डॉ. राजेन्द्र मनचंदा – विभूति फीचर्स
हाई ब्लड प्रेशर एक रोग है। यह रोग युवा, बूढ़े, स्त्री, पुरुष सभी को हो जाता है। परंतु अधिकतर इस रोग का शिकार
बूढ़े ही होते हैं। शुरू में ही इसका निरीक्षण न हो सकने पर यह रोग हृदय, मस्तिष्क धमनियों व रक्त वाहिनियों
किडनी को प्रभावित कर देता है।
घातक प्रभाव: हाई ब्लड प्रेशर के शरीर के ऊपर बहुत घातक प्रभाव पड़ते हैं जैसे-
1. हृदय और रक्त संचार: जब रोगी को वर्षों तक यह रोग रहता है तो हृदय को शरीर के कोने-कोने में रक्त पहुंचाने के
लिए बहुत जोर लगाना पड़ता है, जिससे उसकी शक्ति का अत्यधिक हृास हो जाता है तथा जिसके कारण हृदय
धमनियां, सूक्ष्म धमनिया फैल जाती हैं। हृदय का बायां वेन्ट्रीकल तो विशेष रूप से अधिक बड़ा हो जाता है। सूक्ष्म
धमनियों की दीवारें रक्त के बहाव और जोर से धक्का लगने के कारण कमजोर हो जाती हैं। यह दीवारें फटकर उनमें
से रक्त बहने लग जाता है और कभी-कभी इनकी भीतरी नली सुकड़कर बिल्कुल बंद हो जाती है।
2. मस्तिष्क: काफी समय तक रक्त दबाव अधिक रहने से मस्तिष्क बुरी तरह रोगग्रस्त हो जाता है, जिस कारण
लकवा, जीभ पक्षाघात हो जाने से बोलने की शक्ति समाप्त हो जाती है। आंखों की रोशनी कमजोर हो जाती है और
कई बार रोगी अंधा भी हो जाता है।
मस्तिष्क की धमनी फट जाने से मस्तिष्क से रक्तस्राव होने लग जाता है। इस रोग से गुर्दों में रक्त से विषैले और
अनावश्यक पदार्थ निकलने में असमर्थ हो जाते हैं। जिसके कारण विषैले अंश और संक्रमण रक्त में मिलकर विषैले
प्रभाव फैलाते हैं, जिससे मृत्यु हो जाती है।
कारण : जिन मनुष्यों की आंतों में गंदी वायु और विषैले पदार्थ रक्त में मिल जाते हैं, वहां हाई ब्लड प्रेशर का रोग हो
जाता है।
डिप्रेशन: (मानसिक तनाव), चिंता, चिड़चिड़ापन अधिक समय तक मानसिक कार्य करते रहना, शारीरिक परिश्रम न
करना, इस रोग का बहुत बड़ा कारण है। मधुमेह जोड़ों की शोध व दर्द से भी यह रोग हो जाता है।
पिट्यूटी, थायराइड और एड्रोनल ग्लेण्डो के दोष और खराबी से भी यह रोग हो जाता है। पिट्यूटी या एड्रोनल में अधिक
हारमोन पैदा होने लग जाने से भी रक्तचाप बढ़ जाता है।
कुछ लोग जो रात-दिन बैठे रहे है, मोटर कारों में सफर करते हैं, सैर करना और चलना फिरना छोड़ देते हैं और जो दूध, घी, मांस, चर्बी वाले भोजन अधिक खाते हैं, उनको भी हाई ब्लड प्रेशर का रोग हो जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर के रोगी का भोजन: मनुष्य प्रकृति से जितना दूर होता जा रहा है, अपने आप को सभ्य समझने लग
गया है और स्वाद के लिए अप्राकृतिक भोजन खाने लग गया है। इस कारण यह रेाग बढ़ता जा रहा है। यदि रोगी
उचित भोजन न करें तो कीमती से कीमती दवाएं खाने से भी रोग दूर नहंीं होगा। आप अपने भोजन में परिवर्तन
करके और उचित प्रकार के भोजन खाकर इस रोग से बच सकते हैं।
1. नमक: जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर का रोग है। वह नमक खाना बंद कर दें या बहुत ही कम मात्रा में खायें।
2. घी, मक्खन, चिकनाई: हाई ब्लड प्रेशर वाले रोगी को दूध, घी, मक्खन, मांस, पनीर बिल्कुल बंद कर देना चाहिए,
क्योंकि चिकनाई धमनियों में जमते रहने से वह अंदर से कठोर और तंग हो जाती है। इनसे धमनियों में कोलेस्ट्राल
अधिक जम जाता है। हाई ब्लड प्रेशर वालों के लिए चिकनाई विष के समान है। इस रोग के रोगी के लिए चाय,
तम्बाकू, सिगरेट, शराब मसाले वाले भोजन करना बहुत हानिकारक है।
हाई ब्लड प्रेशर के रोगी को रोटी, डबल रोटी, दालें, क्रीम निकला दूध व पनीर, हरी सब्जियां व इनके पत्ते इत्यादि खाना
इस रोग के लिए बहुत लाभकारी है। चिकनाई की कमी को पूरा करने तथा शरीर को ताकत देने के लिए रोगी को तिल
या सूरजमुखी के फूलों के बीजों का तेल सब्जियों में डालकर दिया जा सकता है।
बचाव
1. अपने आप को मोटा होने से बचायें, अपना वजन सामान्य से अधिक न बढऩे दें। शरीर में चर्बी अधिक हो जाने से
हाई ब्लड प्रेशर, हृदय फैल सकता है।
2. शराब, तम्बाकू, सिगरेट पीना छोड़ दें।
3. जो रोगी बार-बार बीमार हो जाते हैं और सिर दर्द, सिर चकराना आदि बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं, उन्हें किसी
योग्य डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
4. रात-दिन काम न करें। क्रोध, जोश, चिंता आदि पर अपना नियंत्रण रखें।
5. सांसारिक चिंताएं भूलकर समीप के शांत वातावरण बाग, पार्क में सैर करें।
6. रात-दिन बैठे रहना और शारीरिक परिश्रम व सैर न करने वालों को यह रोग हो जाता है।
7. मांस, घी, मक्खन, दूध, वनस्पति घी, तले हुआ भोजन ज्यादा न खाएं।
8. अगर कारण तथा बचाव को ध्यान में रखते हुए हम नियमानुसार सावधानी रखें तो इस भयानक रोग से बच सकते
हैं। (विभूति फीचर्स)

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