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गाय के गोबर की बढ़ी कीमत और डिमांड

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भोपाल: राजधानी भोपाल में इस हफ्ते भोपाल हाट में राष्ट्रीय खादी महोत्सव मनाया जा रहा था. इसी बीच Local18 को भोपाल के एक ऐसे कलाकार मिले, जो कोरोना काल के पहले तक नौकरी कर रहे थे. फिर जब कोरोना में उनकी नौकरी छूट गई, तो अपनी पत्नी और मां के साथ गोबर शिल्पकला के दम पर गाय के गोबर से एक नया व्यापार शुरू किया, जिसकी अब देश और विदेश में जमकर डिमांड हो रही है.  जिसके चलते उनकी लाखों में कमाई हो रही है.

गोबर आर्टिस्ट जितेंद्र की कहानी
लोकल 18 से बात करते हुए भोपाल के गोबर आर्टिस्ट जितेंद्र बताते हैं कि, उन्होंने पढ़ाई में एमबीए किया है और 2005 से ही नौकरीपेशा थे, पर फिर कोरोना लॉकडाउन के समय उनकी नौकरी छूट गई. जिसके बाद उन्होंने अपनी मां के गाइडेंस में गोबर से कलाकृतियां बनाना शुरू किया, जिसकी अब देश ही नहीं विदेशों में भी धूम है.

पत्नी की मदद से बना व्यापार
गोबर आर्टिस्ट जितेंद्र बताते हैं कि, उनकी पत्नी ने एमए इन चित्रकला में पढ़ाई पूरी की है. उनकी पत्नी और माता जी ही हैं, जिन्होंने जितेंद्र के गोबर आर्ट की शुरुआत में मदद की. उनकी पत्नी जहां सभी प्रोडक्ट के डिजाइन का काम देखती है, वहीं उनकी माता जी बाकी सभी कामों में जितेंद्र को मदद करती हैं.

गोबर की बढ़ी कीमत और डिमांड
जितेंद्र जो पिछले 5 वर्षों से गोबर आर्टिस्ट हैं, बताते हैं कि, “पहले गाय माता को लोग बस दूध के कारण पालते थे और जब गाय दूध देना बंद कर देती थी तो आवारा छोड़ देते थे, पर जब से गोबर आर्ट शुरू हुआ है, उसके बाद से गोबर की डिमांड बढ़ी है. अब गोबर 100 रुपए किलो बिक रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप अब गाय माता को लोग आवारा नहीं छोड़ रहे हैं और इसमें कमी आई है.”

दिवाली के लिए गोबर के दियों की मांग
दिवाली के ठीक पहले जितेंद्र बताते हैं कि, “हमारे गोबर से बने दियों की मांग बढ़ी है. यह ईको-फ्रेंडली दिया मात्र 6 रुपए का एक पीस मिलता है, जिसके कारण इन शुद्ध दियों की खूब मांग हो रही है. हमने अभी महाराष्ट्र और उत्तराखंड में कई हजारों दिए भेजे हैं.”

गौ रक्षक दलों के अभियान से परेशान व्यापारी समुदाय

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मंडी, 15 अक्तूबर : देश भर में गौ रक्षक दलों ने गाय को बचाने के लिए अभियान छेड़ रखा है, लेकिन इस अभियान के चक्कर में अब गाय, भैंस और बकरियों का व्यापार करने वालों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ताजा मामला मंडी जिला के बल्ह में पेश आया है। जहां पर बीते 3 अक्तूबर की शाम लगभग 8 बजे ढाबण के रहने वाले व्यापारियों की गाड़ी को कुछ लोगों द्वारा पुलिस थाना रती के पास रोका गया। जिसके बाद उनके साथ मारपीट की गई। मारपीट भी स्थानीय लोगों द्वारा की गई, जिसमें जय सिंह (33) निवासी मंदिर टांडा और संदीप कुमार निवासी ढाबण (27) को चोटें आई हैं।

परेशानी का कोई हल न होता देख सोमवार को अपनी समस्या लेकर लबाणा व्यापारी समुदाय के लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल डीसी अपूर्व देवगन से मिला। जहां उन्होंने एक मांग पत्र सौंपा। जिसमें इस समुदाय के लोगों ने प्रशासन से उनकी सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाने का आग्रह किया है। मांग पत्र में कहा है कि इस समुदाय के लोग कई पीढ़ियों से गाय, भैंस आदि का व्यापार करते आए हैं। इसमें पशुओं की खरीद फरोख्त और ट्रांसपोर्टेशन की जाती है, जिसे कुछ शरारती तत्व गौ तस्करी का नाम देकर ऐसे व्यापारियों को परेशान कर रहे हैं।

कुछ मामलों में पैसों की मांग भी की जा रही है। ऐसे में लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि यदि कोई ऐसी गाड़ी पकड़ी जाती है तो मारपीट न की जाए। पुलिस प्रशासन को बुलाकर कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाए। ग्रामीणों के अनुसार वह पंजीकृत डेयरी से पशुओं को ले जा रहे थे, लेकिन फिर भी उनके साथ कुछ लोगों ने बर्बतापूर्ण मारपीट की, जिनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

