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कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को पूजी जाती हैं विश्व की रक्षक माता जगद्धात्री*

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(कुमार कृष्णन-विनायक फीचर्स)
कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को  जगद्धात्री पूजा होती है।माँ जगद्धात्री या जगधात्री यानि जगत् +धात्री अर्थात जगत की रक्षक वह देवी जो विश्व की रक्षक के रूप में पूजनीय हैं। यह पूजा खास तौर पर पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड   और उड़ीसा सहित अन्य राज्यों में की जाती है। कहा जाता है कि इस पर्व की शुरुआत रामकृष्ण परमहंस  की पत्नी शारदा देवी ने रामकृष्ण मिशन में की थी। वह भगवान के पुनर्जन्म में बहुत विश्वास करती थी।  बाद में दुनिया के कोने-कोने में मौजूद रामकृष्ण मिशन के केंद्रों में इस त्यौहार को मनाने की शुरुआत हुई।
लंबे समय तक पश्चिम बंगाल का चंदन नगर फ्रांसिसी उपनिवेश रहा।चन्दननगर और उसके आसपास के क्षेत्रों में जगद्धात्री पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है। दिल्ली में भी यह कई स्थानों पर मनाया जाता है, जिनमें नई दिल्ली काली बाड़ी भी शामिल है जो बंगाली कला और संस्कृति का केंद्र है।
बिहार के भागलपुर में जगधात्री पूजा सुप्रसिद्ध उपन्यासकार शरत चंद्र से जुड़ा है। जगधात्री पूजा का उल्लेख बंकिमचंद्र चटर्जी के उपन्यास आनंदमठ में भी है। चंदन नगर में जगधात्री पूजा का प्राचीन इतिहास आज भी अज्ञात है। कहा जाता है कि   कृष्णनगर के राजा कृष्णचंद्र की तरह इंद्रनारायण चौधरी ने चंदननगर में जगधात्री पूजा की शुरुआत की थी लेकिन कृष्णनगर में जगधात्री पूजा की शुरुआत का समय 1762 था और इंद्रनारायण चौधरी की मृत्यु 1756 में हुई थी इसलिए कहा जा सकता है कि इंद्रनारायण चौधरी ने चंदननगर में जगधात्री पूजा की शुरुआत नहीं की थी। चंदननगर में जगधात्री पूजा की शुरुआत संभवतः 1750 से पहले हुई थी। एक बार राजा कृष्णचंद्र को कर न चुकाने के कारण तत्कालीन शासक सिराज ने पकड़ लिया था। जब वे जेल से रिहा हुए, तो मुर्शिदाबाद से नाव से नादिया लौटते समय (यह शरदकालीन दुर्गा पूजा का समय था), उन्होंने नाव पर ढोल की आवाज़ सुनी, जो यह दर्शाता था कि यह पूजा का दसवां या आखिरी दिन था, और वे, दुर्गा के एक भक्त, उत्सव में शामिल न हो पाने के कारण उदास थे।
उस शाम को उन्हें देवी दुर्गा का दर्शन हुआ, जो एक बच्चे के रूप में प्रकट हुईं, उन्होंने उन्हें एक महीने बाद कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर उनकी पूजा करने के लिए कहा, और यह भी कहा कि इससे उनकी वही कृपा प्राप्त होगी। बाद में, जब उन्होंने इस घटना के बारे में अपने परिवार के पुरोहित से चर्चा की, तो उन्हें बताया गया कि, यह वास्तव में देवी जगधात्री थीं। कृष्णचंद्र ने एक कलाकार को देवी जगद्धात्री की एक मूर्ति बनाने का आदेश दिया, और उन्होंने नियत समय पर बड़ी धूमधाम से इसकी पूजा की।
अगर इस किंवदंती पर विश्वास किया जाए तो अठारहवीं शताब्दी के मध्य में जगद्धात्री की पूजा शुरू हुई थी। हालाँकि, समकालीन साहित्य में पूजा का उल्लेख नहीं है, इसलिए यह संभावना है कि  सार्वजनिक पूजा का प्रचलन बाद में हुआ। जगद्धात्री की पूजा की परंपरा, कृष्णनगर राजबाड़ी में अभी भी उतनी ही सहजता से निभाई जाती है।इस देवी का उल्लेख कई पौराणिक ग्रंथों में मिलता है, जो उनके दिव्य स्वरूप और शक्ति का प्रमाण है। कार्तिक पुराण में जगद्धात्री देवी का वर्णन मिलता है। देवी पुराण, मार्कंडेय पुराण और माया तंत्र में भी देवी की पूजा विधियों का उल्लेख है। चंडी उपाख्यान में देवी जगद्धात्री द्वारा करिंदा असुर और गजासुर का वध करने का उल्लेख है, जो उनकी महाशक्ति रूप को दर्शाता है। देवी जगद्धात्री की प्रतिमा का स्वरूप अत्यंत अद्भुत और विशिष्ट है। वह सिंह पर सवार होती हैं, जो उनके नीचे हाथी पर दहाड़ता हुआ होता है।
