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चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दिया

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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने में अब कुछ दिन ही बाकी रह गए हैं लेकिन उससे पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कानून मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन में इस बात की जानकारी दी गई कि राष्ट्रपति ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा मंजूर कर लिया है, यह 9 मार्च से प्रभावी हो गया है।
2027 तक था कार्यकाल
जानकारी के मुताबिक उनका कार्यकाल 2027 तक था। चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा दो चुनाव आयुक्त होते हैं। एक चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे  पिछले महीने रिटायर हो गए थे। उनके पद पर अभी नई नियुक्ति हो भी नहीं पाई थी कि अब अरुण गोयल ने पद से इस्तीफा दे दिया है। अरुण गोयल के इस्तीफे से केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं। 
चुनावी तैयारियों के लिए कई राज्यों के दौरे पर अरुण गोयल मुख्य निर्वाचन आयुक्त के साथ थे। लेकिन अब अचानक उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफे की फिलहाल कोई वजह नहीं बताई है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा से लिया था वीआरएस
अरुण गोयल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से वीआरएस लिया था। वे पंजाब कैडर के 1985-बैच के आईएएस अधिकारी थे। वह नवंबर 2022 में निर्वाचन आयोग में शामिल हुए थे। वीआरएस लेने से पहले वे केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव के पद पर तैनात थे। मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर उनकी नियुक्ति को लेकर विवाद भी हुआ था। उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

गाय काटने वालों के घरों पर चलेगा बुलडोजर- महापंचायत में फैसला

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खैरथल. राजस्थान में खैरथल के किशनगढ़ बास में मंडी लगाकर खुलेआम प्रतिबंधित मांस बेचने के मामले में मेव समाज के लोगों ने महापंचायत कर बड़ा फैसला लिया है. इस महापंचायत में कहा गया कि जो भी गो हत्या करेगा, उनके घरों पर बुलडोजर चलेगा. साथ ही समाज से भी बाहर कर दिया जाएगा. महापंचायत बिरसिंहपुर गांव की ईदगाह में आयोजित की गई.

इस दौरान ऐसे मामलों के खिलाफ पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की शपथ दिलाई गई. साथ ही इसके अलावा जो इस काम में दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ 21 हजार रुपये से लेकर डेढ़ लाख तक का जुर्माना लगाने का फैसला भी किया गया. वहीं, जिला मेव पंचायत के संरक्षक दिन मोहम्मद ने बताया कि एक महीने पहले किशनगढ़ बास में प्रतिबंधित मांस बेचने का जो मामला आया था, उससे मेव समाज की हर तरफ किरकिरी हुई है. लोग हीन भावना से उनको देखने लगे हैं, जिसको लेकर शनिवार को मेव समाज की महापंचायत बिरसिंहपुर गांव की ईदगाह में आयोजित की गई.

कमेटी के सदस्यों ने फैसला लिया कि जो भी इस तरह का काम करेगा, उनके घरों पर बुलडोजर चलाया जाएगा. साथ ही सूचना देने वाले को कमेटी 11 हजार रुपये का इनाम देगी और जो गलत सूचना देगा उसके खिलाफ 21 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. वहीं, गो तस्करी करने वालों पर 1 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा. अलवर जिले में किशनगढ़ बास, तिजारा, रामगढ़, अलवर ग्रामीण के सैकड़ों लोग इस महापंचायत में शामिल हुए.

अदा शर्मा अभिनीत विपुल अमृतलाल शाह की ‘बस्तर: द नक्सल स्टोरी’ का प्रोमो है दमदार 

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‘बस्तर: द नक्सल स्टोरी’ का ट्रेलर रिलीज हो चुका है और इसने दर्शकों की उत्सुकता को बिना किसी शक अगले स्तर पर पहुंचा दिया है। फिल्म में मेकर्स ने जिन दिल दहला देने वाली सच्चाई को अनफिल्टर्ड तरीके से दिखाया है, उसको बड़े परदे पर देखने के लिए दर्शक काफी उत्सुक हैं। एक चीज जो इस फिल्म को और भी उत्साह से भरपूर बनाती है, वह विपुल अमित शाह, सुदीप्तो सेन और अदा शर्मा की दमदार तिकड़ी का इस फिल्म के लिए वापस आना। यह तिगड़ी अब एक दिल दहला देने वाली कहानी लेकर आने के लिए तैयार है, जो कि नक्सली और भारत के बीच की लड़ाई को दर्शाता है। ऐसे में मेकर्स ने अब एक दमदार ट्रेलर रिलीज किया है, जो दिखता है कि कैसे एक ना से हजारों मासूम जानें बस्तर में चली जाती हैं।

मेकर्स ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर इस दमदार ट्रेलर को जारी किया है, जिसमें हम अदा शर्मा को अपनी टीम के साथ नक्सलियों के खिलाफ लड़ते हुए देख सकते हैं। एक्ट्रेस को प्रोमो में नक्सली मुक्त भारत बनाने की कोशिश करते हुए दिखाया गया है। इसके साथ ही मेकर्स ने कैप्शन में लिखा है -“उनके मदद करने से इंकार करने के परिणामस्वरूप बस्तर में हजारों मासूम लोगों की जान चली गई…

