Home Blog Page 2

बनारस कोकिला की उपाधि प्राप्त कर चुकी है सुरभि सिंह

0

 

गायिका सुरभि सिंह ने अब तक 1000 से अधिक गाने गाए हैं, 50 से अधिक म्यूज़िक वीडियो सॉन्ग्स और ढेरों लाइव शो देश और विदेशों में कर चुकी हैं। खासकर अफ्रीका, दुबई, कंबोडिया और भारत भर में उनके लाइव शो होते रहते हैं।

सुरभि ने सबसे पहले बप्पी लहरी के संगीत निर्देशन में फिल्म राष्ट्रपुत्र से बॉलीवुड में गायन की शुरुआत की और हाल ही में भुज- द प्राइड ऑफ इंडिया और सीरीज़ ऑड कपल में उनके गाने आए हैं। वह यशराज कंपनी की आने वाली फिल्म में गाना गाने वाली हैं। उनके कुछ और गाने भी रिलीज़ होंगे।

वह एक बेहतरीन बैडमिंटन प्लेयर रही हैं, मगर उन्होंने सिंगिंग को अपना करियर चुना। ‘बनारस कोकिला’ नाम से उन्हें उपाधि मिली है। ईटीवी उत्तर प्रदेश के रियलिटी शो फोक जलवा की वह विनर रह चुकी हैं। हिंदी, मराठी, पंजाबी जैसी कई भाषाओं में वह गायन कर चुकी हैं और आगे भी गाती रहेंगी।

सुरभि ने बताया कि वह बतौर गायक मंज़िल के इस पड़ाव तक कैसे पहुँचीं। वह वाराणसी की रहने वाली हैं और उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी वहीं हुई है। बचपन से ही उन्हें गाने का शौक रहा। जब वह लता, रफ़ी और अनूप जलोटा जैसे दिग्गज गायकों के गीत सुनती, तो स्वतः ही गाने लगती। स्कूल प्रोग्राम में भी वह गायन में भाग लेती और उनकी इस कला को खूब सराहा जाता, जिससे उनका यह शौक जुनून बन गया।

बचपन में ही उन्हें दूरदर्शन में बच्चों के सीरियल के लिए गाने का मौका मिला। उसके बाद आकाशवाणी में गाने का अवसर मिला, जिसके लिए आकाशवाणी की परीक्षा भी पास की। उन्होंने क्लासिकल गीत-संगीत सीखा और महात्मा गांधी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी, प्रयागराज से संगीत में उपाधि प्राप्त की।

साल 2005 में उन्हें उदित नारायण के साथ मुंबई में पहला शो करने का अवसर मिला और फिर वह यहीं रह गईं। इसके बाद मुंबई में बतौर सिंगर अपने करियर पर पूरी तरह फोकस करना शुरू किया।

उनका कहना है कि प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चों के करियर पर फोकस तो करना चाहिए, मगर बच्चों पर दबाव नहीं डालना चाहिए। उन्हें मार्गदर्शन दें, परंतु करियर का चुनाव उनके स्किल या सपनों के हिसाब से उन्हें स्वयं करने दें। क्योंकि जिसमें उनका शौक होगा, वह काम वे लगन से करेंगे। जबरदस्ती से किए गए चुनाव में वे खुद को बंधा हुआ महसूस करेंगे, जो उनकी सफलता और जीवन दोनों के लिए कष्टप्रद होगा।

पढ़ाई के दौरान ही अभिनय करने लग गई थी सुचंद्रा एक्स वानिया

0

 

बंगाल फिल्म इंडस्ट्री में अपनी कला से दर्शकों को प्रभावित करने वाली अभिनेत्री सुचंद्रा एक्स वानिया ने अभिनय के साथ-साथ निर्देशन और फिल्म निर्माण में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। उनकी खुद की वानिया ग्रुप ऑफ कंपनी है जिसके बैनर तले फिल्मों का निर्माण होता है। बतौर अभिनेत्री उन्होंने कई बंगाली फिल्मों, वेब सीरीज़ और शॉर्ट फिल्मों में काम किया है जिनमें डाइट (हॉटस्टार), पथ जदि ना सेश होय (क्लिक्क), बालुकाबेला.कॉम (ज़ी5), बोंकु बाबु (ज़ी5), जमाई बोरन, नॉट अ डर्टी फिल्म (क्लिक्क), चोतुष्कोण (प्राइम वीडियो), कंडीशन्स अप्लाई (प्राइम वीडियो), कोलकाताय कोलंबस (सोनी लिव), नीलाचले किरीटी, सूर्यो पृथिबीर चारिदिके घोरे और पूरब पश्चिम दक्षिण उत्तर आशबेई प्रमुख हैं।

निर्देशन में उन्होंने सबसे पहले अपने प्रोडक्शन की फिल्म पूरब पश्चिम दक्षिण उत्तर आशबेई का क्रिएटिव डायरेक्शन किया, जो एक बड़े बजट की बंगाली स्पिरिचुअल थ्रिलर फिल्म थी और बॉक्स ऑफिस पर सफल रही। इसके बाद उन्होंने सूर्पनखा आगोमोन (The Arrival of Shurpanakha) का निर्देशन किया। यह फिल्म 2022 में कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में चुनी गई और अलग-अलग कैटेगरी में 10 से भी अधिक पुरस्कार जीत चुकी है। 17 मिनट की इस शॉर्ट फिल्म में माता सीता और शूर्पणखा के संवाद और भावनाओं को दिखाया गया है। इसकी शूटिंग पुरुलिया और बांकुड़ा जिलों में हुई और इसमें छाऊ कलाकारों, आदिवासी और नए कलाकारों को अवसर दिया गया।

