छत्तीसगढ़ , खेती में मजदूरों की कमी बड़ी समस्या बनती जा रही है. इससे निपटने मनरेगा के मजदूरों को पंचायत से जोड़कर रोजगार सेंटर बनाया जाए. यहां से डिमांड पर किसानों को खेती के काम के लिए मजदूर उपलब्ध कराया जाए. इस तरह मनरेगा को कृषि से जोड़ा जाना चाहिए. इससे किसानों की मजदूरों और सरकार की काम की समस्या खत्म हो जाएगी.

सिंचाई सुविधा: नदी और नालों में शुरूआत से लेकर आखिर तक तटीय गांवों में लिफ्ट सिस्टम तैयार कर बारिश का पानी सुरक्षित स्थलों में संरक्षित करने की व्यवस्था हो.

तैयार हो. इससे सिंचाई का रकबा बढ़ेगा वहीं ग्राउंड वाटर की समस्या भी खत्म हो जाएगी. अतिरिक्त फसल बीमा: पीएम फसल बीमा योजना में पैदावार की लिमिट 12 क्विंटल प्रति एकड़ है, जबकि सरकार 20 क्विंटल खरीदती है. इस तरह सरकार भी 20 क्विंटल उत्पादन मानती है. ऐसे में पीएम बीमा से छूटे उत्पाद के लिए प्रदेश स्तर पर अलग से बीमा योजना लागू किया जाना चाहिए.

अनाज बैंक: हर सहकारी समिति में अनाज बैंक की स्थापना कर यहां चना, गेहूं, अरहर जैसे उत्पादों को भंडारित कर रखने की सुविधा मुहैया कराया जाए. जमा अनाज पर गोल्ड लोन की तरह 70 फीसदी तक किसानों को लोन दिया जाना चाहिए. इससे किसान दाम ज्यादा होने पर उपज बेंच सकेंगे और नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा.

राज्य किसान आयोग: प्रदेश में किसान आयोग का गठन अब तक नहीं हुआ है. इससे चलते किसानों की आवाज सीधे सरकार तक पहुंचाने की कोई भी व्यवस्था नहीं है. किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए उचित मंच तैयार करने राज्य में राज्य किसान आयोग का गठन किया जाना चाहिए.

घुमंतु मवेशी: सड़कों पर आवारा मवेशियों से छुटकारा के लिए यूपी की तर्ज पर गो-पालक योजना लागू किया जाए. जिसके माध्यम से पशुपालकों को चारा व दूसरे खर्चों के लिए प्रति पशु 250 रुपए शासन की ओर से दिया जाए. उसके बाद पशु छोड़ने पर दंड की कार्राई हो.

कृषि उद्योग: ग्रामीण इंडस्ट्रीयल पार्कों में कृषि उत्पादों से तैयार प्रोडक्ट के लिए भी उद्योग स्थापित किए जाने चाहिए. इससे सीधे उत्पाद की बिक्री की तुलना में तैयार उपयोगी प्रोडक्ट से किसानों को ज्यादा लाभ मिलेगा. इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

अमानक खाद-बीज: अमानक खाद-बीज खेतों में खप जाता है, इसके बाद जांच की रिपोर्ट पहुंचती है. इससे बचने के लिए टेस्ट सर्टिफाइड खाद बीज की ही बिक्री का नियम बनाया जाना चाहिए. अमानक खाद बीज पर नुकसान की भरपाई का भी प्रावधान हो.

गौठान और बिजली: इसके अलावा महापंचायत में गौठान और बिजली सहित अन्य समस्याओं को लेकर भी प्रस्ताव पारित किए गए. किसानों ने गौठान योजना को पूरी तरह फ्लाप करार दिया वहीं कृषि उपयोग की बिजली में कटौती को भी अनुचित बताया.

राज्य में किसान आयोग के गठन और घुमंतु मवेशियों की समस्या से निपटने यूपी की तर्ज पर गौ-पालक योजना की मांग किसानों ने उठाई है. नगपुरा में किसान महापंचायत में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया. ये प्रस्ताव राजनीतिक दलों को भेजे जाएंगे. किसानों ने उनके प्रस्ताव पर अमल के लिए तैयार राजनीतिक दलों को सहयोग का फैसला भी किया गया. छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के बैनरतले यह महापंचायत आयोजित किया गया.महापंचात में आधा दर्जन से ज्यादा किसान संगठनों के प्रदेशभर के करीब 1500 किसान प्रतिनिधि शामिल हुए. महापंचायत में करीब दर्जनभर अन्य प्रस्ताव भी पारित किए गए.

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