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गोदरेज एयर ओ किफायती लेकिन असाधारण कार फ्रेगरेंस समाधान के साथ उपभोक्ताओं के अनुभव को करता है पुनर्परिभाषित

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मुंबई, 06 दिसंबर,  2023: होम और कार फ्रेगरेंस में भारत के अग्रणी ब्रांड, गोदरेज एयर ने अपने नवीनतम नवोन्मेष, गोदरेज एयर ओ – जेल आधारित हैंगिंग कार फ्रेशनर के लॉन्च की घोषणा की।  एयर ओ एक अद्वितीय उत्पाद डिज़ाइन के साथ कार फ्रेगरेंस रेंज कार मालिकों के चलते-फिरते ताज़गी का आनंद लेने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार है। यह कारों में एक स्फूर्तिदायक और परिष्कृत सुगंध लाता है, जिससे आपकी कार में नई जैसी खुशबू आती है। यह भारत में 99 रुपये की आकर्षक कीमत पर पहला ब्रांडेड हैंगिंग कार फ्रेगरेंस है।
 भारत में कार के स्वामित्व का रुझान 9% सीएजीआर से बढ़ रहा है और किफायती कार खंड (हैचबैक, मिनी-एसयूवी, सेडान)की बाज़ार में 55-60% हिस्सेदारी है।  भारत के शीर्ष रैंकिंग वाले एयर फ्रेशनर ब्रांड गोदरेज एयर ने कार फ्रेगरेंस श्रेणी में अपार संभावनाओं की पहचान की है। लगभग 30% बाज़ार में प्रवेश के साथ, यह श्रेणी विकास के लिए महत्वपूर्ण गुंजाइश प्रस्तुत करती है क्योंकि 70% अभी भी किसी भी कार फ्रेशनर का उपयोग नहीं करते हैं।
लोग बड़े पैमाने पर ब्रांडेड कार फ्रेशनर का उपयोग नहीं करते हैं क्योंकि उनकी कीमत काफी अधिक होती है। इस वजह  से, कुछ लोग बिना ब्रांड वाले कार फ्रेशनर का उपयोग करते हैं, जो शायद ही गुणवत्ता और अनुभव के वांछित मानकों को पूरा करते हैं और जबकि कुछ लोग कार में बाथरूम फ्रेशनर लटका लेते हैं।
गोदरेज एयर ने एक किफायती लेकिन बेहतर गुणवत्ता वाले कार खुशबू फ्रेगरेंस की आवश्यकता को पहचाना है। गोदरेज एयर ओ, कार फ्रेगरेंस श्रेणी में 10 साल से अग्रणी, एक नवोन्मेषी जेल मेम्ब्रेन  टेक्नोलॉजी का दावा करता है, जो सुगंध का रैखिक और निरंतर प्रसार सुनिश्चित करता है। यह अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, हैंगिंग फॉर्मेट के साथ मिलकर एक सुसंगत और सुखद सुगंध प्रदान करती है, जो 30 दिनों तक बनी रहती है। इसका बिल्ट-इन एंड ऑफ लाइफ (खत्म होने की अवधि का) संकेतक आपको बताता है कि यह कब खत्म होगा। गोदरेज एयर ओ तीन वेरिएंट – मस्क आफ्टर स्मोक, रोज़ ब्लॉसम और कूल एक्वा – में आता है और हरेक अलग-अलग प्राथमिकताओं और मूड के अनुरूप है, जिससे ड्राइविंग का अनुभव बढ़ता है और कार के भीतर ताज़गी का माहौल बन जाता है।
इस उत्पाद के लॉन्च के बारे में, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल)के कैटेगरी लीड – एयरकेयर एंड हाइजीनशिवम सिंगल ने कहा, “गोदरेज एयर ओ उपभोक्ताओं  के  अनुभव को पुनर्परिभाषित करने की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। जैसे-जैसे कार के स्वामित्व का परिदृश्य विकसित होता है , हम एक किफायती लेकिन असाधारण कार फ्रेगरेंस समाधान की ज़रूरत को पहचान रहे हैं। गोदरेज एयर ओ के साथ, हम न केवल यात्रा का अनुभव बेहतर बना रहे हैं, बल्कि कार सुगंध खंड में सामर्थ्य का एक नया मानक भी स्थापित कर रहे हैं। गोदरेज एयर ओ एक ऐसा नवोन्मेष है जिससे उपभोक्ताओं के कार चलाने के अनुभव को बेहतर बनाने के साथ-साथ इस श्रेणी को अपनाए जाने को बढ़ावा देगा।”
 इस नवोन्मेष और श्रेणी पर  अपनी टिप्पणी     गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल)के केटेगरी डायरेक्शन एंड डेवलपमेंट के ग्लोबल हेड – एयर केयरकर्ण बवारी ने कहा, “वैश्विक स्तर पर, कार एयर फ्रेशनर के लिए वॉल्यूम बढ़ाने वाला हैंगिंग फॉर्मेट है। यह ऐसा रुझान है, जिसने लगता है भारत में भी अपनी पकड़ बना ली है। हालांकि, यह उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गैर-ब्रांडेड विकल्पों का वर्चस्व है जो या तो सुगंध का सही

