-मुख्यमंत्री ने की बारिश और फसल बुआई की समीक्षा, कहा-सभी जिलों की 24 घंटे हो निगरानी
-बारिश के सटीक आंकलन को विकास खंड स्तर पर लगेंगे रेन गेज़ ताकि समय से मिले जानकारी
-15 जिलों में कम बारिश से बुआई पर असर, यहां के हालात पर रखें नजर : मुख्यमंत्री
-सीएम के निर्देश, कृषि, सिंचाई, राहत, राजस्व आदि विभाग अलर्ट मोड में रहें
लखनऊ, 01 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को यहां कहा कि राज्य में इस वर्ष कम बारिश के बावजूद स्थिति नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों का नुकसान नहीं होने देगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा है कि जिन जिलों में कम बारिश से बुआई पर असर पड़ा है, वहां के हालात पर नजर रखी जाए।
मुख्यमंत्री योगी आज बारिश और फसल की बुआई को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सभी जिलों में 24 घंटे निगरानी हो। साथ ही कृषि, सिंचाई, राहत, राजस्व आदि विभागों को उन्होंने सदैव अलर्ट मोड में रहने का निर्देश दिया।
समीक्षा बैठक में ये रहे मुख्यमंत्री के प्रमुख दिशा-निर्देश
● इस वर्ष 31 जुलाई तक प्रदेश में कुल 191.8 मिलीमीटर वर्षा हुई है, जो कि वर्ष 2021 में हुई 353.65 मिमी और वर्ष 2020 में हुई 349.85 मिमी वर्षा के सापेक्ष कम है। इस बीच एकमात्र आगरा जनपद ऐसा रहा जहां सामान्य (120 प्रतिशत से अधिक) वर्षा हुई। इन परिस्थितियों के बीच सभी किसान भाइयों से संवाद-संपर्क बनाए रखा जाए। सरकार सभी किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए संकल्पित है। जरूरत के अनुसार किसानों को हर संभव सहायता दी जाएगी, एक भी किसान का नुक़सान नहीं होने देंगे।
◆ जनपद फिरोजाबाद, एटा, हाथरस, खीरी, औरैया, चित्रकूट, प्रतापगढ़, वाराणसी और हापुड़ में सामान्य (80 प्रतिशत से 120 प्रतिशत) और मथुरा, बलरामपुर, ललितपुर, इटावा, भदोही, अम्बेडकर नगर, मुजफ्फरनगर, गाजीपुर, कन्नौज, जालौन, मेरठ, संभल, सोनभद्र, लखनऊ, सहारनपुर और मिर्जापुर में सामान्य से कम (60 प्रतिशत -80 प्रतिशत) वर्षा हुई है। प्रदेश में 30 जनपद ऐसे हैं जहां सामान्य से 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक ही वर्षा दर्ज की गई है। जबकि 19 जनपदों में 40 फीसदी से भी कम बरसात हुई है। इन जिलों में खरीफ फसलों की बुवाई प्रभावित हुई है। हमें सभी परिस्थितियों के लिए तैयार रहना होगा।
◆ कानपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, गोंडा, मऊ, बहराइच, बस्ती, संतकबीरनगर, गाजियाबाद, कौशाम्बी, बलिया, श्रावस्ती, गौतमबुद्ध नगर, शाहजहांपुर, कुशीनगर, जौनपुर, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद और रामपुर जिले में सामान्य की तुलना में मात्र 40 प्रतिशत बरसात हुई है। इन जिलों पर विशेष ध्यान रखा जाए।
◆ उत्तर प्रदेश में आमतौर पर 15 जून तक बरसात का मौसम प्रारंभ हो जाता रहा है, जो कि 15 सितंबर तक जारी रहता है। खेती-किसानी की समृद्धि के लिए यह प्राकृतिक वर्षा अमृत है। इस बार मॉनसून सामान्य नहीं है। हालांकि प्राकृतिक वर्षा जल से सिंचाई के साथ-साथ सरकार द्वारा नहरों, नलकूपों के विस्तार से सिंचाई सुविधा को बेहतर बनाया गया है। रामपुर ऐसा जिला है सामान्य की तुलना में मात्र 18 प्रतिशत बरसात ही हुई लेकिन अब तक यहां 98 प्रतिशत फसल की बुआई हो चुकी है।
◆ सामान्य वर्षा न होने के कारण खरीफ फसलों की बोआई का कार्य प्रभावित हुआ है। हालांकि 19 जुलाई के बाद हुई बरसात से स्थिति में काफी सुधार हुआ है। खरीफ अभियान 2022-23 के अंतर्गत 13 जुलाई की अद्यतन स्थिति के अनुसार प्रदेश में 96.03 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के सापेक्ष आज 01 अगस्त तक 81.49 लाख हेक्टेयर की बोआई हो सकी है, जो कि लक्ष्य का 84.8 प्रतिशत ही है। गत वर्ष इसी तिथि तक 91.6 लाख हेक्टेयर भूमि पर बोआई हो चुकी थी।
● मौसम वैज्ञानिकों के आंकलन के अनुसार अगस्त और सितंबर में वर्षा की स्थिति सामान्य रहेगी। 15 जिले ऐसे हैं जहां लक्ष्य के सापेक्ष 75 प्रतिशत से कम बोआई हुई है। इनकी परिस्थिति पर सतत नजर रखी जाए।
◆ प्रदेश में बरसात और खरीफ फसल बुवाई की अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट तत्काल भारत सरकार को भेजी जाए। एक सप्ताह के भीतर सभी जिलों में कृषि फसलों की मैपिंग कराकर फसल बुवाई का विवरण तैयार कराया जाए।