गौ माता की महिमा अपरंपार : श्री कृष्णानंद जी महाराज

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मनीमाजरा (चंडीगढ़) (हप्र) : गौरी शंकर सेवादल गौशाला सेक्टर 45 डी चंडीगढ़ में सोमवार को गौ सेवा मिशन के अध्यक्ष स्वामी श्री कृष्णानंद जी महाराज भूरी वाले का आगमन हुआ। उन्होंने कहा कि गौ माता की महिमा अपरंपार है। मनुष्य अगर जीवन में गौ माता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह संकट से भी बच सकता है। मनुष्य को चाहिए कि वह गाय को मंदिर और घरों में और स्थान दे, क्योंकि गौ माता धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को दिलाती है। शास्त्रों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि जो प्रात: काल गौ माता के दर्शन करता है उसका दिन अवश्य सुधर जाता है।

गौ सेवा आयोग एवं नगर निगम कोटद्वार की पहल से निराश्रित गौवंश को मिलेगा आसरा

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कोटद्वार : कोटद्वार में निराश्रित गौवंश को लेकर कोटद्वार नगर निगम और उत्तराखंड गौ सेवा आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। नगर आयुक्त वैभव गुप्ता और गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. पंडित राजेंद्र अंथवाल द्वारा पिछले लंबे समय से किए जा रहे प्रयासों के बाद अब निगम की काशीरामपुर तल्ला स्थित गौशाला का संचालन गौधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा किया जायेगा। जिसका शुभारंभ आज क्षेत्रीय विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी, गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. पंडित राजेंद्र अंथवाल, पथमेड़ा के उत्तराखंड प्रभारी संत गोपेश कृष्ण दास, रविंद्र आनंद सरस्वती, गौवत्स अश्वनी शर्मा और नगर आयुक्त वैभव गुप्ता की मौजूदगी में हुआ।

उत्तराखंड सरकार गौवंश के लिए बड़े स्तर पर कार्य कर रही है. प्रदेश में निराश्रित गौवंश को आसरा देने के लिए जगह जगह गौशाला खोली जा रही है. उत्तराखंड राज्य गो सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. पंडित राजेन्द्र अंथवाल लगातार गौवंश को लेकर बड़े सक्रिय नजर आते हैं और उनके द्वारा प्रदेश में लगातार बैठक कर अधिकारियों को निर्देशित भी किया जाता रहा है.

आपको बताते चले कि गौधाम महातीर्थ पथमेड़ा के द्वारा विश्व की सबसे बड़ी गौशाला का संचालन किया जाता हैं. जहाँ 02 लाख से ज्यादा गौवंश की देखरेख की जाती है। ऐसे मे गौवंश को भोजन और दवाइयों के साथ ही अन्य सुविधाएं और ज्यादा बेहतर ढंग से मिल पाएगी। नगर निगम कोटद्वार की इस गौशाला में घायल गौवंश का उपचार भी किया जा रहा है। जिसमे कड़क पहाड़ी ग्रुप के सदस्यों का भी बड़ा योगदान रहा है।

क्षेत्रीय विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने संबोधन में कहा कि कोटद्वार की सड़कों पर निराश्रित और बेसहारा घूम रहे गौवंश को शीघ्र ही इस गौशाला में रखा जाएगा। नगर आयुक्त वैभव गुप्ता ने कहा कि काशीरामपुर तल्ला में नगर निगम कोटद्वार की ओर से बनाई गई गौशाला का संचालन राजस्थान में गौशाला चलाने वाली संस्था गौधाम महातीर्थ पथमेड़ा को सौंपा गया है। गौशाला में लगभग ढाई सौ गौ वंशों के रखने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि गौशाला में गायों की सेवा के साथ ही बीमार गायों का उपचार भी किया जाएगा। इस दौरान यहां मुक्तिधाम, काली माता मंदिर के नजदीक बनाई गई गौशाला में गौ सेवा कर रहे गोपाल अग्रवाल को सम्मानित भी किया। नगर आयुक्त वैभव गुप्ता ने बताया की गौवंश से जुड़ी समस्याओ को लेकर जिलास्तरीय कमेटी द्वारा जिस संस्था से अनुबंध किया गया था उसका अनुबंध खत्म होने के बाद अब पथमेंड़ा संस्था से अनुबंध किया गया है। जिसमे गौशाला निर्माण के साथ ही बिजली, पानी की सुविधा निगम द्वारा दी जाएगी और संचालन संस्था द्वारा किया जायेगा।

अध्यक्ष पंडित राजेंद्र अंथवाल ने सभी पशु पालकों से अपील की है की वो अपने जानवरों को खुले में असुरक्षित न छोड़े, ऐसे मे या तो जानवर किसी दुर्घटना का शिकार हो सकते है या फिर उनके द्वारा किसी दूसरे को घायल किया जा सकता है। गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. पंडित राजेंद्र अंथवाल ने कहा कि गौ माता की सेवा सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है। सभी देवी देवताओं का वास गोमाता में होता है। ऐसे में सामाजिक रूप से सभी को मिलजुल कर गो सेवा के प्रति अपना धर्म निभाना चाहिए। गो सेवा के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति सभी को अपनी जिम्मेवारी निभानी चाहिए। गो सेवा के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति सभी को अपनी जिम्मेवारी निभानी चाहिए। अपने जीवन की विभिन्न खुशियों के पलों को हमें गायों की सेवा कर बिताना चाहिए जिससे हम दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा बन सके। उन्होंने कहा कि गायों की सेवा करने से बड़ा कोई पुण्य का काम नहीं है।