सुचंद्रा एक्स वानिया ने निर्देशन की पढ़ाई न्यूयॉर्क फिल्म अकेडमी से की है और सुजीत रॉय इंस्टीट्यूट से निर्देशन की बारीकियों को भी सीखा है। वर्तमान में वह बंगला प्रोजेक्ट्स के साथ-साथ दो हिंदी फिल्मों पर काम कर रही हैं। इनमें से एक का नाम द गरुणा है जो रहस्य, रोमांच, प्राचीन इतिहास, दंतकथाओं और मायथोलॉजी से जुड़ी संदेशात्मक कहानी है। इस फिल्म की शूटिंग अक्टूबर से शुरू होगी।

दक्षिण कोलकाता की पृष्ठभूमि से आने वाली सुचंद्रा को बचपन से ही कला और फिल्म निर्माण का वातावरण मिला। उनके पिता को फोटोग्राफी का शौक था और उनके आसपास फिल्म और स्क्रिप्ट पर चर्चाएँ होती थीं। बारहवीं कक्षा के दौरान उन्होंने एक शॉर्ट फिल्म में अभिनय किया और वहीं एक निर्देशक ने उन्हें देखा और अपनी फिल्म का हिस्सा बनाया जहाँ से उनके फिल्मी कैरियर की शुरुआत हुई। हालांकि वह पहले अभिनेत्री बनना चाहती थीं, लेकिन निर्देशन और फिल्म निर्माण की इच्छा हमेशा उनके मन में रही।

आज सुचंद्रा एक्स वानिया बतौर अभिनेत्री और निर्देशक कई पुरस्कारों से सम्मानित हैं। वह समाज सेवा में भी सक्रिय रहती हैं और गरीबों व ज़रूरतमंदों की सहायता करती हैं। उनका मानना है कि फिल्मों में मनोरंजन के साथ संस्कृति, इतिहास और परंपरा का समावेश होना चाहिए ताकि सिनेमा के माध्यम से लोगों को नई और वास्तविक जानकारियाँ मिलें।

सुचंद्रा एक्स वानिया कहने से ज़्यादा करने में विश्वास रखती हैं। उनका कहना है कि अभी तो सफर की शुरुआत है, मंज़िल तक पहुँचना बाकी है और वहाँ वे अपने स्वाभिमान और शर्तों के साथ पहुँचेंगी। फिलहाल वह अपने आने वाले प्रोजेक्ट्स में व्यस्त हैं।

गाइए गणपति जगवंदन, शंकर सुवन भवानी के नंदन

0

(पवन वर्मा – विभूति फीचर्स)

हमारे लोकजीवन, लोकाचार और लोकसाहित्य में गणेशजी को मंगलदाता एवं विघ्न-विनाशक के रूप में स्मरण किया जाता है। मंगलमूर्ति गणेशजी हमारे लोकजीवन में पूर्णरूप से रमे हुए हैं। सर्वपूज्य, परम पूज्य और कुशलता के प्रतीक हैं। वे समस्त ऋद्धियों और सिद्धियों के दाता हैं। मोदकप्रिय होने से उन्हें ‘मोदकप्रिय मुद मंगलदाता’ कहा गया है। लोकजीवन में गणेशजी इतने समाविष्ट हैं कि हम कोई भी कार्य को प्रारंभ करने के लिए ‘श्री गणेश कीजिये’ कहते हैं। ‘श्री गणेश करना’ एक मुहावरा बन गया है। यात्रा पर जाते समय ‘जय सिद्धि गणेश’ कहते हैं और गणेशजी हमारी यात्रा मंगलमय करते हैं। गृहप्रवेश, विद्या आरंभ करते समय गणेशजी का स्मरण, पूजन और अर्चना की जाती है, उनकी स्थापना की जाती है।

ऐसा लोकविश्वास है कि गणेशजी की पूजा करने से हमारी समस्त विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं। अत: अनेक शुभकारी नामों को धारण करने वाले गजानन गणेश के पूजन की परम्परा भारतीय लोकजीवन में सनातन और अखंड है। समाज में, परिवार में या मंदिरों में उनकी पूजा-अर्चना को मांगलिकता का प्रतीक माना जाता है। यह लोकमान्यता है कि वह शीघ्र शुभ फलदाता देवता हैं और उनके दर्शन मात्र से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। अत: पर्वो, समारोहों, सहभोजों, यात्रागमन आदि अवसरों पर प्रथम पूज्य गणेशजी की पूजा-अर्चना की जाती है। यद्यपि दीपावली पर लक्ष्मीजी की पूजा का विधान है, लेकिन शुभ और लाभ के दाता तो गणेशजी ही हैं, अत: लक्ष्मीजी के साथ गणेशजी की मूर्ति मिलती है तथा युगलमूर्ति की पूजा की जाती है। संस्कार समारोहों में जहां माता गौरी की स्थापना की जाती है, वहीं जलभरे कलश या मंगल कलश में गणेशजी की प्रतिमा रखी जाती है। यह प्रतिमा मिट्टी या गौ के गोबर से बनायी जाती है। इस प्रकार गौरी-गणेश पूजन के बाद ही मंगल कार्य सम्पन्न किया जाता है। विद्या आरंभ करते समय बालक से ‘श्री गणेशाय नम:’ लिखवाया जाता है। सेठ-साहूकार अपने बहीखातों में भी प्रारंभ में ‘श्री गणेशाय नम:’ लिखते हैं।

