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दीवाली में रॉनी रोड्रिग्स ने फिर दिखाई दरियादिली, दिया हाउसकीपिंग स्टाफ, सुरक्षा कर्मियों, कलाकारों को विशेष उपहार

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मुम्बई। भारत में दिवाली का त्यौहार सबसे बड़े पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह सभी भारतीयों के लिए एक विशेष त्योहार है और इसे हर धर्म के लोग बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं, दीये जलाते हैं, रंगोली सजाते हैं, आतिशबाजी करते हैं जिससे पांच दिन पूरा समाज जगमग हो उठता है। पर्ल ग्रुप ऑफ कंपनीज, जिसमें हाल ही में पीबीसी एजुकेशन एंड फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड शामिल हुई है, के सीएमडी रॉनी रॉड्रिग्स पिछले कुछ वर्षों से इस त्योहार को अपने आसपास के वंचित लोगों के साथ मनाते आ रहे हैं और उन्हें विशेष उपहार के साथ आर्थिक सहयोग भी करते हैं। दीवाली के पूर्व उन्होंने सांताक्रुज पश्चिम स्थित पूरे धीरज हेरिटेज परिसर के हाउसकीपिंग स्टाफ, सुरक्षा कर्मियों और छोटे कर्मचारियों की खुशी का स्तर बढ़ाया, जहां पर्ल ग्रुप ऑफ कंपनीज और पीबीसी एजुकेशन एंड फाइनैंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय स्थित हैं।


रॉनी द्वारा आयोजित दीवाली स्नेह मिलन समारोह में अभिनेता दीपक तिजोरी, अभिनेता पंकज बेरी, आरती नागपाल, ज्योति सक्सेना, निर्माता नीलेश मल्होत्रा, गायक-अभिनेता अरुण बख्शी और संगीतकार दिलीप सेन उपस्थित रहे। उसी अवसर पर दीपक तिजोरी ने कहा, यह आश्चर्यजनक है कि आज के युग में भी रॉनी रॉड्रिग्स जैसे लोग दूसरे लोगों की खुशी को सबसे ऊपर रखते हैं। मैंने इन सभी लोगों के चेहरे खुशी से चमकते हुए देखे हैं। रॉनी रॉड्रिग्स का भाव प्रेरणादायक है और मैं इस दिलचस्प व्यक्तित्व से मिलकर अभिभूत हूं।


रॉनी रॉड्रिग्स एक फिल्म पत्रिका सिनेबस्टर भी प्रकाशित करते हैं। पत्रिका के संपादक कीर्ति कुमार कदम और प्रेस फोटोग्राफर रमाकांत मुंडे बताते हैं कि रॉनी सर लाखों में एकमात्र ऐसे दरियादिल बॉस हैं जो अपने ऑफिस बॉय, मैसेंजर, ड्राइवर आदि सहित पूरे स्टाफ को छुट्टी मनाने के लिए विदेश ले जाते हैं। इस वर्ष भी, वह पर्ल ग्रुप ऑफ कंपनीज, सिनेबस्टर मैगज़ीन और पीबीसी एजुकेशन एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के कर्मचारियों को दिवाली मनाने के लिए लंदन ले जा रहे हैं।
रॉनी रोड्रिग्ज विनम्रतापूर्वक कहते हैं कि कुछ लेने के बजाय देने में विश्वास करता हूं। इन सभी लोगों से जो आशीर्वाद मुझे मिलता है उससे उत्कृष्टता प्राप्त करने की अतिरिक्त शक्ति मुझे मिलती है। ईश्वर ने मुझे वंचितों की मदद करने के लिए अपने दूत के रूप में चुना होगा। मैं इस अवसर पर आप सभी को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।

– संतोष साहू

धनतेरस धन्वंतरि देव की जयंती है धनतेरस की खरीददारी , उत्सव यानि देवता का दिन यानि शुभ दिन

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स्वाति व्यास – विभूति फीचर्स
हिन्दू धर्म आध्यात्म के मामले में अत्यंत सम्पन्न है। इसे संपूर्ण विश्व में आध्यात्म गुरू का दर्जा प्राप्त है। जिस धर्म
में तैंतीस करोड़ देवी देवताओं की मान्यता है वहां पूरा वर्ष उत्सवों और त्यौहारों से सजा-बंधा रहना कोई आश्चर्य की
बात नहीं। साथ ही भारत विविध धर्मानुयाइयों की आश्रयस्थली भी है अत: यहां वर्ष भर विविध धर्म व संप्रदायों के
उत्सव व त्यौहारों की छटा बिखरी रहती है। वर्ष के अंतिम अद्र्घांश से विशेषकर शारदीय नवरात्रि से ही भारतीय
जनमानस त्यौहारों की क्रमिक आमद के लिए तैयार हो जाता है। दुर्गा पूजा से लेकर देव उठनी एकादशी तक बाजार में
त्यौहारों की रौनक रहती है।

