The Cow Progeny Will Now Be Taken To The Cow Shed : भोपाल। प्रदेश के राजमार्गों और सड़कों पर बारिश के मौसम में बेतरतीब तरीके से गौ-वंश के खड़े रहने और बैठे रहने से दुर्घटना की लगातार आशंका बनी रहती है। इसे देखते हुए ही अब सड़कों पर घूमने वाली गौ-वंश को गौ-शाला पहुंचाया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में मवेशियों के सड़कों पर आने पर चिंता जाहिर की थी और इस संबंध में जरुरी इंतजाम के निर्देश दिए थे। उसके बाद पशुपालन विभाग ने सभी कलेक्टर्स को इस संबंध में दिशा- निर्देश जारी किए हैं। निर्देश में कहा गया है कि निराश्रित गौ-वंश की वजह से किसानों की फसलों को होने वाले नुकसान और दुर्घटनाओं से जन-धन एवं पशुधन की हानि की रोकथाम और गौ-वंश के संरक्षण के लिये व्यवस्थापन कार्य किये जाये।

प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी गुलशन बामरा द्वारा जारी इन निर्देशों में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में निराश्रित गौ-वंश को ग्राम पंचायतें अपने संसाधन अथवा स्थानीय परिवहन व्यवस्था से निकटतम गौ-शालाओं में पहुंचाये। नगरीय क्षेत्रों में हायड्रोलिक-स्थानीय वाहन की व्यवस्था, नगर निगम, नगरीय निकाय या जिला माइनिंग फंड आदि में उपलब्ध राशि से की जा सकती है। राजमार्गों पर घूमने वाले निराश्रित गौ-वंश की राजमार्ग संधारण संस्था के पेट्रोलिंग वाहन से सतत निगरानी की जाये और संस्था के या स्थानीय वाहन से निकटतम गौ-शालाओं या गोठानों तक पहुंचाएं।

गौ-शालाओं में पहुंचाए गए अतिरिक्त निराश्रित गौ-वंश के लिये चारा-भूसा आहार राशि मप्र गौ-संवर्धन बोर्ड द्वारा जिला गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन समितियों द्वारा 20 रूपये प्रति गौ-वंश, प्रति दिवस के मान से उपलब्ध करवाई जाएगी। गौ-शाला विहीन गांवों में ग्राम स्तरीय गोठान की व्यवस्था होगी कलेक्टर्स से कहा गया है कि जहां गौ-शाला नहीं है, निराश्रित गौ-वंश को पहुंचाने के लिये अस्थाई गौ-शाला,गोठान की व्यवस्था करें। ग्राम स्तरीय गोठान में 100 गौ-वंश के लिये लगभग एक एकड़ भूमि की व्यवस्था करें। गोठान ऐसी जगह बनाएं, जहाँ पानी का भराव न हो, वन्य भूमि, चराई के लिये 10 एकड़ भूमि गोठान के नजदीक उपलब्ध हो, पेयजल के लिये पास में नदी-तालाब आदि हो। गोठान भूमि की यथासंभव फेंसिंग करवाएं।

गोठानों के लिये गौसंवर्धन बोर्ड द्वारा 20 रूपये प्रति गौ-वंशए,प्रति दिवस के मान से राशि उपलब्ध करवाई जाएगी। गोठानों का संचालन स्थानीय निकायों, चयनित सेवाभावी गैर शासकीय संगठनों या स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जा सकता है। जिला स्तरीय गोठान की भी व्यवस्था होगी प्रत्येक जिले में 1000 गौ-वंश की क्षमता वाले जिला स्तरीय गोठान की भी व्यवस्था करने के निर्देश दिेये गये हैं। लगभग 10 एकड़ पर बनने वाले यह गोठान भी ऐसी जगह बनेंगे, जहां पानी का भराव न हो, चराई के लिये 50 से 100 एकड़ भूमि गोठान के नजदीक उपलब्ध हो, पेयजल के लिये नजदीक में तालाब-नदी आदि हों, गोठान भूमि की यथासंभव स्थाई या अस्थाई फेंसिंग करवाई जाएगी।

कलेक्टर्स से कहा गया है कि गोठान के निर्माण में मनरेगा या उपयुक्त मद में अप्रारंभ गौ-शालाओं की स्वीकृति को आवश्यकतानुसार निरस्त कर जिला स्तरीय गोठान के कार्य स्वीकृत किये जा सकते हैं। गौ-संवर्धन बोर्ड द्वारा गोठानों के गौ-वंश के लिये 20 रूपये प्रति गौ-वंश, प्रति दिवस के मान से चारे-भूसे की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। गोठानों का संचालन जिला गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन समितियों द्वारा, चयनित स्थानीय निकायों, सेवाभावी गैर शासकीय संगठनों या स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जाएगा।

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