सिंह के नीचे फैला हुआ हाथी होता है, जो धरती पर चारों पैर फैला कर विराजमान रहता है। देवी चार भुजाओं और त्रिनेत्र के साथ अपने कमलासन पर विराजमान होती हैं। उनके दाहिने हाथों में चक्र और तीर होते हैं, जबकि बाएं हाथों में शंख और धनुष। मां के गले के पास एक फुफकारता हुआ नाग शोभायमान रहता है, जो उनकी शक्ति का प्रतीक है।देवी के अलंकरण में सोने-चांदी के आभूषणों के साथ विशेष कलात्मक शोले की सजावट होती है, जो उनकी दिव्यता को और बढ़ाते हैं। देवी आमतौर पर लाल वस्त्र धारण करती हैं, जो शक्ति और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस प्रकार देवी जगद्धात्री की पूजा भारतीय संस्कृति और पौराणिक परंपराओं में विशेष स्थान रखती है, जो सदियों से श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है।जगद्धात्री को दुर्गा का दूसरा नाम कहा जाता है। संस्कृत, बंगाली और असमिया में ‘जगद्धात्री’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘विश्व (जगत) की धारक (धात्री)। देवी जगद्धात्री का पंथ सीधे तंत्र से लिया गया है, जहाँ वह दुर्गा और काली होने के अलावा सत्व का प्रतीक हैं, जो क्रमशः रजस और तमस का प्रतीक हैं – हिंदू दर्शन के ये तीन मूल घटक हैं।
“जगद्धात्री देवी” के आगमन के बारे में एक प्राचीन कथा  यह है कि शैतान महिषासुर को मारने के बाद देवी दुर्गा को सभी देवताओं ने नजरअंदाज कर दिया और उन्होंने जीत का सारा श्रेय अपने नाम पर रखकर जश्न मनाया क्योंकि देवी दुर्गा की रचना सभी देवताओं की शक्ति को आत्मसात करके हुई थी।अपमान से क्रोधित देवी दुर्गा ने चुपके से उन पर घास का एक पत्ता फेंका। इंद्र (गर्जन के देवता), वायु (हवा के देवता), अग्नि (आग के देवता) और वरुण (बारिश के देवता) सभी ने घास के पत्ते को नष्ट करने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे और देवी दुर्गा आखिरकार अपने नए रूप में सभी देवताओं के सामने आईं। सभी देवताओं ने स्वीकार किया कि चार हाथों वाली यह चमकदार सुंदर देवी कोई और नहीं बल्कि पृथ्वी की स्वामिनी देवी जगद्धात्री हैं।एक अन्य मत के अनुसार युद्ध के दौरान, राक्षस महिषासुर ने देवी दुर्गा को भ्रमित करने और उन्हें बहकाने के लिए कई रूप धारण किए। जब ​​राक्षस ने हाथी का रूप धारण किया तो चार हाथों वाली देवी  शेर के साथ प्रकट हुईं।
उस रूप को जगद्धात्री के नाम से जाना जाता है। देवी जगद्धात्री ने अपने घातक हथियार चक्र से राक्षस हाथी का वध कर दिया। यहाँ महिषासुर के स्थान पर हाथी को शैतान कहा गया है। संस्कृत में हाथी को ‘कारी’ कहते हैं और इसी कारण जगद्धात्री द्वारा मारे गए शैतान को ‘करिन्द्रसुर’ कहते हैं । देवी दुर्गा के विपरीत, जगद्धात्री देवी की पूजा करते समय  उनके साथ  लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिक और गणेश मौजूद नहीं होते हैं। केवल जया और विजया उपस्थित थीं। यह मूर्ति देवी दुर्गा के समान बनाई गई है, क्योंकि तंत्र और पुराण में देवी जगद्धात्री को सुबह के सूर्य के समान रंग वाली, तीन आंखों और चार भुजाओं वाली, अपने दो बाएं हाथों में शंख और धनुष तथा दो दाहिने हाथों में चक्र और पांच मुख वाला बाण धारण किए हुए दिखाया गया है तथा उनकी सवारी सिंह है।
