Home Blog Page 174

छत्तीसगढ़ में आया गौ तस्करी का बड़ा मामला

0

Cow Smuggling In Korba: कोरबा। मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात को कोरबा जिले के पोंडी उपरोड़ा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पाथा मे स्थानीय ग्रामीण और गौ सेवकों ने गौ तस्करी करते हुए एक पिकअप गाड़ी कों पकड़ा है. तस्करी की जा रही 12 गाय भरी गई थी. 2 पिकअप वाहन और 1 कार में तस्कर आए थे जिनमे से 1 पिकअप वाहन को बहादुरी के साथ गौ सेवकों द्वारा पकड़ा गया.

रात के अंधेरे का फायदा उठाकर सभी तस्कर दूसरे पिकअप वाहन और कार में भागने में सफल हो गए. तस्करी में शामिल तीनों वाहन झारखण्ड पासिंग के है. इसकी सूचना तत्काल पुलिस को भी दी गई.

दरअसल ग्राम पाथा के ग्रामीणों ने आधी रात को झारखंड पासिंग की 3 गाड़ियों के क्षेत्र में बेवजह घूमते देखा. ग्रामीणों ने संदेह के आधार पर गौ सेवकों कों सुचना दी, सूचना पर गौ सेवक ग्राम पाथा पहुंचे और वाहनों को पकडने का प्रयास किया.

धारदार हथियार लिए थे तस्कर
इस दौरान ग्रामीणों और गौ सेवकों ने देखा की 10 से 15 की संख्या में आए गौ तस्करों के पास धारदार हथियार हैं. बावजूद गौ सेवकों ने बहादुरी के साथ उन्हें रोकने का प्रयास किया. गौ सेवकों को देखकर गौ तस्कर रात के अंधेरे का फायदा उठाकर गाय से भरी 1 पिकअप को छोड़ अपनी जान बचाकर तस्करी में शामिल दूसरे पिकअप और 1 कार में भाग निकले.

गौ सेवकों ने पकड़ा वाहन
गाय से भरी 1 पिकअप वाहन को गौ सेवकों ने पकड़ लिया. पकड़े गए पिकअप से 12 गाय बरामद किया गया. इसकी सूचना गौ सेवकों ने डायल 112 कों दी और पिकअप समेत गायों कों ट्रेक्टर कि मदद से बांगो थाना लाया गया.

2 गायों की हो गई है मात
बरामद गायों में 2 गायों की मौत हो चुकी थी. क्योंकि तस्करी किए जा रहे गायों को बडी बेरहमी से रस्सी से पैर और गले कों बांधा गया था. बचे गायों को गौ सेवकों ने पिकअप से उतारकर उनके पैर और गले से रस्सी काटी और पशु चिकित्सकों कों बुलाकर उनका इलाज कराया.

पुलिस ने कहा कार्रवाई की बात
पुलिस ने मामले कों गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी और जल्दी ही गौ तस्करों और पिकअप मालिक पर कार्रवाई कि बात कही है.

Health – हाई ब्लड प्रेशर से बचाव

0

 

