” संगठनात्मक कुशल कारीगर शक्तिशाली शक्तिमान,तेजस्वी प्रभावशाली प्रतापीओजयुक्त ,जोश पैदा करने वाला सरल स्वभावी, हिंदुत्व के प्रखर वक्ता ऊर्जावान प्रमोद जी महाजन की १७वीं पुण्य तिथि है। ” 

” प्रमोद व्यंकटेश महाजन (अंग्रेज़ी: Pramod Vyankatesh Mahajan, जन्म: 30 अक्टूबर, 1949 – मृत्यु: 3 मई, 2006) एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। प्रमोद महाजन भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं में से एक थे। प्रमोद महाजन अपने गृहराज्य महाराष्ट्र और भारत के पश्चिमी क्षेत्र में काफ़ी लोकप्रिय थे। ” 

खैर यदि आज वह जीवित होते तो प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार होते।

प्रमोद महाजन कहने को तो भारतीय जनता पार्टी के महासचिव थे लेकिन वे पार्टी के सबसे हाईप्रोफ़ाइल नेताओं में से एक थे। 56 वर्ष के प्रमोद महाजन भाजपा की दूसरी पीढ़ी के नेताओं में सबसे सक्रिय थे ही, देश भर में पार्टी के सबसे जाने पहचाने चेहरे भी थे। प्रमोद भाजपा के सबसे बड़े आयोजनकर्ता थे और पार्टी के लिए चंदा जुटाने में माहिर नेता माने जाते थे। प्रमोद महाजन को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार पार्टी का लक्ष्मण कहा था। ये और बात है कि उसी समय वाजपेयी ने लालकृष्ण आडवाणी को पार्टी का राम बताया था। और उसी समय से चर्चा चल पड़ी कि प्रमोद महाजन कभी भी पार्टी के अध्यक्ष बन सकते हैं। हालांकि ख़ुद प्रमोद महाजन वाजपेयी के उस बयान का अर्थ इस तरह नहीं लगाना चाहते थे। अपनी मौत से पहले राज्यसभा के सदस्य प्रमोद महाजन की कार्यभूमि मुंबई ही रही है और यहीं से वे लोकसभा सदस्य रहे।

प्रमोद महाजन एक लंबी राजनीतिक यात्रा तय करने वालों नेताओं में थे। विज्ञान के बाद राजनीति शास्त्र की पढ़ाई करने वाले महाजन ने पत्रकारिता की पढ़ाई भी की। उनकी राजनीतिक यात्रा का पहला बड़ा पड़ाव 1986 में आया जब उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। अपने इसी कार्यकाल में उन्होंने राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था। और यह राजनीति के दिलचस्प मोड़ ही रहे कि उन्हीं राजनाथ की अध्यक्षता में वह पार्टी के महासचिव का पद संभाल रहे थे। लेकिन इस बीच उन्होंने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक सलाहकार से लेकर संचार मंत्री और संसदीय कार्यमंत्री तक कई ज़िम्मेदारियाँ निभाईं। 2004 में समय से पहले चुनाव करवाने के फ़ैसले में प्रमोद महाजन की अहम भूमिका थी ही, इसके बाद भाजपा के हाईटेक प्रचार कार्य की बागडोर उन्हीं के हाथों में थी। बाद में जब कहा गया कि हाईटेक प्रचार और ‘इंडिया शाइनिंग’ जैसे नारों से पार्टी और एनडीए को नुक़सान हुआ तो हार का ठीकरा प्रमोद महाजन के सिर ही फूटा।

आज से 17 साल पहले मुंबई के वर्ली में एक ऐसी घटना घटी, जो इत‍िहास के पन्नों में दर्ज हो गई। ये घटना थी कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रमोद महाजन का कत्‍ल। ये कत्‍ल क‍िसी और ने नहीं बल्‍क‍ि प्रमोद महाजन के छोटे भाई प्रवीण महाजन ने कि‍या था। ‘इतिहास में आज’ में हम आपको इस हाईप्रोफाइल हत्‍याकांड के बारे में बता रहे हैं .

कौन थे प्रमोद महाजन ?