शंख तेजस्विता और पवित्रता का प्रतीक है, चक्र दुष्टात्मा का नाश करता है, जबकि बाण/शाखा बुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं और धनुष मन की एकाग्रता का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस प्रकार देवी ज्ञान की भावना लाती हैं, और हिंदू कैलेंडर के अनुसार शुभ समय को चिह्नित करती हैं। देवी दुर्गा के विपरीत, उनके गले में एक साँप लिपटा हुआ है, जो जीवन में सभी बाधाओं से लड़ने का प्रतीक है। देवी की मूर्ति को लाल कपड़ों और आभूषणों से खूबसूरती से सजाया गया है। देवी को गले में माला भी पहनाई गई है। भागलपुर के गांगुली परिवार की जगद्धात्री पूजा भागलपुर शहर की विरासत को दर्शाती है।भागलपुर से शरतचंद्र को काफी ख्याति मिली। उनके अनेक उपन्यास भागलपुर की पृष्ठभूमि से जुड़े हैं। भारत की सर्वाधिक भाषाओं में उनकी ख्याति है। उनकी ही प्रेरणा से भागलपुर में बंग साहित्य परिषद् की स्थापना की गयी।
मानिक सरकार मोहल्ले की मुख्य सड़क का अंतिम मकान प्रख्यात बांग्ला कथाशिल्पी शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के परनाना का है। इस मोहल्ले के कई दर्जन मकान मालिक जहां विभिन्न कारणों से अपने मकान बेचकर कोलकाता या अन्यत्र जा बसे, वहां करीब ढ़ाई सौ सालों से आबाद शरतचंद्र की पांचवीं-छठी पीढ़ी के मालिकान शांतनु गांगुली व इनके बेटे-बेटी रह रहे हैं। इनके पूर्वज रामधन गंगोपाध्याय आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने बंगाल के हाली नगर से भागलपुर आ बसे थे। प्रतिभाशाली होने के कारण ब्रिटिश सरकार में उन्हें यहां ऊंचा पद मिला था। उनके पुत्र केदारनाथ गांगुली इनके परदादा थे। उनके पांच पुत्रों व दो पुत्रियों में सुरेंद्रनाथ गांगुली व भुवन मोहिनी शामिल थीं। सुरेंद्रनाथ गांगुली इनके दादा थे।
उनकी बड़ी बहन भुवन मोहिनी की शादी पश्चिम बंगाल के देवानंदपुर के मोतीलाल चट्टोपाध्याय से हुई थी। उन्होंने कई महत्वपूर्ण जानकारी दी। यहां शरतचंद्र की तस्वीर के साथ दवात, कलमदान और अनेक चीजे हैं। यहां गांगुली परिवार में 1819 से जगद्धात्री पूजा मनाया जाता रहा हैं।
1930 के दशक की शुरुआत में, परिवार के कई सदस्य वापस बंगाल चले गए। शरतचंद्र के चचेरे भाई सुरेंद्रनाथ को पूजा में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़। इसे एक साल के लिए 1934 में रोकना पड़ा। लेकिन शरतचंद्र के सक्रिय समर्थन और संरक्षण के साथ पूजा फिर से शुरू हुई।1938 में शरतचन्द्र की मृत्यु के बाद, पूजा को फिर से रोकना पड़ा। इसे 1946 में फिर से शुरू किया गया था। तब से, यह हर साल परिवार के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी और संरक्षण के साथ मनाया जाता है।
गांगुली परिवार की जगद्धात्री पूजा इस शहर की विरासत को दर्शाती है।इसमें  शरतचंद्र भाग लेते थे और दलपति की भूमिका अदा करते थे। एक बार जब बंगाली समाज के बहिष्कृत राजा शिवचंद बनर्जी के साले बंगला स्कूल के अध्यापक क्रान्तिदास की मृत्यु के बाद जब कट्टरपंथियों ने शवयात्रा में शामिल होने से इंकार कर दिया था तब शरतचंद की पहल पर आदमपुर क्लब के सदस्यों ने क्रिया सम्पन्न की थी। शरतचंद्र को लोग  जिस तरह आनंदोत्सव में याद करते थे, वैसी ही पुकार उनकी आपद विपदा में होती थी। इस कारण जगद्धात्री पूजा में ब्राह्मण भोजन के समय मामा महेन्द्रनाथ ने उन्हें भोजन परोसने से रोक दिया तो वे इतने मर्माहत हुए कि कई दिनों तक घर नहीं आए।यह त्यौहार हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
(विनायक फीचर्स)