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पावन पर्व गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश में उसे ‘बहुल चौथ’ के रूप में मनाया जाता है। अवधी भाषा में बहुरा या बहुला का अभिप्राय: ‘गया हुआ’ होता है, अर्थात जिसके आने की उम्मीद न हो। गणेशजी की उत्पत्ति भी इसी प्रकार हुई थी। उनका सिर कट गया था और फिर हाथी का सिर लगाये जाने पर पुनर्जीवित हुए। लोकमानस ने इस पर्व का नाम इस प्रकार रखकर गणेश जन्म के पौराणिक तथ्य को सहजता से निरूपित किया है। स्कंदपुराण में श्रीकृष्ण-युधिष्ठिर संवाद के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की विशेष महिमा है। उस दिन की आराधना से गणेशजी अपने आराधकों के समस्त कार्यकलापों में सिद्धि प्रदान करते हैं।

अत: उनका नाम ‘सिद्धि-विनायक’ हो गया है-
सिद्धियन्ति सर्व कार्यणि मनसा चिन्तिातन्यपि।
तेन ख्याति गतो लोके, नाम्ना सिद्धि विनायक॥
महात्मा तुलसीदास जी कृत गणेश स्तुति तो समस्त जनजीवन में व्याप्त है।
गाइए गणपति जगवंदन, शंकर सुवन भवानी के नंदन।
सिद्धि सदन गजवदन विनायक, कृपा सिन्धु सुंदर सब लायक।

गणेशजी पांच तत्वों से समन्वित रूप हैं। ये पांच तत्व हैं- पराक्रम, आनंद, बुद्धि, कृषि और व्यवसाय। नेतृत्व के गुणों के कारण उन्हें गणपति, गणाधिपति, गणधिप, गणेश आदि नामों से पुकारा जाता है। उनका दूसरा रूप विघ्नहर्ता और मंगलदाता है। वे बुद्धि के निधान और पराक्रम के पुंज हैं। बुद्धिबल से ही वे विश्व में प्रथम पूज्य हैं। वे जल तत्व के अधपति हैं और जल ही जीवन हुआ करता है। अत: लोकजीवन में उनकी महान प्रतिष्ठा है। वाणिज्य व्यवसाय के प्रबंधन के रूप में उनकी मान्यता है, इसीलिए वणिक व्यवसाय के लोग उन्हें अधिक पूजते हैं
गणेशजी की पूजा न केवल भारत में प्रचलित हैं, बल्कि पड़ोसी देशों में, अतिरिक्त सुदूर देशों में भी समान रूप से प्रचलित है। गणेशोत्सव इसीलिए हमारे देश के जनगण की धार्मिक आस्था का प्रतीक है। गणपति सर्वाधिक लोकमान्य और सर्वप्रिय देवता हैं। वे सर्व सुखदाता-दुखहर्ता, सांसारिक सम्पदा देने वाले हैं। वे समाज का नेतृत्व करने वाले कुशल संगठक तथा महासेनापति भी हैं। पौराणिक युग में गण के नाम से जाने जाते समाज के विभिन्न बिखरे हुए हिस्सों को एकत्र कर उनमें एकता का गणेशजी ने सफल प्रयास किया। श्री गणेशजी हमारे सामाजिक संगठन और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक-पुरुष रहे हैं।

श्री गणेशजी हमारे आद्यदेव और सर्वमान्य गणनायक के रूप में हमेशा पूज्य और प्रतिष्छित रहे हैं। लोकमान्य तिलक ने गणेशजी की सामाजिक महत्ता को पहचानकर और गणेश पूजा को व्यापक रूप देकर राष्ट्रीय चेतना जगाने का सफल प्रयास किया। उन्होंने गणेशोत्सव को सामाजिक और राष्ट्रीय संदर्भों से जोड़ा। ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयघोष से सारा राष्ट्र गुंजायमान हो जाता हैं। गणेशोत्सव पर सांस्कृतिक आयोजनों से हमें राष्ट्र की अखंडता, एकता और प्रभुता सम्पन्न गणराज्य की समृद्धि से अभिवृद्धि करने की प्रेरणा मिलती है। मंगलमूर्ति गणेश हमारे लोकजीवन में समन्वय के प्रतीक हैं। वे हमारे दैनिक जीवन के आस्था-विश्वासों में इतने घुल-मिल गये हैं कि मंगलदायक गणेशजी के प्रति हमारी श्रद्धाभक्ति अनन्यता की सीमा लांघ चुकी है। आद्यकवि वाल्मीकि जी ने गणेशजी का स्तवन इस प्रकार किया है- हे गणेश्वर। आप चौंसठ कोटि विद्याओं के दाता हैं, ज्ञाता हैं। देवताओं के आचार्य बृहस्पति को भी विद्या प्रदान करने वाले हैं। कठोपनिषद् रूपी अभीष्ठ विद्या के दाता हैं। आप विघ्नराज हैं, विघ्ननाशक हैं। आप गजानन हैं, वेदों के सारतत्व हैं। असुरों का संहार करने वाले हैं।