त्यौहार व उत्सव यानि देवता का दिन यानि शुभ दिन। इस दिन की गई खरीद-फरोख्त को जनमानस की विशिष्टï
स्वीकृति प्राप्त होती है। इसी परिप्रेक्ष्य में धनतेरस का िजक्र प्रासंगिक है। धनतेरस के विषय में हिन्दुओं की
मान्यता है कि इस दिन खरीददारी करना विशेष शुभ होता है।

धनतेरस धन्वंतरि देव की जयंती है। जी हां, ये वही धन्वंतरि हैं जो प्रसिद्घ गुप्त नरेश चंद्रगुप्त द्वितीय
विक्रमादित्य के नौ रत्नों में से एक थे। ऋग्वेद के उपवेद आयुर्वेद के रचयिता और आयुर्विज्ञान के प्रकाण्ड विद्वान।
ज्ञातव्य है कि चन्द्रगुप्त द्वितीय के दरबार में रस चिकित्सा के क्षेत्र में नागार्जुन और आयुर्वेद के क्षेत्र में धन्वंतरि ने
गुप्तकाल को स्वर्णयुग की उपाधि दिलाने में खासी भूमिका निभाई थी।

आयुर्वेद मूलत: प्राकृतिक माध्यमों के प्रयोग से स्वास्थ्य के विविध उपाय निकालने वाली चिकित्सा पद्घति है।
विविध औषधीय गुणों से युक्त पौधे एवं वृक्ष, उनकी छाल, पत्ते, फूल, फल, जड़ें, बीज और कंद भी आयुर्वेद में अपना
महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। स्पष्ट है यह प्रकृति व पर्यावरण से मानव को जोडऩे वाली चिकित्सा पद्घति है।
अनेक कहावतें कहती हैं कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है। धन्वंतरि इसी धन के रक्षक थे। इस संदर्भ में धन्वंतरि शब्द
में निहित धन का अर्थ स्वास्थ्य से है न कि लक्ष्मी से। किसी शब्द की गलत व्याख्या का एक उदाहरण प्रसिद्घ

समाजशास्त्री मैकिम मेरियट के शोध में भी मिलता है, जिसके अनुसार गोवर्धन शब्द का अर्थ है गायों का पोषण
वर्धन करने वाला (पर्वत) किन्तु आज उसे गोबर + धन के तौर पर गोबर का पहाड़ बनाकर मनाया जाता है।
भारतीय त्यौहारों के विषय में एक रोचक तथ्य यह भी है कि इसके अधिकांश उत्सव यथा मकर संक्रांति, बसंत पंचमी,
होली, बैशाखी, नवरात्र, दीपावली, ओणम आदि कृषि से जुड़े हुए हैं। चावल की फसल पर दीपावली है तो गेहं की फसल
पर बैसाखी। धनतेरस या दीपावली तक लगभग संपूर्ण भारत में या तो धान की फसल आ चुकती है या आने वाली
होती है। यही वह समय है जब किसान गाढ़े समय के लिए संग्रहित किया गया अनाज बाजार में बेचता है, क्योंकि एक
फसल तो लगभग तैयार ही हो चुकती है, अत: अपनी फसल बेचकर वह आने वाली फसल तक के लिए जरूरत का
सामान जुटाता है। आम तौर पर वर्षभर अभावग्रस्त रहने वाला किसान इस समय क्रयशक्ति रखता है।

हिन्दू धर्म में धनतेरस का अपना ही महत्व है। इसे मुख्यत: व्यापारियों, व्यवसायी वर्ग का त्यौहार माना जाता है। इस
उत्सव की मान्यता धन्वन्तरि देव से जुड़ी होने के कारण धनतेरस का चिकित्सक वर्ग में भी महत्व है। आम तौर पर
इस दिन खरीददारी करना अत्यंत शुभ माना जाता है, यही कारण है कि धनतेरस के मौके पर हाट बाजारों के अलावा
कपड़ा मार्केट, बर्तन भंडार और सराफा भी खासा गर्म रहता है। गिलासों के सेट से लेकर फर्नीचर, अलमारी, कूलर,
फ्रिज, पंखे, ए.सी., सायकल, मोटर सायकल, स्कूटर, कार, टी.वी., रेडियो, वी.सी.डी./डी.वी.डी. प्लेयर्स आदि समस्त
वस्तुओं की खरीददारी के लिए इस दिन का लगभग सारे साल इंतजार किया जाता है। धनतेरस के साथ यह मिथक
जुड़ा हुआ है कि इस दिन स्वर्ण खरीदने से सम्पन्नता आती है। इसकी पृष्ठभूमि में भी एक किसान खड़ा नजर आता
है, जो भारतीय समाज की वास्तविक मन:स्थिति को स्पष्ट करता है। यहां शासन द्वारा जारी की गई मुद्रा (करेंसी)
का निरंतर क्रमिक अवमूल्यन हो रहा है। स्वर्ण के मामले में यह गणना उल्टी हो जाती है, तब क्यों न गाढ़े समय के
लिए स्वर्ण खरीद कर भविष्य को सुरक्षित किया जाए। वस्तुत: यह विचार ही धनतेरस पर स्वर्ण की खरीदी को प्रश्रय
देता है, किंतु नौकरी पेशा व्यक्ति को, जिसे हर महीने बंधी-बंधाई तनख्वाह मिल रही है, पी.एफ. तथा पेंशन आदि की
सुविधाएं प्राप्त हैं उसे स्वर्ण खरीद कर जमा करने की आवश्यकता क्यों पडऩी चाहिए?