कार्यक्रम में उपाध्यक्ष जिला पशु क्रूरता निवारण समिति जनपद हरिद्वार गोवत्स अश्विनी शर्मा ने कहा गौ सेवा एक पुनीत कार्य है। भारत में वैदिक काल से ही गाय का महत्व रहा है। गाय का दूध, गोमूत्र और गोबर बहुगुणी है। गौ संवर्धन के पीछे सांस्कृतिक, वैज्ञानिक एवं सामाजिक कारण भी है। उन्होंने कहा कि गाय के दूध, मख्खन, घी एवं गोबर एवं मूत्र से बडी से बडी बीमारियों का इलाज हो रहा है। गाय के गोबर से जैविक खेती कर आर्थिकी को सुदृढ करने के साथ ही देश को खुशहाल बनाया जा सकता है। उन्होंने सभी से गौ, गंगा और गाय के संरक्षण करने की बात कही।

इस मौके पर सहायक नगर आयुक्त चन्दशेखर शर्मा, सफाई निरीक्षक सुनील कुमार समेत नगर निगम के अन्य अधिकारी-कर्मचारियों में अरशद, असलम व भाजपा के कई नेता मौजूद रहे।

 

बिहार में जनसुराज और शराबबंदी* 

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( कुमार कृष्णन -विनायक फीचर्स )
“जो पार्टी खुले आम ऐलान कर रही है कि मुख्यमंत्री बनने के  दो घंटे के अंदर गांव -गांव  शराब बिकवाएंगें,  उसका सामाजिक बहिष्कार करें।” यह कहना है अनिल प्रकाश का। अनिल प्रकाश, संपूर्ण क्रांति के आंदोलनकारी रह चुके हैं, बाद के दिनों में गंगा मुक्ति आंदोलन समेत कई आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं।
“एमएलसी हो या विधानसभा, जो पार्टी संपूर्ण शराबबंदी की गारंटी करेगा, वोट वहीं पड़ेगा।” यह आनंद पटेल ग्राम सभा का कहना है। ऐसी मुहिम तेज होती जा रही है। यह ऐसे  समय हो रहा है जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी   की जयंती के अवसर पर प्रशांत किशोर ने जन सुराज नाम की राजनीतिक पार्टी बनायी और सत्ता की कुर्सी में  बैठने के एक घंटे के अंदर शराबबंदी खत्म करने का ऐलान कर अपने राजनीतिक चरित्र का खुलासा कर दिया है।
दिलचस्प यह भी है कि इन्हीं प्रशांत किशोर ने महात्मा गांधी  को आदर्श बना कर उनकी कर्मस्थली चंपारण से अपनी पदयात्रा शुरू अपने राजनीतिक अभियान का आगाज किया था। उनका यह ऐलान महात्मा गांधी के सिद्धांतों के खिलाफ भी है, जिसके लिए लोगों को जेल जाना पड़ा था। महात्मा गांधी ने 1921 में शराब के खिलाफ आंदोलन किया था। बड़े पैमाने पर लोगों को इसके लिए जेल भी जाना पड़ा। प्रशांत किशोर की माने तो “शराबबंदी से हर साल बिहार को 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।”शराबबंदी हटेगी तो वह पैसा बजट में नहीं जाएगा और न ही नेताओं की सुरक्षा के लिए इस्‍तेमाल किया जाएगा और न ही इसका उपयोग सड़क, पानी और बिजली के लिए किया जाएगा। इसका उपयोग केवल बिहार में नई शिक्षा व्यवस्था बनाने के लिए किया जाएगा। उनके इस ऐलान का विरोध हो  रहा है।
बिहार सरकार की परिवहन  मंत्री शीला  मंडल का  प्रशांत किशोर को इस बात की जानकारी नहीं है कि शराबबंदी से कितने घरों में खुशियां लौटी है। समाज में अमन-चैन का माहौल कायम हुआ है।  भाजपा के शहनबाज हुसैन का कहना है कि प्रशांत गांधी जी का अपमान करते हैं। कहते हैं शराब ही खोल देंगे, शराब का दरिया बहा देंगे। ये जरूर है कि शराबबंदी में जो लोग गड़बड़ कर रहे हैं,उनको ठीक किया जाएगा। सब पार्टियों ने मिलकर शराबबंदी लागू की थी। वो ऐसा सिर्फ इसलिए बोल रहे हैं ताकि उन्हें कुछ शराबियों का समर्थन मिल जाए। अनेक गांधीवादी संगठनों का कहना है कि ज्यादातर दल शराब और पैसे के बल पर चुनाव को प्रभावित करते हैं इसलिए वे शराबबंदी का विरोध कर रहे हैं।
आजादी के आंदोलन के दौरान प्रमुख मुद्दों में से एक मुद्दा शराबबंदी भी था। शराबबंदी की असफलता के पीछे पुलिस माफिया गठजोड़ एक मुख्य कारण है। कानून के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी जरूरी है।