◆ हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। कृषि, सिंचाई, राहत, राजस्व आदि सम्बंधित विभाग अलर्ट मोड में रहें। प्रत्येक जनपद में कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से किसानों से सतत संवाद बनाये रखें। उन्हें सही जानकारी उपलब्ध हो।
◆ वर्षा मापन अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। सरकार की अनेक नीतियां इसके आंकलन पर निर्भर करती हैं। वर्तमान में तहसील स्तरों पर रेन गेज़ यानी वर्षा मापक यंत्र लगाए गए हैं, इन्हें विकास खंड स्तर पर बढ़ाये जाने की कार्यवाही की जाए। अधिकाधिक वर्षा मापक यंत्रों से वर्षा की और सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। अगले चरण में इसे न्याय पंचायत स्तर पर विस्तार दिया जाने की तैयारी की जाए।
◆ मौसम का सही अनुमान अलर्ट जनजीवन के व्यापक हित को सुरक्षित करता है। अधिक सटीक अनुमान और तदनुरूप मौसम अलर्ट के लिए कमिश्नरी स्तर पर यंत्र स्थापित किए जाएं। इस कार्य में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की सहायता भी ली जाए।
◆ आकाशीय बिजली के सटीक पूर्वानुमान की बेहतर प्रणाली के विकास के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। राजस्व एवं राहत कृषि, राज्य आपदा प्रबन्धन, रिमोट सेन्सिंग प्राधिकरण, भारतीय मौसम विभाग, केन्द्रीय जल आयोग, केन्द्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, ज्डक् से सतत संवाद-संपर्क बनाए रखें। यहां से प्राप्त आकलन/अनुमान रिपोर्ट समय से फील्ड में तैनात अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाए।
◆ किसानों को मौसम की सही जानकारी देने के लिए राज्य स्तर पर पोर्टल विकसित किया जाए। इसी प्रकार, फसल बुवाई की विस्तृत जानकारी के लिए डेटा बैंक तैयार किया जाए। किसान की उन्नति के लिए नीति-निर्धारण में यह डेटा बैंक उपयोगी सिद्ध होगा।
◆ बाढ़ व अतिवृष्टि की स्थिति पर सतत नजर रखी जाए। नदियों के जलस्तर की सतत मॉनीटरिंग की जाए। प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पीएसी तथा आपदा प्रबंधन टीमों को 24×7 एक्टिव मोड में रहें। आपदा प्रबंधन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता ली जानी चाहिए। इन्हें विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाए।
◆ प्रदेश की बढ़ती आबादी के लिए खाद्य तेलों की जरूरत के सापेक्ष दलहन का उत्पादन 40-45 फीसदी ही है। इसे मांग के अनुरूप उत्पादन तक लाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। तिलहन और दलहन उत्पादन को बढ़ाना ही होगा। भारत सरकार भी इसके लिए सहयोग कर रही है। बुंदेलखंड क्षेत्र में इसमें अपार संभावनाएं हैं।
◆ नदियों की ड्रेजिंग के प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। इसे आगे भी जारी रखा जाए। नदियों के चैनेलाइजेशन के लिए ड्रोन आदि नवीनतम तकनीक का प्रयोग करते हुए समय से कार्ययोजना बना लेनी चाहिए। चैनेलाइजेशन के काम और तेज करने की जरूरत है। नदियों की ड्रेजिंग से निकली उपखनिज बालू/सिल्ट की नीलामी में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाए। बालू नीलामी के कार्य का भौतिक सत्यापन भी कराया जाए।
◆ यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी पेयजल का अभाव न हो। विंध्य और बुंदेलखंड में पेयजल की सुचारु आपूर्ति बनी रहे। पेयजल के लिए बवन विभाग वन्य जीवों के लिए तथा पशुपालन विभाग पशुओं के पेयजल की व्यवस्था बेहतर बनाये रखे। बरसात पर निर्भर जलाशयों में जल की उपलब्धता के लिए विशेष प्रयास किए जाएं।
◆ निराश्रित गोवंश के समुचित व्यवस्थापन के लिए राज्य सरकार नियोजित प्रयास कर रही है। वाराणसी में गोबरधन योजना आज गोपालकों के आय संवर्धन का बेहतरीन माध्यम बन कर उभरा है, इसी प्रकार, बदायूं में गाय के गोबर से पेंट बनाने का अभिनव कार्य हो रहा है। हमें निराश्रित गोवंश के प्रबंधन का मॉडल तैयार करना होगा।
◆ प्रदेश के सभी निराश्रित गौ आश्रय स्थलों की व्यवस्था का भौतिक परीक्षण कराया जाए। जॉइंट डायरेक्टर/एडिशनल डायरेक्टर स्तर के अधिकारियों को जिलों में भेजा जाए। इसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को।उपलब्ध कराएं।
◆ प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप जैव ईंधन यानी बायो फ़्यूल को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। प्रदेश में बायो फ्यूल की इकाई की स्थापना के लिए केंद्र सरकार से भी सहयोग प्राप्त होगा। ऐसे में बिना विलंब प्रदेश का प्रस्ताव भेज दिया जाए। मुख्य सचिव द्वारा इस दिशा में कार्यवाही अपेक्षित है।