शीघ्रता से पूरा कर सकेगा।
इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी सहित उत्तराखंड सरकार के अन्य मंत्री उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री द्वारा जिन परियोजनाओं का उद्घाटन व राष्ट्र को समर्पित किया गया उनमें पीएमजीएसवाई के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में निर्मित 76 ग्रामीण सड़कें और 25 पुल; 9 जिलों में बीडीओ कार्यालयों के 15 भवन; केंद्रीय सड़क निधि के तहत निर्मित तीन सड़कों यानी कौसानी बागेश्वर रोड, धारी-दौबा-गिरिछीना रोड और नगला-किच्छा रोड का उन्नयन; राष्ट्रीय राजमार्गों पर दो सड़कों यानी अल्मोडा पेटशाल – पनुवानौला – दन्या (एनएच 309बी) और टनकपुर – चल्थी (एनएच 125) का उन्नयन; पेयजल से संबंधित तीन परियोजनाएं यानी 38 पंपिंग पेयजल योजनाएं, 419 गुरुत्वाकर्षण पर आधारित जलापूर्ति योजनाएं और तीन ट्यूबवेल आधारित जल आपूर्ति योजनाएं; पिथोरागढ़ में थरकोट कृत्रिम झील; 132 केवी पिथौरागढ-लोहाघाट (चंपावत) पावर ट्रांसमिशन लाइन; उत्तराखंड में 39 पुल और विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित उत्तराखंड आपदा रिकवरी परियोजना के तहत देहरादून में बनाई गई उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की इमारत शामिल हैं।
जिन परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया उनमें 21,398 पॉली-हाउस के निर्माण की योजना, जिससे फूलों एवं सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने और उनकी गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी; उच्च घनत्व वाले सघन सेब के बगीचों की खेती के लिए एक योजना; राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) के उन्नयन के लिए पांच परियोजनाएं; राज्य में आपदा तैयारियों और सुदृढ़ता के लिए कई कदम यानी पुलों का निर्माण, देहरादून में स्थित राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र का उन्नयन, बलियानाला व नैनीताल में भूस्खलन की रोकथाम के लिए कदम तथा आग, स्वास्थ्य एवं वन से संबंधित अन्य बुनियादी ढांचे में सुधार; राज्य भर के 20 मॉडल डिग्री कॉलेजों में छात्रावास एवं कंप्यूटर लैब का विकास; अल्मोडा के सोमेश्वर में 100 बिस्तरों वाला उप जिला अस्पताल; चंपावत में 50 बिस्तरों वाला अस्पताल ब्लॉक; नैनीताल के हल्दवानी स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान; रुद्रपुर में वेलोड्रोम स्टेडियम; जागेश्वर धाम (अल्मोड़ा), हाट कालिका (पिथौरागढ़) और नैना देवी (नैनीताल) मंदिरों सहित विभिन्न मंदिरों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना शामिल हैं।

एसबीआई लाइफ की ‘थैंक्स ए डॉट’ पहल ने कैंसर का शीघ्र पता लगाने के लिए लॉन्च किया एक और नवोन्मेषी जीवनरक्षक उपकरण

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– अनिल बेदाग
मुंबई : अक्टूबर स्तन-कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, यह हर महिला के लिए अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और नियमित रूप से स्तन के स्व-परीक्षण की आदत डालने के लिए रिमाइंडर की तरह है। इस महत्वपूर्ण महीने में, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस अपनी ‘थैंक्स ए डॉट’ पहल के माध्यम से महिलाओं को स्व-स्तन परीक्षण सीखने और इसकी आदत बनाने में मदद करने के लिए एक और साल भर लम्बा सफ़र शुरू कर रही है।
     इस पहल के एक अंग के रूप में, एसबीआई लाइफ ने ‘हॉट वॉटर बैग’ का उपयोग कर स्तन के स्व-परीक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक नया नवोन्मेषी उपकरण विकसित किया है, जिसका उपयोग देश भर में महिलाओं द्वारा मासिक धर्म के दर्द से निपटने के लिए सबसे अधिक किया जाता है। गर्म पानी की थैली के डिज़ाइन में एक साधारण बदलाव यानि बैग के सामने की तरफ विशेष गांठों को उकेर देने से महिलाओं को यह अनुभव करने में मदद मिलती है कि स्व-परीक्षण के दौरान स्तन कैंसर की वास्तविक गांठ कैसी महसूस होगी। यह उपकरण भारतीय महिलाओं को स्तन स्व-परीक्षण को एक नियमित आदत बनाने और शीघ्र पता लगाने के महत्व के बारे में प्रशिक्षित करने, शिक्षित करने और याद दिलाने में मदद करता है।
     स्तन के स्व-परीक्षण की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के ब्रांड, कॉर्पोरेट संचार और सीएसआर के प्रमुख, श्री रवींद्र शर्मा ने कहा, “धीरे-धीरे महिलाएं विभिन्न किस्म के कर्तव्यों और ज़िम्मेदारियों से अधिक अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के महत्व को समझना शुरू कर दिया है, लेकिन हमने महसूस किया कि व्यावहारिक रूप से उनमें से कई अभी भी, अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए कदम उठाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। स्तन कैंसर आज महिलाओं में सबसे आम बीमारियों में से एक है, इसलिए हर महिला के लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह सबसे पहले अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दे और स्तन की जांच खुद करने के लिए सरल कदम उठाएं। स्तन के स्व-परीक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता पैदा करने की तत्काल आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, एसबीआई लाइफ के ‘थैंक्स ए डॉट’ ने अपने पांचवें वर्ष में मौजूदा आदत का लाभ उठाकर, देश के हर घर में प्रवेश करने का एक अनूठा तरीका खोजा है।