आजादी के बाद भारत की केंद्र सरकार ने अप्रैल, 1958 तक पूरे देश में शराबबंदी का लक्ष्य रखा था, जो कभी पूरा नहीं हो पाया। हालांकि आजादी के दो दशक बाद तक मौजूदा महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक और केरल का बड़ा हिस्सा शराबमुक्त था, लेकिन 1967 में इनमें से ज्यादातर राज्य सरकारों ने अतिरिक्त राजस्व के लोभ में शराब की बिक्री की अनुमति दी।1977 में कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने तो बिहार में शराबबन्दी जैसा साहसिक फैसला लिया और बिहार में शराबबंदी लागू की गई।कर्पूरी ठाकुर ने जब शराबबन्दी का फैसला लिया तो शराब के व्यापार में शामिल लोगों के होश उड़ गए। शराब के व्यापार में शामिल दबंगो और माफियाओं को अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक संरक्षण की भी बात कही जाती रही है। बाद में कांग्रेस सरकार ने 1981 में उसे हटा लिया। बाद के वर्षों में देश के कई राज्यों में शराब पर प्रतिबंध लगाया गया और फिर हटा लिया गया। बिहार में अप्रैल, 1916 में नीतीश कुमार की सरकार ने शराब की बिक्री और पीने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि नशा सभी बुराइयों की जड़ है। नशे से मनुष्य के विवेक के साथ सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। वह अपने हित-अहित और भले-बुरे का अंतर नहीं समझ पाता। बावजूद इसके शराब जैसी कुरीति का समर्थन जनहित में नहीं है।
गांधीजी ने कहा था कि शराब के सेवन से मनुष्य के शरीर और बुद्धि के साथ-साथ आत्मा का भी नाश हो जाता है। शराबी अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है।
यह एक तल्ख़ हकीकत है कि नशे के चलते मरने वालों की संख्या 10 लाख से अधिक है। जिसमें विगत वर्ष अत्यधिक नशे का सेवन करने के कारण लीवर और किडनी खराब होने तथा दुर्घटना से एक लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है । अधिकतर घरेलू हिंसा का मुख्य कारण भी नशा ही है।
शराब का सीधा प्रभाव हमारे समुदायों की सामाजिक और पारिवारिक गतिशीलता पर पड़ता है।  शराब के कारण घरेलू हिंसा और बढ़ती गरीबी का सबसे ज्यादा मुकाबला महिलाओं और बच्चों को ही करना पड़ता है। सभी धर्म, सभी समाज सुधारकों, सभी धर्म गुरुओं, राजनीतिक लोगों, सामाजिक संगठनों एवं सरकारों के द्वारा नशा मुक्ति की बात कही जाती है लेकिन यह सर्व विदित है कि समाज में नशे का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत में नशा करने वालों की संख्या 37 करोड़ के पार चली गई है। यह संख्या दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश अमेरिका से अधिक है। इनके साथ ही, नशा करने वालों में शराब पीने वालों की संख्या 16 करोड़ तक पहुंच गई है, जो रूस की आबादी के बराबर है। लगभग 3 करोड़ लोग शराब के बिना नहीं रह पाते। सर्वे के मुताबिक, शराब पीने वालों में 19 प्रतिशत (लगभग 3 करोड़) ऐसे हैं जो शराब के बिना रह नहीं पाते। 2.26 करोड़ लोग यानी कुल आबादी का 2.1 प्रतिशत अफीम, उसके डोडे, हेरोइन, स्मैक और ब्राउन शुगर जैसी ड्रग्स के शिकंजे में हैं। क्राइम ब्यूरो के अनुसार सबसे ज्यादा ड्रग्स के ओवरडोज से मरने वालों की संख्या पंजाब में 144, राजस्थान में 117, मध्य प्रदेश में 74 है।
2022 के आंकड़ों के अनुसार 681 व्यक्तियों की ड्रग के ओवरडोज से मृत्यु हुई, जिसमें 116 महिलाएं थी। पूरे देश में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट 1985 के तहत देश में एक लाख 15 हजार केस दर्ज किए गए । जिसमें केरल में 26,619,  महाराष्ट्र में 13,830 तथा पंजाब में 12,442 केस थे।  इसी तरह पंजाब में ड्रग एब्यूज और अधिक शराब पीकर मरने वालों की संख्या देश में सर्वाधिक है। नशा क्रोनिक से पीड़ित भारतीयों की संख्या का कोई आंकड़ा तो नहीं है परंतु देश के सीमावर्ती राज्यों में नशा क्रोनिक से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है।31 जनवरी 2023 तक दो साल में मुंद्रा  बंदरगाह से 375.50 करोड़ रुपए की 75 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई  तथा सितंबर 2021 में, राजस्व खुफिया निदेशालय , एक केंद्रीय एजेंसी ने मुंद्रा बंदरगाह पर दो कंटेनरों से लगभग 3,000 किलोग्राम हेरोइन जब्त की थी,  इसकी कीमत लगभग 21,000 करोड़ रुपए थी। इसी तरह 2023 में केरल तट के पास एनसीबी और नौसेना द्वारा 2,500 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई थी।नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क अधिकारियों ने 12 और 13 नवंबर 2021 को युगांडा की दो महिला नागरिकों  से 12.9 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई जिसकी कीमत लगभग 90 करोड़ रुपये थी। भारत में पिछले 14 सालों में ड्रग्स का इस्तेमाल लगातार बढ़ने के बाद भी ड्रग तस्करों के पकड़े जाने की दर 1% से भी कम है। चर्चित पत्रकार रही मणिमाला का मानना है कि चुनाव के समय मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दल शराब बांटते है। राजस्थान में 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान  283 करोड़ की अवैध सामग्री जब्त की गई है। जिसमें अवैध शराब, नगदी एवं अन्य सोने चांदी के आभूषण शामिल थे। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान 331 करोड़ से ज्यादा कैश व अवैध शराब सहित अन्य सामग्री बरामद की गई। इसमें नगद राशि 38.49 करोड़ व अवैध शराब 62.9 करोड़ की है।
सरकार नशीले पदार्थ के  सार्वजनिक स्थान पर उपयोग करने पर कानूनी  प्रतिबंध लगाती है लेकिन खुद शराब के कारखाने खुलवाती है। अफीम, गांजा, चरस की खेती करवाती है तथा नशा मुक्ति केंद्र भी खुलवाती है फिर नशा मुक्ति की करोड़ों रुपए की दवाई भी बिकवाती है।
अखिल भारतीय नशाबंदी परिषद के अध्यक्ष डा. रजनीश कुमार  के मुताबिक -” नशा मुक्त समाज की जरूरत के महत्व को समझते हुए, हमारे संविधान निर्माताओं ने राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के माध्यम से जन स्वास्थ्य में सुधार को सरकार का प्राथमिक कर्तव्य बनाया था।  हमारे संविधान के अनुच्छेद 47 में निर्धारित किया गया था कि ‘राज्य स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नशीले पेय तथा मादक दवाओं के चिकित्सीय उद्देश्यों के सिवाए उनके सेवन पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करेगा।’  इस अधिनियम में मादक पदार्थों के अवैध व्यापार पर नियंत्रण के कठोर प्रावधान किए गए तथा सरकार को नशे की लत की रोकथाम और उपचार के केन्द्र स्थापित करने के अधिकार दिए हैं।
हिंदू धर्म में शराब को अस्वास्थ्यकर और हिंसक व्यवहार का कारण बनने वाला माना गया है। इस्लाम में शराब को हराम माना जाता है। बौद्ध आम तौर पर शराब  का सेवन करने से बचते हैं, क्योंकि यह पांच उपदेशों में से 5 वें, बुनियादी बौद्ध आचार संहिता का उल्लंघन करता है और दिमागीपन को बाधित कर सकता है । जैन धर्म में किसी भी प्रकार के शराब के सेवन की अनुमति नहीं है। शराब के सेवन के खिलाफ सबसे महत्वपूर्ण कारण मन और आत्मा पर शराब का प्रभाव है। किण्वन प्रक्रिया से जुड़े बड़ी संख्या में सूक्ष्मजीवों की हत्या से बचने के लिए जैन किण्वित खाद्य पदार्थों (बीयर, वाइन और अन्य अल्कोहल) का सेवन नहीं करते हैं। सिख धर्म के अनुसार एक दीक्षित सिख नशीले पदार्थों का उपयोग या सेवन नहीं कर सकता, जिनमें से शराब एक है। समाज में विशेष रूप से युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति को रोकने एवं इसकी बुराईयों से उन्हें अवगत कराना हमारा दायित्व और कर्तव्य भी है।
अवैध और जहरीली शराब की बिक्री बंद नहीं होने का एक कारण इंसान की धनलोलुपता है। वह तो केवल यह चाहता है येन-केन-प्रकारेण धन आना चाहिए, चाहे कोई मरे तो मरे। पहली बात तो यह है कि शराब का सेवन किसी भी रूप में और किसी भी प्रकार से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।  पर आजकल पूरे कुएं में ही भांग पड़ी हुई है और लोग इसे स्टेटस सिम्बल मानने लगे हैं।
 लोक समिति लंबे समय से शराबबंदी के लिए मुहिम चला रही है। लोक समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष गिरिजा सतीश का मानना है कि जब तक शराब पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगेगा, तब तक लोगों का सम्यक विकास नहीं होगा। इस तरह हमारी सुचिंतित धारणा है कि समाज और मनुष्य के विकास के लिए शराबबंदी एक अनिवार्य शर्त है। यह उद्देश्य सिर्फ सरकार और कानून से पूरा नहीं हो सकता। इसके लिए समाजिक स्तर पर सतत अभियान चलाने की जरूरत है।बिहार में बहुत से ऐसे संगठन और संस्थाएं हैं, जो शराबबंदी के लिए प्रयासरत हैं। मुख्यमंत्री को चाहिए कि उन संगठनों को प्रोत्साहित करें और पुलिस माफिया गठजोड़ पर कड़ा प्रहार करें।
(विनायक फीचर्स)

