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मछली पकड़ने के जाल डालना सफलता का पैमाना

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भारत में मत्स्य पालन विकास के पथ पर अग्रसर

परिचय:  भारत वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। पिछले दो दशकों में, भारत मत्स्य पालन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि और परिवर्तन का साक्षी बना है। तकनीकी प्रगति से लेकर नीतिगत सुधारों तक, 2004 से 2024 की अवधि में ऐसी उपलब्धियां रही हैं, जिन्होंने वैश्विक मत्स्य पालन और जलीय कृषि में भारत की स्थिति को मजबूत किया है। केंद्रीय बजट 2025-26 में मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए 2,703.67 करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक कुल वार्षिक बजटीय समर्थन प्रस्तावित किया गया है। यह जलीय कृषि और समुद्री खाद्य निर्यात में अग्रणी के रूप में भारत की उपलब्धि का प्रमाण है!

केंद्रीय बजट 2025-26 में उदीयमान क्षेत्र

2025-26 के बजट की घोषणा रणनीतिक रूप से वित्तीय समावेशन को बढ़ाने, सीमा शुल्क को कम करते हुए किसानों पर वित्तीय बोझ को कम करने और समुद्री मत्स्य पालन के विकास को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है।

इसके अतिरिक्त, बजट 2025-26 में विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और खुले समुद्र से मत्स्य पालन के सतत दोहन के लिए एक रूपरेखा को सक्षम करने पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर विशेष ध्यान दिया गया है। इससे समुद्री क्षेत्र में विकास के लिए भारतीय ईईजेड और आस-पास के खुले समुद्र में समुद्री मछली संसाधनों की अप्रयुक्त क्षमता का सतत दोहन सुनिश्चित होगा।

भारत सरकार ने मछुआरों, किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और अन्य मत्स्य पालन हितधारकों के लिए ऋण सुलभता बढ़ाने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋण सीमा को 3 रुपए लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया है। इस पहल का उद्देश्य वित्तीय संसाधनों के प्रवाह को सुव्यवस्थित करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि क्षेत्र की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक धन आसानी से उपलब्ध हो।

सफलता के दो दशक

उत्पादन में वृद्धि: मछली उत्पादन 95.79 लाख टन (2013-14) और 63.99 लाख टन (2003-04) से बढ़कर 184.02 लाख टन (2023-24) हो गया, जो 10 वर्षों (2014-24) में 88.23 लाख टन की वृद्धि दर्शाता है, जबकि 2004-14 में 31.80 लाख टन की वृद्धि हुई थी।

अंतर्देशीय और जलीय कृषि मछली उत्पादन में वृद्धि: अंतर्देशीय और जलीय कृषि मछली उत्पादन में 2004-14 में 26.78 लाख टन की तुलना में 2014-24 में 77.71 लाख टन की जबरदस्त वृद्धि हुई।

समुद्री मछली उत्पादन 5.02 लाख टन (2014-24) से दोगुना होकर 10.52 लाख टन (2004-14) हो गया।

समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत ने 60,523.89 करोड़ रुपये मूल्य के 17,81,602 मीट्रिक टन समुद्री खाद्य पदार्थ का निर्यात किया। निर्यात मूल्य में 2003-04 के 609.95 करोड़ रुपये से उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।

नीतिगत पहल और योजनाएँ:

नीली क्रांति: नीली क्रांति योजना मत्स्य पालन क्षेत्र को आर्थिक रूप से व्यवहार्य और मजबूत बनाने की दिशा में पहला कदम था। अपनी बहुआयामी गतिविधियों के साथ, नीली क्रांति मुख्य रूप से अंतर्देशीय और समुद्री दोनों जलीय कृषि और मत्स्य संसाधनों से मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित है। नीली क्रांति योजना का वित्त वर्ष 2015-16 में 5 वर्षों के लिए 3000 करोड़ रुपये के केंद्रीय परिव्यय के साथ शुभारंभ किया गया था।

हालांकि, चूंकि इस क्षेत्र में मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण अंतराल को दूर करने के लिए सुधारों की आवश्यकता थी; इस प्रकार, मछुआरों, मछली किसानों और अन्य हितधारकों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करते हुए मत्स्य पालन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए 2020 में प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) योजना की कल्पना की गई थी। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) को 20,050 करोड़ रुपये के निवेश के साथ पांच वर्ष (2020-21 से 2024-25) की अवधि के लिए लागू किया जा रहा है। यह पहल अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलकृषि के क्षेत्र में मजबूती आधार रखती है, तथा उत्पादन को बढ़ाने तथा मजबूत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देती है।

स्रोत:https://pmmsy.dof.gov.in/#schemeIntro

पीएमएमएसवाई के तहत पहल

मत्स्यपालक उत्पादक संगठन (एफएफपीओ)- वर्तमान पीएमएमएसवाई के अंतर्गत, मछुआरों और मछली पालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनकी लेन-देन क्षमता को बढ़ाने के लिए मछली पालक उत्पादक संगठन (एफएफपीओ) की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है, जो अंततः मछुआरों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद करता है।

मत्स्यपालन विभाग ने अब तक 544.85 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत पर कुल 2195 एफएफपीओ की स्थापना के लिए स्वीकृति दी है, जिसमें 2000 मत्स्य सहकारी एफएफपीओ और 195 नए एफएफपीओ शामिल हैं। इसके अलावा, मछुआरों और मछली पालकों द्वारा संस्थागत ऋण तक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए, 2018-19 से किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा को मत्स्यपालन तक बढ़ा दिया गया है और आज तक मछुआरों और मछली पालकों को 4,50,799 केसीसी कार्ड स्वीकृत किए गए हैं।

मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ)-

केंद्रीय बजट 2018 में, माननीय वित्त मंत्री ने मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) की स्थापना की घोषणा की। तदनुसार, 2018-19 के दौरान, एफआईडीएफ नामक एक समर्पित निधि बनाई गई, जिसका कुल निधि आकार 7522.48 करोड़ रुपये है।

मत्स्य पालन विभाग ने विभिन्न राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों और अन्य पात्र संस्थाओं से प्राप्त 3858.19 करोड़ रुपये की ब्याज सहायता के लिए प्रतिबंधित परियोजना लागत के साथ कुल 5801.06 करोड़ रुपये की लागत पर कुल 136 परियोजना प्रस्तावों/परियोजनाओं को मंजूरी दी है। एफआईडीएफ के विस्तार से विभिन्न मत्स्य पालन अवसंरचनाओं के विकास में और तेजी आएगी।