डॉ. राजेन्द्र मनचंदा – विभूति फीचर्स
हाई ब्लड प्रेशर एक रोग है। यह रोग युवा, बूढ़े, स्त्री, पुरुष सभी को हो जाता है। परंतु अधिकतर इस रोग का शिकार
बूढ़े ही होते हैं। शुरू में ही इसका निरीक्षण न हो सकने पर यह रोग हृदय, मस्तिष्क धमनियों व रक्त वाहिनियों
किडनी को प्रभावित कर देता है।
घातक प्रभाव: हाई ब्लड प्रेशर के शरीर के ऊपर बहुत घातक प्रभाव पड़ते हैं जैसे-
1. हृदय और रक्त संचार: जब रोगी को वर्षों तक यह रोग रहता है तो हृदय को शरीर के कोने-कोने में रक्त पहुंचाने के
लिए बहुत जोर लगाना पड़ता है, जिससे उसकी शक्ति का अत्यधिक हृास हो जाता है तथा जिसके कारण हृदय
धमनियां, सूक्ष्म धमनिया फैल जाती हैं। हृदय का बायां वेन्ट्रीकल तो विशेष रूप से अधिक बड़ा हो जाता है। सूक्ष्म
धमनियों की दीवारें रक्त के बहाव और जोर से धक्का लगने के कारण कमजोर हो जाती हैं। यह दीवारें फटकर उनमें
से रक्त बहने लग जाता है और कभी-कभी इनकी भीतरी नली सुकड़कर बिल्कुल बंद हो जाती है।
2. मस्तिष्क: काफी समय तक रक्त दबाव अधिक रहने से मस्तिष्क बुरी तरह रोगग्रस्त हो जाता है, जिस कारण
लकवा, जीभ पक्षाघात हो जाने से बोलने की शक्ति समाप्त हो जाती है। आंखों की रोशनी कमजोर हो जाती है और
कई बार रोगी अंधा भी हो जाता है।
मस्तिष्क की धमनी फट जाने से मस्तिष्क से रक्तस्राव होने लग जाता है। इस रोग से गुर्दों में रक्त से विषैले और
अनावश्यक पदार्थ निकलने में असमर्थ हो जाते हैं। जिसके कारण विषैले अंश और संक्रमण रक्त में मिलकर विषैले
प्रभाव फैलाते हैं, जिससे मृत्यु हो जाती है।
कारण : जिन मनुष्यों की आंतों में गंदी वायु और विषैले पदार्थ रक्त में मिल जाते हैं, वहां हाई ब्लड प्रेशर का रोग हो
जाता है।
डिप्रेशन: (मानसिक तनाव), चिंता, चिड़चिड़ापन अधिक समय तक मानसिक कार्य करते रहना, शारीरिक परिश्रम न
करना, इस रोग का बहुत बड़ा कारण है। मधुमेह जोड़ों की शोध व दर्द से भी यह रोग हो जाता है।
पिट्यूटी, थायराइड और एड्रोनल ग्लेण्डो के दोष और खराबी से भी यह रोग हो जाता है। पिट्यूटी या एड्रोनल में अधिक
हारमोन पैदा होने लग जाने से भी रक्तचाप बढ़ जाता है।
कुछ लोग जो रात-दिन बैठे रहे है, मोटर कारों में सफर करते हैं, सैर करना और चलना फिरना छोड़ देते हैं और जो दूध, घी, मांस, चर्बी वाले भोजन अधिक खाते हैं, उनको भी हाई ब्लड प्रेशर का रोग हो जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर के रोगी का भोजन: मनुष्य प्रकृति से जितना दूर होता जा रहा है, अपने आप को सभ्य समझने लग
गया है और स्वाद के लिए अप्राकृतिक भोजन खाने लग गया है। इस कारण यह रेाग बढ़ता जा रहा है। यदि रोगी
उचित भोजन न करें तो कीमती से कीमती दवाएं खाने से भी रोग दूर नहंीं होगा। आप अपने भोजन में परिवर्तन
करके और उचित प्रकार के भोजन खाकर इस रोग से बच सकते हैं।
1. नमक: जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर का रोग है। वह नमक खाना बंद कर दें या बहुत ही कम मात्रा में खायें।
2. घी, मक्खन, चिकनाई: हाई ब्लड प्रेशर वाले रोगी को दूध, घी, मक्खन, मांस, पनीर बिल्कुल बंद कर देना चाहिए,
क्योंकि चिकनाई धमनियों में जमते रहने से वह अंदर से कठोर और तंग हो जाती है। इनसे धमनियों में कोलेस्ट्राल
अधिक जम जाता है। हाई ब्लड प्रेशर वालों के लिए चिकनाई विष के समान है। इस रोग के रोगी के लिए चाय,
तम्बाकू, सिगरेट, शराब मसाले वाले भोजन करना बहुत हानिकारक है।
हाई ब्लड प्रेशर के रोगी को रोटी, डबल रोटी, दालें, क्रीम निकला दूध व पनीर, हरी सब्जियां व इनके पत्ते इत्यादि खाना
इस रोग के लिए बहुत लाभकारी है। चिकनाई की कमी को पूरा करने तथा शरीर को ताकत देने के लिए रोगी को तिल
या सूरजमुखी के फूलों के बीजों का तेल सब्जियों में डालकर दिया जा सकता है।
बचाव
1. अपने आप को मोटा होने से बचायें, अपना वजन सामान्य से अधिक न बढऩे दें। शरीर में चर्बी अधिक हो जाने से
हाई ब्लड प्रेशर, हृदय फैल सकता है।
2. शराब, तम्बाकू, सिगरेट पीना छोड़ दें।
3. जो रोगी बार-बार बीमार हो जाते हैं और सिर दर्द, सिर चकराना आदि बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं, उन्हें किसी
योग्य डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
4. रात-दिन काम न करें। क्रोध, जोश, चिंता आदि पर अपना नियंत्रण रखें।
5. सांसारिक चिंताएं भूलकर समीप के शांत वातावरण बाग, पार्क में सैर करें।
6. रात-दिन बैठे रहना और शारीरिक परिश्रम व सैर न करने वालों को यह रोग हो जाता है।
7. मांस, घी, मक्खन, दूध, वनस्पति घी, तले हुआ भोजन ज्यादा न खाएं।
8. अगर कारण तथा बचाव को ध्यान में रखते हुए हम नियमानुसार सावधानी रखें तो इस भयानक रोग से बच सकते
हैं। (विभूति फीचर्स)

अपर मुख्य सचिव उत्तराखंड सरकार श्रीमती राधा रतूड़ी ने शीत लहर के सम्बन्ध में प्रशासन तैयारियों का लिया जायजा

0

28 दिसम्बर 2023,गुरुवार ,देहरादून
संजय बलोदी प्रखर
मीडिया समन्वयक उत्तराखंड प्रदेश

राज्य में ट्रैकिंग के लिए आने वाले पर्यटकों की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था को लेकर शासन-प्रशासन की तैयारियां शुरू

ACS श्रीमती राधा रतूड़ी ने उत्तराखण्ड में ट्रैकिंग एजेंसियों व कम्पनियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को पुख्ता करने के निर्देश दिए

तत्काल एक प्रभावी ट्रैकिंग पॉलिसी एवं एसओपी बनाने की हिदायत

डीएफओ को ट्रैकिंग के लिए आने वाले पर्यटकों की जानकारी जिला प्रशासन एवं पुलिस विभाग के साथ अनिवार्यतः सांझा करने के निर्देश