बस्तर: द नक्सल स्टोरी में नक्सलियों और उनके समर्थकों की हकीकत देखें और #NaxalFreeBharat के लिए हमारे साथ जुड़ें।15 मार्च, 2024 को सिनेमाघरों में”

https://www.instagram.com/reel/C4SCTcBxZTr/?igsh=d25seDYwcThkN3Z5

प्रोमो सच में बहुत दिलचस्प है और एक झलक देता है सिस्टम की क्रूर हकीकत का जो नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में मदद करने से मना कर देती है, जो हजारों लोगों की जान जाने का कारण बन सकता है। बहादुरी से खड़े होकर, अदा शर्मा आईपीएस नीरजा माथुर के रूप में अपने सैनिकों के साथ नक्सलियों को फंसाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं। इस एक झलक ने बिना किसी शक फिल्म की रिलीज को लेकर दर्शकों के उत्साह को और भी बढ़ा दिया है।

विपुल अमृतलाल शाह की सनशाइन पिक्चर्स द्वारा निर्मित और आशिन ए शाह द्वारा सह-निर्मित, ‘बस्तरः द नक्सल स्टोरी’ सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित हैं और इसमें अदा शर्मा मुख्य भूमिका में होंगी। यह फिल्म 15 मार्च 2024 को दुनिया भर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी।

भक्तिवेदांत अस्पताल के लिए आईआईएफएल फाउंडेशन और यशलोक फाउंडेशन ने दान किया एम्बुलेंस

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मुंबई। वर्तमान समय में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही है, जो अत्यंत चिंता का विषय है, क्योंकि सड़क दुर्घटनाएं अक्सर गंभीर परिस्थितियों में परिणित होती हैं जो जीवन के लिए घातक सिद्ध हो सकती है ,ऐसे जगह पर तत्काल चिकित्सा देखभाल कर किसी का जीवन बचाया जा सकता है। इस तत्काल आवश्यकता को पहचानते हुए, आईआईएफएल फाउंडेशन ने मुफ्त में और समय पर आपातकालीन और आघात की देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए, पूरी तरह से सुसज्जित उच्च प्रभाव वाली एम्बुलेंस उदारतापूर्वक दान की है। ये मल्टी-बेड एम्बुलेंस, दुर्घटना पीड़ितों को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित है और सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को समय पर सहायता प्रदान करेगी। ट्रैफिक पुलिस भी तुरंत इन एम्बुलेंस को दुर्घटना स्थल पर भेज सकती है, ताकि पीड़ितों को जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता मिल सके।

