(राकेश अचल-विभूति फीचर्स)
आज बात न हमास की और न विधानसभा चुनाव की ,क्योंकि आज का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है प्याज ।  प्याज जिसके बिना रसोईघर की रौनक ही चली जाती है ।  भारत में प्याज अचानक ही टमाटर की तर्ज पर सुर्ख हो चला है ।  मुझे कल प्याज 70  रूपये किलो मिला और साथ ही चेतावनी भी कि -भाई साहब और ले  लो वरना ये 100  रूपये किलो में  भी नसीब होने वाला नहीं है। प्याज ने  भी मौक़ा  देखकर चौका मारने की कोशिश की है क्योंकि इस वक्त पूरा देश  हमास-इजराइल जंग और विधानसभा चुनावों में मशगूल है।
कहने को प्याज़ एक वनस्पति है लेकिन  प्याज एक सहायक सब्जी भी है,मसाला  भी है और आयुर्वेद  की दवा भी ।  ये कटे या छिले अच्छे से अच्छे आदमी को रुला देती है ।और जब इसके भाव आसमान छूने की कोशिश करते हैं तब तो हिन्दू हो या मुसलमान ,सिख हो या ईसाई सब तिलमिला जाते हैं ये अकेली ऐसी कंद है जो कभी-कभी सरकार भी हिला देती है।  प्याज ने कभी भी ये नहीं देखा कि सरकार किस पार्टी की है । सरकार किसी भी दल की हो ,प्याज हमेशा अपनी हरकत से बाज नहीं आती।
 भारत में महाराष्ट्र  प्याज़ की पसंदीदा जमीन है ।  प्याज की सबसे ज्यादा खेती उसी महाराष्ट्र में होती है जहाँ एक नहीं दो-दो शिव सेनाएं हैं।  महाराष्ट्र वाले साल मे दो बार प्याज़ की फ़सल लेते  है। प्याज की पहली फसल  नवम्बर में और दूसरी मई के महीने में  होती है। ऐसे में आजकल प्याज मंहगी नहीं होना चाहिए, लेकिन हो रही है । अर्थात इसके पीछे कोई साजिश है । कोई राष्ट्रद्रोही शक्ति  प्याज का भाव बढ़ाने का नीच काम कर रही है। वरना हमारे यहां तो इतना प्याज होता है कि हम प्याज का कई देशों को निर्यात करते है।  हमारे अनेक पड़ौसी मुल्क जैसे  नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, हमारी भारतीय प्याज पर ही पलते है।
 महाराष्ट्र प्याज के मामले में अपनी दादागीरी न दिखाए इसलिए भारत में  प्याज़  कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश में भी पैदा होती है और देश की जनता की सेवा करती है।
प्याज और सरकार के बीच ‘ डाल-डाल,पात-पात ‘ का खेल चलता है ।  प्याज वाले दाम बढ़ाते हैं तो सरकार प्याज के  निर्यात पर लगने वाला कर  बढ़ा देती है। अभी महाराष्ट्र के नासिक में स्थित देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में पिछले बीस दिनों में प्रति क्विंटल प्याज का औसत दाम 1370 रुपये से बढ़कर 2421 रुपये पर पहुंच गया है।  केंद्र सरकार ने फौरन प्याज की क़ीमतों पर लगाम लगाने के लिए प्याज के निर्यात पर 40 फ़ीसद निर्यात कर लगा दिया है। ‘सबको साथ लेकर सबका विकास ‘ करने वाली हमारी मोदी सरकार ने इसके साथ ही  साल 2023-24 के लिए अपने प्याज के स्टॉक को तीन लाख टन से बढ़ाकर पांच लाख टन करने का फ़ैसला किया है। हमारे  सूत्र बता रहे हैं कि जनता को प्याज न रुला पाए इसलिए सरकार ने पहले ही तीन लाख टन प्याज ख़रीद कर रख ली थी।अब सरकार किसानों से दो लाख टन प्याज ख़रीदेगी।