प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना-

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी 2024 में वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2026-27 तक चार वर्ष की अवधि के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएमएमकेएसएसवाई) को स्वीकृति दी, यह प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत एक केंद्रीय क्षेत्र की उप-योजना है। पीएम-एमकेएसएसवाई को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 6000 करोड़ रुपए के अनुमानित परिव्यय के साथ लागू किया जाएगा। पीएम-एमकेएसएसवाई का उद्देश्य लंबी अवधि में मत्स्य पालन क्षेत्र के परिवर्तन का समर्थन करने के लिए संस्थागत सुधार लाने के लिए पहचाने गए वित्तीय और तकनीकी हस्तक्षेप के माध्यम से क्षेत्र की अंतर्निहित कमजोरियों को दूर करना है।

पीएमएमएसवाई के तहत एकीकृत जल पार्क-

भारत में मत्स्य पालन विभाग मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत जल पार्कों के विकास को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है। ये जल पार्क प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) का हिस्सा हैं और इनका उद्देश्य विभिन्न पहलों के माध्यम से जलकृषि मूल्य श्रृंखला को बढ़ाना है। विभाग ने देश में कुल 682.6 करोड़ रुपये की लागत से कुल 11 एकीकृत जल पार्क स्थापित करने की स्वीकृति दी है।

पीएमएमएसवाई के तहत तैनात कृत्रिम चट्टानें-

कृत्रिम चट्टानें मानव निर्मित संरचनाएं हैं जो समुद्री आवासों और पारिस्थितिकी प्रणालियों को बढ़ाने के लिए समुद्र तल पर रखी जाती हैं। ये संरचनाएं प्राकृतिक चट्टानों की तरह होती हैं और विभिन्न समुद्री जीवों के लिए आश्रय, खाद्य स्रोत और प्रजनन स्थल प्रदान करती हैं। भारत में, मत्स्य विभाग सतत समुद्री मत्स्य पालन संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने के लिए तटीय राज्यों में कृत्रिम चट्टानों की स्थापना को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है। इन पहलों का उद्देश्य तटीय मत्स्य पालन को फिर से जीवंत करना, मछली स्टॉक का पुनर्निर्माण करना और समुद्री जैव विविधता को बढ़ाना है। मत्स्य विभाग, भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण (एफएसआई) और आईसीएआर-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) के तकनीकी समर्थन से, इन परियोजनाओं के माध्यम से स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने और तटीय समुदायों की आजीविका में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है आंध्र प्रदेश, गुजरात, लक्षद्वीप, कर्नाटक, ओडिशा, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 291.37 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

पीएमएमएसवाई के अंतर्गत नामित एनबीसी-

भारत में मत्स्य पालन विभाग ने जलीय कृषि प्रजातियों की आनुवंशिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए विशिष्ट न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर (एनबीसी) नामित किए हैं। ये एनबीसी झींगा जैसी प्रजातियों की उत्पादकता और गुणवत्ता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो घरेलू खपत और निर्यात दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

तकनीकी प्रगति:

उपग्रह प्रौद्योगिकी एकीकरण: मत्स्य पालन क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग पर मत्स्य पालन विभाग द्वारा पोत संचार और सहायता प्रणाली, ओशनसैट के अनुप्रयोग, संभावित मत्स्य पालन क्षेत्र (पीएफजेड) आदि के लिए राष्ट्रीय क्रियान्वयन योजना।

जीआईएस-आधारित संसाधन मानचित्रण: समुद्री मछली लैंडिंग केंद्रों और मछली पकड़ने के मैदानों के मानचित्रण के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) प्रौद्योगिकी का कार्यान्वयन, प्रभावी संसाधन प्रबंधन में सहायता करना।

मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए डाटाबेस और भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) को मजबूत करने की योजना के घटक निम्नानुसार हैं:

आईसीएआर-केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (सीआईएफई): उत्कृष्टता का केंद्र

केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (सीआईएफई), जिसकी स्थापना 1961 में हुई थी, मत्स्य पालन में उच्च शिक्षा और अनुसंधान के लिए भारत का अग्रणी संस्थान है। सीआईएफई ने 4,000 से अधिक मत्स्य पालन विस्तार कार्यकर्ताओं और पेशेवरों को प्रशिक्षित किया है जो देश भर में स्थायी मत्स्य पालन प्रथाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। क्षमता निर्माण में सीआईएफई की भूमिका भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण रही है।

भारत के सतत मत्स्य पालन प्रयासों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

समुद्री मत्स्य पालन पर राष्ट्रीय नीति (एनपीएमएफ, 2017): भारत सरकार ने एनपीएमएफ की शुरुआत की है, जो सभी समुद्री मत्स्य पालन कार्यों के लिए मुख्य सिद्धांत के रूप में स्थिरता पर ज़ोर देती है। यह नीति भारत के समुद्री मत्स्य संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन का मार्गदर्शन करती है।

विनियमन और संरक्षण उपाय: समुद्री मछली भंडार की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने कई संरक्षण उपायों को लागू किया है, जिनमें शामिल हैं:

  • मछली पकड़ने पर समरूप प्रतिबंध: मानसून के मौसम के दौरान ईईजेड में मछली पकड़ने पर 61 दिनों का एकसमान प्रतिबंध लगाया गया है, ताकि मछली के स्टॉक को फिर से भरा जा सके।
  • विनाशकारी तरीके से मछली पकड़ने पर प्रतिबंध: जोड़ी में मछली पकड़ने, बुल मछली पकड़ने और मछली पकड़ने में कृत्रिम एलईडी लाइट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध, जो अत्यधिक मछली पकड़ने को कम करने और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को होने वाले नुकसान को कम करने में सहायता करते हैं।
  • स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देना: समुद्री पशुपालन, कृत्रिम चट्टानों की स्थापना और समुद्री शैवाल की खेती जैसी समुद्री कृषि गतिविधियों को प्रोत्साहित करना।
  • राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा मत्स्य पालन नियम: तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने गियर-मेष आकार और इंजन शक्ति विनियमन, मछली का न्यूनतम कानूनी आकार (एमएलएस) और विभिन्न प्रकार के जहाजों के लिए मछली पकड़ने के क्षेत्रों का ज़ोनिंग भी लागू किया है, जो दीर्घकालिक रूप में मछली पकड़ने में योगदान देता है।

निष्कर्ष:

2004 से 2024 तक की अवधि भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी रही है। नीति कार्यान्वयन, तकनीकी एकीकरण और दीर्घकालिक कार्य प्रणालियों में ठोस प्रयासों के माध्यम से, भारत ने न केवल अपने मछली उत्पादन को बढ़ाया है, बल्कि अपने मछली पकड़ने वाले समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी सुनिश्चित किया है। जैसे-जैसे देश आगे बढ़ता है, नवाचार और स्थिरता पर निरंतर ध्यान इस ऊपर की ओर प्रक्षेपवक्र को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होगा।

संदर्भ:

  • मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

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प्रधानमंत्री 16 फरवरी को दिल्ली में भारत टेक्स 2025 में भाग लेंगे

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SYDNEY, AUSTRALIA - MAY 24: Indian Prime Minister Narendra Modi speaks at a joint news conference with Australian Prime Minister Anthony Albanese (R) at Admiralty House on May 24, 2023 in Sydney, Australia. Modi is visiting Australia on the heels of his and Albanese's participation in the G7 summit in Japan. (Photo by Saeed Khan-Pool/Getty Images)

कच्चे माल से लेकर तैयार उत्पादों तक वस्त्रों की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को एक ही मंच पर लाने वाला एक अनूठा कार्यक्रम

120 से अधिक देशों के नीति निर्माता और वैश्विक सीईओ, प्रदर्शक, अंतर्राष्ट्रीय खरीदार भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 16 फरवरी को करीब 4 बजे नई दिल्ली के भारत मंडपम में भारत टेक्स-2025 में भाग लेंगे। इस अवसर पर वे उपस्थित जनसमूह को संबोधित भी करेंगे।

भारत टेक्स 2025, एक व्यापक स्तर का वैश्विक कार्यक्रम है और इसका आयोजन 14-17 फरवरी को भारत मंडपम में किया जा रहा है। यह एक विशिष्ठ कार्यक्रम है क्योंकि यह कच्चे माल से लेकर तैयार उत्पादों तक की संपूर्ण वस्त्र मूल्य श्रृंखला को एक ही मंच पर एक साथ लाता है।

भारत टेक्स प्लेटफॉर्म कपड़ा उद्योग का सबसे बड़ा और सबसे व्यापक आयोजन है, जिसमें दो स्थलों पर फैला एक मेगा एक्सपो शामिल है और इसमें संपूर्ण वस्त्र पारिस्थितिकी व्यवस्था को प्रदर्शित किया जाएगा। इस दौरान 70 से अधिक सम्मेलन सत्र, गोलमेज बैठक, पैनल चर्चा और मास्टर क्लासेस वाले वैश्विक स्तर के सम्मेलन भी शामिल होंगे। कार्यक्रम के दौरान आयोजित होने वाली प्रदर्शनी में विशेष नवाचार और स्टार्टअप मंडप होंगे। इस दौरान हैकथॉन आधारित स्टार्टअप पिच फेस्ट और इनोवेशन फेस्ट, टेक टैंक और डिजाइन चुनौतियों को भी शामिल किया जाएगा और यह प्रमुख निवेशकों के माध्यम से स्टार्टअप के लिए वित्तपोषण के अवसर प्रदान करेंगी।

भारत टेक्स 2025 में नीति निर्माताओं, वैश्विक सीईओ के साथ-साथ 5000 से अधिक प्रदर्शकों, 120 से अधिक देशों के 6000 अंतरराष्ट्रीय खरीदारों और अन्य आगंतुकों के आने की आशा है। अंतर्राष्ट्रीय वस्त्र निर्माता संघ (आईटीएमएफ), अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति (आईसीएसी), यूरेटेक्स, टेक्सटाइल एक्सचेंज, यूएस फैशन इंडस्ट्री एसोसिएशन (यूएसएफआईए) सहित दुनिया भर के 25 से अधिक प्रमुख वैश्विक वस्त्र निकाय और संघ भी इस कार्यक्रम में भागीदारी करेंगे।

बहादुर शाह जफर था, जिसने गाय की कुर्बानी पर पाबंदी लगाई -डॉ. राहत अबरार

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अलीगढ़ः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के सुलेमान हॉल में बीफ बिरियानी के वायरल नोटिस का मामला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि कभी एएमयू के कैंटीन में कभी गौ मांस परोसा गया था. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान का इसको लेकर क्या विचार था. आइए जानते हैं…

1857 में गाय की कुर्बानी पर पाबंदी किसने लगाई ?
डॉ. राहत अबरार ने बताया कि 1857 मे सबसे पहला शख्स अगर कोई था तो वह बहादुर शाह जफर था, जिसने गाय की कुर्बानी पर पाबंदी लगाई. किसी हिंदू ने गाय की कुर्बानी पर पाबंदी नहीं लगाई. मुसलमान का राज था, इसलिए मुसलमानो ने गाय की कुर्बानी पर पाबंदी लगाई. सर सैयद अहमद खान ने भी गाय की कुर्बानी के ऊपर बहुत से आर्टिकल लिखे थे. सर सैयद के दौर में यूनिवर्सिटी के छात्रों ने बकरा ईद के मौके पर गाय की कुर्बानी के लिए लाए थे. इसकी सूचना मिली तो सर सैयद अपने घर से छात्रों के पास आए और न सिर्फ छात्रों को कुर्बानी से रोका बल्कि गाय को आजाद भी किया. इसके साथ ही और की कुर्बानी पर पाबंदी भी लगाई. सर सैयद ने छात्रों से कहा था कि हम गाय की कुर्बानी इसलिए कभी नहीं करेंगे, क्योंकि हिंदू धर्म में गाय को माता माना जाता है. उस दिन से आज तक यूनिवर्सिटी के अंदर कभी गौ मांस नहीं परोसा गया.

गौ मांस के संबंध में सर सैयद ने लिखे थे आर्टिकल
राहत अबरार ने बताया कि सर सैयद ने गौ मांस और गाय की कुर्बानी पर पाबंदी के संबंध में 12 जून 1897 और 4 अक्टूबर 1887 को इंस्टिट्यूट गजट में आर्टिकल सिर्फ उर्दू भाषा में बल्कि अंग्रेजी में भी लिखे. आज भी सर सैयद के इन आर्टिकल को कोई भी मौलाना आजाद लाइब्रेरी में जाकर देख सकता है, इंस्टिट्यूट गजट में जो इतिहास का हिस्सा है. राहत अब्राहम ने कहा कि मैं चाहता हूं कि इस कंट्रोवर्सी को खत्म होना चाहिए और जिस छात्र की भी यह शर्त है उसके खिलाफ एक्शन भी होना चाहिए. सर सैयद अहमद खान द्वारा लिखे गए आर्टिकल का जिक्र राहत अब्राहम ने अपनी किताब “सर सैयद लिगसी ऑफ प्लूरेलिज्म एंड कंपोजिट कल्चर” मैं भी किया है.