आईआईएफएल फाउंडेशन, यशलोक वेलफेयर फाउंडेशन और भक्तिवेदांत अस्पताल की मदद से सड़क दुर्घटना पीड़ितों की सहायता के लिए मुफ्त एम्बुलेंस सेवा शुरू करने की घोषणा की गई। उद्घाटन समारोह भक्तिवेदांत अस्पताल, मीरा रोड में आईआईएफएल की निदेशक श्रीमती मधु जैन, मीरा भायंदर पुलिस उपायुक्त प्रकाश गायकवाड़ और यशलोक वेलफेयर फाउंडेशन के संस्थापक आलोक अधिकारी की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। सबने चिकित्सा सुविधाओं से उपयुक्त एम्बुलेंस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। भक्तिवेदांत हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के सीईओ डॉ.अजय सांखे और शेयर योर केयर के निदेशक डॉ. के.वेंकटरमणन ने एम्बुलेंस स्वीकार किया।
उसी अवसर पर मधु जैन (निदेशक- आईआईएफएल फाउंडेशन) ने कहा कि आईआईएफएल फाउंडेशन में, हम समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सामूहिक कार्रवाई की शक्ति में विश्वास करते हैं। यशलोक वेलफेयर फाउंडेशन के साथ साझेदारी में निःशुल्क एम्बुलेंस सेवा का शुभारंभ भक्तिवेदांत अस्पताल, कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। सड़क दुर्घटना पीड़ितों को समय पर और महत्वपूर्ण चिकित्सा सहायता प्रदान करके, हमारा लक्ष्य जीवन बचाने और एक सुरक्षित समुदाय को बढ़ावा देने में एक ठोस अंतर लाना है। यह पहल करुणा के हमारे मूल मूल्यों के साथ संरेखित है और सामाजिक प्रभाव, और हमें सहानुभूति और देखभाल की संस्कृति को बढ़ावा देने में भूमिका निभाने पर गर्व है।
प्रकाश गायकवाड़ (पुलिस उपायुक्त- मीरा-भायंदर-वसई-विरार पुलिस) ने कहा, “बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के सामने, हमारे समुदाय की सुरक्षा तत्काल कार्रवाई की मांग करती है। आईआईएफएल फाउंडेशन, यशलोक वेलफेयर फाउंडेशन के बीच सहयोगात्मक प्रयास, और भक्तिवेदांत अस्पताल द्वारा मुफ्त एम्बुलेंस सेवा शुरू करना दुर्घटना पीड़ितों के लिए तत्काल चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रणनीतिक रूप से तैनात इन पूरी तरह से सुसज्जित एम्बुलेंस के साथ, हमारा लक्ष्य प्रतिक्रिया समय को कम करना और जीवन बचाने की संभावनाओं को अधिकतम करना है। यह पहल हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”
जबकि यह परियोजना पूरी तरह से आईआईएफएल द्वारा प्रायोजित है, इसे भक्तिवेदांत अस्पताल के सहयोग से यशलोक वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा विशेषज्ञ रूप से कार्यान्वित किया गया है। यशलोक वेलफेयर फाउंडेशन के पास राजमार्ग सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए उच्च प्रभाव वाली एम्बुलेंस के साथ कई समान आपातकालीन त्वरित प्रतिक्रिया प्रणालियों के प्रबंधन की प्रतिष्ठा है। भक्तिवेदांत अस्पताल द्वारा अपने प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मचारियों के माध्यम से मुफ्त एम्बुलेंस सेवा में भाग लिया जाएगा और सेवा दी जाएगी, जो महत्वपूर्ण क्षणों के दौरान शीर्ष स्तर की चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करेगी।
यशलोक वेलफेयर फाउंडेशन के संस्थापक आलोक अधिकारी ने कहा, “यह पहल निश्चित रूप से सड़क सुरक्षा हासिल करने की दिशा में एक मजबूत कदम होगी, खासकर सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए। हम आईआईएफएल फाउंडेशन द्वारा दी गई मदद के लिए बेहद खुश और आभारी हैं और इस नेक मिशन में भक्तिवेदांत अस्पताल को अपने साथ पाकर खुश हैं।
भक्तिवेदांत हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉ. अजय सांखे (निदेशक और सीईओ) और डॉ. के. वेंकटरमणन-पीएचडी, (निदेशक) ने आईआईएफएल फाउंडेशन और यशलोक वेलफेयर फाउंडेशन को धन्यवाद दिया और कहा कि अस्पताल कीमती चीजों को बचाने के लिए एम्बुलेंस का उपयोग करेगा।
अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से सुसज्जित और प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा संचालित मल्टी कैजुअल्टी उच्च प्रभाव वाली एम्बुलेंस, आपातकालीन कॉलों पर त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए भक्तिवेदांत अस्पताल में तैनात की जाएगी। यह नेक पहल समाज में सार्थक योगदान देने और करुणा और सहानुभूति के मूल्यों को बनाए रखने के लिए आईआईएफएल फाउंडेशन और यशलोक वेलफेयर फाउंडेशन दोनों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर निर्माता निर्देशक लेखक कुमार राज की फिल्म ‘ अमीना ‘ का पोस्टर हुआ लॉन्च

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मुंबई। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर 8 मार्च 2024 को बॉलीवुड के निर्माता निर्देशक और लेखक कुमार राज की फिल्म ‘ अमीना ‘ का पोस्टर लॉन्च मुक्ति कल्चरल हब अंधेरी पश्चिम मुंबई में किया गया।

कुमार राज प्रोडक्शन द्वारा निर्मित इस फिल्म में रेखा राणा, अनंत महादेवन सहित कई प्रतिभाशाली कलाकारों ने अभिनय किया है। इस फिल्म के पोस्टर लॉन्च के अवसर पर अनंत महादेवन ने कहा कि अमीना का स्क्रीनप्ले दिलचस्प है जो दर्शकों के लिए एक्सपेरिमेंटल और बोल्ड अप्रोच है और मेरी नजर में मेकर बधाई के पात्र हैं।
कार्यक्रम के अतिथि अभिनेता अली खान ने कहा कि यह फिल्म दर्शकों को शुरू से अंत तक बांधे रखेगी। यह फिल्म पूरी दुनिया के दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
फिल्ममेकर कुमार राज ने बताया कि हॉलीवुड की एक ऑस्कर अवॉर्ड विजेता फिल्म बर्डमैन में जैसा प्ले पार्ट था कुछ वैसा ही प्रयोग विशेष दंग से इस फिल्म में भी किया गया है जो दर्शकों के लिए एक अनूठा अनुभव होगा। इस फिल्म में दो लड़कियों की कहानी है, एक अमीना और दूसरी मीना की। तीस साल पहले अमीना को उसका बाप बेच देता है फिर उसका बलात्कार होता है और वह आत्महत्या कर लेती है। दूसरे पार्ट में मीना एक अप्रत्याशित घटना का शिकार हो जाती है और वह दरिंदों का विदेश तक पीछा कर मर्डर करती है।
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक इस्माइल दरबार ने तैयार किया है और वाइसओवर रजा मुराद ने दिया है। फिल्म में कुल पांच गाने हैं और एक गाने को जावेद अली ने गाया है।
इस फिल्म के सह निर्माता धरम हैं। इसकी शूटिंग भारत के अलावा अफ्रीका व विदेश के कई अन्य हिस्सों में की गई है।
कुमार राज ने फिल्म की शूटिंग के अनुभव के बारे में बताया कि मुख्य भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री रेखा राणा के साथ अफ्रीका में शेरों का रोमांचक दृश्य फिल्माया गया है। रेखा के हाथ में ट्रेनर ने डंडा थमाया था जिससे शेर उन पर हमला न कर सके। रेखा को चेतावनी दी गई थी कि डंडा अगर हाथ से छूटा तो वह शेर की शिकार बन जायेगी। हमारी इस फिल्म के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का मिसाल पेश की जा रही है।