टाटा एसेट मैनेजमेंट ने लॉन्च किया टाटा इंडिया इनोवेशन फंड 

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सभी क्षेत्रों में नवाचार के ज़रिए वृद्धि के लाभ पाने का लक्ष्य
मुंबई (अनिल बेदाग):  टाटा एसेट मैनेजमेंट ने टाटा इंडिया इनोवेशन फंड लॉन्च किया है। अलग-अलग क्षेत्रों में नयी रणनीतियों और कल्पनाओं को अपनाकर लाभ उठाने के लिए प्रयासशील कंपनियों में निवेश करके दीर्घकालिक पूंजी वृद्धि के अवसर निवेशकों को प्रदान करना इस फंड का उद्देश्य है। NFO (न्यू फंड ऑफर) 11 नवंबर, 2024 को सबस्क्रिप्शन के लिए खुलेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था में सफल और वृद्धिशील दोनों तरह के नवाचारों में जुटी हुई कंपनियां हैं जो अपने-अपने क्षेत्रों में परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। क्रांतिकारी नवाचार परिवर्तनकारी उन्नति को बढ़ावा देते हैं, पूरी तरह से नए बाज़ार बनाते हैं, जबकि वृद्धिशील नवाचार मौजूदा उत्पादों, सेवाओं या प्रक्रियाओं में निरंतर सुधार लाते हैं।
टाटा इंडिया इनोवेशन फंड ऐसे परिवर्तनकारी नवाचारों में सबसे आगे रहने वाली कंपनियों को स्ट्रैटेजिकली टारगेट करेगा, जो अनुसंधान और विकास (R&D) और मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल परिवर्तन जैसी तकनीकों का लाभ उठाती हैं।
भारत के वित्तीय सेवा उद्योग ने देश में नया डिजिटल युग लाने के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का उपयोग किया है, जिससे देश भर में वित्तीय समावेशन का विस्तार हुआ है। वैश्विक जलवायु कार्रवाई मानकों के अनुरूप, भारत के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र, बैटरी प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश और विकास की गति बढ़ रही है। साथ ही, फार्मास्यूटिकल और हेल्थकेयर क्षेत्रों में पर्याप्त आरएंडडी निवेश अनुसंधान और विनिर्माण के एक वैश्विक केंद्र के रूप में भारत की पहचान बना रहा है।
इसके अलावा, भारत सरकार की ‘वोकल फॉर लोकल’ रणनीति और विकास समर्थक उपायों ने ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स पर देश की रैंकिंग में काफी सुधार किया है। 2015 में भारत 81वें स्थान पर था, और 2024 में 39वें स्थान पर पहुंच गया है। इस अनुकूल वातावरण से नवाचार को प्राथमिकता देने वाली कंपनियों को लाभ होने की उम्मीद है (स्रोत: वर्ल्ड इन्टेलेक्च्युअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन | आईपी इंडिया | टाइम्स हायर एजुकेशन)।
फंड के लॉन्च पर, टाटा एसेट मैनेजमेंट के चीफ बिज़नेस ऑफिसर श्री आनंद वरदराजन ने कहा, “निवेश में दो चीजें मायने रखती हैं: एक ऐसी कंपनी की पहचान करना जो अगले 10+ सालों तक चलेगी और अगले दशक में पैसे कमाने की उस कंपनी की क्षमता। इनमें से सिर्फ़ एक होना ही काफी नहीं है। कंपनियों की जीत में इनोवेशन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। यही एक चीज है जो कंपनी के अस्तित्व और विकास में मदद करती है। वृद्धिशील और ब्रेक थ्रू इनोवेशन के ज़रिए यह संभव होता है। इनोवेशन से  प्रतिस्पर्धात्मक लाभ और आगे रहने की क्षमता मिलती है। भारत डिजिटल, विनिर्माण और सेवा इनोवेशन में सबसे आगे है, जिससे बहुत सारे अवसर मिलते हैं। कामयाब होने और बढ़ने के लिए प्रयासशील कंपनियों में अवसरों को हासिल करना इस फंड का लक्ष्य है।”
टाटा एसेट मैनेजमेंट के मुख्य निवेश अधिकारी श्री राहुल सिंह ने कहा, “भारत में वित्त, स्वास्थ्य तकनीक, ऑटोमोटिव समाधान, उपभोक्ता तकनीक और उससे परे डिजिटलीकरण के नेतृत्व में विविध क्षेत्रों में परिवर्तनकारी बदलाव आ रहे हैं। वैश्विक नवाचार रैंकिंग में लगातार वृद्धि के साथ, हम डिजिटल कॉमर्स, ग्रीन मोबिलिटी, ईवी बैटरी इंफ्रास्ट्रक्चर, स्पेस टेक और उन्नत स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। टाटा इंडिया इनोवेशन फंड इन बदलावों का लाभ उठाने के लिए बनाया गया है, जो निवेशकों को इस नवाचार लहर का नेतृत्व करने वाली कंपनियों के विकास में भाग लेने का मौका देता है।”

Ajmer: पुष्कर मेले में आकर्षण का केंद्र बनी गाय पुंगनूर

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पुष्कर के अंतराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला ऐसे ही नहीं दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, बल्कि यहां देश के अनेक हिस्सों से आये पशु इस मेले को दूसरे मेलों से अलग और भव्य बनाते है। अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला में एक से बढ़कर एक पशु अपनी पहचान बनाए हुए है, इस मेले में 1 लाख से लेकर एक करोड़ रुपए तक का घोड़ा बिकने के लिए मैदान में खड़ा है तो वहीं दूसरी ओर इस बार पुष्कर पशु मेले में विलुप्त होती पुंगनूर प्रजाति की गाय आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

इस गाय को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई है तो वही लोग इस छोटी गाय की फोटो लेने के लिए भी उत्साहित नजर आ रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी इस प्रजाति की गाय अपने घर में पाल रखी है। जयपुर से आए अभिराम ब्रीडिंग फार्म के अभिनव तिवारी ने बताया कि पुंगनूर प्रजाति की गाय की हाइट 28 से 36 इंच होती है। एक गाय प्रतिदिन 3 किलो चारा खाती है और तीन से पांच लीटर प्रतिदिन दूध देती है।

