हिंदू धर्म में गाय को माता कहा गया है। पुराणों में धर्म को भी गौ रूप में दर्शाया गया है।भगवान श्रीकृष्ण गाय की सेवा अपने हाथों से करते थे और इनका निवास भी गोलोक बताया गया है। इतना ही नहीं गाय को कामधेनु के रूप में सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला भी बताया गया है। हिंदू धर्म में गाय के इस महत्व के पीछे कई कारण हैं जिनका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है।
आज महानगर मुंबई जैसे शहर में यदि कोई गौसेवा करे और वो भी अपनी गौशाला खोल कर तो बाड़ी बात होती है। आज के समय में गौशाला चलाना अपने आप में बड़ी चुनौती है।
गुजरात भावनगर के रहने वाले उद्योगपति प्रवीण भाई काकड़िया अपने बचपन के दिनों में गौ माता को चराने जाते थे। जब ८० के दसक में उनका परिवार कारोबार के लिए मुंबई आया तो उन्हें मजबूरन अपने घर की सभी गौवंश को दूसरे को देना पड़ा था। बचपन से ही जीवदया का भाव रखने वाले प्रवीण भाई काकड़िया ने तभो सोच लिया था कि यदि भगवान् ने उन्हें सामर्थ दिया तो एक दिन मुंबई के आस -पास अपनी गौशाला जरूर बनाएंगे।
ईश्वर और गौमाता की कृपा उनके परिवार पर हुई और आज से १२ वर्ष पहले प्रवीण भाई काकड़िया ने काकड़िया गौशाला की नींव मुंबई के पास ब्रजेश्वरी रोड विरार के पास अंबोडे गांव में ३ एकड़ की भूमि खरीद कर शुरू की आज यहाँ पर ५० से भी अधिक देशी गिर गौवंश है। जिनकी सेवा हो रही है।

Kakadia Gaushala

३ एकड़ की भूमि में फैली इस गौशाला में गौवंश के लिए सभी सुबिधाएँ मौजूद है , प्रवीण भाई बताते है कि वे चारा भावनगर से मंगवाते है बाकी हरे चारे की व्यवस्था गौशाला में होती है।
प्रवीण भाई अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहते है – विश्व कल्याण तभी होगा जब गौ माता की सेवा का बीड़ा उठाएंगे, गौ माता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है प्रकृति ने हमें पैड़-पौघे, पहाड, नदियाँ, समुद्र, पशु-पक्षी सभी कुछ दिया है। मानव के विकास के रास्ते विविध तरीकों से खोले हैं। मानव को सोचने-समझने और अपने जीवन के साथ-साथ प्रकृति की बनाई हुई प्रत्येक वस्तु के संरक्षण का ज्ञान प्रदान किया है। गौ सेवा सब से बड़ी सेवा है। मैं वही कर रहा हूँ।
प्रवीण भाई आगे बताते है कि – ‘उन्हें बचपन से ही गाय का दूध पीने का बहुत रूचि थी , यह भी एक कारण है जो मुझे गौमाता के करीब रखता है। और एक बड़ी बात यह भी थी कि मेरे परिवार के लोग बिटमिंस की कमी के कारण परेशान और बीमार रहते थे,जिस का एक मात्र ईलाज था देशी गाय का दूध।

प्रवीण भाई १९८४ मात्र १८ वर्ष की उम्र में मुंबई आ गए थे। परिवार का साथ रहा , कारोबार में सफल होने के बाद आज वह अपने बचपन की रूचि और पारिवारिक संस्कारो के अनुरूप जीवदया , गौसेवा को अपना मूल मन्त्र मान कर काम करते है।
आज वह अपनी गौशाला के माध्यम से रोजगार के दृष्टिकोण से वह अपना गौशाला का देशी घी का ब्रांड भी ले कर आ रहे है जिस पर वह काम किया जा रहा है। देशी गौवंश के नश्ल सुधार पर भी वह काम कर रहे है।
प्रवीण भाई जीवदया के काम को मुंबई की जानी मानी संस्था समस्त महाजन के साथ मिल कर काफी काम करते है। गौसेवा और जीवदया पर उनके विचार बहुत ही अच्छे और प्रेरणा देने वाले है वे कहते है कि -” भगवान श्रीकृष्ण ने ‘गौ’ संस्कृति आधारित जीवन शैली को भी आगे बढ़ाया व भारतवर्ष में गौ पालन सनातन धर्म का आधार माना गया। वर्णन आता है कि श्रीकृष्णजी संदीपन ऋषि के यहां पढ़ने के लिए गये, तो वहां भी उन्हें सर्वप्रथम गौ सेवा व गौशाला का कार्य दिया गया। गौ सेवा श्रीकृष्ण ने बखूबी निभाया, गायों को समय पर चारा, पानी देने, गाय के गोबर को उठाने, गो सेवा करने में इस स्तर तक लीन हो गये, जिससे श्रीकृष्ण को सूक्ष्म अनुभूतियां हुई। उनके अंतःकरण में जन जन की पीड़ा निवारण की प्रेरणा भरने लगी और वे संतों, सज्जन व्यक्तियों के जीवन को सुखी करने और दुष्टों का संहार करके समाज में करुणा-संवेदना स्थापित करने का संकल्प लिया!
मानव मन-मस्तिष्क की सात्विकता व संवेदनशीलता जगाकर आध्यात्मिक प्रगति दिलाने में गाय सहायक है। गाय की निकटता शरीर से रोगों को दूर रखने, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायक है। एक तरफ कृषि प्रक्रिया से गाय व गौवंश के बाहर होने पर धरती बंजर होने लगी, वहीं जीवन शैली में लगातार बढ़ता असंतोष, अस्थिरता के पीछे गौ माता से दूर होना बड़ा कारण माना जा रहा है। परम गौभक्त जीवदया के लिए दान करना प्रवीण भाई काकड़िआ के जीवन का आज एक अभिन्न अंग बन चूका है।आज उनकी यह गौशाला किसी पर्यटन स्थल से कम नहीं है .

 

 

 

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