– संतोष साहू

अमर सिंह “चमकीला” के गीत ने पैदा किया उन्माद

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मुंबई (अनिल बेदाग) : जल्द ही रिलीज़ होने वाला, नरम कालजा, एक ऐसा गाना है जो “महिला टकटकी” को एक चुटीली अभिव्यक्ति देता है। इम्तियाज अली की आगामी फिल्म, अमर सिंह चमकीला का यह नृत्य गान, चमकीला के संगीत ने सभी उम्र की महिलाओं के बीच पैदा हुए प्रशंसक उन्माद को दर्शाता है। महिलाओं के बीच चमकीला की दीवानगी इस कदर थी कि वे उसके अखाड़ों (गांवों में लाइव संगीत प्रदर्शन) के आसपास के घरों की छतों पर झुंड में जमा हो जाती थीं और कभी-कभी उनकी संख्या इतनी अधिक होती थी कि छतें ढह जाती थीं, यह एक ऐसा तथ्य था जिसने कमाई की। चमकीला शीर्षक – कोठा धौ कलाकार (छत तोड़ने वाला)!!
अलका याग्निक, ऋचा शर्मा, याशिका सिक्का और पूजा तिवारी द्वारा गाया गया, उस्ताद एआर रहमान का संगीत और इरशाद कामिल के बोल यह नरम कालजा, गरम तबियत के साथ इस सीज़न का नृत्य गान बनने के लिए पूरी तरह तैयार है।
दिलजीत दोसांझ और परिणीति चोपड़ा अभिनीत अमर सिंह चमकीला का निर्माण मोहित चौधरी, सेलेक्ट मीडिया होल्डिंग्स एलएलपी, सारेगामा और विंडो सीट फिल्म्स द्वारा किया गया है। फिल्म का म्यूजिक सारेगामा पर है। अमर सिंह चमकीला का प्रीमियर 12 अप्रैल को विशेष रूप से नेटफ्लिक्स पर होगा।

सुरेश पचौरी के भाजपा में जाने के मायने, क्या मध्य प्रदेश कांग्रेस में षड़यंत्रपूर्वक काम कर रहा एक गुट

