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गोशाला के समीप कूड़ा डाल रहा नगर परिषद, अवमानना को केस होगा दायर

नगर परिषद प्रशासन दोबारा वहां शहर का कचरा गिराना शुरू कर दिया गया है। श्री कामधेनु गोशाला सदन कमेटी के संरक्षक विजय बंसल का कहना है कि यह कोर्ट के आदेशों का सीधे तौर पर अवमानना का मामला है। इसलिए इस मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में नगर परिषद प्रशासन के विरुद्ध अवमानना का केस दायर किया जाएगा।

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दोबारा गोशाला के समीप कूड़ा डाल रहा नगर परिषद, अवमानना को केस होगा दायर

पिंजौर। हलफनामा देकर दोबारा कूड़ा गिराने के विरोध में कामधेनु गोशाला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अवमानना का केस दायर करेगी। इस मामले में कामधेनु गोशाला ने पहले कोर्ट में याचिका दायर की थी। जवाब में नगर परिषद कालका पिंजौर ने हलफनामा देकर कहा था कि कामधेनु गोशाला के साथ बन रहे डंपिंग ग्राउंड को अब नहीं बनाया जाएगा। इसके बावजूद नगर परिषद प्रशासन दोबारा वहां शहर का कचरा गिराना शुरू कर दिया गया है। श्री कामधेनु गोशाला सदन कमेटी के संरक्षक विजय बंसल का कहना है कि यह कोर्ट के आदेशों का सीधे तौर पर अवमानना का मामला है। इसलिए इस मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में नगर परिषद प्रशासन के विरुद्ध अवमानना का केस दायर किया जाएगा। विजय बंसल ने बताया कि इस संदर्भ में जब गोशाला सदन के वाइस चेयरमैन नवराज धीर, कोषाध्यक्ष प्रदीप गोयल ने नगर परिषद के अधिकारियों से दोबारा उक्त स्थान पर कचरा गिराने के संदर्भ में पूछा गया तो नगर परिषद के अधिकारियों का कहना था कि गोशाला अवैध बनी है। विजय बंसल ने बताया कि यह गोशाला करीब 20 वर्षों से यहां पर है। समाजसेवी, गोवंश प्रेमी चंदा एकत्रित कर लावारिस गाय और गोवंश की यहां पर सेवा कर रहे हैं। गोशाला की वजह से कई लावारिस पशुओं को आसरा मिला है और शहर में लावारिस घूमने वाले पशुओं की संख्या में भी कमी आई है।अब नगर परिषद प्रशासन उसमें भी अड़ंगा लगा रहा है। उनका कहना है कि 15 नवंबर 2022 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कालका नगर परिषद पर डंपिंग ग्राउंड ना बनाने और आबादी के समीप कूड़ा फेंकने पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। बावजूद इसके नगर परिषद ने अभी तक स्थायी रूप से कोई डंपिंग ग्राउंड नहीं बनाया है। आबादी के समीप कूड़ा कचरा फेंकना शुरू कर दिया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की गाइडलाइंस है कि आबादी के 5 किलोमीटर के दायरे में डंपिंग ग्राउंड नहीं बनाया जा सकता लेकिन नगर परिषद अधिकारी अभी भी एनजीटी के दिशा निर्देशों की अनदेखी कर रहे हैं।

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