मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव का एक साल चाणक्य बने या चुनौतियों से घिरे
(पवन वर्मा-विनायक फीचर्स)
समय, काल, परिस्थिति पर किसी का बस नहीं चलता, ठीक एक साल पहले यानि दिसंबर के शुरूआती दिनों में मध्य प्रदेश की राजनीति में शिवराज सिंह चौहान सबसे बड़ा नाम हुआ करते थे मध्यप्रदेश की पूरी राजनीति उनके आसपास ही सिमटी हुई थी, लेकिन उसी दिसंबर में वक्त बदला भाजपा के विधायक दल की बैठक शुरू होने से पहले मोहन यादव पांचवी पंक्ति में बैठे थे, चंद मिनट बाद वे प्रथम पंक्ति के सबसे अहम किरदार हो गए। इस वक्त मध्य प्रदेश भाजपा की राजनीति में शिवराज सिंह चौहान के कद के समान कोई दूसरा नेता नहीं था। मुख्यमंत्री की दौड़ में शिवराज सिंह चौहान के साथ कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल जैसे दिग्गजों के नाम थे। इन सबके बावजूद मोहन यादव को मुख्यमंत्री का ताज दिया गया। मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनते ही उनके सामने कई चुनौतियां थी। जिसमें सबसे पहली चुनौती अपने काम के बल पर सफलता की नई कहानी लिखने की थी। तो दूसरी तरफ चाणक्य बनकर राजनीति की आड़ी तिरछी चालों से मुकाबला करना था।
अब इस दिसंबर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को इस पद पर बने हुए एक साल हो रहा है। इस एक साल में उनके खाते में उपलब्धियां खूब आई तो राजनीति की चालों में वे विरोधियों के साथ साथ अपनों के निशाने पर भी रहे और उनके वार भी झेलते रहे। वहीं अपनी कूटनीति और रणनीति से वे प्रदेश भाजपा के कई मजबूत नेताओं को एक निश्चित दायरे में सीमित करने में भी सफल रहे। विरोधाभास यह भी कि कई फैसलों में दिल्ली ताकतवर नजर आई तो कई फैसलों में अफसरशाही हावी दिखाई दी। डॉ. मोहन यादव ने जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, तब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती मध्य प्रदेश भाजपा के ताकतवर नेताओं के कद्दावर कद के बीच में स्वयं को स्थापित करने की थी।
सबसे पहले उनके सामने चुनौती तब आई जब उनके मंत्रिमंडल में कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल जैसे राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय मध्य प्रदेश के दिग्गज और वरिष्ठ नेताओं को मंत्री बना दिया गया। इनके साथ ही प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रहे राकेश सिंह को भी मंत्रिमंडल में जगह दे दी गई। हालांकि भाजपा में यह परम्परा नई नहीं थी, बाबूलाल गौर को मुख्यमंत्री पद से हटाकर उन्हें शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था । इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी भी सुंदरलाल पटवा के मंत्रिमंडल में शामिल हुए। मंत्रिमंडल के गठन के पहले ही दिन से इस चुनौती से मोहन यादव जूझते रहे। हालांकि कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह ने भी मुख्यमंत्री का साथ दिया और उनके कदम से कदम मिलाकर निर्णयों का स्वागत किया। इन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री इस चुनौती से वे उभरते दिखाई दे रहे थे लेकिन राजनीति सदैव परिवर्तन शील ही रहती है यह तब दिखाई दिया जब दिसंबर में हुई कैबिनेट की बैठक में कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल ने सड़कों को लेकर आए प्रस्ताव पर आपत्ति जता दी। यानि दिग्गजों की इस चुनौती से मोहन यादव पूरी तरह से उभर नहीं सकें हैं।