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पवन वर्मा-
मध्य प्रदेश कांग्रेस के साथ ही देश भर में  कांग्रेस के कद्दावर नेता के रुप में अपनी अलग पहचान रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी का अचानक से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने से अनेक राजनीतिक प्रश्न उठ खड़े हुए हैं। इस घटना क्रम के  राजनीतिक लोग अनेक मायने निकालने में लगे हुए हैं। सुरेश पचौरी मध्य प्रदेश की राजनीति में चार दशक से सक्रिय चेहरा है। उनका भी प्रदेश कांग्रेस में एक मजबूत गुट है, उनके कांग्रेस से जाने के बाद यह गुट अब भाजपा में जाकर कांग्रेस को धीरे-धीरे खोखला कर सकता है।
आखिर ऐसा क्या हो रहा है मध्य प्रदेश कांग्रेस में कि एक-एक कर कई बड़े नेता उसका हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम रहे हैं। इसके पीछे क्या षड़यंत्र पूर्वक एक गुट  मध्य प्रदेश कांग्रेस में काम कर रहा है ? यह वह सवाल है जो प्रदेश कांग्रेस की हालत देखकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। कांग्रेस के कुछ नेताओं की उपेक्षा करना, नाराज नेताओं को न मनाना,  उन्हें पार्टी की ओर से कोई काम न देना ये किसी षड़यंत्र के तहत ही किया जा रहा है।
सुरेश पचौरी 1980 से लेकर 2018 तक प्रदेश कांग्रेस के मजबूत नेताओं में शुमार रहे। राजीव गांधी के दौर में उनका कद लगातार बढ़ता गया। इसी दौरान वे राज्यसभा में भेजे गए। भाषण शैली और अपनी बात को रखने में सुरेश पचौरी का कोई सानी नहीं हैं। हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों पर जबरदस्त पकड़ रखने वाले पचौरी ने धीरे-धीरे  राष्ट्रीय राजनीति में अपना दखल बढ़ाया। इसके चलते वे पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री बनाए गए। उन्हें रक्षा उत्पादन का राज्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद वे मनमोहन सिंह की कैबिनेट में भी शामिल रहे। इस बार उन्हें कार्मिक और संसदीय कार्य राज्यमंत्री बनाया गया था। दोनों ही सरकार में उन्हें महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंपे गए थे। अपने 50 वर्ष के   राजनीतिक सफर में वे भारतीय युवा कांग्रेस के महासचिव रहे। कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। इन सब के साथ वे चार बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। उन्होंने उमा भारती के खिलाफ भोपाल लोकसभा से चुनाव भी लड़ा।
अपने पचास साल के कांग्रेस में सफर के दौरान उन्होंने मध्य प्रदेश में कई नेताओं को तैयार किया। इसमें प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति, पूर्व मंत्री विजय लक्ष्मी साधो सहित विधायक आरिफ मसूद, पूर्व विधायक शंशाक भार्गव, संजय शुक्ला, विशाल पटेल, सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी,महिला कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शोभा ओझा जैसे तमाम नेता उन्होंने प्रदेश भर में तैयार किए। इसके बाद भी ऐसे नेता की उपेक्षा करना, उन्हें उनकी काबिलियत के अनुसार काम न देना, उन्हें नजरअंदाज करना यह कई संकेत देता रहा।
पचौरी का मन बदलना आसान काम नहीं
सुरेश पचौरी कभी केंद्र में कांग्रेस के रणनीतिकारों में शामिल हुआ करते थे, लेकिन धीरे-धीरे पार्टी ने उन्हें हाशिये पर रखना शुरू किया। उनका अपना प्रभाव प्रदेश के ब्राह्मणों में हैं, पार्टी ने उनके इस प्रभाव को भी समझने का प्रयास नहीं किया। उनके समर्थकों को तवज्जो मिलना कम होती गई। उनकी सलाह के बगैर ही मध्य प्रदेश कांग्रेस में निर्णय होने लगे। पिछले 5 साल ये यही स्तिथि बनी हुई थी। इसलिए न वे, बल्कि उनसे जुडे़ कई नेता भी कांग्रेस के पूर्व और वर्तमान नेतृत्व से खफा होने लगे।
राज्यसभा में दिग्विजय सिंह ने दिया झटका
मध्य प्रदेश से राज्यसभा की चार सीटों को भरा जाना था, जिसमें से कांग्रेस के खाते में एक सीट आना थी। इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने समर्थक अशोक सिंह को भेजने में सफलता पाई। जबकि अशोक सिंह का राजनीतिक कद प्रदेश की राजनीति में ऐसा नहीं हैं कि उसका फायदा कांग्रेस को मिल सके, इसके बाद भी सुरेश पचौरी, अरुण यादव जैसे दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर दिग्विजय सिंह समर्थक को राज्यसभा में भेजा गया। पचौरी लंबे समय से पार्टी में  उपेक्षित चल रहे थे। पचौरी के भाजपा में जाने के बाद दिग्विजय सिंह से खफा कई नेता भी अब भाजपा की तरफ जाने से परहेज नहीं करेंगे।
ऐसे में लोकसभा चुनाव के बीच में कांग्रेस में और बड़ी टूट देखने को मिल सकती है। खास बात यह है कि कांग्रेस में उपेक्षित चल रहे नेताओं को मनाने का काम पार्टी का कोई भी नेता नहीं कर रहा है। इससे साफ है कि कांग्रेस के ताकतवर नेता भी चाहते हैं कि पार्टी में उनका ही बोलबाला रहे और उनके विरोधी भाजपा का दामन थामते रहें।