आज का बाजार इन मान्यताओं से भली-भांति अवगत है, यही कारण है कि दीपोत्सव के दौरान बाजार में अनेक
किस्म की ग्राहक पटाओ योजनाएं प्रस्तुत हो जाती है। नामी गिरामी कंपनियों की पैकेज डील योजनाएं यथा मात्र
15,000 रूपये में 52 सेमी. कलर टीवी. घर ले जाइये और साथ में ओटीजी मुफ्त उपहार पाइये… ऑफर सीमित समय के लिए… जल्दी कीजिए… कहीं मौका हाथ से निकल न जाए। वाशिंग मशीन के साथ वॉकमैन फ्री है तो टी.वी के साथ ट्रॉली। बाइक के साथ मोबाइल फ्री …. चाय के साथ बाउल फ्री, शैम्पू के साथ फेयरनेस क्रीम फ्री और तो और पत्रिकाओं के साथ भी आजकल कभी फेयरनेस सोप, कभी शैम्पू सैशे और कभी-कभी मैग्नेट या जायफल की माला फ्री दी जाने लगी है। अपना पुराना स्कूटर देकर नया वाहन प्राप्त करें। एक खरीदिये, दूसरा मुफ्त पाइये। एक गंजी बनियान के निर्माता ने एक जोड़ी की खरीद पर छ: मारूति ओमनी का ड्रॉ भी निकाला। लगता है ये अपना घर लुटाने पर तुले हैं।

पुन: यदि हर व्यक्ति सोना ही खरीदना चाहे तो बाकी बाजार ठप्प ही हो जाएगा, साथ ही सोना खरीदना सबकी क्षमता
के अंदर भी नहीं होता। अत: अन्य उत्पाद भी त्यौहारों के समय उपभोक्ता की जेब पर हमला बोलने को तैयार रहते हैं।
पहले स्वर्ण न खरीद पाने की दशा में लोग स्वर्ण जैसी दिखने वाली धातुओं यथा पीतल व कांसे के बर्तन खरीदा करते
थे। स्टेनलैस स्टील के आविष्कार के बाद रसोईघरों से कांसे व पीतल के बर्तन गायब होते चले गए और
अल्युमीनियम और स्टील उनके स्थानापन्न बन गए। आज भी मध्यमवर्ग का एक बड़ा भाग धनतेरस पर बर्तन
खरीदने को महत्व देता है। किंतु सारी भीड़ बर्तन बाजार ही खींच ले यह बाकी बाजार कैसे बर्दाश्त कर सकता है। अत:
इलेक्ट्रिकल्स, ऑटोमेटिक्स और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों से अटे पड़े गोदामों में हलचल सी आ जाती है। आज बाजार ने
हमारी नब्ज को पकड़ते हुए नवरात्रि से दीपावली तक के समय को खरीददारी महोत्सव में परिवर्तित कर दिया है।
दक्षिण भारत में यह खरीददारी महोत्सव ओणम के अवसर पर होता है, जिसकी उत्तर भारत को खबर भी नहीं होती।
खरीददारी महोत्सव की चकाचौंध एवं शोर में उत्सव की मूल भावना नेपथ्य में धकेल दी जाती है।

ख्यातिप्राप्त बहुराष्ट्रीय कंपनियों से लेकर स्वदेशी उत्पादों तक के अनेक लुभावने विज्ञापन, सुनहरे स्लोगन और
रूपहले दावे और वादे उपभोक्ता को भ्रमित कर देते हैं। हाल ही में किए गए एक सर्वे से ज्ञात हुआ है कि बाजारवाद की
हवा में बह कर अमेरिका व ब्रिटेन के संपन्न वर्ग ने अरबों डॉलर की ऐसी वस्तुएं अपने घरों में जोड़ रखी हैं जिनकी
लम्बे समय से पैकिंग तक नहीं खोली गई है। मात्र क्रयशक्ति प्रदर्शन हेतु और विज्ञापनों से प्रभावित होकर किया गया
फि$जूलखर्च। हर नयी वस्तु खरीदने की मनोव्याधि से ग्रसित पश्चिम इस बीमारी को निभाने लायक क्रयशक्ति भी
रखता है, वहां शॉपिंग जरूरत न होकर शगल है, लेकिन क्या भारतीय मध्यम व निम्न वर्ग मात्र चमकदार प्रचारों से
प्रभावित हो कर अपनी चुंधियायी आंखों के साथ बा$जार में घुस जाता है….? नहीं …… कतई नहीं। 1994 के गेट
समझौते के बाद भारतीय बाजार ने अपने द्वार विदेशी प्रोडक्ट के लिए खोल दिये, फलत: भारतीय बाजार विलासिता
से जुड़े सैकड़ों-हजारों सामानों से पट गया। किंतु प्रारंभिक दौर में इन मेहमानों को निराशा का सामना करना पड़ा। हम
फूटे पाइप की मरम्मत में विश्वास करते हैं। पंचर बनवाते हैं, टूट-फूट की रिपेयरिंग करवाते हैं, पुरानी दिखने लगी
गाड़ी की डेंटिंग पेंटिग करवाते हैं……. दूर क्यों जाएं रोजमर्रा में गोभी या बैंगन में इल्ली निकलने पर प्रभावित भाग
को काट कर फेंका जाता है न कि पूरी सब्जी को। यहां पर केवल मन भर जाने की वजह से फर्नीचर, वाहन, घर का पेंट
या अन्य उपकरण बदले नहीं जाते। हां, यह भी ध्यान देने योग्य है कि हम आवश्यकता के अनुसार धन खर्च करते हैं,
न सिर्फ करने के लिए धन खर्च करते हैं। यही कारण है कि आजादी के मात्र 75 वर्षों में हम चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था के
रूप में विश्व मंच पर उभरे हैं। फिर भी बाजार ने भारतीय उपभोक्ता की मानसिकता को बदलने के लिए आज नई
रणनीति तैयार कर ली है।