सिमटते शिवराज सिंह
इधर मुख्यमंत्री बनने के बाद महज 6 महीने बाद ही शिवराज सिंह चौहान विदिशा लोकसभा सीट से सांसद बनकर दिल्ली चले गए। वे वहां केंद्रीय कृषि मंत्री बन गए। शिवराज सिंह चौहान का दिल्ली जाना मुख्यमंत्री मोहन यादव के लिए सुखद रहा। दरअसल शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री के रूप में मध्य प्रदेश में खासी लोकप्रियता हासिल कर ली थी। वे महिलाओं के भाई और मामा बन चुके थे। युवाओं में भी उनका क्रेज कम नहीं था। ऐसे में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को शिवराज सिंह चौहान के नाम और लोकप्रियता के आगे स्वयं को स्थापित करना भी कम चुनौती भरा नहीं था। शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं के उत्थान के लिए कई योजनाएं प्रदेश में लागू की। जिसमें लाड़ली लक्ष्मी योजना, लाड़ली बहना योजना ने उन्हें लोकप्रियता के शिखर तक पहुंचा दिया। मुख्यमंत्री रहते हुए शिवराज सिंह चौहान पूरे प्रदेश में सक्रिय थे। मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद जब चौहान केंद्रीय मंत्री बने तो मध्यप्रदेश में वे केवल विदिशा-रायसेन-सीहोर और देवास जिले तक यानि अपने लोकसभा क्षेत्र तक ही सिमट गए हैं। वैसे केंद्रीय कृषि मंत्री के रुप में शिवराज सिंह मध्य प्रदेश के बाहर दूसरे राज्यों में अब खासे सक्रिय हो गए हैं।
संगठन में भी सफल रहे यादव
डॉ. मोहन यादव ने जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तब संगठन में उनके समर्थकों की संख्या कम थी, उस वक्त संगठन के अधिकांश नेता शिवराज सिंह चौहान की ताारीफों के कसीदे गढ़ते थे लेकिन अब इनमें से अधिकांश नेता मोहन यादव के समर्थक हो गए हैं। इस मामले में वे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा से ज्यादा मजबूत माने जाने लगे हैं। संगठन के पदाधिकारी मोहन यादव के निर्णयों का खासा प्रचार कर, उनकी लोकप्रियता बढ़ाने में जुटे हुए हैं। इस काम में लगभग पूरा संगठन मुख्यमंत्री के साथ कदम ताल करने लगा है। हालांकि केंद्रीय योजनाओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम-काज का प्रचार करने में ये पदाधिकारी उतने सक्रिय नहीं हैं, जितने डॉ. मोहन यादव की योजनाओं और कामकाज का प्रचार-प्रसार और तारीफ करते हैं।
अफसरों पर कभी भारी तो कभी कमजोर
मुख्यमंत्री बनने के बाद मोहन यादव के तेवर देख कर अफसर भी दंग थे। शाजापुर जिले के तत्कालीन कलेक्टर किशोर कान्याल ने एक ड्राइवर को अपमानित कर दिया, इस पर मुख्यमंत्री ने उनका तबादला कर दिया। ऐसे ही कई उदहारण उन्होंने अफसरशाही में प्रस्तुत किए। इसी दौरान उन्होंने ऐसे अफसरों को फील्ड से हटाया जो लंबे समय से फील्ड में पदस्थ थे। इससे कई ऐसे अफसरों को मौका मिला जो कुछ वर्षो से उपेक्षा का शिकार सा महसूस कर रहे थे। इसी बीच उन्होंने मुख्यमंत्री