सियासत’ जरूरी पर देश, धर्म और संस्कृति का सम्मान भी आवश्यक

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 डॉ. वंदना गाँधी
इस समय राजनीति का स्तर कितना गिर रहा है कि सियासत करने वाले कुछ लोग सभी सीमा-रेखा और मर्यादाओं को तोड़ रहे हैं। अपने सामने वाले पक्ष का विरोध करते-करते वे सीमाएँ लांघ कर देश, संस्कृति और धर्म के ख़िलाफ़ ही बोलने लग जाते हैं।
पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विधायक रामेंदु सिन्हा राय ने भी यही किया। उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए भाजपा और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का विरोध करते हुए अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर को ही अपवित्र कह दिया। ऐसा कहते हुए वे यह भूल गए कि भगवान श्री राम विश्व के करोड़ों श्रद्धालुओं के आराध्य हैं।
यद्यपि राजनीति की इस अतिहीनता को भारतीय समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा। इस प्रकार की ‘सियासत’ करने वालों को ये ध्यान रखना ही चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए वे उस सीमा को न लांघें कि देश, संस्कृति और धर्म की ही आलोचना करने लगें।
   विवादित बयान देने वाले रामेंदु सिन्हा राय पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के तारकेश्वर से तृणमूल कांग्रेस के विधायक हैं। इसके साथ ही वह पार्टी के आरामबाग ज़िले के संगठनात्मक जिला प्रमुख भी हैं। एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने अयोध्या में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर को लेकर आपत्तिजनक बयान देते हुए अयोध्या के श्रीराम मंदिर को अपवित्र स्थान कहा। उन्होंने यह भी कहा कि “किसी भी भारतीय हिंदू को ऐसे अपवित्र स्थल पर पूजा नहीं करनी चाहिए।” वह यहीं नहीं रुके और आगे कहा कि ‘’मंदिर में तो भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा ब्राह्मण करते हैं। ठीक इसी तरह इमाम साहब मस्जिदों में सारे धार्मिक रीति-रिवाज को निभाते हैं, लेकिन पीएम मोदी ने ब्राह्मण न होते हुए भी राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की। इसलिए ‘वहां’ नहीं जाना चाहिए।” रामेंदु सिन्हा राय ने सवाल किया कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राह्मण न होते हुए भी किस हैसियत से अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा की?” हालाँकि यह भी दुनिया ने देखा कि किस प्रकार अयोध्या में नवनिर्मित भव्य श्रीराम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के लिए 5 दिन तक विधिवत और शास्त्रोक्त अनुष्ठान चला था। और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रधानमंत्री दायित्व पूरे करते हुए भी 11  दिन तक यम, नियम ,संयम  और कठोर तपश्चर्याओं का  शास्त्रों में दिये निर्देश अनुसार पालन करते हुए कठिन उपवास रखकर प्रतिदिन पूजा-अर्चना की थी। उन्होंने प्रतिदिन अलग अलग पवित्र नदियों में स्नान कर मंदिरों के दर्शन किए थे। यहाँ यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि प्रभु श्रीराम तो सबके हैं। वे तो पूरे लोक के हैं,जहां वे केवट के हैं, तो शबरी के भी हैं। केवल ब्राह्मण न होने को मुद्दा बनाने की कोशिश समाज को बाँटने वाली ही है। ऐसे में यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि सभी वर्णों के लोग पुजारी, संत, महंत सदैव से रहे हैं। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में किसी भी जाति-वर्ग का व्यक्ति यजमान बन सकता हैं फिर प्रधानमंत्री मोदी के ब्राह्मण न होने को मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है। इसीलिए समाज को बाँटने की यह  इनकी तुच्छ कोशिश भी सफल होने वाली नहीं है।
इन आपत्तिजनक बयानों से पूर्व ज़रूरी था कि तृणमूल नेता रामेंदु सिन्हा राय भगवान श्रीराम की महिमा को समझ लेते। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार हैं, भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं। वे केवल भारतवर्ष के कोटि-कोटि हिंदूओं  के ही नहीं बल्कि विश्व भर में उन्हें मानने वालों के पूज्य आराध्य देव हैं। भगवान श्रीराम का जीवन विश्व के प्रत्येक मनुष्य के लिए आदर्श है। सभी जानते हैं कि 500 वर्षों के संघर्ष के बाद हिंदू समाज ने शांतिपूर्ण आंदोलनों और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद न केवल अपने प्रभु श्री राम के जन्म स्थान को प्राप्त किया बल्कि वहां भव्यतम मंदिर का निर्माण भी किया जा सका जो आज दुनिया के सामने है।
तृणमूल कांग्रेस के विधायक भगवान श्री राम को नहीं समझ पाए हैं और संभवतः न ही करोड़ों-करोड़ों हिंदुओं की आस्था को समझ सके हैं। यदि वे समझ पाए होते तो ऐसा कुत्सित बयान न देते। उनका बयान पूरी तरह से निंदनीय और धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचाने वाला है। उनके इस बयान से आहत समस्त हिंदू समाज इस बयान के लिए उनकी निंदा ही करेगा।
वर्तमान युग भारत का युग है। पूरे विश्व में भारत की जय जयकार हो रही है। भारत का गौरव इस बात से और अधिक बढ़ा है कि रामलला अपने जन्म स्थान में बने भव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं। प्रभु के दर्शन को देश और दुनिया से प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं। तब भी तृणमूल कांग्रेस नेता और ऐसे ही कुछ अराजक तत्व इस ऐतिहासिक आध्यात्मिक घटना को राजनीतिक चश्मे से देखने की भूल कर रहे हैं। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस विधायक और उनकी पूरी पार्टी और ऐसी कुत्सित सोच रखने वालों के लिए प्रभु श्री राम से प्रार्थना ही की जानी चाहिए कि ऐसे लोगों को भगवान सद्बुद्धि प्रदान करें और वे भी भगवान श्री राम के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य बनाएं।
प्रत्येक धर्म की अपने कुछ पवित्र स्थान और प्रतीक होते हैं। जैसे ईसाइयों में होली वॉटर, इस्लाम में मक्का और मदीना, यहूदियों के लिए जेरूसलम पवित्रम हैं, ऐसे ही हिंदू समाज के लिए भगवान श्री राम का जन्म स्थान परम पवित्र स्थान है। संसार जानता है कि हिंदू समाज इस विषय में अधिक जीवंत और संवेदनशील रहा है। ऐसे परम पवित्र स्थान को अपवित्र बताकर टीएमसी विधायक रामेंद्र सिंह राय ने इस देश की संस्कृति और धर्म को अपमानित करने का कुचेष्टा की है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी को रमेंदु सिंह पर कड़ी कार्रवाई करते हुए न केवल उनके बयान की सार्वजनिक निंदा करनी चाहिए बल्कि उन्हें पार्टी से भी निष्कासित करना चाहिए।
‘सियासत’ करने वाले ऐसे कतिपय लोग अपने  विरोधी दल और नेता का विरोध करते-करते भारत, संस्कृति, धर्म और समाज का विरोध ही करने लग जाते हैं। यह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। इससे पूर्व भी हिंदू समाज, धर्म और ऐसे ही पावन प्रतीकों के ख़िलाफ़ कतिपय विपक्षी नेताओं के बयान आते रहे हैं। ऐसे बयान देकर समाचारों की सुर्खियां बटोरने वाले और तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले लोगों को समझना चाहिए कि वे संविधान की मूल भावना के विरुद्ध भी कार्य कर रहे हैं। नागरिकों को संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों में धार्मिक स्वतंत्रता का भी अधिकार है। ऐसे में दूसरों की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन कर भावनाएँ आहत करने वाले बयान देकर ऐसे कतिपय तत्व संविधान के विरुद्ध भी कार्य करते हैं। ऐसे विवादित बयान देने वाले कतिपय तत्वों को यह भी समझना चाहिए कि इससे उन्हें तात्कालिक रूप से समाचारों में जगह तो मिल जाती है लेकिन वे समाज के मन से उतर जाते हैं। ऐसे लोगों को भगवान श्रीराम के जीवन से सीख लेनी चाहिए कि विरोध करने वालों के साथ भी किस प्रकार न्याय और सहृदयता से व्यवहार किया जाता है। साथ ही उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि  ये नया भारत है और इसमें हम कृष्ण जी का अनुसरण करते हुए दुष्टों और कुबुद्धियों का संधान करना भी जानते हैं इसलिए ध्यान रहे कि समाज रामजी के द्रोही को कभी क्षमा नहीं करेगा।(विनायक फीचर्स)