लोकल नेता इसका फायदा उठाना चाह रहेः सुलेमान हॉल के निवासी और यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग के रिसर्च स्कॉलर दिलीप कुशवाहा ने नोटिस को लेकर मीडिया तीन-चार दिन से उस कागज के टुकड़े को चलाये जा रहा है. मीडिया को खुद उस कागज के टुकड़े की ऑथेंटिकेशन चेक करनी चाहिए. जबकि उस नोटिस पर ना तो हॉल का नाम है न कोई हस्ताक्षर है, ना नंबर है और ना ही तारीख है. दिलीप कुशवाहा ने अपने हॉल के दोनों छात्र सीनियर फूड और प्रोवोस्ट डॉक्टर फसीह रागीब गौहर पर दर्ज FIR पर अफसोस का इजहार किया. उन्होंने कहा कि इस मामले पर पूरी तरह से राजनीति की जा रही है, चंद लोकल नेता इसका फायदा उठाना चाह रहे हैं और कुछ नहीं है.

बीजेपी की डिवाइड एंड रूल वाली पॉलिसीः यूनिवर्सिटी छात्र मोहम्मद सलमान गौरी ओर रिसर्च स्कॉलर इंजमाम-उल-हक ने बताया कि यूनिवर्सिटी में इतना भाईचारा है कि यहां पर डाइनिंग में एक ही प्लेट में दोनों मदद के लोग एक साथ खाना खाते हैं. यूनिवर्सिटी के अंदर छात्रों को कोई परेशानी नहीं होती है. लेकिन बाहर के लोगों को परेशानी होती है. इंजमाम ने कहा कि हमेशा से बीजेपी की डिवाइड एंड रूल वाली पॉलिसी रहती है. जो अंग्रेज बांटने का काम करते थे, वही बीजेपी कर रही है. कभी जिन्ना की तस्वीर तो कभी बीफ बिरियानी का मुद्दा बनाकर यूनिवर्सिटी को बदनाम करते रहते हैं.

छात्र सलमान ने बताया कि यूनिवर्सिटी के अंदर आज तक कभी गो मांस को परोसा ही नहीं गया. सवाल ही नहीं पैदा होता कि हम इसको सपोर्ट करें, सभी लोग मिलजुल कर भाईचारे के साथ रहते हैं. कुछ छोटे नेता चाहते हैं कि वह राजनीति करें. अपनी राजनीति को चमकाए, समाज में उनका इज्जत मिले इसलिए वह इस तरह के इश्यूज पर बांटने की बयान बाजी करते हैं.

दो छात्रों के खिलाफ एफआईआरः 9 फरवरी को यूनिवर्सिटी प्रॉक्टर मोहम्मद वसीम अली ने अपने बयान में कहा था के टाइपिंग एरर था, इसीलिए नोटिस निकलने वाले दोनों सीनियर फूड छात्रों को शो कॉज नोटिस दे दिया गया है. हॉल के मेन्यू में कोई बदलाव नहीं किया गया है. वहीं, 8 फरवरी को संबंधित धाराओं में थाना सिविल लाइन में दोनों सीनियर फूड छात्रों और हॉल के प्रोवोस्ट के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया था.

राजकुमार राव का मालिक में भयंकर गैंगस्टर अवतार, 20 जून 2025 को होगी रिलीज

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लिंक – https://www.instagram.com/p/DGFO-cjMW_c/?igsh=MWV3YW9tYWUwNjFteQ==

अपने दमदार पोस्टर को मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया के बाद, टिप्स फिल्म्स और नॉर्दर्न लाइट्स फिल्म्स ने आखिरकार बहुप्रतीक्षित एक्शन एंटरटेनर, मालिक की रिलीज तारीख की घोषणा कर दी है. फिल्म 20 जून 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज के लिए तैयार है. इस फिल्म में राजकुमार राव मालिक की भूमिका में हैं, जो एक नए जोश के साथ एक क्रूर गैंगस्टर में दिखेंगे. फिल्म एक्शन से भरपूर मनोरंजन का वादा करता है.

थ्रिलर और ड्रामा में अपने काम के लिए जाने जाने वाले पुलकित द्वारा निर्देशित, मालिक वर्तमान में पोस्ट-प्रोडक्शन के स्टेज में है.

टिप्स फिल्म्स के बैनर तले कुमार तौरानी और जय शेवकरमाणी की नॉर्दर्न लाइट्स फिल्म्स द्वारा मालिक का निर्माण किया गया है. यह फिल्म 20 जून 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

फ्लिपकार्ट ने ग्रामीण महिला उद्यमियों को सक्षम बनाने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया

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बेंगलुरु/मुंबई : भारत का घरेलू ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस फ्लिपकार्ट अपने प्रयासों के माध्यम से छोटे कारोबारियों, ग्रामीण उद्यमियों और महिलाओं द्वारा संचालित उद्यमों को डिजिटल इकोनॉमी में आगे बढ़ने में सक्षम बना रहा है। फ्लिपकार्ट ने वंचित वर्ग के विक्रेताओं एवं उद्यमियों को सक्षम बनाने के लिए कई कार्यशालाओं का आयोजन किया है, जिनके माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, उनकी क्षमता बढ़ाई जाती है और उन्हें ऑनबोर्डिंग के बारे में बताया जाता है। इनमें ऐसे क्षेत्रों को लक्ष्य किया जाता है, जहां डिजिटल साक्षरता एवं ई-कॉमर्स को लेकर जागरूकता की कमी के कारण उनके लिए बाजारों तक पहुंचना और लिंक पाना मुश्किल होता है, जिससे आजीविका पर प्रभाव पड़ता है।
फ्लिपकार्ट ने ‘एक जिला, एक उत्पाद’ पहल के तहत सेलर्स को शिक्षित करने एवं जोड़ने के लिए विभिन्न सरकारी इकाइयों, नॉर्थ ईस्टर्न हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और ‘एक जिला, एक उत्पाद’ पहल से हाथ मिलाया है। फ्लिपकार्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोगी के रूप में महा कुंभ 2025 में भी भागीदारी की है। ग्रामीण उद्यमियों के लिए फ्लिपकार्ट ने कई प्रशिक्षण सत्रों का भी आयोजन किया है।
अकेले 2024 में फ्लिपकार्ट ने भारत भर में 1500 से अधिक ग्रामीण महिला उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों एवं सूक्ष्म, लघु उद्यमियों, विक्रेताओं का सहयोग करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करते हुए 40 से अधिक कार्यशालाएं आयोजित कीं।
 एनएसडीसी, डीपीआईआईटी और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के साथ रणनीतिक सहयोग के माध्यम से फ्लिपकार्ट ने जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गोवा समेत पूरे भारत में ओरिएंटेशन एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम्स की मेजबानी की है। इन प्रोग्राम्स के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं, कारीगरों और सूक्ष्म उद्यमियों को डिजिटल कौशल और बाजार तक पहुंच प्रदान की जाती है। टेक्नोलॉजी, साझेदारी और वित्तीय समावेशन का लाभ उठाते हुए फ्लिपकार्ट भारत के एमएसएमई इकोसिस्टम के विकास को बढ़ावा दे रहा है, साथ ही बड़े पैमाने पर आत्मनिर्भरता और आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा दे रहा है।
फ्लिपकार्ट ग्रुप के चीफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ऑफिसर रजनीश कुमार ने कहा, “फ्लिपकार्ट भारत के ई-कॉमर्स इकोसिस्टम को मजबूत करने, लाखों एमएसएमई, उद्यमियों एवं एसजीएच को प्रौद्योगिकी, इनोवेशन व एक मजबूत बाजार के माध्यम से आगे बढ़ने में सक्षम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। अपनी राष्ट्रव्यापी कार्यशालाओं के माध्यम से हम छोटे व्यवसायों और उद्यमियों को आत्मनिर्भर होने और समावेशी विकास को आगे बढ़ाने में सक्षम बना रहे हैं। हम लगातार इनोवेशन कर रहे हैं और इसके साथ-साथ हम समाज के सभी वर्गों के उत्थान एवं सशक्तीकरण के लिए ई-कॉमर्स का लाभ उठाने के नए तरीकों की खोज भी कर रहे हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि एमएसएमई एक अग्रणी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।”
फ्लिपकार्ट टेक्नोलॉजी द्वारा संचालित समाधानों, वित्तीय समावेशन और डिजिटल सशक्तीकरण के माध्यम से एमएसएमई के विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। फ्लिपकार्ट समर्थ जैसे कार्यक्रम कारीगरों, छोटे व्यवसायों और ग्रामीण उद्यमियों को बड़े पैमाने पर सक्षम बनाते हैं। साथ ही फ्लिपकार्ट की ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों के प्रति प्रतिबद्धता स्थानीय उद्योगों को मजबूत करती है। 2019 में शुरू की गई फ्लिपकार्ट समर्थ पहल ने भारत के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 18 लाख से अधिक आजीविकाओं पर सकारात्मक प्रभाव डाला है, 100 से अधिक पारंपरिक कला रूपों (आर्ट फॉर्म्स) को संरक्षित किया है और हजारों विक्रेताओं के विकास को बढ़ावा दिया है। इसका सेलर बेस 300% तक बढ़ गया है। एमएसएमई को बढ़ने में मदद करने के लिए फ्लिपकार्ट एआई, सप्लाई चेन इनोवेशन और मार्केट इनसाइट्स का लाभ उठाकर समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है और भारत के डिजिटल कॉमर्स परिदृश्य के भविष्य को आकार दे रहा है।

पशुपालन एवं पशु कल्याण जागरूकता माह का राष्ट्रव्यापी आयोजन 13 मार्च 2025 तक बढ़ाया गया

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प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने पशुधन क्षेत्र के 23000 से अधिक हितधारकों के साथ बातचीत की; टिकाऊ प्रथाओं और रोजगार के अवसरों के विस्तार पर जोर दिया

कार्यशालाओं, स्वास्थ्य शिविरों, टीकाकरण अभियान और पुरस्कारों का उद्देश्य हितधारकों को शिक्षित करना; ग्रामीण समृद्धि और आर्थिक लचीलापन में सुधार करना है

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) द्वारा पशुपालन और पशु कल्याण जागरूकता माह समारोह को इसके उद्घाटन वर्ष में 13 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया गया है ताकि पहुंच और प्रभाव को अधिकतम किया जा सके। यह पहल 14 जनवरी 2025 से शुरू की गई थी, जिसमें पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा राज्य पशुपालन और कल्याण विभागों के सहयोग से राष्ट्रव्यापी गतिविधियों का आयोजन किया गया था, जो पहले 13 फरवरी 2025 तक निर्धारित की गई थी। भारत में नैतिक पशुपालन प्रथाओं, पशु स्वास्थ्य और कल्याण को और अधिक बढ़ावा देने के लिए, जागरूकता अभियान अब पूरे देश में 13 मार्च 2025 तक जारी रहेगा। अभियान को समर्थन देने के लिए, डीएएचडी ने देश भर में सभी विस्तार गतिविधियों पर नज़र रखने और उन्हें अपलोड करने के लिए एक समर्पित डैशबोर्ड भी विकसित किया है। इस अवसर पर, विभाग ने 14 फरवरी को एक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया, जिसमें केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एस. पी. सिंह बघेल की गरिमामयी उपस्थिति रही। वेबिनार को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जिसमें 23,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें राज्य पशुपालन विभागों के प्रतिनिधि, पशु चिकित्सक, अर्ध-पशु चिकित्सक, पशु सखियां, किसान और पशुपालक शामिल थे, जो यूट्यूब और वेबएक्स प्लेटफार्मों के माध्यम से इसमें शामिल हुए।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए प्रो. बघेल ने खाद्य सुरक्षा, रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में पशुधन क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लाखों किसान, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, दूध, मांस, अंडे, ऊन और चमड़े के लिए पशुधन पर निर्भर हैं, साथ ही फसल उत्पादन को बढ़ाने के लिए खाद की भी आवश्यकता होती है। उन्होंने जोर दिया कि पशुधन क्षेत्र को मजबूत करना सीधे ग्रामीण समृद्धि और राष्ट्रीय आर्थिक लचीलापन में योगदान देता है। प्रोफेसर बघेल ने ग्रामीण विकास एजेंडे के भीतर पशुपालन को प्राथमिकता देने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिसमें डीएएचडी पशुधन उत्पादकता, रोग नियंत्रण और पशुपालन क्षेत्र से जुड़े लोगों के कल्याण के लिए राज्य पशुपालन विभागों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने, पशु देखभाल में सुधार करने और किसानों के लिए रोजगार के अवसरों का विस्तार करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

