अमरेली जिले के चरवाहे, पशुपालन में अपना भविष्य देख रहे हैं और इससे लाखों रुपये कमा रहे हैं. यहां के प्रमुख पशुपालक प्रदीपभाई परमार ने गिर गायों के प्रजनन और बिक्री को व्यवसाय का रूप दिया है. वे असम, हरियाणा, पंजाब, बैंगलोर और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में गायें बेचते हैं. प्रदीपभाई महीने में 20 से अधिक गायें बेचते हैं और अच्छी नस्ल की गिर गायों के प्रजनन से यह संभव हो पाया है.

युवा कर रहे हैं पशुपालन में नवाचार
अमरेली जिले के युवा पशुपालन में रुचि लेकर अच्छी नस्ल की गाय और भैंसें पाल रहे हैं. गिर गाय और भैंसों से प्राप्त दुग्ध उत्पादन इनके व्यवसाय का प्रमुख हिस्सा है. सौराष्ट्र में एक गिर गाय की कीमत लाखों रुपये होती है, जबकि एक लीटर दूध का दाम 70 से 100 रुपये के बीच रहता है. एक गाय से महीने में 30 से 40 हजार रुपये तक की आमदनी होती है.

गुजरात की प्रसिद्ध गिर और कपिला गायें
गुजरात में गिर गाय का विशेष महत्व है, लेकिन कपिला गाय भी काफी चर्चित है. दमनगर गांव के एक चरवाहे के पास गिर गाय है, जिसकी कीमत 1.20 लाख रुपये आंकी गई है. यह गाय प्रतिदिन 14 लीटर दूध देती है. गाय के दूध से तैयार घी और अन्य उत्पादों से ग्रामीण क्षेत्रों में काफी आर्थिक प्रगति हो रही है.

हिंदू संस्कृति और गाय का महत्व
हमारी हिंदू संस्कृति में गाय का विशेष स्थान है. शोध से यह सिद्ध हुआ है कि गाय के दूध में स्वर्ण तत्व होते हैं. अमरेली जिले में काली कपिला, सफेद कपिला और गिर गाय जैसी विशेष नस्लें पाई जाती हैं. इन गायों की उच्च गुणवत्ता और दूध उत्पादन क्षमता ने पशुपालन व्यवसाय को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है.

नौकरी छोड़ अपनाया पशुपालन
प्रदीपभाई परमार ने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की और कुछ समय तक पुलिस विभाग में नौकरी की. बाद में उन्होंने नौकरी छोड़कर पशुपालन का व्यवसाय शुरू किया. वर्तमान में वे गिर गायों की बिक्री और प्रजनन का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास एक गिर गाय है जिसकी कीमत 1.20 लाख रुपये है और यह 14 लीटर दूध देती है. इस दूध से घी बनाया जाता है, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय प्राप्त होती है.

समृद्धि का साधन बन रहा पशुपालन
अमरेली जिले के लोग पशुपालन के माध्यम से न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं, बल्कि इसे आधुनिक तरीके से संचालित कर रहे हैं. गिर गाय की बढ़ती मांग और उच्च दूध उत्पादन ने पशुपालन को एक लाभदायक व्यवसाय बना दिया है.

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