जाने कितने समय से भारत में दीपावली की रात जुआ खेलने की कुप्रथा जड़ें जमाए बैठी है। हमारे धर्मग्रंथों में जुए के
विरोध में लिखे उपदेश भी इस समय बेमानी हो जाते हैं। साल भर के संत भी इस दिन रस्म अदायगी के नाम पर
जुआरी बन ही जाते हैं। बाजार नई आक्रामक विपणन नीति में इस जुए को एक सशक्त प्रलोभन के रूप में प्रस्तुत

करता है। अपनी संशोधित, परिष्कृत व आक्रामक विपणन नीति तथा उच्च गुणवत्ता के कारण भारतीय बा$जार के
एक बड़े भाग पर मल्टीनेशनल्स ने कब्जा जमा लिया है और इसे चिरस्थायी या सदाजीवी बनाए रखने के लिए आज
बाजार ने त्यौहारों पर जुआ खेलने की पॉलिसी को खरीददारी का एक आवश्यक अंग बना दिया है। भारतीयों का
भाग्यवादी स्वभाव भी इस हेतु उत्प्रेरक का काम करता है। त्यौहारों के समय शायद ही ऐसी कोई बड़ी चीज उपलब्ध
होगी, जिसके साथ लकी ड्रॉ, स्क्रेच कार्ड, फ्री स्कीम, निश्चित उपहार, सौभाग्यवर्षा, नारियल फोड़ो, लूट लो, पटाखा
फोड़ो, हवा निकाल दे…., जीतो छप्पर फाड़ के, स्क्रेच एण्ड विन जैसी योजनाएं न हों।

वाशिंग मशीन या फ्रिज आदि की खरीददारी के साथ हर स्क्रेचकार्ड पर निश्चित उपहार…. लक्ष्मी आपके द्वार जैसी
लुभावनी पंक्तियों से प्रभावित और शोरूम में नुमाइश में रखी मोटर बाइक, टी.वी. आदि देखकर आप शोरूम में घुसते
हैं और निर्धारित कीमत चुका देने पर जब कार्ड स्क्रेच करते हैं तो उसमें 500 या 800 की (मुद्रित) कीमत वाला घटिया
सा वॉकमैन आपको सधन्यवाद थमा दिया जाता है। क्यों भाई…. आज तो सारी दुनिया में वॉकमैन की कोई पूछ ही
नहीं है, आपको ये वॉकमैन क्यों टिकाया जा रहा है। यदि आप इसे लेना अस्वीकार करें तो भी निर्धारित कीमत में से
500 या 800 रूपये मजाल है कि आपको वापस दिए जाएं। स्पष्टï है कि इस वॉकमैन की कीमत वस्तु में पहले से जुड़ी
है अर्थात यह फोर्स सेलिंग है। वास्तविकता यह है कि इन उपहार योजनाओं के माध्यम से मल्टीनेशनल्स आपको
अपने यहां का घटिया, बचा-खुचा और छंटा-छंटाया माल पकड़ा देते हैं। लेने वाला भी खुश कि चलो एक सामान फ्री
मिला और बेचने वाला भी कि भागते भूत की लंगोट सही। बुंदेलखंड में एक कहावत है कि जो न भाए आपको, देओ बहू
के बाप को। इसी तर्ज पर जो सामान और कहीं न बेचा जा सके वो यहां इम्पोर्टेड क्वालिटी का तमगा लगा कर कुछ
कम कीमत पर बेच दिया जाता है। फ्री स्कीम्स के जरिए मल्टीनेशनल्स भारतीय बाजार को डम्पिंग ग्राउंड बना रही
हैं। भारत में, त्यौहारों के देश में त्यौहारों से जुड़ी मान्यताएं उन्हें इस हेतु प्रोत्साहित भी करती है।
आज बाजार में एक ख्यातिप्राप्त कंपनी का माइक्रोवेव ओवन 6000 रूपये में उपलब्ध है साथ ही 4000 रूपये का एक
शानदार डिनर सेट, दस्ताने और कुकिंग स्पेशल सी.डी. भी खास आपके लिए…. ठीक है भाई….. हमें डिनर सेट नहीं
चाहिए, क्या आप 2000 रूपये में माइक्रोवेव दे सकते हैं….. जरा पूछ कर तो देखिए, नि:संदेह दुकानदार आपको बाहर का रास्ता दिखा देगा। 5990 रूपये के डी.वी.डी. प्लेयर के साथ 4000 रूपये की 10 डी.वी.डी. बिल्कुल मुफ्त मिल रही है पर बाजार डी.वी.डी. के बगैर 1990 रूपये में आपको प्लेयर नहीं देगा। आज बाजार आपको वह सामान भी थमा देता है जिसकी जरूरत आपको है ही नहीं।