देहरादून ,28 दिसम्बर ,राज्य में ट्रैकिंग के लिए आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा को गम्भीरता से लेते हुए अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने उत्तराखण्ड में ट्रैकिंग एजेंसियों व कम्पनियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को पुख्ता करने, प्रदेश में एक प्रभावी ट्रैकिंग पॉलिसी या एसओपी बनाने के साथ ही डीएफओ को ट्रैकिंग के लिए आने वाले पर्यटकों की जानकारी जिला प्रशासन एवं पुलिस विभाग के साथ अनिवार्यतः सांझा करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिलाधिकारियों को भी इस सम्बन्ध में डीएफओ, पर्यटन विभाग तथा ईको टूरिज्म से समन्वय करने के निर्देश दिए हैं। श्रीमती राधा रतूड़ी ने स्पष्ट किया है कि समय पर ट्रैकिंग एसओपी प्रभावी न होने की दशा में प्रदेश में आने वाले ट्रैकर्स की सुरक्षा में किसी भी प्रकार की लापरवाही की घटना के लिए वन विभाग को सीधे तौर पर उत्तरदायी ठहराया जाएगा एवं कार्यवाही की जाएगी। एसीएस ने वन विभाग को सख्त हिदायत दी है कि ट्रैकिंग एजेंसियों के लिए भी एक ठोस एसओपी के साथ ही ट्रैकर्स के लिए पुख्ता सुरक्षा मापदण्ड, बीमा, प्रशिक्षित गाइड्स, स्नो इक्वपमेन्ट्स, हेल्थ सर्टिफिकेट, बेसिक मेडिसिन की तत्काल व्यवस्था को लागू किया जाए।

सचिवालय में प्रदेश में शीत लहर के सम्बन्ध में प्रशासन की तैयारियों की समीक्षा के दौरान अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने विशेषरूप से निर्माणधीन स्थलों में रहने वाले जरूरतमंदों श्रमिकों के शीत लहर से बचाव एवं राहत के लिए श्रम विभाग को तत्काल सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। घने कोहरे के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के दृष्टिगत एसीएस ने हरिद्वार तथा उधमसिंह नगर जिलों में ट्रैफिक एवं पुलिस विभाग कों विशेषरूप से अलर्ट मोड पर रहने की हिदायत दी है। इसके साथ ही उन्होंने फायर डिपार्टमेंट को आग की घटनाओं को रोकने के लिए सभी तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए हैं। जरूरतमंदों की मदद के लिए दान किये जाने वाले गर्म कपड़ों को एकत्रित एवं वितरित करने के लिए एसीएस श्रीमती रतूड़ी ने एक पोर्टल बनाने के भी निर्देश आज की बैठक में दिए हैं।

बैठक में अपर मुख्य सचिव द्वारा लोक निर्माण विभाग को सड़कों की कनेक्टिविटी बनाए रखने, जेसीबी की व्यवस्था करने, सड़कों से पाला हटाने के लिए परम्परागत उपायों के साथ नए समाधानों पर कार्य करने निर्देश दिए गए। इस दौरान सभी जनपदों को सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने की व्यवस्था एवं कम्बलों के वितरण, अस्थाई रैनबसेरो में बिजली, पानी, बिस्तर एवं साफ-सफाई की व्यवस्था करने, इस सम्बन्ध में पृथक से नोडल अधिकारी नामित करने, सभी जनपदों में खाद्य आपूर्ति, पेयजल एवं ईधन की जनवरी माह के अन्त तक के लिये पर्याप्त मात्रा में भंडारण करने, चिकित्सा स्वास्थ्य हेतु आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।

बैठक में सचिव डा0 रंजीत कुमार सिन्हा सहित सम्बन्धित विभिन्न विभागो के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

बेटी-ब्वारयूं कु कौथिग“ आयोजन में मुख्यमंत्री धामी ने दिया टिहरी को 415 करोड़ रुपये की योजनाओं का तोहफा

0

 

26 दिसम्बर 2023,मंगलवार,नई टिहरी /देहरादून
संजय बलोदी प्रखर
मीडिया समन्वयक उत्तराखण्ड प्रदेश

 

निवेश के तहत टिहरी में हुए 3900 करोड़ के एमओयू में से 2400 करोड़ की ग्राउंडिंग का भी किया शुभारंभ।

देहरादून,26 दिसम्बर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को नई टिहरी स्थित प्रताप इंटर कॉलेज बौराड़ी में आयोजित “बेटी-ब्वारयूं कु कौथिग“ में बतौर मुख्यअतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 415 करोड़ की 160 विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। जिनमें 201 करोड़ की 44 योजनाओं का लोकार्पण तथा 214 करोड़ की 116 योजनाओं का शिलान्यास शामिल है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनपद के महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों हस्तशिल्प और हस्तकला प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने स्वयं जॉन्दरा(पत्थर की हस्तचालित चक्की ) चलाकर महिलाओं को प्रोत्साहित भी किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने इन्वेस्टर्स समिट के दौरान टिहरी में हुए 3900 करोड़ के एमओयू में से 2400 करोड़ की ग्राउंडिंग का भी शुभारंभ किया।
यही नहीं उन्होंने जनपद में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को सम्मानित कर स्कूली छात्र-छात्राओं को 2025 तक ड्रग्स फ्री देवभूमि बनाने की भी शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री ने बेटी ब्वारयूँ कु कौथिग की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मातृशक्ति के बिना राष्ट्र का विकास संभव नहीं है, उत्तराखंड राज्य निर्माण में मातृशक्ति का योगदान अमूल्य है।
डबल इंजन की सरकार के कार्य उत्तराखंड में विकास के रूप में स्पष्ट नज़र आ रहे हैं। सरकार की प्राथमिकता प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्र का विकास करना है प्रदेशभर की महिला उद्यमियों ने पारंपरिक उत्पादों पर आधारित आकर्षक प्रदर्शनी तथा स्टॉल लगाकर ये बता दिया है कि प्रदेश के विकास में महिलाओं का योगदान किसी से भी कम नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा देश महिला विकास से आगे बढ़कर महिला नेतृत्व की बात कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में जो काम देशभर में हो रहे हैं वे नए भारत की शानदार तस्वीर को प्रस्तुत करते हैं। आज गांव-गांव में महिलाओं को घर, शौचालय, गैस, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है। बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, टीकाकरण और दूसरी आवश्यक जरूरतों पर भी सरकार पूरी संवेदनशीलता से कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश में लगभग 70 लाख स्वयं सहायता समूह हैं, जिनसे लगभग 8 करोड़ बहनें जुड़ी है। उत्तराखंड में भी महिला स्वयं सहायता समूहों की बहनों ने प्रत्येक क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया है, जिसका जीता जागता उदाहरण आज के कार्यक्रम में उनके द्वारा प्रदर्शित उत्पादों की प्रदर्शनी है। प्रदेश में मातृशक्ति के सम्मान में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देने के साथ ही मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना, मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना, लखपति दीदी योजना, मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक मेधावी योजना, नंदा गौरा मातृवंदना योजना और महिला पोषण अभियान जैसी योजनाएं प्रारंभ की हैं।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रभारी मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा कई विकास योजनाएं चल रही हैं। महिला स्वयं सहायता समूह को आत्मनिर्भर बनाने हेतु 5 लाख तक ब्याज रहित ऋण दिया जा रहा है। देवभूमि को वैडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी आगे बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है।

कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने सभी को “बेटी-ब्वारयूं कु कौथिग“ की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है।

इस मौके पर विधायक टिहरी किशोर उपाध्याय, धनोल्टी से प्रीतम सिंह, घनसाली से शक्तिलाल शाह, देवप्रयाग से विनोद कण्डारी, ज़िला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सोना सजवाण, उपाध्यक्ष बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति श्री ज्योति प्रसाद गैरोला, आयुक्त गढ़वाल मंडल विनय शंकर पांडेय सहित कई गणमान्य आयोजन में सम्मिलित थे. !

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कलिंगा पट्टिनम का दौरा किया

0

New Delhi – मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्यपालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने खारे पानी वाली झींगा मछली किसानों की बुनियादी समस्याओं को समझने के लिए आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के कलिंगा पट्टिनम का दौरा किया और वहां झींगा मछली किसानों से बातचीत की।

डॉ. अभिलक्ष लिखी ने झींगा मछली किसानों से बातचीत की, जिन्होंने बताया कि बड़े और गुणवत्ता वाली झींगा मछली के उत्पादन के लिए बायो-फ्लॉक प्रौद्योगिकी के साथ 4-चरणीय खेती की नई प्रौद्योगिकी अपनाई जा रही है। स्थापित इस नवाचार और उन्नत संवंर्धित प्रणाली में उच्च जैव-सुरक्षित स्थितियों में पूरी तरह से पंक्तिबद्ध तालाबों के साथ-साथ ऑटो फीडर, केंद्रीय जल निकासी/कीचड़ हटाने, आईओटी आधारित जल मापदंडों की निगरानी जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियां शामिल हैं, जो उच्च भंडारण घनत्व और कम संवर्धित क्षेत्र से बढ़ी हुई उत्पादकता को लक्षित करने के लिए उच्च-घनत्व गहन कृषि प्रणाली का प्रबंधन करता है।

श्रीकाकुलम जिला भारत में शीर्ष झींगा मछली उत्पादक जिलों में से एक है। यह जिला झींगा मछली की सर्वोत्तम गुणवत्ता बनाए रखने में लगातार सक्षम बना रहा है, क्योंकि पूरा संवर्धित क्षेत्र अन्य इलाकों की तुलना में ऊंचाई में विकसित किया गया है। इस जिले का अन्य देशों को भारत के झींगा मछली निर्यात में एक बड़ा योगदानहै।

कलिंगा पट्टिनम में वर्तमान झींगा मछली संवर्धनक्षेत्र 1000 एकड़ से अधिक है और कई फीड कंपनियों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सभी फार्म उच्च जैव सुरक्षित परिस्थितियों में श्रीकाकुलम सागर तट के पास स्थित हैं। इन फार्मों से प्रति वर्ष लगभग 40,000 टन झींगा मछली, जिनका औसत वजन (प्रति झींगा मछली) 20 ग्राम है, पैदा की जाती है और इससे लगभग 10,000 करोड़ रुपये की वार्षिक कमाई होती है। इन फार्मों ने लगभग 600 किसानों को रोजगार दिया है और लगभग 5000 लोग अपनी आजीविका के लिए सीधे इन फार्मों पर काम करते हैं।

प्रमुख फार्मों में से एक फार्म ओवजन्या एक्वेटिक्स है, जो आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के गारा मंडल के टोनंगी गांव में स्थितहै,जिसका स्वामित्व प्रगतिशील किसान श्री दतला वेंकट लक्ष्मीपति राजू के पास है,जो1000 एकड़ से अधिक क्षेत्र में क्लस्टर खेती का काम करते हैं, जिसमें श्रीकाकुलम जिले और इस जिले के आसपास

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आध्यात्मिक महोत्सव में हुए सम्मिलित

0

25 दिसम्बर 2023,हरिद्वार /देहरादून
संजय बलोदी प्रखर
मीडिया समन्वयक उत्तराखण्ड प्रदेश

देहरादून/ हरिद्वार, दिनांक 25 दिसम्बर,
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को कनखल स्थित श्री हरिहर आश्रम में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के आचार्य पीठ पर पदस्थापन के 25 वर्ष पूर्ण होने एवं श्री दत्त जयंती के अवसर पर आयोजित आध्यात्मिक महोत्सव में प्रतिभाग किया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के आचार्य पीठ पर पदस्थापन के 25 वर्ष पूर्ण होने के दायित्व निर्वहन कार्यकाल पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जिसका मन बड़ा होता है, वही आध्यात्मिक होता है। यह कार्य छोटे मन का नहीं कर सकता है तथा जो बड़ा मन का है, वही समाज को दिशा दे सकता है!