तिवारी ने यह भी बताया कि पुष्कर के अंतरराष्ट्रीय पशु मेले में इन गायों को बेचने के मकसद से नहीं बल्कि उनकी प्रजाति के संरक्षण के लिए उनकी प्रदर्शनी लगाई गई है। इनका मानना है कि हर घर में देसी गाय पालनी चाहिए, जिनके पास जगह है वह बड़ी गाय पाल जिनके पास जगह नहीं है। पुंगनूर प्रजाति की गाय अपने घर में आराम से पाल सकते हैं। उनके लिए कोई बड़ा बाड़ा नहीं बल्कि पांच बाई पांच की जगह काफी होती है।

गौवंश से निर्दयता: दमोह में बदमाश ने गाय के पेट पर मारी कुल्हाड़ी

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दमोह जिले के हटा ब्लॉक के बोरी खुर्द गांव में पशु क्रूरता की एक दर्दनाक घटना सामने आई है। किसी अज्ञात व्यक्ति ने निर्दयता पूर्वक एक गाय के पेट में कुल्हाड़ी मार दी, जिससे कुल्हाड़ी पेट में फंस गई और लटकती रही। घायल अवस्था में गाय गांव में घूमती रही, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया। इस अमानवीय घटना का वीडियो शुक्रवार दोपहर को किसी ग्रामीण ने बना कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जिसके बाद क्षेत्र में हलचल मच गई और गोसेवकों में नाराजगी बढ़ गई।

वीडियो वायरल होने के बाद सुरभि गोसेवक मौके पर पहुंचे और तुरंत गाय के पेट से कुल्हाड़ी निकालकर उसका इलाज किया। गोसेवकों के अनुसार, गाय की स्थिति अब स्थिर है और उसका ध्यान रखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह गाय गांव निवासी बाला पटेल की है। बाला पटेल और गोसेवकों ने इस क्रूरता के खिलाफ हटा थाने में अज्ञात आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

पुलिस ने पशु क्रूरता अधिनियम के तहत अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। इस घटना ने गांव और आस-पास के क्षेत्र में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है, और गोसेवकों ने आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की अमानवीय घटनाओं से समाज में पशु क्रूरता के खिलाफ सख्त संदेश जाना चाहिए और दोषी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।

पुलिस मामले की जांच कर रही है और आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। इस घटना ने पशु अधिकारों के प्रति जागरूकता की जरूरत को फिर से उजागर किया है, और लोग प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

गौकशी के आरोपी आकाश, आलोक और गोपाल का एनकाउंटर

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Meerut News: मेरठ पुलिस की गुरुवार रात को कथित गौ तस्करों के साथ मुठभेड़ हुई, जिसमें एक आरोपी पुलिस की गोली से घायल हो गया. जबकि उसके दो अन्य साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस के अनुसार, जिले में अपराधियों की धर-पकड़ के अभियान के तहत मवाना थाना प्रभारी अपनी टीम के साथ टिगरी अंडरपास के पास संदिग्ध वाहनों और व्यक्तियों की चेकिंग कर रहे थे. इस दौरान एक बाइक पर सवार तीन युवकों को रुकने का इशारा किया गया, लेकिन उन्होंने रुकने के बजाय बाइक को तेजी से दौड़ाते हुए मुबारिकपुर गांव की ओर भागने की कोशिश की. आरोप है कि पुलिस द्वारा पीछा करने पर इन बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी.

जवाबी फायरिंग में एक बदमाश घायल

इसके बाद पुलिस की ओर से जवाबी फायरिंग की गई, जिसमें आकाश नामक बदमाश को पैर में गोली लगी. उसे घायल अवस्था में तिगरी पुल से मुबारिकपुर की ओर जाने वाले रास्ते पर गिरफ्तार किया गया. आरोपी आकाश मूल रूप से दिल्ली का रहने वाला है. बता दें कि घटना के बाद, आकाश के दो अन्य साथी गन्ने के खेतों की ओर भागने में सफल रहे, लेकिन पुलिस ने कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाकर उन्हें भी पकड़ लिया. उनकी पहचान आलोक पुत्र सिकंदर और गोपाल पुत्र बाबू राम के रूप में हुई, जो दोनों भी झंडे वाला मंदिर, पहाड़गंज, दिल्ली के निवासी हैं.

तस्करों के पास से मिले अवैध हथियार

गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपी बागड़ी समुदाय के हैं, जिनका कोई स्थायी ठिकाना नहीं है और वे जगह बदल-बदल कर रहते हैं. पुलिस ने उनके पास से एक अवैध तमंचा 315 बोर, एक जिंदा और एक खोखा कारतूस, और एक मोटरसाइकिल (रजिस्ट्रेशन नंबर DL6SAH7544) बरामद की है.