फिर से कांग्रेस के निशाने पर ईवीएम

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(राकेश अचल -विभूति फीचर्स)
भारत में विमर्श के लिए राजनीति के अलावा और कोई मुद्दा खड़ा ही नहीं हो पाता । भाजपा की तीन राज्यों में  प्रचंड विजय के बाद अब चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन यानि ‘ ईवीएम ‘ एक बार फिर से कांग्रेस के निशाने पर है ।  आप यह भी कह सकते हैं कि ईवीएम विपक्ष के निशाने पर है। लेकिन सवाल ये है कि ईवीएम क्या सचमुच भारत की निर्वाचन  प्रक्रिया को दूषित कर रही है या उसे यूं ही बदनाम किया जा रहा है ?
ईवीएम की कहानी बड़ी दिलचस्प है ।  ईवीएम का जन्म कांग्रेस के शासनकाल में हुआ और अब यही ईवीएम कांग्रेस के लिए भस्मासुर बन गयी है।   भारत में  इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (बैंगलोर) और भारत इलेक्ट्रानिक्स (हैदराबाद) द्वारा 1989 में ईवीएम को बनाने की शुरुआत हुई थी। तब इसे एक साहसिक कदम माना जा रहा था।  प्रयोग के तौर पर इस ईवीएम का इस्तेमाल सबसे पहले  केरल के उत्तर पारावुर विधानसभा के 50 मतदान केंद्रों में हुए उपचुनाव में किया गया। कांग्रेस सरकार ने ही साल 2004 से सभी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए  इस मशीन का इस्तेमाल शुरू किया।
ईवीएम उस जमाने में आयी जब मतदान कागज की पर्चियों पर होता था। उस समय राजनीति में बूथ   कैप्चरिंग  सबसे बड़ी समस्या थी ।  ईवीएम  का विकास शायद इसी बुराई को दूर करने के लिए किया गया था।ईवीएम की खास बात यह है कि इससे बूथ कैप्चरिंग काफी मुश्किल है ,क्योंकि एक ईवीएम एक मिनट में सिर्फ 5 वोट ही दर्ज कर सकती है । एक ईवीएम में अधिकतम 2000 वोटों को रिकार्ड किया जा सकता है,और एक ईवीएम में नोटा सहित अधिकतम 64 उम्मीदवारों के नाम अंकित किए जा सकते है।  ख़ास बात ये  है कि ईवीएम को चलाने के लिए बिजली की जरूरत नहीं होती है,यह बैटरी से चलती है। मजे की बात ये है कि ईवीएम लाने वाली कांग्रेस ने ही सबसे पहले इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाये लेकिन फिर भी ईवीएम को बदला किसी ने नही।  ईवीएम पिछले 20  साल में अनेक चुनाव करा चुकी है ।  ईवीएम प्रायःसभी राजनैतिक दलों के निशाने पर रही है ।  ईवीएम पर सबसे बड़ा आरोप है कि उसे ‘ हैक ‘ किया जा सकता है।
जहाँ तक मुझे याद है कि 19 मई, 1982  को परवूर विधानसभा में ईवीएम से चुनाव कराये गए थे।  मुकाबला  सीपीआई के प्रत्‍याशी सिवन पिल्लई और कांग्रेस के पूर्व विधानसभा अध्‍यक्ष एसी जोज़ के बीच था। सीपीआई के सिवन पिल्‍लई ने कांग्रेस के एसी जोज़ को हरा दिया था।  पिल्‍लई को 30,450 वोट मिले थे, जबकि जोज़ को 30,327। अंतर बहुत कम था।  इसके बावजूद कांग्रेस ने ईवीएम पर  सवाल उठाए। जोज़ ने हार नहीं मानीं। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। तब शिकायत ईवीएम हैक करने की नहीं थी तब जॉज की शिकायत थी कि  बिना संसदीय अनुमति के चुनाव आयोग ने इलेक्‍शन में ईवीएम का इस्‍तेमाल किया।  हालांकि कोर्ट ने जोज़ की याचिका को खारिज कर दिया, पर वो रुके नहीं।  मामला सुप्रीम कोर्ट में लेकर गए। सुप्रीम कोर्ट ने परवूर विधानसभा के उन 50 बूथों पर बैलट पेपर के जरिए दोबारा मतदान कराने के आदेश दिए।इतना ही नहीं, दोबारा हुए चुनाव में जोज़ दो हजार मतों के अंतर से चुनाव भी जीत गए। यानि ईवीएम कोर्ट में हार गयी। सुप्रीम कोर्ट के 1984 में आए आदेश के बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम के इस्‍तेमाल पर  रोक लगा दी।  हालांकि बाद में संसद ने ईवीएम को वैध बनाने के लिए अपने अध‍िनियम में संशोधन किया और 1998 से विधानसभा और लोकसभा चुनावों में इसका इस्‍तेमाल किया जाने लगा।
पिछले दो दशकों में देश का ऐसा कोई राजनीतिक दल नहीं है जिसने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े न किये हो ।  आज  सत्तारूढ़ भाजपा हो या सत्ता से बाहर बसपा ,सपा ,जेडीयू हो या कांग्रेस सबको ईवीएम संदिग्ध लगती है।
     अब स्थिति ये है कि ईवीएम  की जन्मदात्री कांग्रेस को ही ईवीएम पर भरोसा नहीं है ।अब नए सिरे से ईवीएम पर रोक की मांग की जाने लगी है। तर्क दिए जाने लगे हैं कि ईवीएम न सिर्फ हैक हो रही है बल्कि इससे मतदान की गोपनीयता भी भंग हो रही है । मतदाता की जान को खतरा बढ़ रहा है ,क्योंकि अब प्रत्याशी को बूथ के हिसाब से मतों की गणना का आंकड़ा मिल रहा है। मतदाता की पहचान आसान हो गयी है।  मतपत्रों से चुनाव के वक्त ऐसा सम्भव नहीं था क्योंकि सब मतपत्र गड्डमड्ड कर दिए जाते थे।
मुझे लगता है कि ईवीएम को लेकर देश में एक बार फिर से बवाल होगा । शायद मामला अदालत तक भी जायेगा। फिर इसे बंद कर पुरानी प्रक्रिया पर लौटने की बात की जाएगी ,सैकड़ों तर्क दिए जायेंगे,प्रमाण दिए जायेंगे     ये बात सही है कि भारत जैसे विशाल देश में चुनाव प्रक्रिया की शुचिता और निष्पक्षता को बनाये रखने के लिए ईवीएम पर उठ रहे सवालों के उत्तर मिलने  चाहिए,क्योंकि इससे लोकतंत्र की पवित्रता का मामला भी बाबस्ता है। बार-बार कहा जाता है कि दुनिया के तमाम  बड़े लोकतांत्रिक देशों में मशीन का इस्तेमाल चुनाव में नहीं किया जाता तो भारत में इसकी क्या जरूरत है ?भारत में भी अमेरिका की तरह कागज के मतपत्रों से ही चुनाव होना चाहिए पर यह भी सभी को मानना पड़ेगा कि ईवीएम के उपयोग से बूथ कैप्चरिंग पर तो रोकथाम लगी है।
चुनाव प्रक्रिया से ईवीएम का विस्थापन  आसान भी नहीं है क्योंकि इसके अनेक फायदे भी गिनाए जा सकते हैं।
यदि देश में एक राष्ट्र ,एक चुनाव हुए तो कहा जाता है कि देश  के चुनाव आयोग को  लगभग 30 लाख कंट्रोल यूनिट, लगभग 43 लाख बैलेट यूनिट और लगभग 32 लाख वीवीपीएट की आवश्यकता होगी।लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए लगभग 35 लाख वोटिंग यूनिट (कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और वीवीपीएटी यूनिट) की कमी है।एक साथ चुनाव कराने पर विचार-विमर्श तेज होने के बीच निर्वाचन आयोग ने कुछ महीने पहले विधि आयोग को सूचित किया था कि उसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को रखने के लिए पर्याप्त भंडारण सुविधाओं की भी आवश्यकता होगी।(विभूति फीचर्स)