भारतीय मध्यम व निम्न वर्ग सब्जी, किराना व अन्य $जरूरत के सामान लेने शॉपिंग करता है, शगल या शौक के
लिए उसके पास पैसा नहीं है। ऐसे में लुभावने झूठे विज्ञापनों व आक्रामक विपणन नीतियों द्वारा उसे जुआ खिलाना
और अनुपयोगी या कम उपयोगी वस्तुओं को खरीदने के लिए प्रेरित करना सरासर अनैतिक है। उपभोक्ता संरक्षण
अधिनियम 1986 के अंतर्गत यह दूषित व्यापार वृत्ति होने के कारण अवैध और आपराधिक है एवं दंडनीय भी है।

भारतीय उपभोक्ता को सामान बेचने का एक ही मूलमंत्र है कि सामान कम मुनाफे के साथ उन्हें बेचा जाए, उत्पाद की
कीमतें कम की जाएं।
चीन ने यह युक्ति आजमाई और भारतीय बा$जार को सस्ते खिलौने व अन्य इलेक्ट्रॉनिक आइटमों से पाट दिया। उसे
जबर्दस्त स्वीकार भी मिला लेकिन अतिशीघ्र घटिया गुणवत्ता के कारण वे चीजें भारतीय उपभोक्ता के दिमाग से उतर
गईं।
संदेश एकदम साफ है… भारतीय उपभोक्ता कम कीमत पर कम गुणवत्ता वाली वस्तु नहीं लेगा क्योंकि वह सस्ता रोए
बार-बार पर विश्वास करता है। महंगा खरीदने की उसकी क्षमता कम है अत: उच्च गुणवत्ता का सामान उसे उचित
कीमतों पर मिले। उसके साथ कोई लॉटरी या जुआ न हो, अनुपयोगी चीजें न थमाई जाए तो वह इन उत्पादों को जरूर
खरीदेगा।
यदि कोई वस्तु एक की कीमत पर दो बेची जा रही है तो आधी कीमत पर एक क्यों नहीं बेची जा सकती? खरीददार भी
तार्किक रूप से सोचे कि यदि धनतेरस के दिन कुछ खरीदने से घर में संपन्नता आती है, तो कुछ बेचने से विपन्नता
नहीं आएगी क्या? ऐसेे में दुकानदार तो कंगाल हो जाता होगा। यह आम आदमी के विश्लेषण का विषय है कि
धनतेरस पर व्यापारी-व्यवसायी कितना मुनाफा कमाते हैं। वस्तुत: धनतेरस खरीदने का नहीं बेचने का दिन है।
धन गंवाने का नहीं कमाने का दिन है। आधुनिक धन्वंतरि भी हर संभव तरीके से पैसा पीटने में लगे हैं। फिर आप क्यों
पीछे रहें…… हो सके तो अपने घर का कबाड़ा और अनुपयोगी वस्तुएं बेचकर कुछ धन कमा लें।
वैसे दीपावली सफाई का त्यौहार भी है। इस समय से गुलाबी जाड़ा आरंभ हो जाता है। प्रात: स्वच्छ हवा में टहलने का
संकल्प करें। इससे आपको उत्तम स्वास्थ्य का धन प्राप्त होगा, जो किसी भी ऊलजुलूल खरीददारी से कहीं बेहतर है।

दीपावली : गौ पूजन भारतीय संस्कृति में गाय

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डॉ. भुवनेश्वरी तिवारी – विभूति फीचर्स

धर्म’ भारतीय संस्कृति का मूलाधार है और हमारा देश भारत एक धर्मप्राण देश है। आचरण की दृढ़ता और कर्तव्य समुच्चय ही धर्म का स्वरूप है। धर्म व्यापक दृष्टि में यहां की हर वस्तु (जड़-चेतना) में देवत्व की प्रतिष्ठा है। भारतीय लोकसांस्कृतिक दृष्टि से 'गाय’ की महत्ता पर विचार करें तो इसका महत्व अक्षुण्य है। हमारी संस्कृति और समाज में गाय का सर्वोच्च स्थान है। पौराणिक ग्रन्थों में ;गाय’ की उत्कृष्टता सश्रद्ध है।