गौ हत्या की घटना से जुड़े थे आरोपी

पुलिस का दावा है कि इन तस्करों ने 5 नवंबर, 2024 को तिगरी गांव के खेतों में तीन बैलों को काटकर गौ हत्या की थी. इस घटना के संबंध में थाना मवाना में मु0अ0सं0 438/2024 धारा 3/5/8 गौवध निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था.

अन्य आरोपियों की तलाश जारी

मेरठ के एसपी (देहात) राकेश कुमार ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ के दौरान मेरठ के अन्य साथियों के नाम भी बताए हैं, जिनकी तलाश की जा रही है. पुलिस ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही अन्य अपराधियों को भी गिरफ्तार किया जाएगा.

Gopashtami 2024: गोपाष्टमी के दिन इस शुभ मुहूर्त में करें गौ माता की पूजा, इन मंत्रों का करें जाप

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Gopashtami 2024: हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार आज यानि 9 नवंबर 2024, शनिवार को गोपाष्टमी मनाई जाएगी. इस दिन गौ माता का विधि-विधान से पूजन किया जाता है और कहते हैं कि गौ माता की पूजा करने से एक साथ सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. हिंदू धर्म में गाय माता को पूजनीय स्थान दिया गया है. इसलिए घर में बनने वाले भोजन को सबसे पहले गाय माता के लिए निकाला जाता है. आइए जानते हैं गोपाष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और कौन से मंत्रों का करना चाहिए जाप?

गोपाष्टमी 2024 शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 8 नवंबर को रात 11 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी. इसका समापन 9 नवंबर को रात 10 बजकर 45 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार गोपाष्टमी का पर्व आज यानि 9 नवंबर को मनाया जा रहा है. पंचांग के अनुसार आज सुबह 11 बजकर 43 से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक अभिजित मुहूर्त रहेगा. इसके अलावा दोपहर 1 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 37 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा.

गोपाष्टमी पूजन विधि

गोपाष्टमी का त्योहार हिंदू धर्म में बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि इस दिन गौ माता का पूजन किया जाता है. कहते हैं कि गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास होता है. गोपाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर मंदिर को स्वच्छ करें. फिर मंदिर में गाय माता की बछड़े के साथ एक तस्वीर लगाएं और उसके समक्ष घी का दीपक जलाएं. साथ ही धूपबत्ती भी करें और पुष्प अर्पित करें.

इस दिन गाय को अपने हाथों से हरा चारा खिलाना चाहिए और उनके चरण स्पर्श करने चाहिए. संभव हो तो गोपाष्टमी के दिन गाय को चारे के साथ ही गुड़ का भी भोग लगाएं. ऐसे करना शुभ माना गया है और इससे मनुष्य को सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है. यदि आस-पास गाय का मिलना मुश्किल है तो किसी गौशाला में जाकर चारा दान करें और गायों की सेवा करें.

गोपाष्टमी पर करें इस मंत्र का जाप

अगर आप अपनी कुंडली में सूर्य दोष से परेशान हैं तो उन्हें इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में कभी सूर्य दोष नहीं लगेगा.

सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता, सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस,
तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते, मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी!!

बाला साहेब जिंदा होते तो उद्धव ठाकरे को मार देते गोली – नारायण राणे

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज है। कुडाल विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान नारायण राणे का विवादित बयान सामने आया है। नारायण राणे ने उद्धव ठाकरे पर सीधे तौर पर निशाना साधा है। बीजेपी नेता नारायण राणे ने कहा कि आज अगर वह  (बाला साहेब ठाकरे) होते तो उद्धव ठाकरे को गोली मार देते।

याद आ गए बाला साहेब ठाकरे- राणे

चुनावी सभा के दौरान बीजेपी सांसद व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर जमकर बरसे। नारायण राणे ने कहा, ‘शिवसेना प्रमुख का बेटा एक सभा में कहता है। अगर आपको सोसायटी में बकरीद की इजाजत नहीं देनी है तो दिवाली की कंदील (लालटेन) भी उतार दीजिए। मुझे बाला साहेब ठाकरे याद आ गए। इसके ऐसा बोलने पर वह गोली मार देते। सच कह रहा हूं।’

उद्धव का व्यवहार परिवार के गरिमा के मुताबिक नहीं

इसके साथ ही बीजेपी नेता नारायण राणे ने कहा, ‘उद्धव ठाकरे का व्यवहार परिवार की गरिमा के मुताबिक नहीं है। उद्धव हिंदुत्व से समझौता करके मुख्यमंत्री बने थे। अपने ढाई साल के कार्यकाल में उद्धव ने सिर्फ दो दिन काम किया और एक बार फिर वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। महाराष्ट्र में ऐसे लोगों को सत्ता कौन देगा?’