रॉनी रॉड्रिग्स अपने स्टाफ को लंदन दौरा कराके दिया सबसे बड़ा दिवाली उपहार !

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मुम्बई। रौशनी के त्योहार दिवाली के दौरान बहुत सारे बिजनेसमैन अपने कर्मचारियों को अच्छे-अच्छे तोहफे देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी किसी कंपनी के मालिक के बारे में सुना है जो अपने कर्मचारियों को दिवाली के उपहार के रूप में विदेश के दौरे का पूरा खर्चा देता हो? तो आपको बता दें कि पर्ल ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक और सीएमडी रॉनी रोड्रिग्स अपने कर्मचारियों, जिनमें ऑफिस बॉय, चौकीदार, ड्राइवर, सुरक्षा कर्मचारी आदि शामिल हैं, को साल में कम से कम एक बार विदेशी दौरे का उपहार देते रहे हैं।
दिवाली के दौरान रॉनी रॉड्रिग्स धीरज हेरिटेज परिसर (जहां उनकी कंपनियों के समूह का हेड ऑफिस स्थित है) में सफाई कर्मचारियों, सुरक्षा कर्मियों और छोटे कर्मचारियों को मिठाई, मेवे, उपहार और नकदी वितरित करना सुनिश्चित करते है। इसके अलावा उनके पूरे स्टाफ को विदेश यात्रा के रूप में अच्छा बोनस मिलता है। रॉनी रोड्रिग्स सभी के हवाई टिकट, वीजा, होटल आवास आदि की व्यवस्था करते है। इस दिवाली पर सारा स्टाफ यूनाइटेड किंगडम की राजधानी लंदन चला गया। वह भी सभी के साथ यात्रा करते हैं और उसी होटल में रुकते हैं, अक्सर पांच सितारा होटल में। चूंकि कई लोग यूरोपीय भोजन को पसन्द नहीं करते हैं, इसलिए वह रसोई सुविधाओं के साथ कमरे बुक करना सुनिश्चित करते हैं, जहां लोग अपनी पसंद का भोजन पका सकते हैं। ये कमरे एक ओवन, एक वॉशिंग मशीन, बर्तनों के साथ खाना पकाने की रेंज आदि से सुसज्जित हैं। और ध्यान रखें, इन कमरों की कीमत अन्य कमरों की तुलना में अधिक है।
इस ट्रिप के दौरान वह सभी को लंदन आई सहित दर्शनीय स्थलों की यात्रा पर ले गए। आखरी लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि रॉनी रॉड्रिग्स ने अपने खर्च पर प्रत्येक व्यक्ति के लिए खरीदारी की व्यवस्था की। इस बात पर यकीन करना मुश्किल है लेकिन ये सच है। क्या किसी को पता है, कोई मालिक अपने कर्मचारियों के लिए इतना कुछ कर रहा है? रॉनी रोड्रिग्स निश्चित रूप से खुशियाँ बाँटना पसंद करते हैं और उन्हें आसानी से आधुनिक समय का कर्ण कहा जा सकता है!