सचिवालय में अफसरों की पदस्थापना की। इन्हीं में से एक अफसर को मुख्य सचिव बनाए जाने की चर्चा होने लगी थी, लेकिन मुख्य सचिव का फैसला दिल्ली से ही तय हुआ माना गया। वहीं इसी दौरान उन्होंने किशोर कान्याल को श्योपुर जिले का फिर से कलेक्टर बना दिया, यानि उनके तेवर कान्याल को लेकर क्यों नरम हुए, यह सवाल खड़ा हो गया। दूसरी ओर पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति में मोहन यादव ने अपनी ताकत का अहसास करवाया और अपनी पसंद के कैलाश मकवाना को यहां पर पदस्थ किया। इसके साथ साथ चर्चाएं तो यह भी हैं कि अफसर मुख्यमंत्री के आदेशों में जमकर अडंगे लगा रहे हैं और मुख्यमंत्री के सैकड़ों आदेशों को दबा दिया गया है।
उम्मीदें जो बाकी हैं
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. यादव का एक साल अच्छे से बीत गया, अब आने वाले वर्षो में उनसे सबसे ज्यादा उम्मीद उन लाड़ली बहनों को होगी, जिन्हें पिछले साल से ही हर महीने 1250 रुपए मिल रहे हैं। यह राशि तीन हजार रुपए तक ले जाने का भाजपा का वादा है। अब इस राशि में कब बढ़ोतरी होती है, इस उम्मीद में प्रदेश में सवा करोड़ से ज्यादा महिलाएं हैं। वहीं मध्य प्रदेश में इन दिनों रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव हो रहे हैं। इसमें आने वाले निवेश का भी लोगों को इंतजार है, बेरोजगारों को रोजगार का इंतजार है। राज्य पर बढ़ते कर्ज के बोझ से कैसे छुटकारा मिलेगा इसका भी लोगों को इंतजार है।
कुल मिलाकर एक साल में डॉ. मोहन यादव प्रदेश में चुनौतियों से लगभग उभर चुके हैं और मजबूती से स्थापित हो गए हैं, अब दूसरा साल उनका शुरू होने जा रहा है। केंद्रीय नेताओं और केंद्रीय सरकार से भरपूर सहयोग मिलने से यह उम्मीद की जा सकती है कि मुख्यमंत्री का दूसरा साल पहले साल से बेहतर साबित होगा और उनके कार्यकाल में मध्यप्रदेश के नागरिकों का जीवन सुख,समृद्धि और खुशहाली से भरपूर रहेगा।(विनायक फीचर्स)
बांग्लादेश के हिन्दुओं पर हिंसा *भारत सरकार को राजनैतिक और राजनयिक प्रयास तेज करने की जरूरत*
खरगोन में एक गाय के पेट से निकली 8 किलो पॉलीथिन
खरगोन. मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे देश में सड़कों पर निराश्रित गायों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. हर साल सैकड़ों गायें सड़क दुर्घटना, एसिडोसिस या फिर ज्यादा मात्रा में पॉलीथिन खाने से मौत का शिकार हो जाती हैं. अकेले खरगोन में ही प्रतिवर्ष लगभग 10 से ज्यादा गायों की मौत सिर्फ पॉलीथिन खाने से हो जाती है. शुक्रवार 6 दिसंबर को भी ऐसा ही एक मामला मंडलेश्वर से सामने आया था. हालांकि, समय पर इलाज मिलने से जान बच गई.
ऑपरेशन करने पर गाय के पेट से करीब 8 किलो पॉलीथिन डॉक्टरों ने निकाली है. वेटनरी असिस्टेंट सर्जन डॉ. बीएस पटेल ने लोकल 18 को बताया कि बड़वाह रोड पर गाय का ऑपरेशन किया, जिसके पेट से करीब 8 किलो पॉलीथिन निकली. अगर उस दिन ऑपरेशन करके पॉलीथिन नहीं निकालते तो गाय की मौत हो जाती. इसमें महेश्वर की वेटनरी डॉ. वर्षा बुंदेला और पशु चिकित्सा वाहन 1962 टीम ने सहायता की. अब गाय पहले से बेहतर है.
