समस्त महाजन के आयोजित होने वाले तीन दिवसीय ( 23 से 25 अगस्त,24) अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में आरएसएस की कई हस्तियां शामिल होंगी: डॉ. गिरीश जयंतीलाल शाह
 अजित प्रसाद महापात्र, नवल किशोर जी, सुनील विधावंश एवं गोपाल आर्या उपस्थित रहेंगे
 राजस्थान के विभिन्न शहरों में पशुपालन एवं पर्यावरण पर आंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किये जायेंगे।
वैश्विक स्तर पर जल, जन, जमीन, जंगल, जानवरों की सेवा में कार्यरत समस्त महाजन की गतिविधियों में मुख्य रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, बचाव कार्य, गौशालाओं और पंजरापोलो का समर्थन और आत्मनिर्भरता, आत्मनिर्भर कृषि, जल संरक्षण, भोजन रथ, सामाजिक उत्थान, विशेषकर प्राकृतिक जिसमें मानव निर्मित आपदाओं के दौरान तत्काल सहायता, पशु वध और बलि की रोकथाम, राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर जीवदया, गौसेवा, मानव सेवा सहित विभिन्न सेवाएँ शामिल हैं।

यह बता दे कि समस्त महाजन 21 वर्षों से अधिक समय से पशु कल्याण, पर्यावरण संरक्षण, ग्रामीण विकास, मानव कल्याण, स्वच्छता अभियान, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत आदि जैसे विभिन्न सामाजिक कार्यों के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी डाॅ. गिरीशभाई शाह जो भारत सरकार के एनिमल वेल्फेर बोर्ड के सदस्य है वे अपना अधिकांश समय जीवदया, गौसेवा, मानवसेवा तथा शाकाहार प्रचार-प्रसार के कार्यों में व्यतीत करते हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित कई क्षेत्रों में 300 से अधिक गांवों में तालाब निर्माण, गौचर निर्माण जैसे कार्यों के लिए समस्त महाजन सेवारत है।

 

समस्त महाजन ने 23 से 25 अगस्त (शुक्रवार-शनिवार-रविवार) तक धर्मज से पिंडवाड़ा तक ‘राष्ट्रीय जीवदया पर्यावरण यात्रा’ का आयोजन किया है। यह यात्रा गौशालाओं, पांजरापोलो के बारे में जानने, समझने और जानवरों को शाता देने के लिए की गई है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, गौसेवा गतिविधिके अखिल भारतीय गौसेवा संयोजक अजीत प्रसाद महापात्र, अखिल भारतीय गौसेवा संयोजक नवल किशोरजी, अखिल भारतीय गौसेवा क्षेत्र संयोजक सुनील विध्वंश तथा आरएसएस के अखिल भारतीय पर्यावरण प्रमुख गोपाल आर्या सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहेंगे। अवसर पर गोपाल आर्या ने कहा कि जिस तरह से पर्यावरण की समस्या उत्पन्न हो रही है उसको लेकर हमें सचेत होना होगा।
इस तीन दिवसीय यात्रा के दौरान 23 अगस्त को 146 एकड़ भूमि पर घास उगाकर गांव के पशुधन का भरण-पोषण कैसे किया जाए, 6000 पशुओं को ग्राम पंचायत से मूल किंमत पर घास मिले, हर साल रु. 50 लाख की आय आदि और 17000 इमली, आंवला और आम के पेड़ों का दौरा और शाम 5 बजे से 9 बजे तक अहमदाबाद में 700 गिर गायों के साथ बंसी गीर गौशाला का दौरा और गौशाला में एक शैक्षणिक कक्षा का आयोजन किया गया है ।
24 अगस्त सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक वीरमगाम में 4 तालाब, 5000 पेड़, 2700 पशुओं के साथ 1200 एकड़ गौचर भूमि का दौरा और दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक गुजरात में बनासकांठा जिले के भाभर गौशाला में 11,000 गायों के साथ वैज्ञानिक मॉडल के साथ जलाराम गौशाला का दौरा, 25 अगस्त सुबह 9 बजे से 12 बजे तक राजस्थान आबू रोड के पास पावापुरी में स्थित 6000 गायो की गौशालाएं और 1 लाख पेड़ों की सुंदर व्यवस्था को देखने और वैज्ञानिक ढंग से निर्मित सुविधाजनक गौशाला का निरीक्षण करने की योजना है।
उसके साथ राजस्थान के विभिन्न शहरों में पशुपालन एवं पर्यावरण पर आंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किये जायेंगे। ईसके साथ ही गौशालाओं, गौशाला/पांजरापोलो को स्वावलंबन की ओर परिवर्तित करना, गौ-आधारित संस्कृति की पुनर्स्थापना, पशु-विकास, गौ-आधारित कृषि, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर जन-जागरूकता, गौ-पालन, जीवन-रक्षा के संबंध में विभिन्न कानूनों का निर्माण तथा मौजूदा कानून का कड़ाई से कार्यान्वयन करना, गौशाला-पंजरापोलों की सुविधाओं का निर्माण करना शामिल किया गया है।
इसके साथ-साथ-साथ जानवरों और पक्षियों के स्वास्थ्य को बनाए रखना, रासायणिक कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना, भारत में 6.50 लाख ग्राम गौचर विकसित करना, देशी वृक्षों का रोपण बढ़ाना, जल संरक्षण, आत्मा और विज्ञान का एकीकरण, मनुष्यों में पशु- पक्षियों, के प्रति अधिक करुणा पैदा करना, वर्षा जल संचयन, स्वच्छ दुग्ध उत्पादों की उपलब्धता, अहिंसक-स्वदेशी उपचार फसल सुरक्षा, शाकाहार के प्रचार-प्रसार समेत अन्य सवालों पर परिणामलक्षी तरीके से चर्चा की जाएगी।
यात्रा में शामिल होने के लिए प्रति व्यक्ति पंजीकरण शुल्क रु. 1000 है। जिसमें तीन दिनों का आवास और भोजन शामिल है। सभी को अपने वाहन की व्यवस्था स्वयं करनी होगी।यदि संस्था की व्यवस्था में आना है तो रु. 1000/- अलग से भुगतान करना होगा। बस बड़ौदा या अहमदाबाद से चलेगी। इन दोनों राशियों का भुगतान अलग-अलग करना होगा। गायें हमेशा से भारत की संस्कृति और अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही हैं।
‘राष्ट्रीय जीवदया पर्यावरण यात्रा’ एक ऐतिहासिक प्रयास है जिसमें गाय-केंद्रित और गाय-आधारित उद्योगों से जुड़े सभी क्षेत्रों के सैकड़ों लोग भाग लेंगे। इस ‘राष्ट्रीय जीवदया पर्यावरण यात्रा’ में पंचगव्य गाय से बने शैंपू, साबुन और गोमूत्र से बने सौंदर्य प्रसाधन, औषधि सहित गाय आधारित उत्पादों के बारे में भी ज्ञान और समझ प्रदान की जाएगी।
अधिक जानकारी के लिए डॉ. गिरीश शाह (मो. 98200 20976), मित्तल खेताणी (मो. 98242 21999), देवेन्द्र जैन (मो. 98251 29111) से संपर्क किया जा सकता है।
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