रक्षा मंत्री ने आध्यात्मिक महोत्सव में बैंकिंग चन्द्र चटर्जी के उपन्यास आनन्द मठ का उल्लेख करते हुये कहा कि किस प्रकार से संन्यासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था। उन्होंने कहा कि संन्यासियों का देश की सामाजिक, सांस्कृतिक व्यवस्था से हमेशा जुड़ाव रहा है तथा जब भी आवश्यकता पड़ी उन्होंने इनके उत्थान में बड़ा योगदान दिया। उसी की वजह से हम अपनी संस्कृति पर गर्व करते हैं।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राजा अपना काम ठीक से करे, इसकी समीक्षा करने का अधिकार साधु-सन्तों को ही है। उन्होंने कहा कि जब कोई सन्त बनता है तो वह सबसे पहले अहम को त्यागते हुये वयम् को अपनाता है ! इसलिये बसुधैव कुटुम्बकम की भावना को देने का श्रेय संन्यासियों को है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उल्लेख करते हुये रक्षामंत्री ने कहा कि उनके नेतृत्व में भारतीय सांस्कृतिक विरासत के उन्नयन एवं समृद्धि के लिये निरन्तर कार्य किये जा रहे हैं, जिनमें काशी कारीडोर, उज्जैन, अयोध्या में राम मन्दिर, केदारनाथ मन्दिर परिसर में कार्य कराया जाना आदि प्रमुख हैं।
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अवधेशानंद गिरि महाराज ने तप, तपस्या तथा आध्यात्मिक मूल्यों का संरक्षण करते हुये लाखों सन्तों को दीक्षा दी तथा देश व दुनिया में वे संस्कृति के वाहक के रूप में प्रख्यात हैं तथा उनका ज्ञान दिव्य अनुभूति देता है।
इस पवित्र अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गोस्वामी तुलसीदास जी के रामचरित मानस की पंक्ति-सन्त समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ होय…. का उल्लेख करते हुये दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव में सभी सन्तों आदि को नमन किया। उन्होंने जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज का उल्लेख करते हुये कहा कि उनके व्यक्तित्व में चुम्बकीय तत्व हैं, जो भी उनके सम्पर्क में आता है, तो वह उनकी ओर खींचा चला जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यहां समृद्ध संत परम्परा का एक साथ दर्शन हो रहे हैं, जो वसुधैव कुटुम्बकम् को चरितार्थ कर रहा है। आचार्य जूनापीठाधीश्वर भारत को विश्व गुरू के पद पर प्रतिस्थापित करने के लिये निरन्तर प्रयासरत रहते हैं। यह उत्सव आध्यात्मिक जागरण के क्षेत्र में नई पीढ़ी का मार्ग प्रशस्त करेगा।
उन्होंने ने कहा कि जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज अनेकों जन-कल्याणकारी कार्य पूरी निष्ठा व लगन से करते चले आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आपका ज्ञान, राष्ट्र निर्माण में मार्गदर्शन तथा आपसे सदैव प्रेरणा मिलती रहेगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उल्लेख करते हुये कहा कि उनके नेतृत्व में निरन्तर सांस्कृतिक उत्थान हो रहा है। अयोध्या में राम मन्दिर का निर्माण प्रगति पर है, काशी कारीडोर के साथ ही उज्जैन भव्य स्वरूप ले चुका है, केदारनाथ धाम एक नये कलेवर में निखर रहा है, बद्रीनाथ में अनेकों कार्य कराये जा रहे हैं। केदारनाथ रोपवे तथा हेमकुण्ड रोपवे का कार्य प्रगति पर है, मानस खण्ड में जितने भी मन्दिर हैं, उनका सर्किट बनाने का कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने आदि कैलाश तथा पार्वती कुण्ड के दर्शन भी किये। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व का परिणाम है कि आज पूरा विश्व मार्गदर्शन के लिये भारत की ओर देखता है।
सरकार द्वारा लिये गये ठोस कदमों का जिक्र करते हुये कहा कि हमारी सरकार ने सख्त नकल विरोधी कानून राज्य में लागू किया है, धर्मान्तरण के लिये 10 साल की सख्त सजा का प्राविधान किया गया है, देवभूमि का मूल स्वरूप बना रहे, इसके लिये काफी जमीन अतिक्रमण से मुक्त कराई गयी है, सरकारी नौकरियों में मातृशक्ति को 30 प्रतिशत का क्षैेतिज आरक्षण प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये जो कमेटी गठित की गयी थी, उसने अपना कार्य पूर्ण कर लिया है, जिसे नये साल में लागू किया जायेगा। उन्होंने कहा कि हमने उत्तराखण्ड को श्रेष्ठ राज्य बनाने के लिये विकल्प रहित संकल्प लिया है तथा आप लोगों के आशीर्वाद से उत्तराखण्ड को श्रेष्ठ राज्य बनायेंगे।
आध्यात्मिक महोत्सव को महामण्डलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि, पूज्य स्वामी चिदानन्द मुनि, स्वामी रामदेव, सुधांशु त्रिवेदी, सुरेश चौहान आदि ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर जगत गुरू स्वामी राजराजेश्वराश्रम, निर्वाणी पीठाधश्वर, अटल पीठाधीश्वर, स्वामी अपूर्वानन्द जी महाराज, दिनेश जी, पूर्व शिक्षा मंत्री भारत सरकार, पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड एवं सांसद डॉ0 रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद महेश शर्मा सहित उत्तराखण्ड सरकार में कैबिनेट में मंत्रीगण, साधु-सन्त, आध्यात्मिक जगत से जुड़े हुये विशिष्ठजन एवं सम्बन्धित पदाधिकारी एवं अधिकारीगण उपस्थित थे।

