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RSS नेता इंद्रेश कुमार बोले- 22 जनवरी को मस्जिद-मदरसों में करें देश की प्रगति के लिए इबादत

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आरएसएस नेता ने कहा कि सभी का डीएनए एक है। सभी राम के हैं। नेकां नेता फारूक अब्दुल्ला कहते हैं कि राम हिंदुओं के ही नहीं हमारे भी हैं। हमने कब इनकार किया है। फारूक आइएनडीआइए को समझाते क्यों नहीं कि इबादत के लिए न्योते की जरूरत नहीं होती। उन्होंने कहा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ता छह दिन से 15 दिनों तक पदयात्रा कर अयोध्या पहुंचेंगे।
New Delhi – आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने अपील की कि 22 जनवरी को सुबह 11 बजे से दिन के एक बजे तक जब अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हो, दरगाहों, मदरसों, मकतबों, मस्जिदों में देश की उन्नति, प्रगति, सौहार्द के लिए इबादत करें।
शाम को इन स्थानों पर चिराग रोशन करें। इंद्रेश कुमार रविवार को आकाशवाणी के रंगभवन में “राम मंदिर, राष्ट्र मंदिर-एक साझी विरासत: कुछ अनसुनी बातें” पुस्तक के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, सभी का डीएनए एक है। सभी राम के हैं। नेकां नेता फारूक अब्दुल्ला कहते हैं कि राम हिंदुओं के ही नहीं, हमारे भी हैं। हमने कब इनकार किया है। फारूक आइएनडीआइए को समझाते क्यों नहीं कि इबादत के लिए न्योते की जरूरत नहीं होती। उन्होंने कहा, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ता छह दिन से 15 दिनों तक पदयात्रा कर अयोध्या पहुंचेंगे।
राम की भारत को आवश्यकताः आरिफ मोहम्मद खान
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, मर्यादा पुरुषोत्तम राम की भारत को आवश्यकता है। आने वाली नस्लों को चरित्र निर्माण के लिए राम को समझना और समझाना जरूरी है। कहा, मनुष्य सामाजिक प्राणी भर नहीं, उसकी महत्वकाक्षाएं भी हैं। अगर उसके पास आदर्श नहीं है, तो यह बेलगाम हो जाती हैं। इसके चलते संस्कृतियां खराब हुईं। उन्होंने कहा, जी-20 के जरिये हमने वसुधैव कुंटुम्बकम का संदेश दिया है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि राममंदिर आंदोलन कभी भी मुसलमानों के विरोध में नहीं था। विशिष्ट अतिथि राम जन्मभूमि न्यास अयोध्या के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने कहा, राम भारत की एकता का प्रतीक हैं, उन्होंने सिर्फ सेतु निर्माण नहीं किया था, अपने वनवास के दौरान सभी जनजातियों और लोगों को भी जोड़ा था। इससे पहले पुस्तक की लेखिका गीता सिंह और आरिफ खान भारती ने पुस्तक की सामग्री पर विस्तार से चर्चा की।

 

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