सुभाष आनंद –

डायबिटीज अर्थात मधुमेह अर्थात शुगर का रोग भारत में बड़ी तेजी से फैल रहा है। यदि डायबिटीज को लेकर रोगी
सावधानी नहीं बरतता तो कई बार यह रोग घातक सिद्ध हो जाताहै। यदि इसे नियंत्रण में न रखा जाए तो शरीर में
कई प्रकार के अन्य विकार पैदा हो सकते हैं। फिरोजपुर शहर के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ एवं शहीद डॉक्टर
अनिल बागी मल्ट्री स्पेशलिस्ट हास्पिटल के डायरेक्टर डॉ. कमल बागी (एमडी मेडिसिन) का कहना है कि यदि इसे
नियंत्रण में न रखा जाए तो इससे अनेक अन्य शारीरिक पेचीदगियां पैदा हो सकती हैं। ऐसा होना कई अन्य घातक
एवं कष्टदायक रोगों को निमंत्रण देता है, यह निश्चित ही जटिल रोग है।

डॉ. कमल बागी से जब पूछा गया कि आखिर यह रोग क्या है? उनका कहना था कि जब शरीर मेंरक्त में सामान्य
स्तर से शक्कर की मात्रा बढ़ जाती है तो पेशाब के साथ शक्कर आनी शुरू हो जाती है। डॉक्टरी भाषा में इस डायबिटीज  कहा जाता है।

एक एडाक्राइनल ग्रंथि से यह रोग होता है। हमारे पेट के ऊपरी भाग में पीछे पैनक्रियाज ग्रंथि होती है जो हमारे शरीर
के अंदर की शुगर की मात्रा को ठीक रखने के लिए हार्मोन पैदा करती है जिसे इंसुलिन भी कहा जाता है। यह इंसुलिन
ही शरीर के शुगर को कंट्रोल में रखती हैं, जब पैनाक्रियाज यह इंसुलिन कम मात्रा में पैदा करें तो डायबिटीज रोग हो
जाता है। जब बच्चों में बढ़ती इस बीमारी के बारे में बातचीत की तो डॉ. कमल बागी ने बताया कि डायबिटीज दो प्रकार
की होती है, प्रथम बचपन ही से हो जाती है, दूसरी बढ़ती आयु में। उन्होंने बताया कि यह रोग अल्पायु बच्चों में भी हो
सकता है और इसकी चिकित्सा इंसुलिन देने से की जाती है। हमारी डॉक्टरी भाषा में इसे इंसुलिन डिपेंडेट डायबिटीज
कहा जाता है। दूसरी प्रकार की शुगर 40-45 साल की आयु से अधिक लोगों को होती है, क्योंकि इस आयु में इंसुलिन
पैदा करने वाले सैल पैदा करने की क्षमता कम होने लगती है, ऐसे रोगियों को नान इंसुलिन डिपेटेंट डायबिटीज कहा
जाता है। डायबिटीज को खानपान में सुधार, गोलियों और इंसुलिन के टीके से लगातार कंट्रोल में रखा जा सकता है।
जब हमने डॉक्टर कमल बागी से इस रोग के कारणों के बारे में पूछा तो उन्होंने उत्तर दिया कि पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले
लोगों में यह रोग कम पाया जाता है, जबकि पिछले दिनों में पंजाब हरियाणा, दिल्ली को इस रोग ने अपने घेरे में ले

लिया है, इसका मुख्य कारण पंजाब में शराब का प्रचलन है। कई लोगों को यह रोग विरासत में भी मिलता है, अर्थात
यदि मां-बाप इस रोग से पीडि़त हैं तो बच्चों में भी होने की पूरी संभावना है। मोटापा इसका मुख्य कारण है। जितने भी
मोटे आदमी हैं, उनको मधुमेह की बीमारी ज्यादा पनपने का खतरा बना रहता है, क्योंकि उनकी पैनक्रियाज ग्रंथियों
को आम आदमी की बजाय अधिक काम करना पड़ता है। अच्छा खानपान, बढिय़ा खाना-पीना, वसायुक्त भोजन
मोटापा पैदा करता है। कई प्रकार की दवाइयों का प्रयोग करने से यह रोग मोटे लोगों को अपने जाल में फंसा लेता है।
दवाइयों का प्रयोग करने वाले लोगों में (जिसमें स्टीरायड) का प्रयोग किया जाता है, कट्रोसेप्टिक हार्मोंस
(गर्भनिरोधक गोलियां) खाने वाली महिलाओं, डायजोरोब्टिस (बार-बार पेशाब करने वाली) गोलियां खाने से भी यह
रोग तेजी से पनपने लगता है। जब हमने पूछा कि कितना ब्लड शुगर होना चाहिए? डॉ. कमल बागी का कहना था कि
यह उम्र पर डिपेंड करता है। 50 वर्ष की आयु में शुगर लेवल 85 से 110 के बीच होना चाहिए, जबकि 60-70 वर्ष की
आयु के लोगों में ब्लड शुगर लेवल 100 से 120 के बीच होना चाहिए, इसके लक्षणों के बारे में डॉ. बागी का कहना था
ज्यादा पसीना आना, पेशाब ज्यादा आना, भूख बढऩे लगे, वजन लगातार घटना आदि इसके लक्षण हैं। उन्होंने कहा
कि कई बार मेरे पास विचित्र केस भी आए हैं कि उनके पास कोई ऊपर लिखित कोई लक्षण नहीं होता, फिर भी वह
हाईशुगर से पीडि़त होते हैं। कई बार ऐसे रोगियों को बेहोशी की स्थिति में मेरे पास लाया जाता है।
डॉ. कमल बागी से इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि शुगर कम होने के कारण (हाइपोम्लाक्सीमिक) परेशानी भी
होती है जो काफी घातक साबित हो सकती है। कई लोगों की डायबिटीज बार्डर लाईन पर होती है उन्हें दवाई से परहेज
करना चाहिए और लंबी सैर और चीनी खाने से परहेज करना चाहिए। डिप्रेशन में चल रही गर्भवती महिलाओं की खून
और पेशाब टेस्ट पता चल जाता है कि आखिर उनको यह समस्या क्यों है। मानसिक दबाव और इंफेक्शन के कारण
गर्भवती महिलाओं में यह लक्षण ज्यादा पाए जाते हैं। डॉ. बागी का कहना है कि यदि रोगी इस बीमारी को लेकर
लापरवाही करता है तो उसके शरीर के विभिन्न -विभिन्न अंगों में कुप्रभाव पड़ता है। शरीर में हर प्रकार की धमनियों
को यह रोग प्रभावित करता है। नाडिय़ां सिकुडऩे लगती है, दिल की धमनियां सिकुडऩे से दिल का दौरा पडऩे की
संभावनाएं बढऩे लगती है। आंखों की रोशनी शनै-शनै कम हो जाती है, कोई समय ऐसा भी आता है कि आंखों की
रोशनी भी चली जाती है। गुर्दों पर भी इसका कुप्रभाव पड़ता है।