केंद्रीय राज्य मंत्री ने लिंग-सॉर्टेड वीर्य के उपयोग पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि इस नवाचार से अधिक संख्या में मादा बछड़ों के जन्म को सुनिश्चित करके आवारा पशुओं की समस्या का समाधान करने में मदद मिलेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस तकनीक के साथ, अगले पांच वर्षों में हर घर में तीन मादा बछड़े हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान कवरेज का विस्तार करने, तेजी से नस्ल सुधार के लिए आईवीएफ तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करने और 100 प्रतिशत टीकाकरण कवरेज सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के रोग मुक्त पशुधन क्षेत्र के लक्ष्य के एक हिस्से के रूप में एफएमडी मुक्त भारत के लिए सरकार के दृष्टिकोण को दोहराया। उन्होंने आग्रह किया कि सर्वोत्तम पशुपालन प्रथाओं और सरकारी योजनाओं का ज्ञान सबसे दूरदराज के गांवों और पशुपालक समुदायों तक भी पहुंचना चाहिए।

अपने संबोधन में, डीएएचडी की सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय ने इस बात पर जोर दिया कि इस अभियान के वार्षिक आयोजन से हितधारकों को अच्छे पशुपालन प्रथाओं को अपनाने और लागू करने में मदद मिलेगी, जिससे पशु कल्याण, उत्पादकता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी पर मजबूत ध्यान देने के साथ टिकाऊ पशुधन प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने इस क्षेत्र में सरकार की प्रमुख पहलों पर भी प्रकाश डाला, जैसे कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन, पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम तथा चल रही पशुधन गणना।

अभियान के एक भाग के रूप में, राज्य किसानों और हितधारकों को शिक्षित करने के लिए कार्यशालाओं और वेबिनारों का सक्रिय रूप से आयोजन कर रहे हैं, पशुधन के कल्याण के लिए स्वास्थ्य और बांझपन शिविर, बीमारियों की रोकथाम के लिए कृमि मुक्ति और टीकाकरण अभियान, जागरूकता शिविर, पशु प्रदर्शनियां और सर्वश्रेष्ठ पशुपालक पुरस्कार आयोजित कर रहे हैं। स्कूलों और कॉलेजों में फोटोग्राफी, निबंध लेखन और कला प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं, जबकि वॉकथॉन, डॉग शो और हॉर्स शो के माध्यम से जनता को पशु स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। टेलीविजन और रेडियो प्रसारणों ने पशुपालन योजनाओं को बढ़ावा दिया है, तथा जन पहुंच बढ़ाने के लिए पर्चे और ब्रोशर वितरित किए गए हैं। विभाग पशुपालन की सर्वोत्तम प्रथाओं और आर्थिक लाभों को साझा करने के लिए सोशल मीडिया अभियान भी चला रहा है। पशुपालन एवं पशु कल्याण जागरूकता माह अभियान किसानों को सशक्त बनाने, वैज्ञानिक पशुधन प्रबंधन को बढ़ावा देने तथा आर्थिक लाभ बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आधुनिक पद्धतियों और सरकारी योजनाओं को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा देकर, यह पहल पशु स्वास्थ्य में सुधार, उत्पादकता में वृद्धि और अंततः किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

नागौर का गौ चिकित्सालय जहां घायल और बीमार गौ धन की होती है सेवा

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(रामजी लाल सोनी-विनायक फीचर्स)

नागौर-जोधपुर मार्ग पर नागौर शहर से मात्र छः किलोमीटर दूर बीमार और घायल गौ धन की सेवा के लिए एक ऐसा विश्वस्तरीय चिकित्सालय स्थापित है जिसमें प्रतिदिन चिकित्सक और परिचारक तन मन से चिकित्सा सेवा कर गायों को नया जीवन देते हैं। यह चिकित्सालय मानव चिकित्सालय से भी अनोखा और अद्भुत है जिसे विश्वस्तरीय चिकित्सालय माना जाता है। इस चिकित्सालय में गौ सेवा की अद्भुत सेवा भावना को देखने के लिए रोजाना सैकड़ों दर्शनार्थी आते हैं।
यह चिकित्सालय लगभग 18 एकड़ में फैला हुआ है जिसमें कई शेड लगे हैं,जहां उपचार के उपरांत गायों को रखा जाता है,बछड़े बछड़ियों के अलग अलग शेड है। गायों को पौष्टिक भोजन और लपसी बनाकर खिलाने के लिए यहां कई भट्ठियां बनी हुई हैं।

विश्वस्तरीय इस चिकित्सालय की स्थापना महामंडलेश्वर श्री कुशाल गिरी जी ने की है। वे स्वयं गौ सेवा के साधक हैं जिन्होंने अपना जीवन गायों की सेवा में समर्पित किया और इस चिकित्सालय की स्थापना की ।

गायों को नया जीवन देने और उन्हें स्वस्थ रखने के लिए समर्पित इस चिकित्सालय में 15 एंबुलेंस,घायल पशुओं को लाने के लिए निःशुल्क सेवा दे रही है। एक फोन पर ही परिचारक दौड़ पड़ते हैं घायल को लाने के लिए और यहां आने के बाद जुट जाते हैं चिकित्सक। वे न तो समय देखते हैं और ना ही कोई परेशानी सामने रखते हैं बस गायों का जीवन बचाने और कष्ट दूर करने पर ध्यान देते हैं ।

इस गौ चिकित्सालय में जटिल से जटिल ऑपरेशन भी किए जाते हैं और कोई शुल्क नहीं लिया जाता। बस गाय का जीवन बच जाय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है l गाय के पूर्ण स्वस्थ होने के उपरांत गौ वंश उसके मालिक को समर्पित कर दिया जाता है। यदि कोई पशु बिना किसी मालिक का है तो उसे यहीं रख कर सेवा की जाती है। यहां किसी प्रकार के दूध-दही,छाछ या घी की बिक्री नहीं होती है। चारा भी यहां पर बाजार भाव से सस्ता उपलब्ध है जो श्रद्धालु गायों को खिलाते है l