यथा- वेदादिर्वेदमाता च पौरूषं सूक्तमेव च।‘
त्रयी भागवततम् चैव द्वादशाक्षर एव च।
द्वादशात्मा प्रयागश्च काल: संवत्सरात्मक:।
ब्राम्हणाश्चाग्निहोत्रं च सुरभि द्र्वादशी तथा।
तुलसी च वसन्तश्च पुरूषोत्तम एव च।
एतेषां तत्वत: प्राज्ञेर्न पृथग्भाव इष्यते।
ऊंकार गायत्री, पुरुष सूक्त, तीनों वेद, श्रीमद भागवत, ऊं नमो भगवते वासुदेवाय-यह द्वादशाक्षर मंत्र, बारह मूर्तियों
वाले सूर्य भगवान, प्रयाग संवत्सर रूप, काल ब्राम्हण, अग्निहोत्र, गौ, द्वादशी तिथि, तुलसी, बसंत ऋतु और भगवान
पुरूषोत्तम इन सब में बुद्धिमान लोग वस्तुत: कोई अन्तर नहीं मानते।(श्रीमद् भागवत पुराण प्रथम खण्ड, अध्याय 3,
श्लोक क्रमश: 34, 35, 36)
नित्य प्रति गौ सेवा तुलसी चिंतन भागवत पाठ और भगवान चिन्तन के समान है। यथा-
उक्त भागवतं नित्यं कृतं च हरिचिंतनम्।
तुलसी पौषकं चैव धेनूनां सेवनं समम्।

(श्लोक 39 श्रीमद् भागवत प्रथम खण्ड अध्याय 3) जिस गऊ का स्थान ईश्वर के समकक्ष है वह नित्य सेवनीय,
वन्दनीय और पूज्यनीय है। भारतीय विश्वासानुसार गऊ भवसागर पार करने की नौका है। गऊ दान का महत्व जीवन
पर्यन्त है।
गऊ दान मृत्यु के समय एक पुनीत कार्य माना गया है। इतना ही नहीं वह धर्म अर्थ काम मोक्ष चारों पुरूषार्थ को देने
वाली है। हमारे धर्म ग्रन्थों में वर्णित आख्यानों के अनुसार जब पृथ्वी अनीति अत्याचार के भार से अधिक दुखी हुई
तब वह गऊ का रूप धारण करके ही भगवान विष्णु के पास गई थी और अपने उद्धार की प्रार्थना की थी।देव स्वरूप
गाय’ के अंग-अंग में देवताओं का वास है। इसका वत्स 'बछड़ा’ वृषभ या बैल कहलाता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि में वृषभ का योगदान कितना महत्वपूर्ण है, यह किसी से छिपा नहीं है। कृषि उत्पादन की वृद्धि के साथ हमारी सम्पन्नता बढ़ी और फिर धीरे-धीरे हमारी सभ्यता में विकास हुआ। फलत: वृषभ और उसकी जननी गाय को समाज में ऊंचा सम्मान और पूजा का स्थान दिया गया, गाय हमारी माता कहलाई, और वृषभ हमारी शक्ति
सम्पन्नता और कल्याण का प्रतीक बन गया। इसकी भी पूजा की जाने लगी। दीपावली के दूसरे दिन 'गोवर्धन पूजा’ के दिन परिवार के सभी पशुओं को नहला धुलाकर, उनके सींगों में गेरू लगाकर उनका श्रृंगार किया जाता है, और उनकी पूजा की जाती है। इसे गौधन पूजा भी कहते हैं। आगे चलकर वृषभ का चिन्ह या चित्र बनाया जाने लगा, और
इसे शुभ तथा मांगलिक माना जाने लगा। शिव वाहन को नन्दी के रूप में अधिक मान्यता मिली थी और मिलती भी
क्यों न। शिव साक्षात कल्याण की प्रतिमूर्ति जो ठहरे और उस कल्याण का वहन करने वाला वृषभ उनका नन्दी,
इसलिए वृषभ को सम्मान देने के लिये प्राय: नन्दी कहा जाने लगा। जैसे सभी वानरों को हनुमान कह दिया जाता है।
इसीलिए गोपद, अथवा वृषभ पद को नन्दी पद कहा जाने लगा। यह नंदीपद सर्वथा मांगलिक है। जिसका संबंध किसी
विशेष धर्म, सम्प्रदाय अथवा जाति से न होकर संपूर्ण समाज के कल्याण से है। गाय का दुग्ध पोष्याहार है। अर्थाजन
का साधन है।  दूध, दही, घृत का व्यवसाय इसी के बल पर होता है। गोबर ईंधन के काम आता है, कृषि के लिये खाद के रूप में प्रयुक्त होता है। गौ मूत्र औषधीय तत्व है। पंचगव्य का एक अंग है। गाय पृथ्वी पर कामधेनु स्वरूपा है। जिसकी सेवा से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। राजा दिलीप की गऊ सेवा विश्व विदित है। प्रागैतिहासिक प्रसंग आज भी प्रेरणादायक है। गाय की महिमा को दिग्दर्शित करती साहित्यकार न्यायविद रामचन्द्र शुक्ल की एक कविता यहां प्रस्तुत है-