इस प्रकार हमारे लोकाचार से लेकर लोक व्यवहार में श्री गणेशजी समाहित हैं। ब्रह्मवैवर्तपुराण में लोकदेवता गणेशजी की स्तुति में कहा गया है- ‘जो परमधाम, परमब्रह्म, परेश, परमेश्वर, विघ्नों के विनाशक, शान्त, पुष्ट, मनोहर एवं सुर-असुर और सिद्ध जिनका स्तवन करते हैं, जो देवरूपी कमल के लिए सूर्य और मंगल के समान हैं, उन पर परात्पर गणेश की मैं स्तुति करता हूं।’ (विभूति फीचर्स)

गौ हत्या पर बिलासपुर में बवाल

0

CG Crime: बिल्हा नगर पंचायत के वार्ड 11 में गौहत्या की सूचना पर पहुंचे गोसेवकों पर अचानक हमला हो गया। बुधवार को हुई इस घटना में महिलाएं भी शामिल थीं। इस हमले में एक महिला समेत चार लोग घायल हुए, जिनमें एक की हालत गंभीर है। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में तनाव फैल गया और पुलिस बल तैनात कर दिया है।

जानकारी के अनुसार सामाजिक कार्यकर्ता और गोसेवक आकांक्षा कौशिक को जानकारी मिली थी कि उडिय़ा मोहल्ले में लंबे समय से बूचडख़ाना चल रहा है। इसकी पुष्टि करने वह दोपहर लगभग 2 बजे शत्रुघ्न राजपूत, राहुल यादव, सिद्धार्थ शर्मा, कान्हा कौशिक और जीतू के साथ मौके पर पहुंचीं। तो महिलाओं समेत मोहल्ले के लोगों ने अचानक हमला कर दिया। हमले में आकांक्षा सहित चार लोग घायल हो गए। राहुल यादव की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिसे रायपुर रेफर किया गया है। बाकी घायलों को बिलासपुर सिम्स में भर्ती कराया गया है।

बिल्हा क्षेत्र के उडिय़ा मोहल्ले में गौ हत्या और मारपीट की शिकायत मिली है। मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। आरोपियों की तलाश जारी है।-अनुज कुमार, एएसपी

कोर्ट ने कहा है कि गाय पूजनीय है और उसके वध से शांति भंग हो सकती है

0

Rajasthan News: राजस्थान और हरियाणा की सीमा पर गौतस्करी का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने गौतस्करी के एक आरोपी को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करते हुए एक बड़ा और सख्त संदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि गाय का एक ‘विशिष्ट दर्जा’ है और उसके वध से किसी बड़ी आबादी की आस्था को ठेस पहुंचती है, जिससे शांति भंग हो सकती है.

यह मामला हरियाणा के नूंह जिले का है, जहां आसिफ नाम के आरोपी पर इस साल अप्रैल में गायों को वध के लिए राजस्थान ले जाने का आरोप लगा था. आसिफ और उसके दो साथियों पर हरियाणा गोवंश संरक्षण एवं गोसंवर्धन अधिनियम, 2015 और क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत केस दर्ज किया गया था. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने आसिफ की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.

‘गाय हमारी आस्था का प्रतीक’

जस्टिस संदीप मौदगिल ने अपने फैसले में सिर्फ कानूनी पहलुओं पर ही बात नहीं की, बल्कि भारतीय समाज में गाय की स्थिति को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा, ‘यह अदालत इस तथ्य से अनभिज्ञ नहीं रह सकती कि हमारे जैसे बहुलवादी समाज में कुछ कृत्य जो वैसे तो निजी होते हैं लेकिन तब सार्वजनिक शांति पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं जब वे किसी बड़ी आबादी वाले समूह की गहरी आस्थाओं को ठेस पहुंचाते हैं.’ कोर्ट ने साफ कहा कि गाय न सिर्फ पूजनीय है, बल्कि भारत की कृषि अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग भी है. इस तरह के अपराध, खासकर जब बार-बार किए जाते हैं, तो यह संवैधानिक नैतिकता (Constitutional Morality) और सामाजिक व्यवस्था की मूल भावना पर सीधा हमला है.

क्यों खास है ये फैसला?

यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में गौतस्करी के बढ़ते मामलों को देखते हुए आया है. इन राज्यों की सीमाएं अक्सर गौतस्करों का गढ़ बन जाती हैं. इस मामले में भी आरोपी गायों को हरियाणा से राजस्थान ले जा रहा था, जो दिखाता है कि गौतस्करी का नेटवर्क अंतर-राज्यीय है. सरकारी वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि आरोपी आसिफ पहले भी ऐसे ही मामलों में शामिल रहा है और उसे पहले भी जमानत मिली थी, जिसका उसने दुरुपयोग किया. कोर्ट ने भी इस बात पर गौर किया कि आसिफ पर इसी तरह के तीन और मामले दर्ज हैं. कोर्ट ने साफ कहा कि उन निर्दोष लोगों के लिए होती है, जिन्हें जानबूझकर फंसाया जाता है, न कि उन लोगों के लिए जो बार-बार कानून का उल्लंघन करते हैं.