जी स्टूडियोज और अनिल शर्मा ने की ‘वनवास’ की घोषणा….!

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              बॉलीवुड निर्देशक अनिल शर्मा ने ‘गदर 2’ की सफलता के बाद, अपनी अगली फिल्म ‘वनवास’ की घोषणा की है। ज़ी स्टूडियोज़ के सहयोग से बनने वाली इस फिल्म में फर्ज, सम्मान और इंसान द्वारा किए गए काम के परिणाम उनके जीवन को कैसे बदलते हैं, दिखाया गया है।
‘गदर : एक प्रेम कथा’ और ‘गदर 2’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के लिए मशहूर ज़ी स्टूडियोज़ और अनिल शर्मा अब ‘वनवास’ नाम की एक और दमदार कहानी पेश करने के लिए तैयार हैं। ‘वनवास’ का अनाउंसमेंट वीडियो रिलीज होने के बाद सिनेदर्शकों में उत्साह बढ़ गया है और सबको फिल्म के बारे में और डिटेल्स का इंतजार है। वीडियो में फिल्म की एक्साइटमेंट को जबरदस्त विजुअल्स और एक धमाकेदार बैकग्राउंड स्कोर के साथ कैप्चर किया गया है। इसमें ‘राम राम…..’ गाना भी है, जो फिल्म के दिव्य माहौल को और बेहतर बनाता है और ये गाना अपनी रिलीज के साथ बेशक दर्शकों के दिलों को जीतने वाला है। ‘वनवास’ आज के पारिवारिक रिश्तों पर एक नया नजरिया पेश करता है, और हमें यकीन है कि यह दर्शकों को असल में एक अनूठा अनुभव देगा। मानवीय संवेदनाओं को उजागर करती फिल्म ‘वनवास’ में यह बताने का प्रयास किया गया है कि अपने ही अपनों को देते हैं वनवास…!, कलियुग की रामायण को स्क्रीन पर नए अंदाज में अनिल शर्मा पेश करने जा रहे हैं। यह फिल्म ज़ी स्टूडियोज़ द्वारा वर्ल्ड वाइड रिलीज़ की जाएगी।
प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय

धोद विधायक गोवर्धन वर्मा ने गौ माता के संरक्षण को लेकर CM को लिखी चिट्ठी

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Sikar News: राजस्थान के सीकर जिला के धोद विधायक गोवर्धन वर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर गौ माता के संरक्षण हेतु गाय को राज्य माता घोषित करने की मांग रखी है. इसके साथ ही गोपालन को प्रोत्साहित करने और साथ गोवंश की हत्या व हथियारों को मृत्युदंड का प्रावधान करने की मांग भी उठाई है. धोद विधायक गोवर्धन वर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बताया कि सनातन धर्म में गौ माता का सर्वप्रथम स्थान है.
अखिल भारतीय संत समिति एवं गौ सेवा परिषद राजस्थान की ओर से गौ माता के संरक्षण के लिए गौ माता को राष्ट्रीय माता घोषित करने की मांग पिछले लंबे समय से निरंतर रूप से की जा रही है. पूरे भारतवर्ष के समस्त गो भक्तों की जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए और संविधान के अध्याय 4 के अनुच्छेद 48 में संशोधन करते हुए गौ हत्या पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाकर सभी राज्यों में एक समान कानून बनाया जाए.
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से गौ माता को राज्य माता घोषित कर गोवंश की रक्षा करने का सराहनीय कदम उठाया गया है. इसलिए भारतीय गोवंश को बचाने के लिए राजस्थान सरकार की ओर से कड़े कदम उठाकर सरकारी गौशालाओं का निर्माण करवाया जाए. इसके साथ गोवंश की हत्या व हथियारों को मृत्युदंड का प्रावधान भी किया जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री रोजगार योजना की तर्ज पर ही प्रत्येक परिवार को एक या दो गोवंश देकर उनके जीवन यापन में सरकार की ओर से मदद की जानी चाहिए. इसके साथ ही गोपालन को प्रोत्साहित कर सफेद क्रांति लाकर प्रदेश वासियों को नकली दूध से भी छुटकारा दिलाया जा सकता है. धोद विधायक गोवर्धन वर्मा ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि जनमानस में गौ माता के प्रति आस्था को देखते हुए राजस्थान में भी गौ माता को राज्य माता का दर्जा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जल्द ही राज्य सरकार इस मामले में उचित कदम उठाएगी.