Election 2024: लोकसभा चुनाव में महिला सशक्तीकरण का दिखेगा असर

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नई दिल्ली। राजनीति में महिला सशक्तीकरण का प्रतीक बनने की कहानी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से शुरू होती है। कालांतर में इस कहानी में कई किरदार जुड़ते गए, जिन्होंने अपनी छाप छोड़ी और सिलसिला जारी है। इस बार सिर्फ मतदाता के रूप में ही महिलाएं बड़ी भूमिका नहीं निभाएंगी। बल्कि अपने राजनीतिक कौशल से भी वह चुनाव पर असर डालती दिखाई देंगी।

देश की राजनीति लंबे समय तक यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के इर्द-गिर्द घूमी है इस बार वह चुनावी मैदान में नहीं होंगी, लेकिन नेता के तौर पर उनकी भूमिका रहेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के चुनाव लड़ने का अभी निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन वित्त मंत्री के रूप में वह मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों का चेहरा हैं।

बसपा प्रमुख मायावती चुनाव नहीं लड़ेंगी। वह विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए में भी शामिल नहीं हैं, लेकिन देश की सबसे प्रभावशाली दलित नेता मानी जाती हैं। इनके अलावा किन महिला नेताओं पर क्यों होगी नजर? इसकी एक रिपोर्ट-
  • स्मृति इरानी: तख्ता पलट का प्रतीक

अभिनय से राजनीति में आई स्मृति इरानी तब सशक्त महिला नेता के रूप में पहचानी जाने लगी, जब 2019 के लोस चुनाव में कांग्रेस के अभेद्य किले अमेठी में उन्होंने राहुल गांधी को परास्त कर दिया। उन्हें भाजपा ने फिर अमेठी से ही प्रत्याशी बनाया है। स्मृति लगातार राहुल को ललकार रही हैं और इस सीट से कांग्रेस की आन-बान-शान जुडी हुई है।

  • माधवी लता: चुनौती का नया चेहरा

डा. माधवी लता का नाम तब से चर्चा में है, जब से भाजपा ने उन्हें हैदराबाद से असदुद्दीन ओवैसी के विरुद्ध प्रत्याशी बनाया है। यहां चार दशक से ओवैसी परिवार का

कब्जा है। माधवी मुखर हिंदूवादी होने के साथ शिक्षा – स्वास्थ्य के क्षेत्र मे समाजसेवा से अपनी पहचान बना चुकी हैं।

  • एनी राजा: दिग्गज के दंगल में

सीपीआइ महासचिव डी. राजा की पत्नी एनी राजा को पार्टी ने केरल की वायनाड सीट से उतारा है। वर्तमान सांसद राहुल गांधी के लिए एनी से मुकाबला आसान नहीं होगा। सीपीआइ की छात्र व युवा इकाई में सक्रिय रही एनी अभी में आल इंडिया वूमेन फेडरेशन की महासचिव हैं।

  • ममता बनर्जी: हनक की सियासत

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का लोकसभा चुनाव के मैदान खुद उतरना भले ही अभी तय नहीं है, पर विपक्षी राजनेताओ में वह प्रमुख चेहरा हैं। बंगाल से वामपंथी सरकार को उखाड़ सत्ता हासिल करने वाली ममता की पहचान हनक के साथ राजनीति करने वाली उन विपक्षी नेताओं में शामिल है, जो भाजपा से अकेले लड़ने का माद्दा दिखाती हैं।