ऑपरेशन ही एकमात्र इलाज
डॉ. बीएस पटेल के मुताबिक, निराश्रित गाय खाने की तलाश में कई बार पॉलीथिन, रबर बैंड, नायलॉन के वायर आदि खा जाती हैं. गाय के लिए इन्हें पचाना संभव नहीं है. थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पॉलीथिन पेट में जमा होती रहती है और फिर यह एक गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है. जब स्थिति गंभीर होती है तो तीन दिन तक गाय खाना पीना छोड़ देती है. इस ऑपरेशन से पॉलीथिन निकाली जाए तो गाय की जान बच जाती है. पॉलीथिन निकालने के लिए भी गाय के पेट को फाड़ना पड़ता है.
पॉलीथिन से बीमारी के लक्षण
सामान्य तौर पर गाय स्वस्थ नजर आती है. लेकिन, धीरे-धीरे ये पॉलीथिन जहर का रूप लेने लगती है. एक समय अवधि बीतने के बाद गाय का बार-बार पेट फूलना और पतले दस्त की समस्या बारी-बारी होने लगती है. खाना बंद हो जाता है. कम मात्रा में पॉलीथिन खाने जाने पर 4 साल तक समस्या खतरनाक स्थिति में नहीं आती. लेकिन, ज्यादा मात्रा में पॉलीथिन खाने से और समय पर उपचार नहीं मिलने से गाय की जल्दी मौत हो जाती है.
पॉलीथिन गठान बांधकर न फेंकें
डॉक्टरों के अनुसार, गायों को पॉलीथिन खाने से रोकने के लिए लोगों को जागरूक होना पड़ेगा. दूध की थैली या होटल से खाना पैक करके लाई गई पॉलीथिन को खुला छोड़ दें, गठान बांधकर नहीं फेंके. क्योंकि, पशु खाने की तलाश में पन्नी को निगल लेते हैं. घर से निकलने वाले खाने को भी पॉलीथिन में भरकर न फेंकें. ज्यादातर पशु शादियों के सीजन में ही पॉलीथिन का सेवन करते हैं.
Chhattisgarh: गौ-तस्करी और गौ हत्या करने वाले असगर अंसारी समेत कई तस्कर गिरफ्तार
मुखबिर से बड़ी खबर सामने आई है। जानकारी के अनुसार, मुखबिर के आस्ता थाना क्षेत्र आमगांव भाटापाठ जंगल में कुछ लोग पैदल क्रूरतापूर्वक गौ-वंश को तस्करी करते हुए झारखंड की ओर ले जा रहे हैं। इस सूचना पर तत्काल थाना प्रभारी आस्ता द्वारा मौके पर जाकर घेराबंदी कर दबिश देकर कुल 08 नग गौ-वंश को जप्त किया गया। पुलिस को आते देख तस्कर जंगल की आड़ लेकर फरार हो गया। पुलिस द्वारा मामले में अज्ञात आरोपी के विरूद्ध छ.ग. कृषि पशु परि. अधिनियम 2004 की धारा 4, 6, 10 एवं पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 11 का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया, प्रकरण के आरोपीगण फरार थे, उनकी लगातार पतासाजी की जा रही थी।
विवेचना के दौरान पाया गया कि उक्त दिनांक को उक्त दोनों आरोपियों द्वारा मवेशियों को क्रूरतापूर्वक हांकते हुये ग्रामीणों के द्वारा देखा जाना पाया गया, दोनों आरोपीगण फरार थे जिनकी लगातार पतासाजी की जा रही थी। मुखबीर से सूचना मिली कि उक्त दोनों आरोपीगण अपने घर में आये हुये हैं इस सूचना पर दबिश देकर उन्हें अभिरक्षा में लेकर थाना लाया गया। पूछताछ एवं मेमोरंडम कथन में दोनों आरोपियों ने बताया कि वे गांव-गांव जाकर मवेशियों को खरीदकर उन्हें तस्करी कर झारखंड की ओर ले जाते हैं। दिनांक 10.08.2024 को पुलिस द्वारा जप्त किया गया 08 नग गौ-वंश भी उन्हीं का था। दोनों आरोपियों के विरूद्ध अपराध सबूत पाये जाने पर उन्हें दिनांक 07.12.2024 को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है।
इसी प्रकार थाना आस्ता के अप क्रमांक 36/24 धारा 325, 238(ग) BNS एवं पशु क्रूरता का फरार आरोपी दीपक तिर्की उम्र 32 साल निवासी चिकपाठ को भी दिनांक 07.12.2024 को गिरफ्तार किया गया है। उक्त आरोपी अपने अन्य साथियों के साथ दिनांक 20.11.24 को ग्राम तिगरा जंगल मे गौ वंश की हत्या किया था। विवेचना कार्यवाही एवं आरोपियों की गिरफ्तारी में उप निरीक्षक संतोष सिंह, स.उ.नि. अमरबेल मिंज, प्र.आर. संदीप, आर. 451 जगनारायण, आर. अम्बुज इत्यादि का योगदान रहा है।