हरियाणा में कैसे जीती भाजपा ने हारी हुई बाजी* 

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(मुकेश कबीर -विभूति फीचर्स)
अभी हरियाणा और इससे पहले लोकसभा चुनाव में सही मायने में किसकी हार हुई ? इसका जवाब बीजेपी या कांग्रेस नहीं है बल्कि इसका जवाब है दोनों चुनाव में राजनीतिक विश्लेषकों की हार हुई है। लोकसभा चुनाव में जब भी टीवी चालू की तो सारे चैनल और चुनाव विश्लेषक चार सौ पार कर रहे थे और अभी हरियाणा में भी सारे एक्सपर्ट्स कांग्रेस को साठ से ज्यादा सीटें दे रहे थे लेकिन परिणाम दोनों जगह उल्टा रहा।
एक बार संसद में अटल जी ने कहा था कि “भारतीय वोटर का मन पढ़ना सबसे मुश्किल काम है” और यह बात हमेशा सच साबित हुई है । तीन चार चुनाव छोड़ दें तो ज्यादातर चुनावों में चुनाव विश्लेषकों की बात गलत साबित हुई है,इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत का वोटर आखिरी टाइम तक अपना मन और मत बदलता है। अमेरिका या यूरोपीय देशों के विपरीत यहां आज भी पार्टी से ज्यादा व्यक्तिगत आधार पर वोटिंग होती है,पार्टी अच्छी है  लेकिन कैंडिडेट गलत है तो कैंडिडेट हारेगा । सिर्फ 2019 का लोकसभा चुनाव ऐसा रहा जहां लोगों ने सिर्फ और सिर्फ मोदीजी के नाम पर वोट किया फिर कैंडिडेट चाहे कैसा भी हो इसीलिए कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता भी हार गए थे ।
यही हाल 1984 के चुनाव में था जब इंदिरा जी की हत्या के बाद सिम्पैथी की लहर में सारे विपक्षी ध्वस्त हो गए थे । बहरहाल हरियाणा की बात करें तो बीजेपी की जीत का सबसे बड़ा कारण है उन गलतियों में सुधार करना जो उन्होंने लोकसभा चुनाव में की थीं । लोकसभा चुनाव  बेशक मोदीजी के नाम पर लड़ा गया लेकिन कई जगह लोकल कैंडिडेट्स से लोग नाराज थे । कहीं कहीं तो जनता ने खुलकर कैंडिडेट चेंज करने की मांग भी की थी । तब बीजेपी को उम्मीद थी कि चार सौ पार तो होगा ही फिर कैंडिडेट क्यों बदलें? लेकिन जब परिणाम आए तो वे ही लोग जीते जिनकी परफॉर्मेंस अच्छी थी या फिर सामने वाला कैंडिडेट उनसे कमतर था ।
मध्यप्रदेश की राजगढ़ सीट ऐसी ही थी जहां बीजेपी के कैंडिडेट लोगों की पहली पसंद नहीं थे लेकिन उनके सामने दिग्विजय सिंह थे जिनकी इमेज और भी ज्यादा खराब थी इसलिए वहां दिग्विजय सिंह की हार हुई।  शायद लोकसभा परिणामों से सबक लेते हुए  बीजेपी ने हरियाणा में सबसे पहला काम तो यही किया कि कमजोर कैंडिडेट को बदलने में देरी नहीं की,चालीस उम्मीदवार बदल दिए साथ ही पांच मंत्री और विधायकों के टिकिट भी काट दिए । दूसरा सुधार बीजेपी ने यह किया कि अपने सबसे विश्वस्त सहयोगी आरएसएस की उपेक्षा नहीं की,लोकसभा चुनाव में नड्डा जी ने आरएसएस के बारे में जो टिपण्णी की थी उसका असर गलत हुआ ।
संघी मतदाताओं ने इसको नकारात्मक समझा और संघ ने भी खुद को उपेक्षित समझा। मैसेज  यह भी  गया कि बीजेपी लीडरशिप को अभिमान हो गया है इसलिए चुनाव के बाद में मोहन भागवत जी ने बीजेपी के बड़े नेताओं को कहा भी था कि “खुद को भगवान न समझें” । खैर बाद में बीजेपी और आरएसएस दोनों में गलतफहमियां दूर हुईं और संघ ने हरियाणा में जमीनी स्तर पर बहुत मेहनत की और हारी हुई बाजी पलट दी ।
हरियाणा में तीसरा सुधार बीजेपी ने यह किया कि अपने मूल मुद्दे हिंदुत्व को फ्रंट पर लाकर चुनाव लड़ा और हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे योगी आदित्यनाथ को अपना मुख्य प्रचारक बनाकर सबसे ज्यादा सभाएं करवाई और योगी जी ने भी हिंदुओं से एकजुट होकर वोट करने की अपील की ।
उन्होंने बड़ा नारा दिया “बटेंगे तो कटेंगे” इसका भी फायदा  हुआ। वैसे पिछले दस पंद्रह सालों का रिकॉर्ड देखें तो हिंदुस्तान में अब बीजेपी ज्यादातर लोगों की पहली पसंद बन चुकी है,मोदी जी की  छवि, बीजेपी शासित राज्यों की गुड गवर्नेंस और कांग्रेस का दिशाहीन नेतृत्व इसके तीन सबसे बड़े कारण हैं जिनकी वजह से बीजेपी अब वोटर्स के बीच मजबूती से स्थापित हो चुकी है, बस कहीं कहीं लोकल कैंडिडेट की कमजोर छवि का नुकसान पार्टी को उठाना पड़ता है ,यदि चुनाव से पहले परफॉर्मेंस और पब्लिक ओपिनियन के आधार पर टिकिट बांटेंगे तो बीजेपी अजेय भी हो सकती है वर्तमान परिणाम तो यही कहते हैं। (विभूति फीचर्स)