गौ माता को राष्ट्रमाता बनाने की मांग के साथ नगर से वृंदावन और फिर दिल्ली तक पदयात्रा कर नगर लौटे विपुल शर्मा का स्वागत हुआ

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सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। बिलासा की माटी का एक बेटा गौमाता की सुरक्षा और गौ वंश उन्नयन के लक्ष्य को लेकर नगर से पैदल चला है। इनका एक ही ध्येय है एक ही जूनून की गौमाता को राष्ट्रमाता का मान मिले। लगभग दो माह से भी कुछ अधिक की इस पैदल यात्रा मे प्रतिदिन पचीस से तीस किलोमीटर चलते हुए गौमाता का यह सेवक सच्चे अर्थो मे गौपुत्र, देश की राजधानी दिल्ली तक जा पहुंचा. रास्ते में मिलने वाले हर छोटे बड़े कस्बे गांव नगर महानगर मे जो भी मिला सभी को गौ रक्षा के लिए प्रेरित किया गौमाता को राष्ट्रमाता का स्थान आधिकारिक रूप से मिल सके इसके लिए जागरूक किया. निश्चित ही राजधानी मे बैठे सत्ताधीशों को भी यह समझ मे आ गया होगा की गौमाता के लिए ऐसे भी बेटे है जो 14 सौ किलोमीटर पैदल यात्रा करके जन मन को प्रेरित कर सकते है तो समय आने पर उनको लेकर एक आंदोलन भी खड़ा कर सकते है.
निश्चित ही भाई विपुल शर्मा साधुवाद के पात्र है जिन्होंने इस तथाकथित आधुनिक युग मे जहाँ इंसान पान खाने जाने के लिए भी दोपहिया का उपयोग करता है उस सुविधाभोगी युग मे गौमाता के लिए बिलासपुर से दिल्ली तक की दुरी को पैदल ही नाप दिया. उनके इस संकल्प शक्ति उनकी दृढ़ता को, गौमाता के प्रति उनकी भक्ति और समर्पण को हम सभी की ओर से प्रणाम और साधुवाद और ढेर सारा स्नेह . प्रभु उनकी इस ऊर्जा शक्ति और गौ प्रेम को बनाये रखे और उसमे विपुल वृद्धि करें यही मंगलकामना हम सभी सामाजिक बंधुओ की ओर से है..
भाई विपुल अपनी पदयात्रा का संकल्प पूर्ण करके वे गत शनिवार 2 दिसम्बर को शहर पहुँचे। जहां उनका स्वागत महामाया चौक पर व्यापारी संघ प्रकाश पुरोहित विष्णु पुरोहित नानू भाई, ओमेश बिसेन द्वारा किया गया एवं राजे सेवा समिति आनंद मानिक नरेंद्र यादव, अजीत माणिक, एवं उनकी पूरी टीम ने किया हुंडई चौक पर अंकित तिवारी शिवांश शुक्ला आकाश मिश्रा आकाश दुबे ने स्वागत किया ।मानवता टीम और आश्रय निष्ठा टीम के प्रिंस वर्मा, अरुनीमा मिश्रा, अभिषेक ठाकुर, मनोज सोनी, सरकंडा पुल पर स्वागत किया। एवं देवकीनंदन चौक पर पार्षद राजेश सिंह बबलू कश्यप , राजीव शर्मा, अमित तिवारी एवं व्यापारी संघ अमर तीर्थनी प्रदीप शर्मा ने किया सिम्स चौक पर प्रप्नन मिश्रा , गोपाल कृष्ण, शत्रुघ्न दास , बाबा शर्मा, करण गोयल, विकास, शैलेंद्र जायसवाल अमित खंडेलवाल, आदर्श शर्मा, ठाकुर, राम सिंह, महेन्द्र जायसवाल, गोलबाजार हिमांशु गुप्ता, बंटी गुप्ता, पवन शर्मा, सुधांशु, हिमांशु शर्मा, राजेंद्र सिंह, आकाश कचवाहा, पुष्पदंत शर्मा, महेंद्र सिंह, संदीप शर्मा, रवि ताम्रकार महेश अग्रवाल ने उनका स्वागत किया। इस पदयात्रा पर नगर लौटे विपुल शर्मा और रवि ताम्रकार का भव्य स्वागत नगर की जनता ने किया एवं विपुल शर्मा ने बताया कि चारों पीठ के शंकराचार्य महाराज ने गौ माता को राष्ट्र माता का सम्मान मिले इसके लिए धर्म संसद पर उन्होंने गौ माता राष्ट्र माता घोषित हो ऐसा धर्म संसद पर उन्होंने पारित किया एवं चार माह का समय सरकार को शंकराचार्य भगवान ने दिया है की गौ माता को राष्ट्रमाता का सम्मान सरकार देवे संपूर्ण भारत से गौ हत्या बंद करें चार माह तक सभी साधु संत पूरे भारतवर्ष पर आंदोलन खड़ा करेंगे गौमाता राष्ट्रमाता घोषत हों इसके लिए जन जागरण अभियान चलाया जाएगा ।