सरकार के लिए प्याज हो या टमाटर हमेशा समस्या पैदा करते ही रहते है।  सवाल ये है कि सरकार देश को हिन्दू  राष्ट्र बनाने के महा अभियान में जुटे या टमाटर-प्याज को लेकर उलझी रहे। एक तरफ केंद्र सरकार प्याज की बढ़ती क़ीमतों को थामने की कोशिश कर रही है तो दूसरी ओर किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।  जाहिर है कि प्याज दरअसल  केवल प्याज नहीं है बल्कि सियासत का एक  रासायनिक औजार भी है। जो चलता है तो सबको रुलाता है ।  जनता को भी और सरकार को भी। हमारी राजनीतिक पार्टियां तो वैसे  भी पांच  राज्यों  के विधानसभा चुनावों में खून  के आंसू रो  रही है । कांग्रेस  जनता को गारंटी पर गारंटी  दिए जा  रही है । छग  में राहुल गाँधी कह आये कि उनकी पार्टी केजी  से पीजी  तक  मुफ्त  शिक्षा  देगी। गनीमत है कि अभी किसी भी राजनीतिक दल ने मतदाताओं  को मुफ्त में प्याज-टमाटर देने  की गारंटी नहीं दी है । कल को कोई राजनीतिक ऐसा  कर भी दे  तो हैरानी  नहीं होना चाहिए।
दुनिया में आलू  के बाद प्याज-टमाटर ही ऐसी चीज है जो हर जगह पायी  और खाई  जाती है । आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया  में  1,789 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में  25,387 हजार मी. टन प्याज का उत्पादन होता है। भारत में  287 हजार हेक्टर क्षेत्रफल में  2450 हजार टन प्याज पैदा होता है।हमारी नानी  को प्याज की गंध  से सख्त नफरत थी लेकिन वे किसी को प्याज खाने  से रोकती नहीं थीं। वे बताती थी कि -‘ प्याज केवल प्याज नहीं है बल्कि गुणों की खान है।  नानी के मुताबिक़  प्याज का उपयोग सब्जी, मसाले, सलाद तथा अचार तैयार करने के लिए किया जाता है। हमारे नाना  वैद्य  थे ,वे कहते  थे  कि-‘ प्याज में आयरन, कैल्शियम, तथा विटामिन ‘सी’ पाया जाता है। प्याज  तासीर  से तीखा, तेज, बलवर्धक, कामोत्तेजक, स्वादवर्धक, क्षुधावर्धक तथा महिलाओं में रक्त वर्धक होता है। पित्तरोग, शरीर दर्द, फोड़ा, खूनी बवासीर, तिल्ली रोग, रतौंधी, नेत्रदाह, मलेरिया, कान दर्द तथा पुल्टिस के रूप में लाभदायक है। अनिद्रा निवारक (बच्चों में), फिट (चक्कर) में सुंघाने के लिए उपयोगी। कीड़ों के काटने से उत्पन्न जलन को शान्त करता है।’लेकिन सियासत वाले हमेशा जनता के सर पर प्याज काटते आये हैं ।
भारत आज भी प्याज के मामले में चीन को पछाड़ नहीं पाया है ।  भारत भले   ही इस  मामले में अमेरिका  से आगे  है लेकिन चीन  से पीछे है । प्याज के मामले में हमारा  असल  मुकाबला  चीन  से है इसलिए यदि  देश को चीन  से ज्यादा  ताकतवर  बनाना  है तो चीन से ज्यादा प्याज पैदा करना भारतीय किसानों   का ,राज्य  सरकारों का पहला  राष्ट्रीय  कर्तव्य  होना चाहिए। दुनिया आज भी 74 लाख  मीट्रिक  टन  प्याज हजम  कर जाती है।  अर्थात राम नाम  की ही तरह  प्याज नाम  भी सत्य  है । इसलिए -‘चुनिए उसे जो प्याज दिलाये ‘
(विभूति फीचर्स)
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