इस स्थान पर आने वाले भक्तों को भी पूरी सुविधा और सेवा मिलती है। जिनमें हर समय इलायची युक्त स्वादिष्ट चाय,ठंडा मीठा पीने के लिए पानी । कोई यदि यहां से पानी भर कर ले जाना चाहे तो वह भी निःशुल्क ले जा सकता है,पूरे दिन ठंडी छाछ भी निःशुल्क पीने को मिलती है l रात्रि विश्राम के लिए यहां कमरे भी संपूर्ण सुविधा के साथ उपलब्ध हैं। जिनका किराया वैसे तो 150 रुपए है पर इस राशि में भोजन,नाश्ता,दो चाय,छाछ और साबुन दिया जाता हैं। जिसका मूल्य यदि लगाए तो मात्र एक रुपए किराया लिया जाता है l दान दाता परिवारों के लिए यहां सर्वसुविधायुक्त कमरा निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। इस चिकित्सालय में आने वाले संतो व साध्वियों के लिए भी यहां कमरे निःशुल्क उपलब्ध है l यहां श्रद्धालुओं को नाश्ते में गर्म पोहा और खाने में आठ आइटम दिए जाते हैं। रामदेव मेले के दौरान आने वाले हजारों यात्रियों को पूरी सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है l

इस विश्वस्तरीय गौ चिकित्सालय की सेवा भावना को देखने के लिए राजस्थान के अलावा दूर दूर से अन्य प्रदेशों के लोग आते हैं और यहां की सेवा व्यवस्था को देख गदगद हुए बिना नहीं रहते हैं l इस स्थान की महिमा पूरे देश ही नहीं अपितु विश्व भर में फैली हुई है। जोधपुर नागौर आने वाला हर विदेशी पर्यटक इस स्थान को देखने आता है और व्यवस्था को देख कर प्रशंसा भी करता है। यह स्थान वास्तव में पर्यटन केंद्र बनाने लायक है,प्रदेश की सरकार को इस स्थान को पर्यटक केंद्र बनाए जाने की पहल करनी चाहिए,जिससे इस स्थान के महत्व को और ज्यादा समझा जा सके । (विनायक फीचर्स)

लेखक-रामजीलाल सोनी

गाय के गोबर से घर बैठै कमाती हैं लाखों रुपये

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Business Success Story: आजकल लोग कई तरीकों से बिजनेस कर रहे हैं. उत्तराखंड की महिलाओं ने तो अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए गाय को गोबर से मूर्ति बना डाली है. केदारनाथ और कामधेनु गाय की ऐसी मूर्ति जो आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेगी. इससे वह सालाना लाखों की कमाई कर रही हैं. तो चलिए जानते हैं उनके इस अनोखे आर्ट के बारे में.

दरअसल दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के अंदर अमृत उत्सव फेस्टिवल चल रहा है, जहां भारत के अलग-अलग राज्यों से लोग आकर अपने हाथ की बनी हुई चीजें बेच रहे हैं.  उत्तराखंड के स्टॉल पर लोगों की काफी भीड़ थी, जहां गोबर से बने हुए सामान मिल रहे हैं.

गाय के गोबर से बिजनेस
इस स्टॉल की संचालक तृप्ति ने लोकल 18 की टीम से बात करते हुए बताया कि वह दीन दयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित डे-एन. यू.एल.एम.स्वदेश कुटुंब के के समूह के अंदर काम करती हैं. उनके साथ 11 महिलाएं और शामिल हैं.

मैक्सिविजन ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स ने ओजस ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स के साथ साझेदारी कर महाराष्ट्र में दस्तक दी

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मुंबई (अनिल बेदाग): मैक्सिविजन ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स ने मुंबई में विश्व प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित नेत्र देखभाल प्रदाता ओजस ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स के साथ एक रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से  महाराष्ट्र में अपने प्रवेश की घोषणा की।

साझेदारी को औपचारिक रूप से डॉ. जीएसके वेलु, प्रमोटर और चेयरमैन, मैक्सीविजन सुपर स्पेशलिटी आई हॉस्पिटल्स और डॉ. नितिन देधिया, प्रमोटर और चेयरमैन, ओजस ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स द्वारा ओजस ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स के प्रमोटर और निदेशक डॉ. रोहन देधिया, ओजस ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स के सीईओ सीए प्रणव देधिया और मैक्सीविजन सुपर स्पेशलिटी आई हॉस्पिटल्स के ग्रुप सीईओ श्री वीएस सुधीर की उपस्थिति में लॉन्च किया गया। साथ में, नवगठित संयुक्त उद्यम ओजस मैक्सिविज़न आई हॉस्पिटल्स का लक्ष्य पूरे महाराष्ट्र में परिचालन का विस्तार करने के लिए 500 करोड़ रुपये का निवेश करना है।

डॉ. नितिन देधिया के दूरदर्शी नेतृत्व में, ओजस ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल वर्तमान में मुंबई-बांद्रा (पश्चिम) और कांदिवली (पूर्व) में तीन प्रमुख केंद्र संचालित करता है, जो विशेषज्ञ नेत्र सर्जन और प्रशिक्षित कर्मचारियों की एक टीम के माध्यम से मरीजों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ असाधारण नेत्र देखभाल प्रदान करता है।पिछले 40 वर्षों में 500,000 से अधिक नेत्र रुग्णों का सफलतापूर्वक इलाज करने के बाद,डॉ. देधिया और उनकी टीम व्यक्तिगत रूग्ण देखभाल पर ध्यान देने के साथ नेत्र देखभाल में अत्याधुनिक तकनीक में सबसे आगे रहे हैं। उन्होंने कॉर्निया, ग्लूकोमा, रेटिना, मोतियाबिंद और अपवर्तक नेत्र सर्जरी में उन्नत नेत्र उपचार का बीड़ा उठाया है। ओजस पश्चिमी भारत का पहला नेत्र अस्पताल है, जिसने दृष्टि सुधार के लिए फ्लैपलेस एलिटा सिल्क प्रक्रिया, 3डी इमेजिंग और रोबोटिक मोतियाबिंद प्रक्रिया, अत्यधिक उच्च नेत्र शक्तियों के सुधार के लिए फैकिक लेंस उपचार और सूखी आंखों के उन्नत उपचार जैसे उन्नत नेत्र उपचार शुरू किए हैं|अस्पताल मरीजों को सर्वोत्तम दृश्य परिणाम देने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करने के लिए समर्पित है।मैक्सिविजन सुपर स्पेशलिटी आई हॉस्पिटल आज भारत में अग्रणी नेत्र देखभाल सुविधाओं में से एक है| 1996 में डॉ. कासु प्रसाद रेड्डी द्वारा स्थापित और बाद में 2011 में डॉ. जीएसके वेलु द्वारा अधिग्रहण किया गया, यह भारत की अग्रणी और तेजी से बढ़ती नेत्र देखभाल श्रृंखलाओं में से एक है। मैक्सिविजन ने शीर्ष स्तरीय और किफायती नेत्र देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए अपने अटूट समर्पण को लगातार बरकरार रखा है| 1996 में अपनी स्थापना के बाद से, इसने गर्व से 6 मिलियन से अधिक नेत्र मरीजोंकी सेवा की है। वर्तमान में, निरंतर विकास के साथ, नेटवर्क का विस्तार 50 से अधिक केंद्रों तक हो गया है, जिसमें दक्षिण और पश्चिम भारत के छह राज्य शामिल हैं। मैक्सिविज़न का अस्पतालों का नेटवर्क तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, गुजरात में है और अब महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में प्रवेश कर रहा है। कंपनी ने जैविक विस्तार और अकार्बनिक  विकास को बढ़ावा देने और भारत के अग्रणी नेत्र देखभाल प्लेटफार्मों में से एक के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पिछले साल क्वाड्रिया कैपिटल से 1300 करोड़ रुपये जुटाए हैं।