अमृतांजलि आयुर्वेद कंपनी को उद्योग रत्न पुरस्कार

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Mumbai – मुंबई – अँधेरी के वर्सोवा आर्किड इंटरनेशनल स्कूल में वाग्धारा द्वारा आयोजित उद्योग रत्न सम्मान समारोह में अमृतांजलि आयुर्वेद कंपनी को उद्योग रत्न पुरस्कार से महाराष्ट्र में उद्योग मंत्री श्री नारायण राणे के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित किया गया है। इस समारोह में ‘ वेस्ट बंगाल के राज्य मंत्री श्रीकांत महतो , शालिनी ठाकरे , फ़िल्मकार राज बुंदेला ,अभिनेता कारन राजदान आदि मौजूद थे।
इस सम्मान को पा कर अमृतांजलि आयुर्वेद कंपनी के प्रबंधक धीरज यादव कहते है कि -”  हमारे लिए यह बहुत ही गौरव का विषय है कि पूरे भारत में MSME के तहत आयोजित कार्यक्रम में एग्रो फ्रूट इंडस्ट्री में से केवल 30 कंपनियों का ही चयन हुआ है जिसमें से अमृतांजलि आयुर्वेद एक है .
अमृतांजलि आयुर्वेद एक प्रतिष्ठित कंपनी है जो कि आयुर्वेद हब्स जैसे कि अश्वगंधा सर्पगंधा शतावरी मोरिंगा एलोवेरा आदि जड़ी बूटियां को उगाकर उनका उत्पाद बनाती है
अमृतांजलि आयुर्वेद कंपनी विगत कई वर्षों से कृषि जगत में अपनी सेवा प्रदान करती आ रही है विगत कई वर्षों से किसानों को खेती की नई-नई तकनीकी जानकारी देना साथी किसानों से जो उनकी फसल का उत्पादन आता है उसे बाजार में न बचकर स्वयं का उद्योग लगाने के लिए एवं सफल कार्यशालाओं का भी आयोजन करती आ रही है अमृतांजलि आयुर्वेद द्वारा युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने और उन्हें एक उद्यमी बनने में उनकी मदद करती है .
अमृतांजलि आयुर्वेद युवा पीढ़ी को स्वयं का व्यवसाय स्थापित करने एवं उन्हें प्रेरित करने के लिए उन्हें कच्चा माल सही रेट में उपलब्ध करवाती है तथा उन्हें मशीनों की सही जानकारी प्रदान करती है .

हार के बाद गौ सेवा आयोग अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा:मेवाराम जैन को 22 माह पहले बनाया था अध्यक्ष

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विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही आयोग के बनाए अध्यक्षों ने इस्तीफे देने शुरू कर दिए हैं। मेवाराम जैन ने चुनाव हारने के बाद राजस्थान गौ सेवा आयोग पद से इस्तीफा सीएम को भेज दिया। आपको बता दें कि तीन बार के विधायक मेवाराम जैन चौथी बार बाड़मेर से चुनाव लड़ रहे थे। निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. प्रियंका चौधरी ने उनको हरा दिया। इसके बाद जैन ने राजस्थान गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।

उत्तराखण्ड बना सर्वाधिक जीआई प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाला प्रथम राज्य