माँ भारती के अमर सपूत सदैव देते रहेंगे प्रेरणा.. -पुष्कर सिंह धामी

0

 

25 दिसम्बर 2023,सोमवार,देहरादून
संजय बलोदी प्रखर
मीडिया समन्वयक उत्तराखंड प्रदेश

देहरादून,25 दिसम्बर, आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून स्थित जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचकर जम्मू कश्मीर में माँ भारती की सेवा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले कोटद्वार निवासी राइफलमैन गौतम कुमार और चमोली के वीरेन्द्र सिंह के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले हमारे इन शहीदों को देश हमेशा याद रखेगा। राज्य सरकार प्रति क्षण सैनिक परिवारों के साथ खड़ी है। उन्होंने शहीद गौतम कुमार और वीरेन्द्र सिंह के परिजनों से बात कर ढांढस बंधाया। दिवंगत आत्माओं की शांति और दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने की मुख्यमंत्री ने ईश्वर से कामना की है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र रक्षा के लिए हमारे जवानों द्वारा दिया गया बलिदान सदैव हम सभी को राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करता रहेगा।

चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड से चयनित 1376 नर्सिंग अधिकारियों को मुख्यमंत्री धामी ने प्रदान किये नियुक्ति पत्र

0

चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड से चयनित 1376 नर्सिंग अधिकारियों को मुख्यमंत्री धामी ने प्रदान किये नियुक्ति पत्र

24 दिसम्बर 2023,रविवार, देहरादून
संजय बलोदी प्रखर
मीडिया समन्वयक उत्तराखण्ड प्रदेश

 

नर्सिंग अधिकारी राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं को देंगे मजबूती

देहरादून,24 दिसम्बर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित, मुख्य सेवक सदन में उत्तराखण्ड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड द्वारा चयनित नर्सिंग अधिकारियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये। कार्यक्रम के दौरान चयनित 1376 अभ्यर्थियों में से 200 अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र प्रदान किये। शेष सभी अभ्यर्थियों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्ति पत्र प्रदान किये गये हैं।

मुख्यमंत्री ने नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले नर्सिंग अधिकारियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि चयनित सभी नर्सिंग अधिकारी लगन व कड़ी मेहनत के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे और राज्य के विकास व जनसेवा के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि नर्सिंग अधिकारी का दायित्व बहुत महत्वपूर्ण है। ग्राउंड लेवल पर समाज में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के मुद्दों पर जनता को शिक्षित करने का दायित्व भी नर्सिंग अधिकारियों पर है। आपातकालीन स्थितियों में आपकी तत्परता और उत्कृष्टता लोगों के लिए जीवन रक्षा का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि हमारी डबल इंजन की सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक कार्य किए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में ’आयुष्मान’ भारत योजना’ प्रदेशवासियों के लिए वरदान साबित हुई है। राज्य में सभी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले,इसके लिए राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड अटल आयुष्मान योजना से लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है। ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवाएं सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुई हैं। सरकार जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए कई योजनाएं चला रही है। गर्भवती महिलाओं के लिए ’’जननी सुरक्षा योजना’’ संचालित की जा रही है, जिसके अंतर्गत संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देते हुए मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा भारत को क्षय मुक्त बनाने के लिए 2025 का लक्ष्य के सापेक्ष राज्य सरकार द्वारा 2024 तक उत्तराखण्ड को क्षय मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें भी नर्सिंग अधिकारियों की अहम भूमिका होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने दो-दो वैक्सीनों द्वारा देश की जनता की ही नहीं बल्कि अन्य देशों की भी मदद की। हमें अभी भी कोरोना के प्रति सावधानी रखनी है और लोगों को इसके प्रति जागरूक बनाए रखने हेतु कार्य करना है।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग को 13 वर्ष के उपरांत 1376 नर्सिंग अधिकारी मिले हैं। उन्होंने कहा कि सभी चयनित नर्सिंग अधिकारियों के पहले पांच साल राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में सेवायें देनी होगी, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती मिलेगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तराखण्ड को जेआरडी टाटा मेमोरियल अवार्ड से नवाजा गया है। यह अवार्ड 42 स्वास्थ्य सूचकांकों में बेहतर प्रदर्शन पर राज्य को मिला। उन्होंने कहा कि टाटा रिसर्च सेंटर के सर्वे के अनुसार उत्तराखण्ड में क्रिटिकल मरीजों के लिए हवाई सेवा उपलब्ध कराने, अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना, 276 प्रकार की निःशुल्क जांच और 90 प्रतिशत से अधिक संस्थागत प्रसव कराने का सराहनीय प्रयास किया गया है।