‘एक हैं, तो सेफ हैं, पीएम मोदी का नया नारा

वहीं, दूसरी ओर पीएम मोदी ने शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रचार अभियान की शुरुआत ‘एक हैं, तो सेफ हैं’ के नए नारे के साथ की। उनका यह आह्वान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के कुछ दिनों के बाद ही आया है।

कांग्रेस एक जाति को दूसरी जाति से लड़ा रही- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने इस दौरान महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोगियों को चुनौती दी कि वह नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से 15 मिनट के लिए हिंदुत्व विचारक वीडी सावरकर और शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की प्रशंसा में बुलवाकर दिखाएं। दिन में दो चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस पर एक जाति को दूसरी जाति से लड़ाने की ‘विभाजनकारी’ राजनीति का आरोप लगाया और कहा कि पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के दिनों से ही पार्टी आरक्षण की विरोधी रही है।

50 बेसहारा पशुओं को गौ-अभयारण भेजा

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हिसार (हप्र)  नगर निगम के उच्च अधिकारियों के दिशानिर्देश पर बेसहारा पशुओं को पकड़ने का अभियान निरंतर जारी है। एएसआई राहुल सैनी ने बताया कि टीम ने शुक्रवार को अल सुबह से वार्ड 19 में आजाद नगर, चन्द्रलोक कॉलोनी, साकेत कॉलोनी व इसके आस-पास के क्षेत्र में बेसहारा पशु पकड़ने का अभियान चलाया। अभियान के दौरान 50 बेसहारा पशुओं को पकड़कर गौ-अभयारण भेजा गया। बेसहारा पशु पकड़ने वाली टीम के साथ पुलिस भी मौजूद रही

गौशाला में गोपाष्टमी महोत्सव, हिंगोनिया गौशाला में होगा 51 कुंडीय गौ यज्ञ

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जयपुर. कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में गायों की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. ऐसे में गोपाष्टमी के अवसर पर राजधानी की पिंजरापोल गौशाला में राज्यपाल के सानिध्य में गौमाता का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजन कर गाय पर आधारित मेले का आयोजन किया जाएगा. वहीं हिंगोनिया गौशाला में गोपाष्टमी पर 51 कुंडीय गौ यज्ञ का आयोजन होगा.

हिंदू धर्म में गाय को लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है और 33 करोड़ देवी देवताओं का वास भी कहा जाता है. मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन से भगवान श्री कृष्णा और उनके भाई बलराम ने गोचरण की लीला शुरू की थी. यही वजह है कि यह पर्व मथुरा वृंदावन और ब्रज क्षेत्र में ज्यादा प्रसिद्ध है. लेकिन छोटी काशी इससे से अछूती नहीं है. यहां गोपाष्टमी के अवसर पर जहां शहर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर प्रांगण में ठाकुर जी को नटवर वेश धारण करते हुए विशेष झांकी सजाई जाएगी तो वहीं चांदी की गौ माता का वेद मंत्र चरण के साथ पंचामृत अभिषेक किया जाएगा.

उधर, पिंजरापोल गौशाला में गौमाता के आशीर्वाद लेने के लिए खुद प्रदेश के पहले नागरिक राज्यपाल हरीभाऊ बागड़े और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर सहित कई गणमान्य लोग पहुंचेंगे. इस दौरान गौमाता का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया जाएगा. इसके बाद गोवर्धन भगवान का पूजन कर परिक्रमा की जाएगी. वहीं आयोजन को मेले से स्वरूप देते हुए गोमय उत्पादों की स्टॉल्स भी लगाई जाएगी और वैदिक वन औषधीय पार्क का भ्रमण भी कराया जाएगा. वहीं जयपुर के हिंगोनिया गौ पुनर्वास केंद्र में गोपाष्टमी पर 51 कुंडीय गौ यज्ञ का आयोजन किया जाएगा. जिसमें गौ माता की सेवा का संकल्प लिया जाएगा. यहां समारोह में शहर के हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम की महापौर भी मौजूद रहेंगी.

इसके साथ ही हिंगोनिया गौशाला में गोवर्धन पर्वत की सुंदर झांकी बनाई गई है. जिसमें भक्त भगवान श्रीकृष्ण की लीला का जीवंत दर्शन कर सकेंगे. महोत्सव की शुरुआत प्रभात फेरी से होगी, जिसमें भक्त भजन-कीर्तन के माध्यम से गौ माता के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करेंगे. साथ ही गौमाता को हरा चारा और गुड़ खिलाकर सेवा करेंगे.