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4 दिसम्बर 2023, सोमवार ,देहरादून अब तक राज्य में कुल 27 उत्पादों को मिल चुका है जीआई टैग।
देहरादून ,4 दिसम्बर ,मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में 18 जीआई प्रमाण पत्रों का वितरण किया। इसके साथ ही उत्तराखण्ड देश का वह पहला राज्य बन गया है, जिसे एक दिन में सबसे अधिक 18 जीआई प्रमाण पत्र मिले हैं।
विदित हो अब तक उत्तराखण्ड के कुल 27 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। राज्य को जो 18 नये जी.आई प्रमाण पत्र मिले हैं उनमें उत्तराखण्ड की चौलाई, झंगोरा, मंडुआ(कौदा ), लाल चावल, अल्मोड़ा लखोरी मिर्च, बेरीनाग चाय, बुराँश शरबत, रामनगर नैनीताल लीची, रामगढ़ आडू, माल्टा, पहाड़ी तोर, गहथ , काला भट्ट, बिच्छूबूटी फैब्रिक, नैनीताल मोमबत्ती, कुमांऊनी रंगवाली पिछोड़ा, चमोली रम्माण मास्क तथा लिखाई वुड कार्विंग शामिल हैं। उत्तराखण्ड के नौ उत्पादों तेजपात, बासमती चावल, ऐपण आर्ट, मुनस्यारी का सफेद राजमा, रिंगाल क्राफ्ट, थुलमा, भोटिया दन, च्यूरा ऑयल तथा ताम्र उत्पाद को पहले ही जी.आई टैग प्राप्त हो चुका है।
मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी दूरदर्शी सोच के कारण ही आज भारत सरकार से उत्तराखंड के 18 उत्पादों को भौगोलिक संकेतक टैग युक्त प्रमाण पत्र मिल पाए हैं। जिन उत्पादों को जीआई टैग प्रमाण पत्र प्रदान किये गये, उनके उत्पादकों को भी मुख्यमंत्री ने बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज का दिन उत्तराखण्ड के लिए ऐतिहासिक है। 2003 में जीआई कानून बनने से लेकर 2023 तक के बीस वर्षों के सफर में पहली बार एक दिन में, एक साथ किसी राज्य के 18 उत्पादों को जीआई प्रमाण पत्र निर्गत किये गए हैं। इस उपलब्धि से उत्तराखंड के पहाड़ी व्यंजनों के साथ ही कई अन्य वस्तुओं तथा इनसे संबंधित कलाकारों को काफी लाभ होने के साथ ही दुनियाभर में उत्तराखंड को अलग पहचान मिलेगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि जीआई टैग युक्त उत्तराखण्ड के उत्पादों का निर्यात तेजी से बढ़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने के प्रयासों को इससे और मजबूती मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के सभी जिलों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘एक जनपद, दो उत्पाद’ योजना पर राज्य में तेजी से कार्य किये जा रहे हैं। इस योजना के तहत बाजार में मांग के अनुरूप कौशल विकास, डिजाइन, रॉ मैटेरियल, नई तकनीक आदि के आधार पर प्रत्येक जिले में दो उत्पादों का विकास किया जा रहा है। उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में वहां के स्थानीय उत्पादों को पहचान कर उनके अनुरूप परंपरागत उद्योगों का विकास करना योजना का मुख्य उद्देश्य है। इस योजना से स्थानीय काश्तकारों एवं शिल्पकारों के लिए जहां एक ओर स्वरोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हर जिले के स्थानीय उत्पादों को विश्वस्तरीय पहचान मिल रही है।
इस अवसर पर कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड के लिए आज का दिन बेहद हर्ष का दिन है। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड के मोटे अनाज मण्डुआ, झंगोरा, लाल चावल सहित 18 उत्पादों को एक साथ भौगोलिक सकेंतक (जीआई टैग) प्राप्त हुए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत तथा लोकल फॉर ग्लोबल अभियान को बढ़ावा देने एवं श्रीअन्न को बढ़ावा देने के लिए जो मार्ग दर्शन दिये गये हैं, उसके अनुरूप प्रदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने जीआई के लिए प्रयास किया। उन्होंने कहा कि राज्य को एक साथ 18 उत्पादों के जीआई टैग प्राप्त हुए हैं जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। उत्तराखण्ड के 09 उत्पादों को जीआई टैग पहले ही मिल चुका है। कृषि मंत्री ने कहा कि 12 से 18 जनवरी 2024 तक एक सप्ताह का देहरादून में प्रदेश स्तरीय जी.आई महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड मण्डी परिषद एवं विपणन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. अनिल डब्बू, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भाष्कर खुल्बे, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, पद्मश्री एंव जीआई विशेषज्ञ रजनीकांत, महानिदेशक कृषि रणवीर सिंह चौहान तथा वर्चुअल माध्यम से भारत सरकार के महानियंत्रक प्रो. उन्नत पी. पंडित उपस्थित थे।

ई बुक ‘‘ मेरी योजना’’ पुस्तक का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया विमोचन

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4 दिसम्बर 2023,सोमवार,देहरादून
संजय बलोदी प्रखऱ
मीडिया समन्वयक उत्तराखण्ड प्रदेश

देहरादून, 4 दिसम्बर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में उत्तराखण्ड शासन द्वारा ई. बुक के रूप में तैयार की गई पुस्तक ‘‘ मेरी योजना’’ का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आम जनता के हित में लागू की जाने वाली विभिन्न योजनाओं को पुस्तक के माध्यम से सरल भाषा में व्यक्त किया गया है। इससे जन सामान्य को जनहितकारी योजनाओं को सरलता से समझने में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक जनप्रतिनिधियों तथा सामान्य जनमानस के साथ-साथ अधिकारिगणों एवं कार्मिकों के लिए भी उपयोगी होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा संचालित जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवेदन प्रक्रिया की जानकारी,,,, आवेदन कैसे और कहां करना है,, ? एवं योजनाओं की पात्रता/चयन प्रक्रिया क्या है तथा आवेदन हेतु किन-किन आवश्यक दस्तावेजों की आवश्यकता रहती है ? इससे संबंधित जानकारी का समावेश किया जाना निश्चित रूप से सभी के लिए उपयोगी रहेगा।

