झुंझुनूं : श्री गोपाल गौशाला झुंझुनूं जिले की सर्वश्रेष्ठ गौशाला जहां गौ माता की सेवा वर्षों से होती आ रही है तथा गौ सेवा में नवाचार करने में हमेशा अग्रणी रही है। गौशाला में साफ सफाई, गौ माता के लिए रहने खाने की समुचित व्यवस्था, हॉस्पिटल तथा अन्य गतिविधियां गौ भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है जहां प्रतिदिन सुबह से शाम तक गौ भक्त न केवल आते हैं बल्कि वहां अपनी सेवाएं देते हैं तथा अपने हाथों से गोवंश को गुड़, हरा चारा, हरी सब्जी, मीठा दलिया एवं गेहूं के आटे से बनी रोटियां इत्यादि सामग्री से गौ सेवा करते हैं।

गौशाला नवाचार के क्रम में गिर गाय का पालन करने हेतु प्रथम बार ग्यारह गिर गाय लेकर आ रही है जिसके लिए उदारमना गौ भक्त दानदाताओं से स्वीकृति मिल चुकी है।

ग्यारह गौ भक्त दानदाता केशर देव देवकीनंदन तुलस्यान परिवार, चौथमल सुनील कुमार पाटोदीया परिवार, नरोत्तम लाल जालान परिवार, सत्यनारायण परमेश्वर लाल हलवाई परिवार, काशी नाथ जालान परिवार, अशोक कुमार संत कुमार केडिया परिवार, सपना अनिल राणासरिया परिवार, बनवारी लाल टेकड़ीवाल परिवार, रघुनाथ प्रसाद पोद्दार परिवार, सीए दीनबंधु जालान मुंबई, राम किशोर टीबड़ा हैदराबाद है।

जानकारी देते हुए गौशाला अध्यक्ष प्रमोद खंडेलिया एवं मंत्री नेमी अग्रवाल ने बताया कि इन ग्यारह गिर गायों के लिए अलग से सैड बनवाकर सुंदर तरीके से व्यवस्था की जाएगी।

जानकारी देते हुए गौशाला पीआरओ डॉक्टर डीएन तुलस्यान ने बताया कि गिर गायों के लिए एवं छानी डालने वाले सैड के एक्सटेंशन के लिए दो सैड गौ भक्त दानदाता स्वर्गीय मणी देवी ढंढारिया एवं स्वर्गीय बिहारी लाल ढंढारिया की पुण्य स्मृति में उनके सुपुत्र राधेश्याम ढंढारिया, सुपौत्र राहुल एवं राज ढंढारिया (राहुल फुटकेयर लिमिटेड जयपुर) के सौजन्य से बनाए जा रहे है। जिसका निर्माण कार्य प्रगति पर है जयपुर से राधेश्याम ढंढारिया परिवार की ओर से सैड मैं काम आने वाली लोहे की गाटर, चैनल, टीण इत्यादि सामग्री गौशाला में भिजवाई जा चुकी है। जल्द ही इसी माह सैड बनने के पश्चात गुजरात से गिर गाय लाई जाकर उनका पालन शुरू हो जाएगा।

विदित है कि गिर गाय अन्य देसी गाय से आर्थिक रूप से महंगी हैं, लेकिन गिर गायों से मिलने वाले लाभ अतुलनीय और अनूठे हैं। अत्यधिक पौष्टिक A2 गाय का दूध हमें मिलने वाले प्रमुख लाभों में से एक है, गिर गायें अपने अद्वितीय दूध गुणों और पोषक तत्वों के कारण अन्य देसी और जर्सी गायों से भिन्न होती हैं। यह नस्ल लगभग किसी भी जलवायु परिस्थिति में जीवित रह सकती है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के मूल निवासी होने के कारण, वे कई उष्णकटिबंधीय बीमारियों का विरोध करने और जीवित रहने के लिए अधिक शक्तिशाली हैं। यह असाधारण नस्ल अपनी A2 दूध देने की क्षमता के लिए जानी जाती है, जो अत्यधिक अनुशंसित है और साथ ही यह उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो लैक्टोज असहिष्णु हैं।

Previous articleहर्रई के किले से कमलनाथ का गढ़ ढहाने की कोशिश* 
Next articleआपसी लड़ाई में एक गोवंश 15 फुट गहरे गड्ढे में गिरा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here