दूसरे थाना बगीचा के प्रकरण में प्रार्थी बली राम यादव उम्र 45 साल निवासी सामरबार ने दिनांक 06.12.2024 को थाना बगीचा में रिपोर्ट दर्ज कराया कि यह सुबह करीबन 09 बजे अपने एक साथी के साथ मोटर सायकल से ग्राम सेमरजोबला के रास्ते सामरबार की ओर जा रहे थे, कि रास्ते में जोड़ाबर मलार घटिया के पास देखे कि मलार घाट का कौशल तिर्की एवं सेमरजोबला का गिरधारी एवं उसके अन्य साथीगण गौ-वंश की हत्या कर मांस बना रहे थे, प्रार्थी द्वारा चिल्लाने पर वे वहां से भाग गये। प्रार्थी की रिपार्ट पर उक्त धारा सदर का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। पुलिस द्वारा तत्परतापूर्वक कार्यवाही कर मौके पर जाकर गौ-वंश का अवशेष मिलने पर उसे पशु चिकित्सक से पी.एम. कराकर अग्रिम कार्यवाही की गई है। प्रकरण के आरोपीगण फरार थे, जिसकी लगातार पतासाजी की जा रही थी। विवेचना दौरान दबिश देकर प्रकरण के 02 आरोपीगण कौशल तिर्की एवं गिरधारी राम को अभिरक्षा में लेकर थाना लाया गया, मेमोरंडम कथन में उनके कब्जे से घटना में प्रयुक्त टांगी एवं छुरी इत्यादि को जप्त किया गया है। दोनों आरोपियों के विरूद्ध अपराध सबूत पाये जाने पर उन्हें दिनांक 07.12.2024 को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है। कार्यवाही में निरीक्षक रामसाय पैंकरा, प्र.आर. 213 लक्ष्मण सिंह, आर. 685 मुकेष पाण्डेय, न.सै. 225 बलीराम का सराहनीय योगदान रहा है।
भारत की राष्ट्रपति ने रायरंगपुर में विभिन्न विकास परियोजनाओं की नींव रखी
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (7 दिसंबर, 2024) ओडिशा के रायरंगपुर में तीन रेल लाइनों: बांगिरिपोसी-गोरुमहिसानी; बुरामारा-चाकुलिया; और बादामपहाड़-केंदुझारगढ़ के साथ ही जनजातीय अनुसंधान और विकास केंद्र, दंडबोस हवाई अड्डे; और रायरंगपुर के उप-मंडल अस्पताल के नए भवन की नींव रखी।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस भूमि की बेटी होने पर हमेशा गर्व रहा है। जिम्मेदारियों और व्यस्तताओं ने उन्हें कभी भी अपनी जन्मभूमि और यहां के लोगों से दूर नहीं किया। बल्कि लोगों का प्यार उन्हें हमेशा अपनी ओर खींचता रहता है। उन्होंने कहा कि मातृभूमि उनके विचारों और कार्यों में बसी है। इस क्षेत्र के लोगों का पवित्र और गहरा स्नेह हमेशा उनके मन में गूंजता रहता है।
राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि रेल परियोजनाओं और हवाई अड्डे से क्षेत्र में परिवहन, वाणिज्य और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। 100 बिस्तरों वाली नई अस्पताल स्थानीय लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि ओडिशा भारत सरकार के पूर्वोदय दृष्टिकोण से लाभान्वित हो रहा है। शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य, पर्यटन संपर्क और परिवहन सुविधाओं सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से पूरे क्षेत्र के विकास को गति दी जा रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी बच्चों को शिक्षित करने के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय स्थापित किए जा रहे हैं। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि ओडिशा में 100 से अधिक नए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय स्थापित किए जा रहे हैं जिनमें मयूरभंज जिले के 23 विद्यालय भी शामिल हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उन विद्यालयों से शिक्षा प्राप्त करने के बाद आदिवासी बच्चे समाज और देश की प्रगति में गुणवत्तापूर्ण योगदान दे सकेंगे।