सचिव कार्यक्रम क्रियान्वयन दीपक कुमार के अनुसार इस पुस्तक को प्रकाशित करने का मुख्य उद्देश्य जनसामान्य को जनकल्याणकारी, स्वरोजगारपरक, रोजगारपरक, कौशल विकास, प्रशिक्षणपरक एवं निवेशपरक योजनाओं की जानकारी सरल भाषा में उपलब्ध कराना है।
इस पुस्तक में लगभग 55 विभागों, संस्थाओं, संगठनों, बोर्ड, प्राधिकरण, एजेंसियों एवं आयोगों की लगभग 400 योजनाओं, नीतियों, कार्यक्रमों के मूलभूत सेवाओं , प्रमाणपत्रों, पोर्टल का समावेश किया गया है। इससे
राज्य सरकार के सभी विभागों द्वारा सर्व जन-सामान्य के हित में संचालित की जाने वाली योजनाओं की जानकारी इस पुस्तक के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाना है।

इस अवसर पर कार्यक्रम क्रियान्वयन, संबंधित विभागों के अधिकारी सहित अन्य महानुभाव भी उपस्थित थे।

Election Results 2023 पीएम मोदी गारंटी पर तीनों राज्यों के मतदाताओं ने जताया भरोसा, तीन राज्यों में खिला कमल , आज आएंगे मिजोरम के नतीजे

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Assembly Election Result 2023 चुनावी अनुमानों से आगे निकलते हुए भाजपा ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगभग दो तिहाई बहुमत से सत्ता में वापसी की है। वहीं राजस्थान में भाजपा ने रिवाज नहीं बदलने दिया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी कांग्रेस को करारी पराजय से नहीं बचा पाई। आज मिजोरम के नतीजे आएंगे देखना है कि इनमें कौन पार्टी बाजी मारती है।

भाजपा ने अगले लोकसभा चुनाव से पहले ¨हदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बड़ी जीत के साथ 2024 के महासंग्राम के लिए अपनी स्थिति बेहद मजबूत कर ली है। वहीं, उत्तर भारत के राज्यों में करारी शिकस्त से मायूस कांग्रेस को दक्षिणी राज्य तेलंगाना में जीत का सहारा मिला है, जहां पार्टी ने के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति के 10 वर्षों के शासन का अंत कर दिया है।

छत्तीसगढ़ में लगभग दो तिहाई बहुमत से सत्ता में वापसी की है

चुनावी अनुमानों से आगे निकलते हुए भाजपा ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगभग दो तिहाई बहुमत से सत्ता में वापसी की है। वहीं, राजस्थान में भाजपा ने रिवाज नहीं बदलने दिया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी कांग्रेस को करारी पराजय से नहीं बचा पाई। लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे इन चुनावों के नतीजों ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस ही नहीं, उसकी अगुआई वाले विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के लिए फाइनल की राह बेहद चुनौतीपूर्ण है। उसे जनता की नब्ज पकड़ने के लिए अपनी रीति-नीति के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का विकल्प तलाशने के लिए अभी भारी मशक्कत करनी पड़ेगी।

भाजपा ने चुनावी परिणामों का पूरा सेहरा तत्काल प्रधानमंत्री मोदी के सिर बांधकर विपक्ष की चुनौतियों और बढ़ाने में देर भी नहीं लगाई। मिजोरम के नतीजे सोमवार को आएंगे, मगर रविवार को चार राज्यों के परिणाम में भाजपा ने 3-1 की बढ़त लेकर आम चुनाव के लिए अपनी राजनीति को मजबूत आधार पहले ही दे दिया है।भाजपा के लिए ¨हदी पट्टी के तीन अहम राज्यों में जीत इस लिहाज से भी बड़ी है कि इसमें राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसने कांग्रेस से सत्ता छीन ली है। वहीं, मध्य प्रदेश में कमल नाथ चौतरफा खिले कमल की आंधी को भांप नहीं पाए और भाजपा ने 230 सदस्यीय विधानसभा में 163 सीटें हासिल कर कांग्रेस की लुटिया डूबो दी।

साल 2018 के चुनाव में भाजपा को परास्त करने वाली कांग्रेस इस बार अपनी सीटों का आंकड़ा 66 से आगे नहीं बढ़ा पाई। राजस्थान में हर पांच वर्ष में सत्ता बदलने का रिवाज इस बार पलटने का जादू दिखाने का अशोक गहलोत का दावा हवा-हवाई निकला। भाजपा ने 199 सीटों पर हुए चुनाव में 115 सीटें हासिल कर आसानी से पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया, कांग्रेस 69 सीटों पर ही सिमटकर रह गई। सस्ते रसोई गैस सिलेंडर, महंगाई राहत किट से लेकर चिरंजीवी हेल्थ स्कीम, ओल्ड पेंशन स्कीम और मुफ्त बिजली के वादे भी गहलोत को हार से नहीं बचा पाए।

