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इंजीनियरों को विविध उद्योगों में कौशल बढ़ाने में मदद करेगा बिट्स पिलानी का ‘पीजी डिप्लोमा स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग’

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मुंबई। बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स), पिलानी के वर्क इंटीग्रेटेड लर्निंग प्रोग्राम (डब्ल्यूआईएलपी) डिविज़न ने स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग में एक नया पीजी डिप्लोमा कार्यक्रम शुरू किया है, जिसे विविध उद्योगों में काम करने वाले इंजीनियरों को डिजिटल टेक्नोलॉजी के ज़रिये विनिर्माण के काम को डिज़ाइन, क्रियान्वित और प्रबंधित करने में मदद करने के लिए तैयार किया गया है। यह कार्यक्रम, विनिर्माण क्षेत्र के संगठनों के सहयोग से विकसित किया गया है और इसे कैरियर ब्रेक के बिना आगे बढ़ाया जा सकता है।

पीजी डिप्लोमा कार्यक्रम के तहत तीन व्यापक विषय हैं – एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, इंडस्ट्रियल आईओटी, और परिचालन प्रबंधन (ऑपरेशन मैनेजमेंट) – डाटा अधिग्रहण से लेकर डिजिटल कारखानों की प्राप्ति तक प्रक्रियाओं की श्रृंखला का समर्थन करना। इसमें मेक्ट्रोनिक्स, इंडस्ट्रियल आईओटी, बिग डाटा एनेलिटिक्स, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन, क्लाउड कंप्यूटिंग, कनेक्टेड मैन्युफैक्चरिंग, माइक्रो फैब्रिकेशन और साइबर सुरक्षा जैसे डिजिटल फैक्ट्री से जुड़े टेक्नोलॉजी एनेबलर को शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम में प्रवेश के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 18 मार्च, 2024 है।

स्मार्ट विनिर्माण प्रथाओं के क्रियान्वयन में सहायता के लिए अनुभव आधारित शिक्षा विभिन्न उद्योगों से जुड़ी वैश्विक कंपनियां स्मार्ट विनिर्माण प्रथाओं को लागू करने में अत्यधिक रुचि दिखा रही हैं। फॉर्च्यून बिज़नेस इनसाइट्स के अनुसार, वैश्विक स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग बाज़ार का आकार 2022 में 277.81 अरब डॉलर का था, जो 2023 में 310.92 अरब डॉलर का हो गया और अनुमान है कि यह 2030 तक बढ़कर 754.1 अरब डॉलर हो जाएगा और पूर्वानुमानित अवधि में इसका 13.5% की सीएजीआर बैठता है। इस अभूतपूर्व विकास प्रक्रिया में भाग लेने के लिए, इंजीनियरों को स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग के तरीकों में खुद को बेहतर बनाने की ज़रूरत है, जिसमें उन्नत प्रौद्योगिकियों और उद्योग 4.0 घटकों की गहन समझ और व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करना शामिल है।

वास्तविक दुनिया से जुड़ी केस स्टडी, अक्सर इंजीनियरों को उद्योग-विशेष से जुड़ी चुनौतियों और समाधानों को समझने में मदद करती हैं और उन्हें बहुमुखी भूमिकाओं के लिए तैयार करती हैं। इस कार्यक्रम में अनुभव आधारित शिक्षा को जोड़ने से व्यावहारिक अनुभव और व्यावहारिक शिक्षा के अवसर मिलते हैं। इसके लिए संस्थान, शिक्षार्थियों को अपने अत्याधुनिक प्रयोगशाला बुनियादी ढांचे तक पहुंच प्रदान करता हैं।

प्रो.परमेस्व चिदंपरम,प्रमुख-कोर इंजीनियरिंग समूह, बिट्स पिलानी-डब्ल्यूआईएलपी डिविज़न ने कहा,”यह कार्यक्रम प्रमुख क्षेत्रों में कौशल प्रदान करता है, जैसे प्रतिभागियों के बीच रचनात्मकता, नवोन्मेष और प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल तकनीक, डाटा एनेलिटिक्स, ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और साइबर सुरक्षा – इससे उन्हें कई प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं को एकीकृत करने की क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, प्रायोगिक शिक्षा के अवसर उनके समस्या-समाधान कौशल और निर्णय लेने की क्षमता को और बढ़ाएंगे, जिससे उन्हें इंडस्ट्री 4.0 की गतिशील चुनौतियों के अनुकूल बनने और स्मार्ट कारखानों के विकास में योगदान करने में मदद मिलेगी।”

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