संवैधानिक नैतिकता पर भी दिया जोर

न्यायालय ने अपने आदेश में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51ए(जी) (Article 51A(G)) का भी जिक्र किया, जिसके तहत हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा दिखाए. इस संदर्भ में, कोर्ट ने कहा कि गोहत्या (Cow Slaughter) का कार्य, जिसे बार-बार और जानबूझकर अंजाम दिया गया, हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है.

शिवगंज में हिट एंड रन मामला: गौ सेवकों पर कार चढ़ाई

0

सिरोही: जिले के शिवगंज से चौंकाने वाली घटना सामने आई है. यहां गोवंश को बचाने के लिए रेस्क्यू कार्य में जुटे गौ सेवकों पर एक तेज रफ्तार कार ने चढ़ाई कर दी. हादसा इतना भीषण था कि मौके पर हड़कंप मच गया. इस घटना में तीन गौ सेवक गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें से दो की हालत नाजुक बताई जा रही है. स्थानीय लोगों और गौसेवा कार्यकर्ताओं ने घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें उच्च स्तरीय इलाज के लिए रेफर कर दिया गया. हादसे के तुरंत बाद कार चालक मौके से फरार हो गया.

शिवगंज थानाधिकारी बाबूलाल राणा ने बताया कि पुलिस ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए अज्ञात चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है ताकि आरोपी चालक की पहचान कर उसे जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जा सके. इस घटना ने पूरे क्षेत्र में रोष और आक्रोश का माहौल खड़ा कर दिया है स्थानीय निवासियों और गौ सेवकों का कहना है कि जो लोग निस्वार्थ भाव से गोवंश की सेवा और उनके जीवन को बचाने में लगे रहते हैं, उन पर इस तरह का हमला बेहद शर्मनाक और निंदनीय है. घटना के बाद से ही शिवगंज और आसपास के इलाकों में सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. गौ सेवा संस्थाओं ने भी प्रशासन से मांग की है कि दोषी चालक को जल्द से जल्द पकड़कर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. स्थानीय प्रशासन ने घायलों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने और पीड़ितों के परिजनों को सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है.

गौ आधारित प्राकृतिक खेती होगी राष्ट्रीय मिशन:1 अप्रैल 2025 से शुरू

0

उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने मिर्जापुर में मंडलीय समीक्षा बैठक के दौरान महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गौ-आधारित प्राकृतिक खेती को 1 अप्रैल 2025 से राष्ट्रीय मिशन घोषित किया है।

मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के तहत किसानों को गोआश्रय से गाय ले जाने पर प्रतिमाह 1500 रुपये मिलेंगे। चारागाह ले जाने पर प्रति गोवंश 6000 रुपये की राशि दी जाएगी।

उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 1 करोड़ 90 लाख देसी गायें हैं। प्रदेश की 25 करोड़ आबादी में से 22 करोड़ से अधिक किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि पहुंच रही है।

गुप्ता ने कहा कि गौ-आधारित प्राकृतिक खेती से खेत उपजाऊ रहेंगे। इससे शुद्ध अन्न की प्राप्ति होगी। किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। साथ ही गरीबी, बेरोजगारी और बीमारी की समस्याओं का समाधान होगा।

गोवंश तस्करी के बारे में उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस पर प्रभावी नियंत्रण किया है। कुछ मामले अभी भी सामने आते हैं। इन पर रोक के लिए समीक्षा बैठक में कदम उठाए जाएंगे।

पंजाब में चिंता का विषय बन रही है हृदय रोगी बच्चों की बढ़ती संख्या

0

(सुभाष आनंद-विनायक फीचर्स)
आर.टी.आई इंफॉर्मेशन के अनुसार पंजाब में हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का इलाज का दायित्व पंजाब सरकार स्वयं उठा रही है। जो बच्चे हृदय रोग से पीड़ित हैं ,उनके लिए यह सरकार बड़ी राहत के रूप में आ रही है। पिछले तीन वर्षों में पंजाब का स्वास्थ्य विभाग हृदय रोगी बच्चों के लिए विशेष अभियान चला रहा है। हृदय के ब्लॉकेज को खोलने के लिए पंजाब के विशेषज्ञ अस्पतालों से अनुबंध किया है, साथ ही सीरियस केसों के लिए गुरुद्वारे के स्पेशल अस्पतालों से भी अनुबंध किया हुआ है।

पंजाब में जिन बच्चों के हृदय में ब्लाकेज है, उनके लिए मेट्रो सिटी में खास प्रबंध किए जा रहे हैं, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंजाब की पी.जी.आई में 528 केस अन्य विभागों को ट्रांसफर हो चुके हैं जिनमें 7 फीसदी से ज्यादा अति गंभीर हैं जबकि 93 फीसदी नॉर्मल है। मरीजों की लंबी लिस्ट होने के कारण इनकी बारी आने में 6 से 7 महीने तक लग जाते हैं। वहीं विभिन्न विभिन्न विभागों में काम करने वाले हृदय रोग विशेषज्ञ दिनेश चड्ढा का कहना है कि हमारे पास हृदय में छेद वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है , जो गंभीर चिंता का विषय है। हम एक दिन में केवल 5 से 6 बच्चों का ही ऑपरेशन कर पाते हैं। अन्य राज्यों से भी यहां ह्दय रोगी बच्चे आते हैं। इसी कारण स्थानीय बच्चों के इलाज में भी समय तो लगता ही है। वहीं डॉक्टर प्रतिभा सिंह का कहना है कि कभी-कभी इमरजेंसी में भी ऑपरेशन करना पड़ता है।