इसकी तुलना में भाजपा के कुछ ऐसे ही मिलते-जुलते वादों को लेकर पीएम मोदी की गारंटी पर तीनों राज्यों के मतदाताओं ने ज्यादा भरोसा जताया। मोदी की लोकप्रियता, महिला वोटरों के अधिक समर्थन, भाजपा की संगठनात्मक और अंतिम समय तक हार नहीं मानने की रणनीति के दम पर भाजपा ने तीनों राज्यों में कांग्रेस के अति आत्मविश्वास को ध्वस्त कर दिया।छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार अप्रत्याशित इसलिए भी रही क्योंकि न पार्टी ने इसकी कल्पना की थी, न ही तमाम एक्जिट पोल में भाजपा की जीत का अनुमान लगाया गया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लोकप्रियता के दावे को झुठलाते हुए भाजपा ने राज्य की 90 में से 54 सीटें जीतकर दमदार बहुमत से पांच वर्ष बाद सत्ता में वापसी की है तो पिछले चुनाव में करीब तीन चौथाई सीटें जीतने वाली कांग्रेस को केवल 35 सीटें ही मिल पाईं। छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस की पूरे उत्तर भारत में अब केवल हिमाचल प्रदेश में सरकार है।

12 राज्यों में भाजपा की सरकार

जबकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा को मिलाकर अब हिंदी पट्टी के छह राज्यों समेत कुल 12 राज्यों में भाजपा की सरकार है। जबकि कांग्रेस की अपने दम पर केवल तीन राज्यों कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में सरकार होगी।

तेलंगाना की शानदार जीत ने कांग्रेस को राहत तो दी, मगर तीन राज्यों की हार ने इस कामयाबी का जश्न मनाने के मौके से महरूम कर दिया। कांग्रेस ने अपने चुनावी नैरेटिव और स्थानीय चेहरे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी की लोकप्रियता के दम पर तेलंगाना में केसीआर की अगुआई वाले बीआरएस के लगातार तीसरी पारी के सपनों को चकनाचूर कर स्पष्ट बहुमत से सत्ता हासिल कर ली। तेलंगाना राज्य के गठन के बाद कांग्रेस पहली बार 119 सदस्यीय विधानसभा में 64 सीटें जीतकर सरकार बनाने जा रही है। रेवंत रेड्डी स्वाभाविक रूप से तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। तेलंगाना में कांग्रेस की जीत के विशेष मायने हैं क्योंकि कुछ महीने पहले तक पार्टी प्रदेश में भाजपा से नीचे तीसरे पायदान पर आंकी जा रही थी।

लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश के नेताओं से मिलकर साझी संगठनात्मक और राजनीतिक रणनीति से केसीआर को चित कर दिया। तेलंगाना में पार्टी की सफलता इस बात का भी साफ संकेत है कि दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस यह राजनीतिक संदेश देने में कामयाब हो रही है कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा से मुकाबला करने में वही सक्षम है। छह महीने पहले कर्नाटक में मिली जीत के बाद तेलंगाना के नतीजे कम से कम दक्षिण भारत में कांग्रेस की पैठ कायम रहने की ओर भी इशारा कर रहे हैं।

आज महाराष्ट्र दौरे पर रहेंगे पीएम मोदी, राजकोट में शिवाजी महाराज की मूर्ति का करेंगे अनावरण

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PM Modi Maharashtra Visit: आज महाराष्ट्र दौरे पर रहेंगे पीएम मोदी, राजकोट में शिवाजी महाराज की मूर्ति का करेंगे अनावरण

PM Modi Maharashtra Visit पीएमओ द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक पीएम मोदी राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति का अनावरण करेंगे। गौरतलब है आज महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग किले में नौसेना दिवस मनाया जाएगा। इस किले की नींव सन् 1664 में मराठा राजा शिवाजी महाराज ने सिंधुदुर्ग जिले के मालवन तालुका के पास अरब सागर में एक द्वीप पर रखी थी।

एजेंसी, नई दिल्ली। देश में हुए पांच विधानसभा चुनाव में चार के चुनाव परिणाम आ चुके हैं। इनमें तीन राज्यों में भाजपा ने जीत अख्तियार की है। इसी क्रम में विधानसभा चुनाव के बाद आज पीएम महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग का दौरा करेंगे।

पीएमओ द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, पीएम मोदी राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति का अनावरण करेंगे। गौरतलब है आज महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग किले में नौसेना दिवस मनाया जाएगा। इस किले की नींव सन् 1664 में मराठा राजा शिवाजी महाराज ने सिंधुदुर्ग जिले के मालवन तालुका के पास अरब सागर में एक द्वीप पर रखी थी।

एक्स पर एएनआई के पोस्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 दिसंबर को महाराष्ट्र का दौरा करेंगे। वह शाम करीब 4:15 बजे प्रधानमंत्री महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग पहुंचेंगे और राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। इसके बाद पीएम सिंधुदुर्ग में ‘नौसेना दिवस 2023’ समारोह के कार्यक्रम में भाग लेंगे। प्रधानमंत्री तारकरली समुद्र तट, सिंधुदुर्ग से भारतीय नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों, विमानों और विशेष बलों के ‘ऑपरेशनल प्रदर्शन’ को भी देखेंगे।

रक्षा मंत्रालय ने दी प्रतिक्रिया

रक्षा मंत्रालय ने प्रदर्शन लोगों को भारतीय नौसेना द्वारा किए गए बहु-डोमेन अभियानों के विभिन्न पहलुओं को देखने का अवसर प्रदान करते हैं। इसमें कहा गया, “यह जनता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति नौसेना के योगदान को उजागर करता है, साथ ही नागरिकों के बीच समुद्री जागरूकता की भी शुरुआत करता है।\