MP NEWS – मप्र के प्रत्येक गाँव में शासन गव्यसिद्ध (पंचगव्य चिकित्सक) की नियुक्ति करे

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इंटर्नशिप कर रहे बीएएमएस डॉक्टर्स की पंचगव्य थैरेपी की ट्रेनिंग हो
– नगरनिगम उद्यान में गव्यामृत का उपयोग करें जिससे पौधों को प्राकृतिक खाद एवं कीट सुरक्षा प्राप्त हो

इंदौर, 12 अक्टूबर । म पृ सरकार प्रत्येक गाँव में एक गव्यसिद्ध की नियुक्ति करे ताकि वो गाँव वालों को आवश्यकता होने पर पंचगव्य थैरेपी के उपयोग की जानकारी दे सके।वेलनेस सेंटर पर भी ये सेवाएँ दे सकेंगे ।लालबाग में गोऋषि दत्तसागर जी महाराज के सानिध्य में चल रहे वेदलक्षणा गो शृध्दा महोत्सव कार्यक्रम में व्याख्यान देते हुए गव्याचार्य वीरेन्द्र कुमार जैन ने उपरोक्त माँग के साथ राज्य शासन से यह माँग भी की है कि सभी आयुर्वेद डॉक्टर, वैद्य, नेचरोपैथी डॉक्टर एवं हेल्थ से जुड़े सभी प्रोफेशनल को भी ऑनलाइन पंचगव्य थैरेपी की ट्रेनिंग दे ताकि अधिक से अधिक जनता इससे लाभान्वित हो सके।

पंचगव्य थैरेपी खोजकर्ता जैन ने केंद्र एवं प्रदेश सरकार से यह अपेक्षा की है कि आयुर्वेद कॉलेज के फायनल ईयर एवं इंटर्नशिप कर रहे बीएएमएस डॉक्टर्स को 30 घंटे की ऑनलाइन ट्रेनिंग, भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग,कंपलसरी करे।
उन्होंने संगोष्ठी में बतलाया कि आयुर्वेदीय पंचगव्य थैरेपी से अनेकों बीमारियों कैंसर,अस्थमा,चर्मरोग,लंग्स फायबृोसिस से लेकर क़ब्ज़ ,गैसेस से पीड़ित मरीज़ लाभान्वित हो रहे हैं ।
जैन ने कहा प्रदूषण रहित इस पंचगव्य थैरेपी का प्राकृतिक खेती में अधिक से अधिक उपयोग के लिए कृषि मित्र को भी ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ।कृषि विभाग एवं उद्यान विभाग फ़ील्ड अधिकारियों के माध्यम से भी खेती में पंचगव्य के उपयोग की जानकारी दे सकते हैं । इसके उपयोग पर शासन कृषकों को अनुदान देकर प्रोत्साहित कर सकता है ताकि ज़हर रहित अनाज, फल,सब्ज़ी प्राप्त हो सकें।
शहर के नगर निगम एवं नगर पालिकाएँ अपने उद्दानों में पंचगव्य का उपयोग कर शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है और सभी होटल्स एवं बंगलों में पंचगव्य के उपयोग के लिए मालियों को ट्रेनिंग दे सकता है ।क्योंकि पंचगव्य प्रॉडक्ट में यूरिया, नाइट्रोजन फास्फेट पोटाश सहित कई माइक्रो न्यूट्रिएंट्स सहित लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु भी होते हैं ।