***
केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया नागालैंड पहुंचे
केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल तथा श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया आज सुबह दो दिन दौरे पर नागालैंड पहुंचे। दीमापुर हवाई अड्डे पर आगमन पर विधायक और कौशल विकास, रोजगार और उत्पाद शुल्क तथा युवा संसाधन और खेल सलाहकार मोआतोशी लोंगकुमेर ने उनका स्वागत किया।
डॉ. मंडाविया बाद में एक हेलिकॉप्टर से राज्य की राजधानी कोहिमा के लिए रवाना हुए। उन्होंने दोपहर में कोहिमा राजभवन में नागालैंड के राज्यपाल ला गणेशन से मुलाकात की।
बाद में कोहिमा के इंदिरा गांधी स्टेडियम में श्रम और रोजगार विभाग तथा युवा संसाधन और खेल विभाग के अधिकारियों को संबोधित करते हुए डॉ. मंडाविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय परिवर्तन किया है।
उन्होंने कहा कि पहले की सरकार खेलों पर बहुत कम ध्यान देती थी , जबकि वर्तमान सरकार प्रत्येक स्तर पर खेलों को विकसित करने का प्रयास कर रही है। यह सुनिश्चित कर रही है कि इसका लाभ देश के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचे।
केंद्रीय मंत्री ने मोदी सरकार की विभिन्न खेल विकास योजनाओं का भी उदाहरण दिया। इसमें खेलो इंडिया योजना, टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स), कीर्ति परियोजना, फिट इंडिया मूवमेंट और राष्ट्रीय खेल रिपोजिटरी प्रणाली (एनएसआरएस) शामिल हैं।
डॉ. मनसुख मंडाविया ने इस वर्ष हॉर्नबिल महोत्सव के लिए उन्हें आमंत्रित करने के लिए नागालैंड सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह महोत्सव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक भारत श्रेष्ठ भारत का सच्चा चित्रण है।
कार्यक्रम में नागालैंड के मुख्यमंत्री के सलाहकार और नागालैंड ओलंपिक एसोसिएशन के महासचिव अबू मेथा और नागालैंड सरकार के युवा संसाधन और खेल सलाहकार एस केओशु यिमखियुंग भी उपस्थित थे।
इंदिरा गांधी स्टेडियम पहुंचने के बाद मंडाविया ने “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के अंतर्गत स्टेडियम परिसर के अंदर एमवाई भारत युवा स्वयंसेवकों के साथ पौधे भी लगाए।
केंद्रीय मंत्री कल हॉर्नबिल महोत्सव में शामिल होंगे और राष्ट्रमंडल युद्ध कब्रिस्तान सहित कोहिमा के महत्वपूर्ण स्थलों का दौरा करेंगे।
*****
श्रीराम जानकी विवाह उत्सव 2024 का आयोजन रजगामार (छत्तीसगढ़) में हर्षोल्लास के साथ संपन्न

कोरबा। छत्तीसगढ़ राज्य की ऊर्जा नगरी कोरबा शहर के अंतर्गत ग्राम रजगामार में विवाह पंचमी के अवसर पर 6 दिसंबर 2024 को प्रथम बार भगवान प्रभु श्री रामचन्द्र एवं माता जानकी के विवाह उत्सव का आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर रजगामार, ओमपुर और आसपास के गांवों के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। विदित हो कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद भारत सहित पूरे विश्व में राम नाम की गूंज सुनाई दे रही है। और हर तरफ भगवान राम के भक्त विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करने में लगे रहे। श्री राम जन्मभूमि अयोध्या से भगवान की बारात निकाली जाती है और जनकपुर में माता जानकी के साथ विवाह पूर्ण विधि से योग्य पुरोहित द्वारा संपन्न कराया जाता है। इसीलिए अब राम भक्त अपने गांव या शहर में यह दिव्य कार्यक्रम कराने लगे हैं।