आरटीआई में पंजाब सरकार जो सूचनाएं दे रही है उसको कोर्ट में चैलेंज किया गया है ,स्कूली बच्चों के प्राथमिकता से इलाज के लिए हाईकोर्ट में एक रिट अभी-अभी डाली गई है ,जिसका फैसला अभी आना है। पंजाब के नामी अस्पताल हाईकोर्ट में फर्जी एफिडेविट डाल रहे हैं , जिसका सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा नोटिस लिया, कई प्राइवेट अस्पतालों के लाइसेंस रद्द किए जा रहे हैं ,कई नए अस्पतालों को कुछ महीनों तक रद्द किया जा रहा है।
पंजाब के सतगुरु राम गुरु सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल लुधियाना में बच्चों को भर्ती नहीं किया जाता, क्योंकि वह पंजाब सरकार की सरकारी लिस्ट में नहीं है।

राष्ट्रीय बाल विकास योजना की गाइडलाइन के अनुसार 31 बीमारियों के लिए बच्चों की स्क्रीनिंग की जाती है। एक बच्चे के दिल के इलाज पर सरकार 70 हजार से एक लाख 20 हजार रुपए खर्च कर रही है। जिन बच्चों के दिल में छेद है ,उनकी स्क्रीनिंग, इलाज और सर्जरी के लिए 18 वर्ष की उम्र होने तक फॉलोअप किया जाता है।

आम आदमी पार्टी फिरोजपुर के एक नेता ने कहा कि सरकार की यह स्कीम गरीब लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। गरीब बच्चों को महंगे अस्पतालों में बढ़िया इलाज मिल रहा है ,प्राइवेट हॉस्पिटलों में भी बच्चों का बढ़िया इलाज हो रहा है,दिल की बीमारी से जूझ रहे बच्चों के इलाज का खर्च सरकार स्वयं उठा रही है। वहीं मास्टर मदनलाल का कहना है कि आम आदमी पार्टी का यह अच्छा कदम है ,जिससे समाज के हर वर्ग को मदद मिल रही है।
कागजों पर तो सभी योजनाएं अच्छी लगती हैं। यह योजना भी ऐसी ही है। अनेक बच्चों का इस योजना में इलाज भी हुआ है और अब वे स्वस्थ भी हैं लेकिन साथ ही अब यह शिकायत आई है कि इस योजना में भी राजनीतिक दखलंदाजी होने लगी है। अब आरोप है कि विधानसभा के सदस्य बच्चों के ह्दय के छेद को बंद करने के लिए जिनकी सिफारिशें करते है, इलाज में उन्हीं बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है। वहीं पंजाब के कई मेडिकल विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि हमारी रिपोर्ट को कोई महत्व नहीं दिया जाता ।वहीं नूरपुर बेदी के एक स्पेशलिस्ट ने सीधे सीधे भगवंत मान पर आरोप लगाया कि पिछले वर्ष अगस्त में मैंने एक दलित जाति के पांचवी कक्षा के बच्चे की सर्जरी की सिफारिश की थी, लेकिन वहां के विधायक की सिफारिश ना होने के कारण बच्चे की मौत हो गई । जिसके लिए भगवंत मान सरकार को दोषी मानकर उन पर कानूनी कार्रवाई होना चाहिए।

बताया गया है कि धर्मकोट के 14 वर्षीय दलित बच्चे को हृदय में ब्लाकेज की शिकायत थी, जिसके इलाज के लिए धर्मकोट की पंचायत ने सीधे मुख्यमंत्री मान से अनुरोध किया था ,लेकिन दस महीने तक उसकी फाइल सरकारी दफ्तरों में बंद रही, जिसके कारण समय पर इलाज न मिलने से उस बच्चे की मृत्यु हो गयी।

गर्भवती महिलाओं के गलत खानपान, शराब पीने और सिगरेट का सेवन करने से बच्चों के दिल में छेद होने की ज्यादा संभावनाएं होती है । छोटे-छोटे छेदों को सलंग के द्वारा बंद कर दिया जाता है जबकि बड़े-बड़े छेदों को भरने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ती है। वही विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब में 1000 बच्चों के पीछे 6 केस ऐसे आ रहे हैं। इन बाल हृदय रोगियों में से कई के पिता को कोई बीमारी नहीं होती। लेकिन यदि मां के हृदय में कोई बीमारी है तो उसका प्रभाव बच्चों के शरीर पर पड़ रहा है। यदि माता गर्भावस्था में दवाइयां ले रही है तो उसका असर भी बच्चों पर पड़ सकता है। यह देखा गया है कि यदि परिवार की स्त्रियां सिगरेट और शराब का प्रयोग करती है तो उनके बच्चों को ऐसी समस्या आ सकती है। वहीं डॉक्टर बागी का कहना है कि यदि छोटी उम्र में छेद भर जाए तो हृदय का वाल्व सही हो जाता है और बच्चों का विकास भी ठीक होता है। (विनायक फीचर्स)

क्षमापना दिवस विशेष पृथ्वी, जल, वायु और आकाश की तरह अनंत है क्षमा भावना

0

(संदीप सृजन-विनायक फीचर्स)

