– डॉ. नीरज भारद्वाज

इतिहास के पृष्ठों को पलटा तो दो विश्व युद्ध की विभीषिका और उसमें हुए नरसंहार की बातें सामने आई। साथ ही दो विश्व युद्धों के बाद होने वाले शांति समझौतों को भी पढ़ा। प्रथम विश्व युद्ध 1914-1918 तक चला। उसके बाद सन 1919 में वर्साय की संधि हुई और जर्मनी को उस पर न चाहते हुए भी हस्ताक्षर करने पड़े। जर्मनी की हार के साथ-साथ उस पर कितने ही आर्थिक प्रतिबंध लगे, इसमें अपने अधिकार क्षेत्र के कितने ही भूभाग को जर्मनी से छुड़वा दिया गया। नए स्वतंत्र राष्ट्रों की घोषणा कर दी गई और किसी ने जर्मनी के भूभाग को अपना बताते हुए अपने क्षेत्र में मिला लिया। वास्तव में यह शांति समझौता कम जर्मनी पर प्रतिबंध लगाना ज्यादा दिखाई दे रहा था।

विचार करें तो यह शांति समझौता ही दूसरे विश्व युद्ध का एक बड़ा कारण भी बना। दूसरे विश्व युद्ध में भी जर्मनी की हार हुई। जर्मनी ने हार का फिर मुँह देखा। लेकिन आज जर्मनी जैसे-तैसे करके अपने को संभाल रहा है।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप के देश, अमेरिका, सोवियत संघ आदि देशों ने मिलकर विश्व शांति के कदम उठाने का प्रयास किया। इस सराहनीय कदम के प्रयास के बाद ही 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र चार्टर आधिकारिक रूप से अस्तित्व में आ गया। इसमें फ्रांस, चीन, सोवियत संघ, ब्रिटेन, अमेरिका आदि 50 देशों ने हस्ताक्षर किए। पोलैंड ने बाद में हस्ताक्षर किए और इसमें उस समय कुल संख्या 51 हो गई।

इस चार्टर में कहा गया था कि, हम संयुक्त राष्ट्र के लोग आने वाली पीढ़ियों को युद्ध की विभीषिका, जिसने हमारे जीवन काल में दो बार मनुष्य जाति के लिए अकथनीय पीड़ा को जन्म दिया, से बचाने के लिए कृतसंकल्प है। हम बुनियादी मानवाधिकारों, व्यक्ति की प्रतिष्ठा और मूल्य, स्त्री और पुरुष तथा बड़े और छोटे राष्ट्रों के समान अधिकारों के विश्वास की पुनर्पुष्टि करते हैं और ऐसी स्थितियों के निर्माण के लिए वचनबद्ध हैं, जिनमें न्याय तथा संधियों एवं अंतरराष्ट्रीय कानून के अन्य स्रोतों से उत्पन्न दायित्वों के प्रति आदर बनाए रखा जा सके।

विचारणीय बात यह है कि इस संस्था को बनाने वाले भी यही यूरोपीय देश, अमेरिका, सोवियत रूस आदि हैं। प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध को जन्म देने वाले उसके बाद संधि करने वाले भी यही देश हैं। अब रूस-यूक्रेन युद्ध चल रहा है। इसमें हथियार, पैसा, सैनिक आदि एक दूसरे देशों को देने वाले भी यही देश हैं। फिर यह संस्था बनाई क्यों? जब आपको इस संस्था की कार्यशैली, व्यवस्था आदि को मानना ही नहीं है, तो व्यर्थ का खर्च क्यों हो रहा है।

संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों में प्रमुख बातें भी लिखी गई हैं, जो इस प्रकार हैं- अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना, राष्ट्रों के बीच बराबरी की बुनियादी पर अधिकारों के सिद्धांत तथा जनता के आत्म निर्णय के प्रति आदर पर आधारित मित्रतापूर्वक संबंध विकसित करना, अंतरराष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं मानवीय समस्याओं के समाधान एवं मानवाधिकारों तथा बुनियादी स्वतंत्रताओं को परिवर्तित करने में सहयोग करना आदि बातें लिखी गई है।

जब इतने कुछ उद्देश्य, सिद्धांत आदि बनाए गए हैं, फिर भी विश्व में यह युद्ध क्यों हो रहे हैं? आज विश्व के लगभग 193 देश इसके सदस्य हैं, फिर भी दुनिया में कहीं न कहीं एक दूसरे देशों के बीच जंग जारी ही रहती है। कहीं न कहीं कोई न कोई युद्ध की विभीषिका में देश जलता दिखाई दे ही जाता है।

विश्व के देशों में शांति कैसे बनी रह सकती है, इस विषय पर सोचने की जरूरत है। प्रतिस्पर्धा के इस महादौर में सभी आगे बढ़ना चाहते हैं।

यूरोपीय देशों तथा अमरीका को जैसे ही अपना सिंहासन हिलता दिखाई देता है, फिर एक भयानक विश्व युद्ध होने की संभावना बन जाती है। आज विश्व का हर एक देश किसी से कमतर नहीं है। लेकिन यूरोपीय देश और अमेरिका विश्व पर अपना वर्चस्व दिखाने के लिए दुनिया को विनाशकारी युद्ध में धकेलने से नहीं डरते हैं। रूस-युक्रेन युद्ध में खुलेआम हथियार, पैसा, सैनिक आदि भेजे जा रहे हैं, जबकि शांति प्रस्ताव के लिए कार्य करना चाहिए। जब शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र बनाया गया है तो फिर नैटो देशों की कल्पना क्यों आई? फिर नया संघ बना और फिर नया विवाद, आखिर युद्ध हो ही गया। किसी भी देश को संधि-समझौतो के साथ शांति की जरूरत होती है। इस विश्व को विकास के साथ शांति चाहिए, विनाश के साथ विकास नहीं। (युवराज)

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