बृहद गौ संरक्षण केंद्र अंजरौली का प्रभारी मंत्री ने किया भूमि पूजन

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दो हजार से अधिक मवेशियों को किया जायेगा संरक्षित, किसानों को जल्द मिलेगी निजात

◆ मिल्कीपुर की स्वीकृत 30 सड़कों का जल्द शुरू कराए निर्माण कार्यः सूर्य प्रताप शाही

मिल्कीपुर, अयोध्या। प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप सिंह ने मिल्कीपुर के अंजरौली मजरे टडिया में बृहद गौ संरक्षण केंद्र का निर्माण के लिए भूमि पूजन किया।कार्यक्रम स्थल पर विधि विधान से गौ माता पूजा कर मिष्ठान व फल खिलाया। प्रभारी मंत्री ने कहा कि शारदीय नवरात्रि के नवमी के शुभ अवसर पर अंजरौली और कोटिया गांव में निराश्रित गौबंशो को संरक्षित करने के लिए तीन करोड़ बीस लाख रुपए की लागत से दो गौशालाओं का निर्माण कराया जाएगा। जिसका शिलान्यास शुक्रवार किया गया। उन्होंने अधिकारियों से कहा की दशहरा की छुट्टी के बाद से इस गौशाला का निर्माण कार्य में तेजी लाए। मिल्कीपुर में एक बर्ष के अंदर तीन गौशालाओ का निर्माण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि किसानो की समस्याओं को देखते हुए अकमा में अस्थाई गौ आश्रय स्थल की व्यवस्था की गई है जिसमे मौके पर 350 से अधिक गौबांशो को संरक्षित किया गया है। और उसमे चारा, भूसा की व्यवस्था कराई गई है। कहा की अंजरौली की गौशाला में 500 गौबंशो को रखने की क्षमता है। तीनो गौशालाओं में 2 हजार से अधिक गौबांशो को रखने का कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री द्वारा अभी हाल में ही मिल्कीपुर के लिए 30 सड़के दी है जिसका शिलान्यास मुख्यमंत्री ने किया था। जिसके टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण हो गई है। अधिकारियो को इस बात का निर्देश दिया है कि आचार संहिता का सड़क निर्माण कार्य में असर न पड़े , जल्द कार्य शुरू हो जाए और सभी सड़को के निर्माण का कार्य शुरू कराया जाय। उन्होंने जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और भाजपा जिलाध्यक्ष को कहा है वह स्वयं सड़को के निर्माण कार्य को शुरू कराए। चौपाल कार्यक्रम के तहत विद्युत संबंधित कई समस्याओं की शिकायत मिली थी, जिसमे तीस से अधिक गांवो में बिजली की समस्या को ठीक कराया गया जहां जरूरत थी पोल, तार, ट्रांसफार्मर, केबल बदले गए।

भाजपा जिलाध्यक्ष संजीव सिंह ने कहा कि अंजरौली गांव में एक हेक्टेयर भूमि पर गौ संरक्षण स्थल का निर्माण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री एवं प्रभारी मंत्री के सहयोग से किसान भाइयों की समस्याओं को देखते हुए गौ संरक्षण स्थल का निर्माण कराया जा रहा है मैं जिस गांव में जाता था केवल छुट्टा जानवर की समस्या बताई जाती थीं। उत्तर प्रदेश के लोगो को 2017 के पहले अन्य प्रदेशों में हेय दृष्टि से देखा जा रहा था। लेकिन 2017 के बाद प्रदेश के गुंडे सुधार गए है और रामनामी धारण कर लिया हैं। प्रदेश को योगी और देश को मोदी जी की जरूरत है।

कार्यक्रम का संचालन मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. शिव मूर्ति प्रसाद ने किया। उन्होंने मंत्री एवं विधायक वेद प्रकाश गुप्ता को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया। गौ संरक्षण स्थल के भूमि पूजन व शिलान्यास के बाद कृषि मंत्री ने अंजरौली गांव के ग्राम सचिवालय पर पहुंच कर समूह की दीदियो द्वारा निर्मित दीपक एवं वाई फाई संचालन का शुभारंभ किया गया जहां पर मंत्री ने समूह की दीदियों एवं ग्रामीणों को संबोधित भी किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने महेश्वर की गौ-शाला में किया गौ-पूजन

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को खरगौन जिले के महेश्वर में माँ भागवत रेवा गौ-शाला पहुँचकर गौ-पूजन कर गौ-माता को गुड़ के लड्डू और गौ-ग्रास खिलाया। इक्कीस वर्ष पुरानी इस गौ-शाला में वर्तमान में 126 गौ-वंश हैं। इसका संचालन क्षेत्रीय ग्रामीणों द्वारा समिति बनाकर किया जाता है। गौ-शाला संचालक समिति के श्री विशाल गीते और श्री दिलीप पाटीदार ने बताया कि गौ-शाला में प्रतिवर्ष नागर जी महाराज द्वारा भागवत कथा वाचन किया जाता है। उन्होंने बताया कि दुधारू गायों से प्राप्त दुध का विक्रय कर गौ-शाला को स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस अवसर पर क्षेत्रीय जन-प्रतिनिधि एवं गौ-सेवक मौजूद थे।