प्रमोद महाजन 30 अक्टूबर 1949 को तेलंगाना के महबूबनगर में जन्‍मे थे। स्‍कूल में पढ़ाई के दौरान ही वह संघ से जुड़ गए थे। उन्‍होंने पुणे के रानाडे इंस्टीट्यूट ऑफ जर्नलिज्म से पत्रकारिता की पढ़ाई की। लेक‍िन, इसमें कुछ खास मौका न म‍िलने के बाद एक कॉलेज में अंग्रेजी के शि‍क्षक बन गए। पिता पेशे से शि‍क्षक थे। प्रमोद करीब 22 वर्ष के ही थे, जब उनके स‍िर से प‍िता का साया उठ गया था।

1974 में प्रमोद को बनाया गया संघ प्रचारक

प्रमोद की शुरू से ही राजनीति में द‍िलचस्‍पी थे। वे अक्‍सर राजनीत‍िक बहसों में ह‍िस्‍सा ल‍िया करते थे। साल 1974 में कॉलेज में पढ़ाना बंद कर द‍िया। संघ से जुड़ने के बाद आरएसएस के मराठी अखबार ‘तरुण भारत’ के साथ काम शुरू क‍िया और उप संपादक बन गए। इसके बाद वह पूरी तरह से संघ के ल‍िए काम करने लगे। साल 1974 में उन्‍हें संघ प्रचारक बनाया गया।

लगातार तीन बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे प्रमोद

आपातकाल के दौरान प्रमोद ने आरएसएस के ल‍िए जमकर काम करते हुए इंद‍िरा व‍िरोध मार्च भी न‍िकाला। संघ के प्रत‍ि उनकी कर्तव्‍यन‍िष्‍ठा और सक्रियता को देखते हुए उन्‍हें बीजेपी में शामि‍ल कर ल‍िया गया। यहीं से उनके राज‍नीत‍िक सफर की शुरुआत हुई। साल 1983 से 1985 तक प्रमोद महाजन बीजेपी के अखिल भारतीय सचिव थे। इसके बाद 1986 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने। साल 1984 में प्रमोद महाजन ने लोकसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, इस चुनाव में उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा। वे लगातार तीन बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे।

बीजेपी ने भेजा राज्‍यसभा

साल 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी सत्ता पर काब‍िज हुए। प्रमोद महाजन अपना पहला लोकसभा चुनाव जीते और उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया। लेकि‍न यह सरकार महज 13 दिन ही चल सकी। 1998 में एक बार फि‍र चुनाव हुए, बीजेपी ने सत्ता में फि‍र से वापसी की, लेकि‍न प्रमोद हार गए। उन्हें राज्यसभा भेजा गया। राजनीति में प्रमोद महाजन वो नाम थे, जो कम समय में तेजी से शीर्ष पर पहुंचे। अटल के पीएम बनने से लेकर आडवाणी की रथयात्रा और महाराष्ट्र में शिवसेना से गठबंधन तक प्रमोद महाजन का जिक्र जरूर होता है। वे अटल और आडवानी के बेहद करीबी नेता थे।

3 मई 2006 छोटे भाई ने ही कर दी थी प्रमोद की हत्‍या

22 अप्रैल 2006 को प्रमोद महाजन मुंबई में वर्ली स्थित अपने आवास पर मौजूद थे। उनके छोटे भाई प्रवीण महाजन उनसे मिलने पहुंचे। र‍िपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों भाइयों के बीच किसी बात को लेकर बहस हुई। गुस्‍से में आकर छोटे भाई प्रवीण ने रिवॉल्वर से प्रमोद पर फायर कर द‍िया। प्रमोद महाजन को अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान 3 मई 2006 को उनकी मौत हो गई।

” उत्तर मध्य मुंबई की सांसद पूनम महाजन ने अपने पिता को याद करते हुए ट्वीट करते हुए लिखा

मैँ कतरा हो कर भी तूफ़ाँ से जंग लेता हूँ, मुझे बचाना समंदर की जिम्मेदारी है.

मेरा आसमान, मेरा समंदर, मेरे बाबा ! ”

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