Home Gau Samachar गोबर बेचकर चरवाहे ने खरीदी खुद की जमीन

गोबर बेचकर चरवाहे ने खरीदी खुद की जमीन

गोधन न्याय योजना किस कदर आम लोगों के जीवन में खुशियां ला रही है। इसकी बानगी चरवाह मोहित खुद है। मेहनत और लगन से मोहित ने गोबर बेचकर जमीन खरीदने का सपना पूरा किया है।

171
0

गोबर बेचकर चरवाहे ने खरीदी खुद की जमीन, योजना ने बदल दी मोहितराम की किस्मत

गोधन न्याय योजना किस कदर आम लोगों के जीवन में खुशियां ला रही है। इसकी बानगी चरवाह मोहित खुद है। मेहनत और लगन से मोहित ने गोबर बेचकर जमीन खरीदने का सपना पूरा किया है।

रायपुर। कुछ सालों पहले शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि गोबर भी किसी का जीवन बदल सकता है। लेकिन छत्तीगढ़ में गोधन न्याय योजना के लागू होते ही कई लोगों के जीवन में सुखद परिवर्तन देखने को मिल रहा है। यहां गौठान समितियां आर्थिक रूप से सशक्त तो बन ही रही हैं, बल्कि आम ग्रामीणों और गोधन की सेवा से जुड़े चरवाहों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आया है। गोबर से कंडे बनाने तक सीमित रहने वाले चरवाहों के भाग्य भी इस योजना से खुलने लगे हैं। धमतरी जिले के ग्राम पोटियाडीह के 61 वर्षीय चरवाहे मोहित ने गोबर बेचकर जमा की राशि से अपने जमीन खरीदने के सपने को पूरा कर लिया। मोहितराम यादव ने बताया कि लगभग ढाई साल पहले तक वह गोबर से कंडे बनाकर उसका उपयोग घरेलू ईंधन के तौर पर करते थे। बचे हुए कण्डों को वे औने-पौने दाम में बेच दिया करते थे। गोधन न्याय योजना के लागू होने से प्रतिदिन गोबर बेचकर उन्होंने एक लाख से अधिक की राशि अर्जित कर ली। जब से गोधन न्याय योजना आई है तब से उनका भाग्य चमक उठा है।

उन्होंने उत्साहित होकर ठेठ बोली में कहा कि- हमर सरकार हमरे मन असन रोजी-मजदूरी करके गुजारा करने वाला मन बर ए योजना ल बनाय हवै..। कभू नई सोंचे रेहेन कि गउठान म गोबर बेच के हमर जिंदगी संवर जाही…! मोहितराम ने बताया कि पोटियाडीह में गौठान बनने के बाद से वह रोजाना औसतन 50 किलोग्राम गोबर बेचा करते हैं, जिससे उनकी चरवाहे के काम के अतिरिक्त 100 रूपए प्रतिदिन की कमाई हो जाती है। अब तक उन्होंने 550 क्विंटल गोबर बेचकर एक लाख 10 हजार रूपए की आय अर्जित की है। उन्होंने ने बताया कि बड़े बेटे की शादी के बाद उन्होंने घर बनाने की सोचा। उन्होंने जमा पूंजी से गांव में ही 14 डिसमिल प्लॉट खरीदने का सौदा कर लिया, लेकिन रजिस्ट्री के लिए एक लाख से अधिक राशि लगने का पता चला तो उनकी चिंता बढ़ गयी। फिर उनकी पत्नी द्रौपती ने शासन से गोबर बेचने से मिली राशि की याद दिलाई।
फिर क्या था, जमा राशि को निकालकर मोहितराम ने जमीन की तत्काल रजिस्ट्री करा ली। जमीन खरीद कर मोहितराम और उनका परिवार बेहद खुश हैं। श्रीमती द्रौपती ने बताया कि वह गौठान समिति की सक्रिय सदस्य हैं। उनके घर में 8 गाय-भैंस, 26 बकरे-बकरियां और लगभग 32 मुर्गे-मुर्गियां हैं। कल तक मुश्किल से जीवनयापन करने वाले  यादव परिवार के जीवन में गोधन न्याय योजना ने खुशियों के नये रंग भरे हैं इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार का आभार जताया है।

Previous articleसरकार दे रही प्रति गाय 2.73 रुपये, गायों तक पहुंच रहे सिर्फ 83 पैसे
Next articleमहा मुंबई मेट्रो ने मेट्रो लाइनों 2 ए और 7 पर परिचालन घंटे बढ़ाने का फैसला किया

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here