(पवन वर्मा-विनायक फीचर्स)

देश के पूर्वी हिस्से से पश्चिम तक निकल रही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की न्याय यात्रा मध्य प्रदेश में ऐतिहासिक हो, इसे लेकर कांग्रेस के नेता पूरी ताकत के साथ जुटे हुए हैं।राहुल गांधी की यात्रा के जरिए सभी नेताओं के साथ ही संगठन ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों से फिलहाल दूरी बनाए रखी है। अब सवाल यह उठ रहा है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह सहित अन्य नेता लोकसभा चुनाव को लेकर इतने बेफिक्र क्यों हैं ? इन नेताओं की लोकसभा चुनाव को लेकर इतनी बेरूखी है कि चुनाव सिर पर होने के बाद भी कांग्रेस के सभी नेता  राहुल गांधी की यात्रा की तैयारियों में ज्यादा व्यस्त है। मध्य प्रदेश में राहुल गांधी की यात्रा तीन मार्च को आने की संभावना है और सात मार्च तक राहुल गांधी यहां के आठ लोकसभा क्षेत्रों से गुजरेंगे। प्रदेश के 29 लोकसभा क्षेत्रों में से अभी भाजपा के 28 सांसद हैं, जबकि एक मात्र सीट छिंदवाड़ा पर कांग्रेस का कब्जा है।
 *भाजपा का गढ़ और दिग्विजय का प्रभाव*
राहुल गांधी मध्य प्रदेश में मुरैना जिले से प्रवेश करेंगे।  यह सीट भाजपा के खाते में हैं, यहां से नरेंद्र सिंह तोमर सांसद थे, वे केंद्र में मंत्री भी रहे, लेकिन भाजपा ने उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ाया और अब वे मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हैं। यह सीट लंबे अरसे से भाजपा के खाते में रही है। यह सीट पिछले 27 सालों से भाजपा के कब्जे में हैं। यानी राहुल गांधी जिस लोकसभा क्षेत्र से मध्य प्रदेश में प्रवेश करेंगे वह भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। इसी तरह ग्वालियर में माधवराव सिंधिया के बाद से कांग्रेस लोकसभा चुनाव में संघर्ष ही करती रही है। यह सीट भी पिछले तीन चुनाव से कांग्रेस लगातार हार रही है। राहुल गांधी की यात्रा ग्वालियर के बाद गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र से होकर गुजरेगी। इस सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया अब तक लोकसभा का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े हैं। अब यह सीट भी कांग्रेस के पास नहीं बची है। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का सबसे मजबूत आधार  मानी जाने वाली राजगढ़ लोकसभा सीट आती है। राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में दिग्विजय सिंह का खासा प्रभाव माना जाता है। लेकिन यहां पर भी दो चुनाव कांग्रेस लगातार हार चुकी है। यहां पर वर्ष 2009 में कांग्रेस जीती थी, इसके बाद से यह सीट भी कांग्रेस के हाथ से निकल गई। इसी क्षेत्र से आगे बढ़ते हुए राहुल गांधी की यात्रा देवास-शाजापुर लोकसभा क्षेत्र, फिर उज्जैन, धार, झाबुआ लोकसभा क्षेत्र से गुजरेगी। इन सभी लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा के सांसद हैं।
*फिर भी लोकसभा चुनाव की तैयारियों से दूर कांग्रेस*
भाजपा के मजबूत गढ़ में बदल रहे मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारियों में कांग्रेस, भाजपा से लगातार पिछड़ती जा रही है। भाजपा में जहां युद्ध स्तर पर चुनाव की तैयारी की जा रही है।  केंद्र से लेकर प्रदेश और मंडल स्तर के नेता और पदाधिकारी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं। वहीं कांग्रेस इन दिनों  अपने नेता राहुल गांधी की यात्रा को लेकर बैठक कर रही है। जब लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने का वक्त प्रदेश में होगा, उस वक्त पूरी कांग्रेस और प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार राहुल गांधी की यात्रा में शामिल रहेंगे। प्रदेश भर के कार्यकर्ता और नेता यहां पर आएंगे। करीब सात दिन तक कांग्रेस चंद लोकसभा क्षेत्रों में सिमट जाएंगी।
 *मिशन 29 को कितना रोक सकेगी कांग्रेस*
मध्य प्रदेश में इस बार भाजपा सभी लोकसभा सीट जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है। पिछले चुनाव में वह 29 में से  28 सीटों पर जीती थी। कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा से कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। इस बार जहां भाजपा के पास मिशन 29 को पूरा करने की चुनौती है, वहीं कांग्रेस के सामने भाजपा के इस मिशन को रोकने की चुनौती है।  इस चुनौती को स्वीकार करते हुए भाजपा तो दिन रात एक कर काम कर रही है, लेकिन कांग्रेस की तैयारी भाजपा के मुकाबले में कमतर ही लग रही है।
 *कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने को कोई नेता नहीं तैयार*
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली जबरदस्त हार के बाद प्रदेश कांग्रेस के कोई भी दिग्गज नेता और संगठन के मुखिया अपने कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने का काम भी नहीं कर रहे हैं।  हालात यह हो चुके हैं कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी अपने दो महीने के कार्यकाल में प्रदेश के सभी लोकसभा क्षेत्रों का दौरा तक नहीं कर पाएं हैं। वे भोपाल और इंदौर में ही ज्यादा सक्रिय हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाने वाले कमलनाथ और दिग्विजय  सिंह दिल्ली में ज्यादा वक्त बीता रहे हैं। प्रदेश में ये आ भी रहे हैं तो कमलनाथ छिंदवाड़ा तक सीमित रह रहे हैं, वहीं दिग्विजय सिंह राजगढ़ लोकसभा में ही सिमट गए हैं। ये दोनों नेता भी विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर अपने-अपने क्षेत्रों से बाहर दौरा करने के लिए नहीं निकले हैं। इन तीनों नेताओं की बेरुखी के चलते कांग्रेस के अधिकांश कार्यकर्ता अब तक विधानसभा चुनाव की हार से बाहर ही नहीं निकल पाएं हैं। यही हाल मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रभारी जितेंद्र भंवर सिंह का है।वे भी मध्यप्रदेश कम ही आते हैं।ऐसे में भाजपा के मिशन 29 को रोकने में कांग्रेस और उसके नेता कितने सफल होंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएंगा।(विनायक फीचर्स)लेखक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक हैं।
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