अश्विनी गुरुजी द्वारा लिखित

सम्पूर्ण मानव जाति की जड़ एक है, हम सभी एक ही शक्ति से उत्पन्न हुए हैं और उसी शक्ति में विलीन हो जाएँगे| अनंत काल से हमारे देव और देवियाँ भी एक ही रहे हैं, जिन शक्तियों की हम आराधना करते हैं वे भी एक से ही हैं, जैसे गौ, सर्प, इत्यादि |

गौ और उसके बछड़े में कुछ विशेष है, जिस कारण उन्हें सभी प्राचीन संस्कृतियों में पूजनीय माना गया है | वर्तमान काल में गौ पूजा को केवल भारतवर्ष से जोड़ा जाता है, किंतु इतिहास पर दृष्टि दौड़ाने से इस गोजातीय देवी की सर्वत्रता प्रत्यक्ष होती है|

मेसोपोटामियन नंदी को असाधारण बल तथा जनन-क्षमता के प्रतीक के रूप में पूजते थे | बेबीलोनियन देवताओं के चिह्न भी नंदी ही थे | प्राचीन काल के बेबीलोनियन, अस्सीरियन और पर्शियन उनके महलों के रक्षकों के रूप में महाकाय नंदी की प्रतिमा रखते थे जिस पर देवताओं की जागृति हेतु कई दैवी शिलालेख होते थे | इजिप्तवासी हेथॉर नामक गौ और एपिस नामक नंदी को पूजते थे | प्राचीन चीन और जापान में भी गौवंश को बहुत सम्मान दिया जाता था और इसीलिए उनका माँस खाना निषिद्ध था |

सिंधु घाटी की पुरातन द्रव्य मुद्राओं पर नंदी एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण चिह्न था, नंदी भगवान् शिव के प्रिय हैं | ऋग्वेद में भी गौ को अदिति और अघन्य कहकर संबोधित किया गया है – अर्थात जिसकी हत्या करना या काटना अनुचित है|

जहाँ एक ओर गौमाता के दूध को अमृत कहा गया है, जो उत्तम आरोग्य प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर उसके माँस की तुलना विष से की गयी है, जिससे शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं |

गौवंश की रक्षा करना समृद्धि का प्रतीक है| महाभारत में विराटनगर, जहाँ पांडवों ने उनके निर्वासन का आख़री वर्ष अज्ञातवास में गुजारा, में हुए युद्ध की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी है | कौरवों ने विराटनगर के सभी गौवंश का अपहरण कर लिया था | तब पाण्डवों ने अपने १३ वर्षीय अज्ञातवास को दाव पर लगाकर गौ रक्षा हेतु शस्त्र उठाना उचित जाना। गौ का माहात्म्य कुछ ऐसा ही है |

आधुनिक काल में भी जो इस अनोखे जीव की रक्षा हेतु कार्य करते हैं, वे कभी भी निराश नहीं होते | ध्यान फाउंडेशन के एक स्वयंसेवक जो जर्नलिस्ट हैं और गौसेवा में भी सक्रिय हैं, उन्होंने अपनी पहली नौकरी में एक पाँच पैरोंवाली गौ पर लेख लिखा | मात्र ३ महीने में उस लेख को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहाना मिली |

गौ में कुछ रहस्यजनक बात तो है…जिसका अनुभव मैंने अपनी वर्षों की साधना में असंख्य बार किया है | जो गौ पालन करते हैं, वे बड़ी ही तेज़ी से प्रगति करते हैं | दुनिया की विभिन्न संस्कृतियां गौ संरक्षण और सेवा से होने वाले लाभ का उल्लेख करती हैं | इसी विश्व संस्कृति को सुरक्षित करते हुए ध्यान फाउंडेशन देश भर में ४५ गौशालाओं के माध्यम से ७०००० बचाए हुए गौवंश का संरक्षण कर रही है । आप भी इन गौशालाओं पर इस विचित्र शक्ति की सेवा के लाभ अनुभव कर सकते हैं ।

अश्विनी गुरुजी ध्यान आश्रम के मार्गदर्शक हैं | अधिक जानकारी के लिए www.dhyanfoundation.com पर संपर्क करें |

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