इस अवसर पर राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, विधायक विनोद चमोली, उमेश शर्मा काऊ, खजानदास, श्रीमती सविता कपूर, राजकुमार पोरी, ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के उपाध्यक्ष सुरेश भट्ट, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार, कुलपति उत्तराखण्ड चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रो. हेमचन्द्र, महानिदेशक स्वास्थ्य, डॉ. विनीता शाह एवं स्वास्थ्य विभाग सम्बंधित अधिकारी उपस्थित थे।

आजादी के अमृत काल में सशक्त भारत के सशक्त कानून*   

0
आजादी के अमृत काल में सशक्त भारत के सशक्त कानून*                                                                                                                                                                                              *विष्णुदत्त शर्मा – विनायक फीचर्स* 
केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी ने संसद के दोनों सदनों में आपराधिक न्यायिक प्रणाली में सुधार के तीन विधेयक प्रस्तुत किये एवं दोनों सदनों में यह विधेयक ध्वनिमत से पारित होने के पश्चात् एक नए युग की शुरुआत हो गयी है।
*भारत में अब भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 जो आईपीसी, 1860 को प्रतिस्थापित करेगा*
*भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 जो सीआरपीसी, 1898 को प्रतिस्थापित करेगा*
*भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 जो साक्ष्य अधिनियम, 1872 को प्रतिस्थापित करेगा।*
इन विधेयकों की शुरूआत ऐसे समय में हुई है जब विश्व तेजी से तकनीकी प्रगति, सामाजिक परिवर्तन और विकसित हो रहे वैश्विक मानकों को देख रहा है। ब्रिटिश काल के दौरान बनाए गए मौजूदा कानूनों कि अक्सर पुराने होने और  समकालीन जरूरतों के अनुरूप नहीं होने के कारण आलोचना की जाती रही है। नए कानून 21वीं सदी के साथ कानूनी प्रणाली को संरेखित करने की मोदी सरकार कि मंशा को दर्शाते हैं, जिसमें नागरिक-केंद्रित कानूनी संरचनाओं, लिंग तटस्थता, डिजिटल परिवर्तन और सजा के बजाय न्याय पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया गया है। इन परिवर्तनकारी कानूनी सुधारों का उद्देश्य भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को नया आकार देना, नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और न्याय के कुशल प्रशासन को सुनिश्चित करना है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व एव हमारे केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के दृढ़ संकल्प शक्ति का परिणाम था कि सभी हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा के बाद इन कानूनों को लाया गया है। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से देश के नाम अपने सम्बोधन में कहा था कि “ …ये समय गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर, अपनी विरासत पर गर्व करने का है“ और आजादी के अमृतकाल में भारत ने संकल्प लिया है कि उन सभी गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति पाना है। वास्तव में भारत की प्राचीन सभ्यता में अपराधियों को दंड देने के बजाय पीड़ित को न्याय देने का प्रचलन था किन्तु औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों ने अपनी सत्ता स्थायी रखने के उद्देश्य से भय प्रस्थापित करने हेतु दंड को प्राधान्य दिया था।
इन कानूनों के प्रमुख प्रावधानों में राजद्रोह को निरस्त कर देशद्रोह को स्थापित करना, मॉब लिंचिंग के खिलाफ एक नया प्रावधान, नाबालिगों के बलात्कार के लिए मृत्युदंड, आतंकवाद की परिभाषा और छोटे अपराधों के लिए पहली बार सामुदायिक सेवा को दंड के रूप में सम्मिलित किया है। इसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध, हत्या और राज्य के खिलाफ अपराधों को प्राथमिकता दी गई है। अलगाववादी गतिविधियों या भारत की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने वाले कृत्यों पर नए अपराध जोड़े गए हैं। मुख्यतः यह विधेयक मानव केंद्रित न्याय प्रणाली सुनिश्चित करने का कार्य करेंगे और अब लोगां को “तारीख पर तारीख“ से मुक्ति मिलेगी। यह नए कानून भारतीय आत्मा से ओत-प्रोत हैं और इनका उद्देश्य संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना और न्याय प्रदान करना है। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयकों की शुरूआत भारत की कानूनी प्रणाली के लिए अत्यधिक महत्व रखती है जिससे निम्नलिखित संकल्प पूर्ति का लक्ष्य है :
*आधुनिकीकरणः*  यह कानून औपनिवेशिक विरासत से प्रस्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं, ऐसे प्रावधान प्रस्तुत करते हैं जो समकालीन सामाजिक मूल्यों और तकनीकी प्रगति को दर्शाते हैं। डिजिटल अपराधों और साक्ष्यों को मान्यता देकर, नए कानून 21 वीं सदी की वास्तविकताओं को दर्शाते हैं, जिससे भारत की कानूनी प्रणाली का आधुनिकीकरण होता है।
*दक्षताः* कानूनी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और डिजिटल साक्ष्य को मान्यता देकर, इन कानूनों का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया की दक्षता को बढ़ाना, देरी को कम करना और त्वरित न्याय को सुनिश्चित करना है।
*नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोणः* नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और जीवन में सुगमता सुनिश्चित करने पर जोर देने के साथ ही इनका लक्ष्य दंड से न्याय पर लक्ष्य केंद्रित करना है।
वैश्विक मानकों के अनुरूपः यह आपराधिक न्यायिक प्रणाली के सुधार भारत की कानूनी प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि यह कानून अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम क़ानूनी प्रथाओं के अनुरूप हैं। गौरतलब है आपराधिक न्यायिक प्रणाली में सुधार की यह प्रक्रिया वर्ष 2019 में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में गृह मंत्रालय द्वारा शरू की गई जिसमें विभिन्न हितधारकों से इस संदर्भ में सुझाव मांगे गए। गृह मंत्री जी ने सितम्बर 2019 में सभी राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपालों/प्रशासकों को पत्र लिखा था। जनवरी 2020 में भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों, बार काउंसिलों और विधि विश्वविद्यालयों और दिसम्बर 2021 में संसद सदस्यों से भी सुझाव मांगे गए। बीपीआरडी ने सभी आईपीएस अधिकारियों से सुझाव मांगे। मार्च 2020 को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के कुलपति की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित की गई जिसे कुल 3200 सुझाव प्राप्त हुए थे।
साथ ही 18 राज्यों, 06 संघ राज्य क्षेत्रों, भारत के सर्वोच्च न्यायालय, 16 उच्च न्यायालयों, 27 न्यायिक अकादमियों-विधि विश्वविद्यालयां,  पुलिस बलों ने भी अपने सुझाव दिए है। गृह मंत्री अमित शाह जी ने 158 व्यक्तिगत बैठकें की, तत्पश्चात इन सुझावों पर गृह मंत्रालय में गहन विचार-विमर्श किया गया और इसी के परिणाम स्वरूप यह तीन कानून बने हैं। हम यह कह सकते हैं कि सरकार ने व्यापक चर्चा उपरांत जनआकांक्षाओं का सम्मान कर इन कानूनों को लाया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार पिछले साढ़े 9वर्षों में, हमारी संस्थाओं और प्रणालीगत कानूनों को पुनर्जीवित करने के मिशन पर कार्य रही है, जो 19 वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन और उनके प्रतिनिधियों द्वारा हमारे प्राचीन सभ्यतागत सोच विचार  को ब्रिटिश शासन के अधीन एवं राज्य चलाने के उद्देश्य से बनाये गए थे। निश्चित रूप से यह नए कानून हमारी कानूनी आत्मनिर्भरता के युग की शुरुआत है एवं इन कानूनों के पारित होने का सुखद अनुभव वास्तव में हमें दासता से मुक्ति का बोध कराता है। *( विनायक फीचर्स )*
 *- लेखक मध्य प्रदेश भाजपा  के  अध्यक्ष एवं लोकसभा सदस्य हैं।*