पंडित कमलाकांत शर्मा द्वारा विधि विधान से पूजा पाठ होते हुए रजगामार में 3 दिसंबर से 6 दिसंबर 2024 तक चली इस कार्यक्रम में 24 घंटे रामायण पाठ किया गया साथ ही भजन कीर्तन भी किया गया।
दिनांक 5 दिसंबर 2024 को झांकी सजाया गया और कर्मा नाच, मांदर झांझ बजाते हुए एवं जय श्री राम का जयकारा लगाते हुए भगवान श्री राम की बारात प्रातः श्री दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर से प्रस्थान कर साहू समाज भवन तक पहुंची। माता सीता और प्रभु राम का विवाह संपन्न हुआ और महाप्रसाद का वितरण किया गया।
यह कार्यक्रम श्री भक्त माता कर्मा भवन, फिल्टर चौक, रजगामार, कोरबा, छत्तीसगढ़ में भक्त माता कर्मा सेवा समिति, रजगामार द्वारा आयोजित किया गया।
रजगामार के समस्त ग्रामवासियों द्वारा इस कार्यक्रम के आयोजन का भरपूर आनंद उठाया गया।
श्री राम जानकी माता विवाह उत्सव 2024 का दिव्य और भव्य आयोजन रजगामार (कोरबा, छत्तीसगढ़) निवासी ईश्वर प्रसाद साहू (पुत्र – स्वर्गीय कुंज राम साहू और लछन बाई) के संकल्प अनुसार हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ।
– संतोष साहू
मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण समारोह में संदीप यादव की उपस्थिति, साथ दिखीं चित्रा वाघ और नवनीत राणा
मुंबई। महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी बड़ी जीत हासिल की है। महाराष्ट्र राज्य में एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है और देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने हैं। मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में देश विदेश से जाने-माने लोग पहुंचे वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और कई बड़े पॉलिटिकल चेहरे ने शपथ ग्रहण समारोह की शोभा बढ़ाई। वहीं भारतीय जनता पार्टी के जुझारू कार्यकर्ता और बॉलीवुड से गहरा तालुका रखने वाले संदीप यादव भी मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित रहे। उनकी एक फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है जिसमें भाजपा नेता संदीप यादव के साथ चित्रा बाघ व महाराष्ट्र की राजनीति व हिंदुत्व को लेकर मशहूर चेहरा नवनीत राणा भी दिखाई दे रही है। संदीप यादव, चित्रा बाघ व नवनीत राणा की एक साथ की फोटो लोग खूब लाइक कर रहे हैं।
संदीप यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लोकप्रिय नेता देवेंद्र भाउ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली जो कि बहुत गौरव की बात है और निश्चित तौर पर महाराष्ट्र का विकास तेजी से होगा।
शपथ ग्रहण समारोह में उपमुख्यमंत्री की शपथ लेते हुए एकनाथ शिंदे और अजीत पवार ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
ज्वालामुखी की लुथाण काऊ सेंक्चुरी में दो साल में 1200 गोवंश की मौत
शिमला: जिला कांगड़ा की ज्वालामुखी तहसील के तहत लुथाण में स्थापित काऊ सेंक्चुरी में दो साल के भीतर 1200 गोवंश की मौत हो गई थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में समय-समय पर आदेश पारित किए थे. इसी मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष कहा कि सैंकड़ों गायों की मौत की जांच का जिम्मा स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो को दिया गया है.
