जयपुर। राजस्थान में करीब छह साल पहले गौ अभ्यारण्य बनाने की योजना अमल में लाई गई। इसके लिए बाकायदा जमीन भी चिन्हित की गई। बजट में भी प्रावधान रखा गया है। लेकिन अब भाजपा सरकार में गौ अभ्यारण्य बनाने की कोई योजना नहीं है। इसका खुलासा खुद गोपालन मंत्री ने विधानसभा में किया है। मंत्री ने लिखित में बताया है कि वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा मध्य-प्रदेश व उड़ीसा की तर्ज पर प्रदेश में गौ अभ्यारण्य स्थापित करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
यह है पूरा मामला
राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को एक विधायक में सवाल उठाया कि क्या राज्य सरकार मध्यप्रदेश व उड़ीसी की तर्ज पर राजस्थान में भी गो अभ्यारण्य स्थापित करना चाहती है? इस पर गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि मध्य-प्रदेश व उड़ीसा की तर्ज पर प्रदेश में गौ अभ्यारण्य स्थापित करने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा इन राज्यों से आवश्यक जानकारी एकत्र की जा रही है। परीक्षण के पश्चात् प्रदेश की भौगोलिक स्थिति के अनुरूप वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता अनुसार इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
छह साल पहले यह बनी थी योजना, लेकिन धरातल पर नहीं हुआ काम
गोपालन मंत्री ने बताया कि वर्ष 2018-19 में तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा बीकानेर जिले के नापासर ग्राम में 5 करोड़ रुपए की लागत से गौ अभ्यारण्य स्थापित करने की घोषणा की थी। इस गौ अभ्यारण्य की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा 5 करोड़ रुपए एवं एमओयू की सहभागी संस्था द्वारा भी 5 करोड़ रुपए की राशि दिए जाने का प्रावधान किया गया था।
प्रदेश में कुल 1 करोड़ 39 लाख गौवंश
कुमावत ने बताया कि प्रदेश में कुल 1 करोड़ 39 लाख गौवंश हैं। निराश्रित गौवंश के संरक्षण एवं संधारण के लिए प्रदेश में 4 हजार 140 पंजीकृत गौशालाएं हैं। राज्य सरकार द्वारा इन पात्र गौशालाओं को गौवंश के भरण-पोषण के लिए बड़े गौवंश को 44 रुपए एवं छोटे गौवंश को 22 रुपए का अनुदान दिया जाता है। इस वर्ष के बजट में यह अनुदान 15 प्रतिशत बढाकर बड़े गौवंश को 50 रुपए एवं छोटे गौवंश को 25 रुपए करने की घोषणा की गई है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 में 21 फरवरी, 2025 तक 1147 करोड़ रुपए का अनुदान जारी कर दिया गया है।
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