मेरे परिवार में भी गाय पालने की परंपरा -सीएम मोहन यादव

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मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में गौ-माता और गौ-वंश के संरक्षण के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। गौ-शालाओं के बेहतर संचालन के लिए उन्हें दी जा रही राशि में वृद्धि की जाएगी। साथ ही प्रदेश में चरनोई की भूमि पर अतिक्रमण हटाने, प्रति 50 किलोमीटर पर सड़कों पर दुर्घटना का शिकार हुई गायों को इलाज के लिए भिजवाने और सड़कों पर बैठने वाले पशुधन को बैठने से रोकने या अन्य स्थानांतरित करने के लिये आधुनिक उपकरणों की सहायता ली जायेगी।

उपकरणों पर मिलेगा अनुदान

सीएम ने आगे कहा कि गायों के लिए चारा काटने के उपकरणों पर अनुदान की व्यवस्था की जायेगी। पंचायतों को आवश्यक सहयोग और प्रेरणा मिले, इसके लिए गौ-संवर्धन बोर्ड प्रयास करेगा। गायों के लिए गौ-शालाओं को प्रति गाय की राशि 20 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए प्रदान की जायेगी। अधूरी गौ-शालाओं का निर्माण पूर्ण किया जायेगा। नई गौ-शालाएं भी बनेंगी। बता दें कि मुख्यमंत्री कुशाभाऊ ठाकरे सभागृह में “गौ-रक्षा संवाद” के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

  • प्रदेश में संचालित गौ-शालाओं को श्रेष्ठ संचालन के लिए पुरस्कृत किया जाएगा।
  • भारतीय नव वर्ष अर्थात इस चैत्र माह से अगले वर्ष तक वह गौ- वंश रक्षा वर्ष मनाया जाएगा।
  • चरनोई की भूमि से अतिक्रमण हटाए जाएंगे।
  • सड़कों पर गाएं दुर्घटना का शिकार होती हैं। प्रति 50 किलोमीटर पर ऐसी व्यवस्था होगी कि घायल गाय को इलाज के लिए आसानी से ले जाया जा सके। हाईड्रोलिक कैटल लिफ्टिंग व्हीकल का टोल व्यवस्था के अंतर्गत प्रबंध किया जाएगा।
  • गौ-शालाओं को प्रति गाय 20 रुपए के स्थान पर 40 रुपए की राशि देय होगी।
  • चारा या भूसा काटने के लिए प्रयुक्त होने वाले उपकरण पर अनुदान की व्यवस्था होगी। इसके लिए पंचायतों को आवश्यक सहयोग किया जाएगा।
  • अधूरी गौ-शालाओं का निर्माण पूर्ण किया जाएगा। इसके लिए मनरेगा से भी राशि का उपयोग होगा। नई गौ-शालाएं भी प्रारंभ की जाएंगी।

मेरे परिवार में भी गाय पालने की परंपरा

उन्होंने ये भी कहा कि गौ-पालक ही गाय का महत्व समझता है। हमारे देश में गाय पालना, गौ-शाला चलाना पवित्र कार्य है। गौ-शाला संचालन से ज्यादा बेहतर काम यह है कि घर में ही गौ-पालन किया जाये। यदि पर्याप्त जगह है, तो गाय अवश्य पालें। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके परिवार में भी गाय पालने की पुरानी परंपरा है। आज भी वयोवृद्ध पिता, बूढ़ी गायों की सेवा करते हैं। गाय को मां स्वरूप मानते हैं। गौ-पालक परिवार यदि गाय के दूध का उपयोग करता है, तो सेवा में भी पीछे नहीं रहना चाहिये।

इस अवसर पर अखिलेश्वरानंद गिरि, गोपालानंद सरस्वती जी महाराज, पूर्व सांसद मेघराज जैन, प्रमुख सचिव गुलशन बामरा, संचालक पशुपालन एवं प्रबंध संचालक म.प्र.गौ संवर्धन बोर्ड एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री डॉको गुजरात से आए पूर्व सांसद एवं चेयरमैन राष्ट्रीय कामधेनु आयोग श्री वल्लभ भाई कठेरिया ने अपनी पुस्तक “कल्याण गौ-सेवा अंक” भेंट की।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास, श्रम मंत्री श्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि वे स्वयं गौ-पालक हैं। इसलिये इस कार्यशाला से उनका विशेष जुड़ाव है। आज यहां इस क्षेत्र के अनेक जानकारों और विशेषज्ञों के विचार एवं सुझाव जानने का अवसर मिला। मुख्यमंत्री ने गौ-पालन से जुड़े महत्वपूर्ण विषय पर कैबिनेट के संकल्प को पूरा किया है। कार्यशाला में प्राप्त अनुशंसाएं उपयोगी हैं। इनसे संबंधित आवश्यक निर्णय मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लिये हैं। निश्चित ही मध्यप्रदेश की यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी महत्वपूर्ण होगी।