ये काऊ सेंक्चुरी लुथाण गांव में राधे कृष्ण गौ अभ्यारण्य के नाम से स्थापित की गई थी. यहां 20 जनवरी 2022 में काऊ सेंक्चुरी शुरू हुई. आरंभ में यहां 1310 बेसहारा गोवंश रखा गया था. दो साल की अवधि में यहां 1200 गायों की मौत हुई. इस संदर्भ में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी. इसी याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में जानकारी दी कि गायों की मौत का जांच का जिम्मा स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो को दिया गया है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने जांच अधिकारी सहित संबंधित डीएफओ व पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर को रिकॉर्ड सहित अदालत में मौजूद रहने के आदेश जारी किए.
मामले के अनुसार हाईकोर्ट ने साढ़े तीन करोड़ रुपए की लागत से स्थापित राधे कृष्ण गौ अभ्यारण्य लुथाण जिला कांगड़ा को बंद करने की मांग पर सरकार को नोटिस जारी किए थे. प्रार्थी पवन कुमार ने इस मामले में राज्य सरकार के मुख्य सचिव सहित पशु पालन विभाग के सचिव, वन सचिव, गौ सेवा आयोग बालूगंज के निदेशक, केंद्रीय पशुपालन विभाग के सचिव और एनिमल वेलफेयर बोर्ड को इस मामले में प्रतिवादी बनाया है.
मामले में पेश किए गए तथ्यों के अनुसार 23 जनवरी 2019 को हिमाचल सरकार ने राज्य की सड़कों को बेसहारा गोवंश से मुक्त करने के लिए हर जिला में कम से कम एक पशु अभ्यारण्य स्थापित करने के निर्देश दिए थे. फिर 31 जुलाई 2020 को पशु विभाग के तहत अभयारण्य में पशुओं की देखरेख संबंधी एसओपी जारी की गई. उसके बाद 7 अप्रैल 2021 को एक और एसओपी जारी कर गौ सदनों की कार्यप्रणाली तय की गई थी.
राज्य सरकार ने 20 जनवरी 2022 को ज्वालाजी जिला कांगड़ा के लुथाण में राधे कृष्ण गौ अभ्यारण्य स्थापित करने का निर्णय लिया. इसके बाद साढ़े 3 करोड़ रूपए की लागत से यह अभ्यारण्य स्थापित किया गया. दो सालों में वहां 1310 बेसहारा गायों को रखा गया. हैरत की बात है कि इन्हीं दो साल में कुपोषण व बीमारी से 1200 गोवंश की मौत हो गई. दुखद तथ्य ये कि 19 अक्टूबर 2023 को एक ही दिन में 15 गोवंश अव्यवस्था और कु प्रबंधन के कारण मौत का शिकार हुई.
जनहित याचिका दाखिल करने वाले प्रार्थी ने इस अभ्यारण्य को लुथाण इलाके में बंद कर किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थापित करने के आदेशों की मांग की है. इसी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. उल्लेखनीय है कि इसी मामले में हाईकोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार से गौ अभ्यारण्यों में खर्च की गई राशि का ब्यौरा मांगा हुआ है. अदालत ने खर्च की गई रकम व उसके उपयोग की सटीक जानकारी अदालत में रखने के आदेश भी जारी किए हुए हैं.