सीएम एकनाथ शिंदे को नागपुर भूखंड मामले में राहत, जमीन बिल्डरों को हस्तांतरित करने का आदेश रद्द
महाराष्ट्र के शहरी विकास विभाग ने स्वीकार किया कि उसके अधिकारियों ने इस जनहित याचिका के बारे में मुख्यमंत्री को सूचित नहीं किया। यह अनजाने में हुई एक गलती थी। यह मानते हुए कि विवाद का समाधान हो गया है, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे को नागपुर में करीब 100 करोड़ रुपये के जमीन घोटाला मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने राहत दे दी है। शिवसेना, राकांपा व कांग्रेस ने इसमें घोटाले का आरोप लगाते हुए शिंदे से इस्तीफे की मांग की थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ को आज महाराष्ट्र के शहरी विकास विभाग ने बताया कि नागपुर इंप्रुवमेंट ट्रस्ट (NIT) का प्लॉट निजी व्यक्ति को हस्तांतरित करने का आदेश 16 दिसंबर को निरस्त कर दिया गया है। जमीन फिर से झुग्गीवासियों के लिए उपलब्ध करा दी गई है।
विभाग ने स्वीकार किया कि उसके अधिकारियों ने इस जनहित याचिका के बारे में मुख्यमंत्री को सूचित नहीं किया। यह अनजाने में हुई एक गलती थी। यह मानते हुए कि विवाद का समाधान हो गया है, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
शिवसेना, राकांपा, कांग्रेस ने आरोप लगाया था
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पटोले, विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार और अंबादास दानवे ने इस मामले को लेकर शिंदे पर घोटाले का आरोप लगाया था। उन्होंने शिंदे से सीएम पद छोड़ने की मांग की थी। विपक्षी दलों का आरोप है कि जब एकनाथ शिंदे पूर्ववर्ती महाविकास अघाड़ी सरकार में शहरी विकास मंत्री थे, तब उन्होंने नागपुर में लगभग 100 करोड़ रुपये की जमीन बिल्डरों को दी थी। तब इसे गरीबों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए दिया गया था, लेकिन बाद में कथित तौर पर शिंदे ने इस जमीन को कुछ बिल्डरों को औने-पौने दाम में सौंप दिया। यह मामला महाराष्ट्र विधानसभा में भी उठाया गया था।