मैक्सिविज़न सुपर स्पेशलिटी आई हॉस्पिटल्स के प्रमोटर और चेयरमैन डॉ. जीएसके वेलु ने इस विलय के बारे में अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा,“ओजस आई हॉस्पिटल के साथ हमारी साझेदारी महाराष्ट्र में सर्वोत्तम नेत्र देखभाल उपचार प्रदान करने की साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। एक निवेशक और भारत में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा वितरण के प्रवर्तक के रूप में मेरा दृढ़ विश्वास है कि अस्पताल उतने ही अच्छे होते हैं जितने डॉक्टर उनका नेतृत्व करते हैं। हमारा साझेदारी मॉडल विकास को बढ़ावा देने, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में निवेश और मजबूत प्रबंधन विशेषज्ञता और कॉर्पोरेट प्रशासन को शामिल करके उत्कृष्ट नेत्र देखभाल प्रथाओं का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। डॉ. नितिन देधिया और उनकी टीम के साथ यह सहयोग पूरे महाराष्ट्र में अपने पदचिह्न का विस्तार करने के मैक्सीविजन के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें अगले कुछ वर्षों में 500 करोड़ रुपये के निवेश की योजना है।

महाराष्ट्र सरकार राज्य के सभी कमिश्नरेट में जल्द से जल्द नए आपराधिक क़ानून लागू करे

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस की उपस्थिति में राज्य में तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की


देशवासियों को त्वरित व पारदर्शी न्याय प्रणाली देने के लिए मोदी सरकार संकल्पित है

महाराष्ट्र सरकार राज्य के सभी कमिश्नरेट में जल्द से जल्द नए आपराधिक क़ानून लागू करे

महाराष्ट्र नए कानूनों के अनुरूप एक आदर्श ‘डायरेक्टरेट ऑफ प्रॉसिक्यूशन’ की व्यवस्था बनाए

कानून व्यवस्था मजबूत बनाने के लिए अपराधों का दर्ज होना ज़रूरी है, इसलिए FIR दर्ज करने में किसी तरह की देरी न हो

7 साल से अधिक सजा के मामलों में 90% से अधिक दोषसिद्धि हासिल करने के प्रयास हो

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस की उपस्थिति में राज्य में तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में पुलिस, जेल, कोर्ट, अभियोजन और फॉरेन्सिक से संबंधित विभिन्न नए प्रावधानों के महाराष्ट्र में कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई। बैठक में केन्द्रीय गृह सचिव, महाराष्ट्र की मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPRD) के महानिदेशक, राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (NCRB) के महानिदेशक और केन्द्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि देशवासियों को त्वरित व पारदर्शी न्याय प्रणाली देने के लिए मोदी सरकार संकल्पित है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था मजबूत बनाने के लिए अपराधों का दर्ज होना ज़रूरी है, इसलिए FIR दर्ज करने में किसी तरह की देरी नहीं होनी चाहिए।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र नए आपराधिक कानूनों के अनुरूप एक आदर्श डायरेक्टरेट ऑफ प्रॉसिक्यूशन (Directorate of Prosecution) की व्यवस्था बनाए। उन्होंने कहा कि 7 साल से अधिक सजा के मामलों में 90 प्रतिशत से अधिक दोषसिद्धि हासिल करने के प्रयास किए जाएं और पुलिस, सरकारी वकील एवं न्यायपालिका मिलकर दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने का प्रयास करें।

गृह मंत्री ने एक बार फिर इस बात पर जोर दिया कि संगठित अपराध, आतंकवाद और मॉब लिंचिंग के मामलों की वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नियमित मॉनिटरिंग करें ताकि इन अपराधों से जुड़ी धाराओं का दुरुपयोग न हो। उन्होंने कहा कि जेलों, सरकारी अस्पतालों, बैंक, फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (FSL) इत्यादि परिसरो में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए साक्ष्य दर्ज करने के व्यवस्था होनी चाहिए। श्री शाह ने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए जिसमें अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (CCTNS) के जरिए दो राज्यों के बीच FIR को ट्रांसफर किया जा सके। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र को CCTNS 2.0 और ICJS 2.0 को अपनाना चाहिए।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पुलिस को पूछताछ के लिए हिरासत में रखे गए लोगों की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक डैशबोर्ड पर प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने पुलिस थानों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बढाने पर जोर दिया। श्री शाह ने कहा कि हर पुलिस सब डिवीजन में फॉरेंसिक साइंस मोबाइल वैन्स की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। गृह मंत्री ने फॉरेंसिक विशेषज्ञों की भर्ती पर बल देते हुए फॉरेन्सिक विभाग में खाली पदों पर भर्ती शीघ्र सुनिश्चित करने को कहा।

श्री अमित शाह ने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि वह राज्य की फिंगर प्रिंट पहचान प्रणाली को National Automated Fingerprint Identification System (NAFIS) के साथ एकीकृत करे। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस को अपराधियों के पास से बरामद की गई संपत्ति को नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों के अनुसार उसके असली हकदार को लौटाने की व्यवस्था करनी चाहिए। गृह मंत्री ने पुलिस थानों को सुंदर बनाने पर भी बल दिया।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री राज्य में नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन की पाक्षिक और मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक साप्ताहिक समीक्षा करें।

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