संस्कृति की प्रतीक, भारतीयता का गौरव।
वैतरणी भव लोक की, तारती नरक रौख।
पयस्वनी, ममतामयी, वच्छवत्सला सुभदा।
संरक्षिका श्रद्धा विश्वास की निवारती विपदा।

जीवन की ज्योति पुंज, सुख स्वास्थ्य पोषिका।
मनोरमा शुभ श्यामा, धर्म सनातन उद्घोषिका।
धरती का स्वर्ग मन रमा रमणीय वर निरूपाय।
ऋद्घि-सिद्घि समृद्घि दायिनी धन्य पावन गाय। ऐसी सर्वथा मंगलमयी गाय वन्दनीय है। नित्य सेवनीय है।

काजल अग्रवाल और नरसिंह पंचम यादव के हाथों बिजनेसमैन डॉ. निकेश ताराचंद जैन माधानी को मिला ऑनरेरी डॉक्टरेट डिग्री एवं बिजनेस अवार्ड

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दिल्ली। वर्ल्ड पीस ऑफ यूनाइटेड नेशन यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित अशोक होटल दिल्ली में प्रसिद्ध अभिनेत्री काजल अग्रवाल एवं भारतीय पहलवान नरसिंह पंचम यादव के हाथों मुम्बई के बिजनेसमैन निकेश ताराचंद जैन माधानी को ऑनरेरी डॉक्टरेट डिग्री एवं बिजनेस अवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया। अब बिजनेसमैन डॉ. निकेश ताराचंद जैन माधानी के नाम से जाने जाएंगे।
इस विशेष कार्यक्रम में बॉलीवुड और साउथ की प्रसिद्ध एक्ट्रेस काजल अग्रवाल, भारतीय पहलवान नरसिंह पंचम यादव के अलावा श्याम जाजू (पॉलिटिशियन भारतीय जनता पार्टी), जय प्रकाश निषाद (मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट भारतीय जनता पार्टी), कपिल पाटिल (मिनिस्टर ऑफ स्टेट पंचायति राज भारतीय जनता पार्टी), कविता बजाज (सी ई ओ वर्ल्ड पीस ऑफ यूनाइटेड नेशन यूनिवर्सिटी) जैसे बड़ी हस्तियां उपस्थित रहे।

भाग्यश्री के हाथों फिल्म निर्माता और सोशल वर्कर संदीप नागराले ग्लोबल ग्लोरी अवार्ड 2023 से हुए सम्मानित

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मुंबई। मैंने प्यार किया फिल्म में सलमान खान के साथ अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाली प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री भाग्यश्री के हाथों फिल्म निर्माता और सोशल वर्कर संदीप नागराले ग्लोबल ग्लोरी अवार्ड 2023 से सम्मानित हुए। इस अवार्ड शो का आयोजन साकीनाका, अंधेरी पूर्व स्थित पेनिनसुला ग्रैंड होटल में समाजसेवक व बीजेपी नेता रामकुमार पाल और मुम्बई रफ्तार न्यूज चैनल के संचालक शैलेश पटेल ने किया।
आपको बता दें कि संदीप नागराले ने कुछ महीने पूर्व सुप्रसिद्ध मराठी गायक स्वप्निल बांदोड़कर की आवाज़ में एक एलबम बनाया है।
गौरतलब है कि सोशल वर्कर, बिजनेसमैन एवं फिल्म निर्माता संदीप नागराले पिछले कुछ वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। उन्होंने प्रोड्यूसर एसोसिएशन में अपना बैनर वी एस एन प्रोडक्शन रजिस्टर कर युवा पीढ़ी में जागरूकता लाने के लिए नशामुक्ति पर एक शॉर्ट फिल्म का निर्माण किया जिसे कई पुरस्कार प्राप्त हुए। साथ वे कई फैशन शो का आयोजन भी करते रहते हैं। लेकिन बॉलीवुड में उनका लक्ष्य कुछ बड़ा काम करना है। उन्होंने फिल्मों में काम करने वाले चालीस बौनों को लेकर फिल्म ‘आखिरी गब्बर’ बनाया जो कि एक तरह का अनूठा प्रयास रहा। फिर लॉकडाउन के दौरान कॉमेडियन सुनील पाल अभिनीत मराठी फिल्म ‘एक होता लेखक’ रिलीज हुई जिसमें वह सह-निर्माता के रूप में जुड़े थे। संदीप नागराले ने एक बड़े बजट की हिंदी फिल्म के निर्माण की योजना बना रहे हैं जो एक हिडन गैंगस्टर की कहानी होगी। इसकी स्क्रिप्ट को वह शीघ्र ही पूरी कर लेंगे फिर किसी नामचीन एक्टर को अप्रोच करेंगे।
संदीप का प्रयास रहता है कि फिल्म, टीवी, वेब सीरीज में नए प्रतिभाशाली लोगों को काम मिलता रहे।
बॉलीवुड सहित सामाजिक कार्यों में संदीप नागराले को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए महाराष्ट्र रत्न अवार्ड 2023 सहित लीजेंड दादासाहेब फाल्के अवार्ड, महाराष्ट्र रत्न अवार्ड और महात्मा गांधी रत्न अवार्ड भी मिल चुका है।