मूल निवास प्रमाण पत्र जारी करने की धामी सरकार ने अपर मुख्य सचिव वाली समिति को दी जिम्मेदारी

0

23 दिसम्बर 2023,शनिवार, देहरादून
संजय बलोदी प्रखर
मीडिया समन्वयक उत्तराखण्ड प्रदेश

मूल निवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए मानक निर्धारित करने हेतु समिति गठित

मूल निवास प्रमाण पत्र पर सरकार का बड़ा फैसला

देहरादून,23 दिसम्बर, शनिवार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्य के व्यापक हित में पूर्व में गठित भू-कानून समिति की अनुशंसा पर कार्यवाही हेतु शासनादेश सं. 2232 दिनांक 22 दिसम्बर, 2023 द्वारा उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है। यह समिति राज्य सरकार द्वारा लागू किए जाने वाले भू-कानून के प्रारूप के साथ ही साथ मूल निवास प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में मानकों का निर्धारण करने के संबंध में भी अपनी संस्तुति शासन को उपलब्ध कराएगी।

मुख्यमंत्री धामी द्वारा प्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त होने के बाद उसी वर्ष अगस्त माह में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया था। समिति को राज्य में औद्योगिक विकास कार्यों हेतु भूमि की आवश्यकता तथा राज्य में उपलब्ध भूमि के संरक्षण के मध्य संतुलन को ध्यान में रख कर विकास कार्य प्रभावित न हों, इसको दृष्टिगत रखते हुए विचार – विमर्श कर अपनी संस्तुति सरकार को उपलब्ध कराने को कहा था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व में गठित समिति द्वारा राज्य के हितबद्ध पक्षकारों, विभिन्न संगठनों, संस्थाओं से सुझाव आमंत्रित कर गहन विचार -विमर्श कर लगभग 80 पृष्ठों में अपनी रिपोर्ट तैयार की थी। इसके अलावा समिति ने सभी जिलाधिकारियों से प्रदेश में अब तक दी गई भूमि क्रय की स्वीकृतियों का विवरण मांग कर उनका परीक्षण भी किया। समिति ने अपनी संस्तुतियों में ऐसे बिंदुओं को सम्मिलित किया है जिससे राज्य में विकास के लिए निवेश बढ़े और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो। साथ ही भूमि का अनावश्यक दुरूपयोग रोकने की भी समिति ने अनुशंसा की है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा – मेरे लिये राज्य हित सर्वोपरि है।

राज्यवासियों ने जिस संकल्प के साथ राज्य निर्माण का सपना देखा है उसको पूर्ण करने के लिये वे निरंतर प्रयासरत है। राज्यवासियों का राज्य हित से जुड़ा भू-कानून हो या मूल निवास प्रमाण पत्र का विषय इस दिशा मे राज्य सरकार संजीदगी के साथ राज्यवासियों के साथ है। इसी के दृष्टिगत इन विषयों पर सम्यक रूप से विचार विमर्श कर अपनी सुस्पष्ट संस्तुति राज्य सरकार को उपलब्ध कराने के लिये ही अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। जिसमें विषय विशेषज्ञ के रूप में अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। उक्त समिति भू-क़ानून को लागू करने के प्रारूप के साथ ही मूल निवास प्रमाण पत्र जारी किए जाने हेतु मानकों के निर्धारण का कार्य भी करेगी।