मुंबई: महाराष्ट्र में महायुति की प्रचंड जीत के बीच बीजेपी के टिकट पर लड़ी स्नेहा पंडित दुबे ने वसई में कमल खिलाकर इतिहास रच दिया है। वसई की सीट पर पहली बार बीजेपी को जीत मिली है। उन्होंने बहुजन विकास आघाड़ी (बीवीए) के कद्दावर नेता और इलाके मे एक डॉन की छवि रखने पर पांच बार के विधायक हितेंद्र ठाकुर को शिकस्त दी है। वसई से जीतने के बाद स्नेहा दुबे ने बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

दिग्गज नेता को दी पटखनी
वसई की सीट से 1990 में पहली बार निर्दलीय जीते हितेंद्र ठाकुर इस बार अपनी पार्टी बहुजन विकास आघाड़ी से लड़ रहे थे, लेकिन त्रिकोणीय मुकाबले में स्नेहा पंडित दुबे भारी पड़ीं। स्नेहा पंडित दुबे को 77553 वोट मिले। उन्होंने हितेंद्र ठाकुर को 3153 वोट से हराया। ठाकुर को 74400 वोट मिले। कांग्रेस के कैंडिडेट विजय गोविंद पाटिल को 62324 वोट मिले। स्नेहा पंडित दुबे वसई से एक बार 2009 निर्दलीय जीते विवेक पंडित की बेटी हैं। पंडित का तब मुकाबला बहुजन विकास आघाड़ी के कैंडिडेट नारायण मनकर से हुआ था, हालांकि अगले चुनाव में हितेंद्र ठाकुर ने फिर विवेक पंडित को हरा दिया था।

35 साल बाद लिया बदला
वसई से स्नेहा पंडित दुबे की सुर्खियों में है क्योंकि उन्होंने राजनीतिक तौर पर अपने पति के पिता यानी सुसर की हत्या के आरोपियों से सियासी बदला लिया है। 9 अक्टूबर 1989 को उनके सुसर सुरेश दुबे की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद नालासोपारा स्टेशन भी हिल गया था। हत्या का आरोप जयेंद्र उर्फ भाई ठाकुर के ऊपर लगा था। यह हत्या भूखंड लेने के मामले में हुई थी। उत्तर भारत से जाकर वसई में बसे सुरेश दुबे ने भाई ठाकुर को भूखंड देने से मना कर दिया था।

हत्या से हिल गया था पूरा इलाका
रेलवे स्टेशन पर हुई हत्या के इस मामले ने तब काफी तूल पकड़ था। इस हाईप्राेफाइल केस में राजनीतिक रखूख का इस्तेमाल सामने आया था। आगे केस के चलने पर रिवॉल्वर भी बदल दिया गया और दूसरे सबूत भी नष्ट कर दिए गए थे, हालांकि बाद में जब सुधाकर सुरादकर ठाणे जिले में बतौर DIG बने तो आगे फिर भाई ठाकुर और अन्य अपराधी टाडा के तहत जेल गए। उन्हें सज़ा दी गई। भाई ठाकुर फिलहाल पैरोल पर है दूसरी ओर इस पूरे मामले को विवेक पंडित ने वसई के नागरिकों, सजक लोगों, श्रमजीवी संगठन के माध्यम से संभाला। आंदोलन चल ही रहा था कि इसी दौरान भाई ठाकुर के भाई हिंतेंद्र ठाकुर राजनीति में सक्रिय हो गए। लगातार कई जीत के बाद ठाकुर परिवार का वसई में वर्चस्व और बढ़ गया। 2024 के चुनावों से पहले ऐसी स्थिति की वसई में हितेंद्र ठाकुर को हराना मुश्किल है, लेकिन स्नेहा पंडित दुबे ने असंभव को संभव कर दिखाया।

पिता के साथ बेटे की भी हार
राजनीति में बिल्कुल नई उम्मीदवार स्नेहा पंडित दुबे ने वसई में हितेंद्र ठाकुर को हरा दिया। ठाकुर को वसई विरार बेल्ट का डॉन कहा जाता है। ऐसे मे स्नेहा की जीत सुर्खियों में है। वसई में पहली बार कमल खिलने से बीजेपी के कार्यकर्ताओं में खुशी है। इतना ही नहीं वसई में जहां हितेंद्र ठाकुर की हार हुई है तो वहीं नालासोपारा में उनके बेटे क्षितिज भी बीजेपी नेता राजन नाईक के सामने हार गए गए हैं। क्षितिज ठाकुर नालासोपारा से जीत की हैट्रिक लगाने के बाद चौथे कार्यकाल के लिए मैदान में उतरे थे। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े के कथित कैश कांड में क्षितिज ठाकुर चर्चा में आए थे।

 

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