भारत की गौरवशाली वांग्मय परम्परा के प्रमुख दर्शन जैन दर्शन और वैदिक दर्शन, दोनों ही भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं के प्रमुख स्तंभ हैं, जो क्षमा को आत्म-उन्नति का माध्यम मानते हैं। जैन दर्शन में क्षमा अहिंसा का अभिन्न अंग है, जबकि वैदिक दर्शन में यह धर्म और मोक्ष का आधार है। क्षमा भावना मनुष्य में देवत्व की प्रतिष्ठा करती है यह कथन मानव जीवन की गहन सत्यता को उजागर करता है। क्षमा, जो क्रोध, द्वेष और प्रतिशोध की जंजीरों से मुक्त करती है, मनुष्य को उसकी आंतरिक दिव्यता की ओर ले जाती है। क्षमा कोई कमजोरी नहीं, बल्कि शक्ति का प्रतीक है। जैन और वैदिक ग्रंथों में क्षमा को आत्म-शुद्धि का साधन माना गया है। जैन दर्शन में यह कर्म-बंधन से मुक्ति का मार्ग है, जबकि वैदिक परंपरा में यह ब्रह्म-ज्ञान की प्राप्ति का माध्यम।

जैन दर्शन, जो अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांतवाद पर आधारित है। क्षमा यहां अहिंसा का विस्तार है। जैन ग्रंथों जैसे ‘उत्तराध्ययन सूत्र’ और ‘तत्वार्थ सूत्र’ में क्षमा को ‘क्षांति’ कहा गया है, क्षांति का अर्थ है सहनशीलता और क्षमा। जैन मतानुसार, मनुष्य का जीवन कर्मों से बंधा है। क्रोध और द्वेष जैसे विकार नए कर्मों को आकर्षित करते हैं, जो आत्मा को जन्म-मरण के चक्र में बांधते हैं। क्षमा इन विकारों को नष्ट करती है, और आत्मा को कैवल्य (मोक्ष) की ओर ले जाती है।
जैन दर्शन में क्षमा को ‘सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चरित्र’ के त्रिरत्नों के अंतर्गत रखा गया है।

उदाहरणस्वरूप, महावीर स्वामी ने अपने जीवन में अनेक कष्ट सहे, लेकिन कभी प्रतिशोध नहीं लिया। जब एक सर्प ने उन्हें डसा, तो उन्होंने क्षमा भाव से कहा, “यह इसका कर्म है।” यह घटना दर्शाती है कि क्षमा मनुष्य को देवत्व प्रदान करती है, क्योंकि देवता क्रोध से मुक्त होते हैं। जैन साहित्य में ‘प्रतिक्रमण’ अनुष्ठान है, जिसमें व्यक्ति अपने पापों के लिए क्षमा मांगता है। यह अनुष्ठान आत्म-शुद्धि का माध्यम है। जैन दर्शन क्षमा को चार प्रकारों में वर्गीकृत करता है: क्रोध न करना, क्रोध होने पर उसे नियंत्रित करना, अपराधी को क्षमा करना, और स्वयं को क्षमा करना। ‘आचारांग सूत्र’ में वर्णित है कि क्षमा से जीव अहिंसा का पालन करता है, जो सभी जीवों के प्रति समानता का भाव जगाता है।

क्षमा जैन दर्शन में सामाजिक सद्भाव का भी साधन है। जैन समाज में क्षमा के माध्यम से संघर्षों का समाधान किया जाता है। उदाहरण के लिए, जैन मुनि कभी विवाद में नहीं पड़ते, वे क्षमा भाव अपनाते हैं। यह दर्शन बताता है कि मनुष्य जन्म से देव नहीं होता, लेकिन क्षमा जैसे गुणों से देवत्व अर्जित कर सकता है। जैन दर्शन की यह शिक्षा आज के संघर्षपूर्ण विश्व में प्रासंगिक है, जहां क्षमा शांति का मार्ग प्रशस्त करती है।

वैदिक दर्शन, जो वेदों, उपनिषदों, पुराणों और स्मृतियों पर आधारित है, क्षमा को ‘क्षमा’ या ‘तितिक्षा’ के रूप में वर्णित करता है। ऋग्वेद में कहा गया है: “क्षमां भूमि: क्षमां जलं, क्षमां वायु: क्षमां आकाशं” अर्थात क्षमा पृथ्वी, जल, वायु और आकाश की तरह अनंत है। वैदिक मतानुसार, मनुष्य ब्रह्म का अंश है, लेकिन माया और अविद्या से ढका हुआ। क्षमा इन आवरणों को हटाती है, और आत्मा को ब्रह्म से एकाकार करती है, जो देवत्व है।

वैदिक दर्शन में क्षमा को धर्म का अभिन्न भाग माना गया है। मनुस्मृति में लिखा है: “क्षमा धर्म का मूल है।” क्षमा से मनुष्य अपने विकारों पर विजय प्राप्त करता है, और देवत्व की ओर बढ़ता है। उपनिषदों में, जैसे बृहदारण्यक उपनिषद में, क्षमा को ‘तप’ का रूप कहा गया है। वैदिक दर्शन में क्षमा ‘कर्म योग’ का भाग है, जहां कर्म फल की अपेक्षा न करके क्षमा की जाती है। यह भावना मनुष्य को उसके अहंकार से मुक्त करती है, और ब्रह्म-ज्ञान प्रदान करती है।