डॉ. बागी ने कहा कि शुगर रोगियों को अगर चोट लग जाए तो वह शीघ्र ठीक नहीं होती, कई बार अंगों को भी काटना
पड़ता है। कई बार शुगर के रोगियों की पेशाब में चर्बी आने लगती है। कई बार डायबेटिक न्यूरोपैथी अर्थात टांगे, बाजू
और पैर सुन हो जाते हैं। पैर की उंगलियां वगैरह गलने लगती है।

पैरों के नाखून नीले हो जाते हैं, कई बार पैरों में गैग्रीन होने का भी खतरा बना रहता है। ग्रैगीन आगे न बढ़े इसीलिए
कई बार पैरों की उंगलियों को काटना भी पड़ता है, जो रोगी के लिए काफी कष्टदायक साबित होता है। डॉ. बागी ने
बताया कि यह एक जटिल रोग है, जिसे हम दवाओं से नियंत्रण में रख सकते हैं, लेकिन यह कभी समाप्त नहीं होता।
हां पैनाक्रियाटिक ट्रांसप्लांट करने या फिर बीटा सेल्स पैनक्रियाज में डालकर कुछ समय तक इस रोग को स्थगित
किया जा सकता है परंतु यह सामान्य रोगियों के बस की बात नहीं। इस इलाज के लिए भारी राशि खर्च होती है। कई
बार इस रोग से पीडि़त लोगों को छाती में भी इंफेक्शन होने का डर बना रहता है, जिसके कारण क्षय रोग होने का भी
खतरा होता है। डॉ. बागी ने कहा कि अधिक शुगर होने पर बेहोशी की स्थिति को डायबिटिक कोमा कहते हैं, अगर
शुगर कम हो जाए उसे हाइपोग्लाइसीमिक कोमा की स्थिति पैदा हो जाती है। यह दोनों स्थितियां खतरनाक है, जो
लोग परहेज नहीं करते वह मृत्यु को निमंत्रण देते हैं।

डॉ. बागी ने कहा कि इस रोग से बचने के लिए कुछ सावधानियां अपनाने की जरूरत है। सबसे पहले अपने खान-पान
में सावधानियां अपनानी चाहिए। जहां तक हो सके कम खाएं, चीनी से कोसों दूर रहें। मीठे फल आम, चीकू, केला,
नाशपाती, लीची, अंगूर, और मिठाइयों से दूरी बनाएं रखें। शुगर के रोगी को आलू-चावल से परहेज करना चाहिए।
शुगर फ्री आइस्क्रीम, बेसन की रोटी, सतरंगी आटे का प्रयोग करने से शुगर कंट्रोल में रहती है। लंबी सैर, जोगिंग,
व्यायाम इत्यादि मधुमेह रोगियों के लिए लाभदायक साबित हो सकते हैं। मधुमेह रोगियों को पैरों की सफाई
नियमित करनी चाहिए, जहां तक हो सके गर्म पानी में नमक डालकर उसे साफ करें ताकि पैरों में जमें जर्म साफ हो
जायें। डॉ. बागी ने कहा कि मधुमेह रोगियों को 15 दिनों के पश्चात अपने खून-पेशाब की जांच अवश्य करानी चाहिए
ताकि उन्हें पता चल सके कि उन्हें आगे क्या सावधानियां बरतनी है।

डॉ. बागी ने आगे बताया कि विदेशों में रिश्ते तय करते समय डायबिटीज का खास ध्यान रखा जाता है, ड्रेनमार्क,
इटली, अमेरिका के कुछ प्रांतों में कनाडा, ब्रिटेन में रिश्तों के लिए विज्ञापन देते समय स्पष्ट लिखा जाता है कि
परिवार शुगर से पीडि़त है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता, दो डायबैटिक परिवारों में रिश्ता करने से संकोच करना
चाहिए, क्योंकि संतानों में मधुमेह रोग पनपने की संभावनाएं ज्यादा रहती है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा रोग है
जिसे काबू में रखा जा सकता है परंतु समाप्त नहीं किया जा सकता। समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी है।
दवाई घटाने अथवा बढ़ाने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। समय-समय पर लैब से खून एवं पेशाब के
टेस्ट भी करवाएं। परहेज ही इस बीमारी का सबसे अच्छा इलाज है। (विभूति फीचर्स)

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