अबू आजमी की राज ठाकरे को चुनौती, लाउड स्पीकर हटाकर दिखाओ

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Image Source : PTI
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के बीच समाजवादी पार्टी के नेता अबू असीम आजमी ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे को चुनौती दी है। वोट जिहाद और मस्जिद के लाउड स्पीकर मूड्डे पर राज ठाकरे को चैलेंज करते हुए उन्होंने कहा कि अगर राज इतना ही चैलेंज दे रहे हैं, हिम्मत है तो पुलिस को हटाओ और हमारे मस्जिद में घुसकर लाउड स्पीकर हटाकर दिखाओ फिर देखो मरता क्या नहीं करता।

वोट जिहाद पॉलिटिक्स पर उन्होंने कहा कि 2014 से पहले किसी लड़की का बुर्का उतारने की कोशिश हो रही थी क्या? नहीं। बैल के नाम पर मुस्लिमों पर अत्याचार नहीं हो रहे थे, मॉब्लिंचिंग नहीं होती थी। गरीब मुसलमान को मारा पीटा नहीं जाता था। जय श्रीराम बोलने के लिए मुसलमानों को मजबूर नहीं किया जाता था। उलेमा नहीं बल्कि देश के जितने लोग जो डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर के संविधान को मानते हैं, ये सब के सब इनके (महायुती) खिलाफ काम करने वाले हैं। यह लोगों को अब मूर्ख नहीं बना सकते।

एमवीए मुस्लिम लीग नहीं

एमवीए को वोट देने के फतवे पर उन्होंने कहा कि एमवीए कोई  मुस्लिम लीग नहीं है, ये कोई मुसलमानों की पार्टी नहीं है। एमवीए में कांग्रेस, शरद पवार साहब हैं, उद्धव जी हैं। देश के लोग हैं जो भारतवंश के ही रहने वाले हैं, उनको सपोर्ट दिया जा रहा है तो क्या गलत है? ये कोई मुसलमानों की पार्टी नहीं है, जिन लोगों ने हम पर जुल्म ज्यादती की वह हमसे वोट की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं? जिहाद नाम का कितना गलत इस्तेमाल करोगे आप? प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जैसे ऊंचे पद पर बैठे लोग अगर इस तरह की ऐसी ओछी राजनीति करेंगे तो ये गलत है। हर आदमी का अपना अपना वोट बैंक होता है उसे मत मांगने का अधिकार है इसलिए महायुति वालों को परेशान नहीं होना चाहिए।

राज ठाकरे को दिया चैलेंज

राज ठाकरे के फतवे और लाउडस्पीकर वाले बयान पर अबू आजमी ने कहा कि जिंदगी में राज ठाकरे की सरकार महाराष्ट्र में नहीं आएगी। ऐसे लुच्ची बात करने वालों की सरकार इस देश में आ नहीं सकती, यह देश सेकुलर है। कोई माई का लाल इस तरह से कानून का उल्लंघन नहीं कर सकता। मस्जिद में घुस लाउडस्पीकर नहीं हटा सकता। चैलेंज है तो पुलिस को हटा दो मानखुर्द शिवाजीनगर आ जाओ कोई माई का लाल मस्जिद में घुसकर लाउडस्पीकर उतार दे तो उसको हम दिखा देंगे। हमने कभी ने कहा कि हम मंदिर में घुसकर लाउडस्पीकर उतारेंगे ये फालतू बातें ना करें। याद रखना मरता क्या नहीं करता।

योगी-मोदी पर साधा निशाना 

योगी के बटेंगे तो कटेंगे वाले बयान पर कहा कि जुड़ेंगे तो मजबूत होंगे। जुड़ेंगे तो नेक होंगे। जुड़ेंगे तो भारतवर्ष को मजबूत करेंगे। यह अलगाववादी लोगों को जल्दी से कुर्सी से हटाना है। मोदी, अमित शाह की रैली को लेकर उन्होंने कहा कि ये लोग मुसलमानों के पीछे पड़ गए हैं। इनके पास डेवलपमेंट का कोई मुद्दा नहीं है। छत्रपति शिवाजी महाराज के पदचिह्नों पर चलने वाली तो एमवीए सरकारे हैं। ये लोग तो शिवाजी महाराज की मूर्ति बनाते हैं, भ्रष्टाचार करते हैं और मूर्ति टूट जाती है।

वक्फ की जमीन पर सरकार ने कब्जा किया

अबू आजमी ने कहा कि अमित शाह कहते हैं कि एमवीए सरकार आई तो कर्नाटक की तरह किसानों की जमीन वक्फ को दे देंगे। आज तक कोई सरकार भारत वर्ष में आजादी के बाद पैदा नहीं हुई, जो किसानों की जमीनें वक्फ को दे। यह सब फालतू बाते हैं। इतने बड़े ओहदे पर बैठे इंसान दिशा भूल कर रहे हैं। वक्फ बोर्ड की जमीन यही है जो हमारे बुजुर्गों ने यतीम खानों के लिए, मस्जिदों के लिए दी थी। उन जमीनों पर सरकार ने कब्जा किया है उस पर सरकारी दफ्तर खोले हैं। ये सब मनगढ़ंत बातें हैं। ये सिर्फ पोलराइजेशन की राजनीति है। केंद्र की सरकार ये सिर्फ दो बैसाखी पर टिकी है, अगर बैसाखी हट गयी तो सरकार धड़ाम से गिर जाएगी।