(पवन वर्मा-विनायक फीचर्स)
हर्रई के किले से कांग्रेस के कद्दावर नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को ढहाने के प्रयास में  भाजपा दिखाई दे रही है। इस महल के जरिए भाजपा ने छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र के आदिवासी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसके चलते ही भाजपा ने योजनाबद्ध तरीके से अमरवाड़ा के विधायक कमलेश शाह को कांग्रेस से तोड़कर भाजपा की सदस्यता दिलाई है। कमलेश शाह हर्रई जागीर के राजा हैं। यह जागीर गोंडवाना साम्राज्य का वैभव मानी जाती है। इस जागीर  के राजा उदय भान शाह, उग्र प्रताप भानु शाह से लेकर  कमलेश शाह का गौंड आदिवासियों में खासा प्रभाव रहा है।
उन्हें आज भी इस क्षेत्र में रहने वाले गौड़ लोग अपना राजा ही मानते हैं। गौंड राजा कमलेश शाह  कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने से पहले विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है।अब उनकी छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट खाली हो गई है।  छिंदवाड़ा से कांग्रेस ने कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा से विवेक साहू बंटी उम्मीदवार हैं। नकुलनाथ इस सीट से सांसद भी हैं।
छिंदवाड़ा में गौंड आदिवासियों की संख्या खासी है। आदिवासियों का वोट यहां पर कांग्रेस का मजबूत आधार रहा है। इनके बल पर ही कमलनाथ का यह गढ़ मजबूत बना रहा है। भाजपा ने इस सीट को जब स्केन किया तो यही सामने आया कि आदिवासी पूरी तरह से कमलनाथ के साथ हैं। ऐसे में भाजपा को आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाना थी। तब भाजपा के नेताओं ने कमलेश शाह को चुना ।दरअसल कमलेश शाह हर्रई जागीर के राजा है। कई पीढ़ी से उनका यहां पर सम्राज्य हैं। यहां के गोंड आदिवासी कमलेश शाह को अब भी राजा के समान सम्मान देते हैं। उनके महल में आज भी राजाओं की तरह ही परम्पराएं और रीति रिवाज अपनाए जाते हैं।
 *नाथ के लिए अमरवाड़ा खास* 
कांग्रेस और कमलनाथ के लिए अमरवाड़ा की खास अहमियत रही हैं।  गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की इस पूरे क्षेत्र में  दमदार उपस्थिति के बाद भी अमरवाड़ा विधानसभा के आदिवासियों ने कमलनाथ का ही साथ दिया।  पिछले लोकसभा चुनाव में नकुलनाथ को सबसे ज्यादा वोट और लीड अमरवाड़ा विधानसभा से ही मिली थी। इधर कमलेश शाह, छिंदवाड़ा लोकसभा से कांग्रेस के उम्मीदवार नकुल नाथ से नाराज भी चल रहे थे। जिसे भाजपा ने पहले से भांप रखा था। बस वह मौके के तलाश में थी और उसे लोकसभा चुनाव के समय यह मौका मिल गया।
 *पहले परिवार  फिर महल भाजपा में*
जिले की राजनीति में हर्रई महल का अलग स्थान है। विधायक कमलेश शाह की छोटी बहन कामिनी शाह पहले ही भाजपा में हैं। वे महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। उनकी बड़ी बहन जिला पंचायत सदस्य केशर नेताम भी भाजपा में शामिल हो गई है।
 *खुद तीन बार और दादा तथा मां भी  विधायक*
अमरवाड़ा विधानसभा के अस्तित्व के साथ ही यहां हर्रई राजघराने का दबदबा बना रहा है। कमलेश शाह के दादा राजा उदयभान शाह और मां रानी शैलकुमारी भी कांग्रेस से विधायक रही हैं। उनके पिता उग्र प्रताप शाह और भाई भूपेंद्र शाह जनपद अध्यक्ष रहे हैं जबकि कमलेश शाह तीन बार विधायक बने।
 *आदिवासी बने मुद्दा* 
कमलेश शाह के भाजपा में जाने के बाद छिंदवाड़ा सीट पर आदिवासियों के मान-सम्मान का मुद्दा उठ गया है। दरअसल नकुलनाथ ने कमलेश शाह के क्षेत्र में सभा की और संकेतों में कमलेश शाह पर जमकर निशाना साधा। भाजपा को  इस बात का आभास था। जैसे ही नकुलनाथ ने कमलेश शाह पर निशाना साधा, वैसे ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मुद्दे पर कमलनाथ और नकुलनाथ को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया। देखते ही देखते यह पूरा मामला दोनों पार्टियों में आदिवासियों के मान सम्मान से जुड़ गया। भाजपा कमलेश शाह पर नकुलनाथ द्वारा  संकेतों में की गई टिप्पणी को आदिवासियों का अपमान बता रही है। यदि इस मुद्दे ने जोर पकड़ा तो कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ के लिए मुश्किल बढ़ सकती है। हालांकि अब यह चार जून को जब मतगणना पूरी होगी तक ही पता चलेगा कि भाजपा के इस मुद्दे ने कितना असर दिखाया।(विनायक फीचर्स)
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