जैन और वैदिक दर्शन दोनों ही क्षमा को आत्म-उन्नति का साधन मानते हैं, दोनों दर्शन क्षमा को विकार-नाशक मानते हैं। जैन के ‘क्षांति’ और वैदिक के ‘तितिक्षा’ समान हैं। दोनों में क्षमा मोक्ष का मार्ग है। क्षमा भावना मनुष्य में देवत्व की प्रतिष्ठा करती है, जैसा जैन और वैदिक दर्शन सिखाते हैं। जैन में यह अहिंसा का फल है, वैदिक में धर्म का। दोनों से प्रेरणा लेकर, हम क्षमा अपनाकर दिव्य जीवन जी सकते हैं। क्षमा से ही विश्व शांति संभव है। अंत में, क्षमा अपनाएं, देवत्व प्राप्त करें। (विनायक फीचर्स)

राजू कलाकार: ज़ीरो से हीरो बनने का सफ़र

0

पहली बार किसी सोशल मीडिया स्टार के जीवन पर आधारित फिल्म बन रही है

श्री रंग एंटरटेनमेंट के बैनर तले, निर्माता सुदर्शन वैद्य (शंभूभाई) और निर्देशक रॉकी मूलचंदानी एक ऐसे कलाकार की बायोपिक लेकर आ रहे हैं जो ज़ीरो से हीरो बनकर बॉलीवुड के दिग्गजों के दिलों को झकझोर रहा है। इस फिल्म का नाम फिलहाल “राजू कलाकार की अनकही कहानी” रखा गया है।

फिल्म के बारे में बात करते हुए, निर्माता शंभूभाई ने कहा कि यह सिर्फ़ एक कलाकार का जीवन नहीं है, बल्कि कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। राजू ने जिस तरह कई मुश्किलों का सामना करते हुए कला जगत में एक प्रमुख स्थान हासिल किया है, वह अकल्पनीय है। एक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किए गए संघर्ष के बाद राजू को जो बेमिसाल सफलता मिली, वह कई संघर्षरत लोगों का जीवन बदल सकती है।


फिल्म के निर्देशक रॉकी मूलचंदानी ने कहा, “फिल्म बनाने का हमारा मकसद युवाओं को एक संदेश देना है। अगर आप पूरी लगन से अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करेंगे तो आपको सफलता जरूर मिलेगी। एक आम इंसान की बायोपिक बनाने का विचार कैसे आया?” सवाल के जवाब में रॉकी कहते हैं, “यह एक आम इंसान की अनोखी कहानी है। जो दो पत्थरों को वाद्य यंत्र बनाकर लोगों को मधुर गीत सुनाता है। यह गीत इतना मशहूर हुआ कि करोड़ों लोग इसके दीवाने हो गए। इनमें बॉलीवुड के दिग्गज भी शामिल हैं। इसे एक बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है। दरअसल, राजू ने जीरो से हीरो तक का सफर तय किया है।

फिल्म लॉन्च के मौके पर मौजूद राजू ने कहा कि उनका सपना था कि कड़ी मेहनत से अपने परिवार का भरण-पोषण करने के साथ-साथ संगीत की दुनिया में भी नाम कमाएं। हालांकि, मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन उन्हें इतनी शोहरत मिलेगी कि बॉलीवुड के दिग्गज उनकी कला की कद्र करेंगे।

राजस्थान के नागौर निवासी राजू का मुख्य पेशा कठपुतली शो था, जिसमें वह ढोल बजाते थे। हालांकि, मुश्किलों का सामना करने के बावजूद राजू ने कभी हार नहीं मानी। राजस्थान में आय के स्रोत सीमित होने के कारण, वह गुजरात के सूरत आ गए। यहां उन्होंने छोटे-बड़े काम करके गुजारा किया। ट्रेन में सफर करते हुए मैंने दो पत्थरों को अपनी उंगलियों के बीच रखकर संगीत बनाते देखा और जल्द ही मैंने उस कला में महारत हासिल कर ली।”

हालांकि, मेरे जीवन में अहम मोड़ तब आया जब मेरे एक दोस्त ने एक रील बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर की। बहरहाल, जून में अपलोड किए गए वीडियो ने कमाल कर दिया। वीडियो में बेवफा सनम (1995) का गाना दिल पे चलाई चूड़ियां दो संगमरमर के पत्थरों के संगीत की धुन पर गाया गया था। यह वीडियो इतना वायरल हुआ कि इसे 17.4 करोड़ से ज़्यादा लोगों ने देखा, 44 लाख लोगों ने शेयर किया और इसे 1.61 करोड़ लाइक्स मिले।

बॉलीवुड के दिग्गज गायक सोनू निगम ने भी राजू की तारीफ़ की और उनके साथ मिलकर इस गाने का रीमेक बनाया, जिसका निर्माण टी-सीरीज़ ने किया। मशहूर कोरियोग्राफर रेमो डिसूज़ा ने भी उनका साथ दिया। मेरे जैसे आम आदमी पर फिल्म बनाने के लिए मैं शंभूभाई और रॉकीजी का शुक्रिया अदा करता हूँ। अंत में, निर्देशक रॉकी मूलचंदानी ने बताया कि फिल्म की स्क्रिप्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके साथ ही कलाकारों के चयन की प्रक्रिया भी पूरी कर ली जाएगी। फिल्म की शूटिंग इसी साल शुरू करने की योजना है।