– संतोष साहू

मुंबई उपनगर को चकाचौंध करने के लिए पूरी तरह तैयार है ‘द हाट ऑफ आर्ट’

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मुंबई उपनगर को चकाचौंध करने के लिए पूरी तरह तैयार है ‘द हाट ऑफ आर्ट’
                         नेस्को, गोरेगांव (पूर्व), मुम्बई में ज्योति यादव और हर्षला विघे द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कला प्रदर्शनी ‘द हाट ऑफ आर्ट’ का उद्घाटन पिछले दिनों फिल्म अभिनेता बिंदु दारा सिंह और पुनीत इस्सर ने दीप प्रज्वलित कर किया। यह प्रदर्शनी कलाकारों के अखिल भारतीय प्रतिनिधित्व को देखने का एक अनूठा अवसर है। ‘द हाट ऑफ आर्ट’ में 500 से अधिक प्रतिभाशाली कलाकारों द्वारा बनाई गई 10,000 से अधिक कलाकृतियों के अद्भुत संग्रह के अलावा जटिल मधुबनी और वारली पेंटिंग से लेकर लघु पेंटिंग की विस्तृत सुंदरता, गोंड पेंटिंग की आदिवासी सुंदरता, जीवंत केरल भित्ति चित्र और आकर्षक चारकोल कलाकृतियों का अवलोकन करने का मौका कलाप्रेमियों को मौका मिलेगा। ‘द हाट ऑफ आर्ट’ के खजाने में, कलाप्रेमियों को वी.एस. गायतोंडे, और तैयब.माहेता, एस.एच.राजा, आर.एन.टैगोर,  मुगल किंग, ए.आर.चुगताई, मक्का मदीना, एस.एम पंडित जैसे कलाकारों की प्रसिद्ध पेंटिंग देखने का सौभाग्य मिलेगा। आर.मुलगाओकर, राजनंदिनी ‘बाय’ पाटिल प्रमुख संग्रह और एम.एफ. हुसैन, कई और प्रसिद्ध नामों के साथ जुड़ी ये उत्कृष्ट कृतियाँ कलाप्रेमियों के कल्पना को प्रज्वलित करेंगी और कलात्मक यात्रा के लिए प्रेरित करेंगी। ‘द हाट ऑफ आर्ट’ कला की सराहना से कहीं आगे जाता है। यह कार्यक्रम केपीसीटी फाउंडेशन के विशेष रूप से सक्षम कलाकारों को एक मंच प्रदान करता है, जिससे उन्हें अपनी अनूठी प्रतिभा और कृतियों को प्रदर्शित करने का मौका मिलता है। यह बच्चों को भी मंच उपलब्ध करता है, उनकी रचनात्मकता को पोषित और बढ़ावा देता है। समावेशिता और सशक्तिकरण के प्रति यह प्रतिबद्धता ‘द हाट ऑफ आर्ट’ को वास्तव में एक विशेष और हृदयस्पर्शी आयोजन के रूप में इंगित करती है। 9 से 11 नवंबर तक चलने वाले इस तीन दिवसीय कला प्रदर्शनी मुंबई उपनगर को चकाचौंध करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह कला उत्सव एक अविस्मरणीय अनुभव होने का वादा करता है।
प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय

मधुर शुगर्स के रॉबिन हुड आर्मी के साथ सहयोग ने 1000 चेहरों पर लाई मुस्कान

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Video Link: https://youtu.be/I6GhNtsx3GU

दिल्ली,10 नवंबर 2023: भारत के प्रमुख पैकेज्ड शुगर ब्रांडमधुर शुगर ने समाज के सभी वर्गों के बीच दिवाली के उत्सव की भावना को जगाने के लिए मधुर उत्सव‘ की शुरुआत की है। इस तरह की पहली स्वयंसेवी-आधारित पहल हाल ही में दिल्ली में 13 स्थानों पर रॉबिन हुड आर्मी के सहयोग से आयोजित की गई।

 

मधुर शुगर की टीम ने अपने कार्यकारी निदेशक श्री रवि गुप्ता के नेतृत्व मेंरॉबिन हुड आर्मी (आरएचए) के साथ मिलकर एक हज़ार घरों में राशन किट के साथ-साथ त्योहार की मिठाइयां भी बांटींजिससे उनकी दिवाली वाक़ई यादगार बन गई। लोकप्रिय फूड व्लॉगर गौरव वासन की भागीदारी से इस पहल को और बढ़ावा मिलाजिन्होंने स्वेच्छा से इस अभियान का हिस्सा बनने के लिए मधुर कैप्टन‘ के रूप में काम किया।

 

इस संयुक्त प्रयास ने 13 स्थानों पर लगभग 80-90 समर्पित आरएचए स्वयंसेवकों और 100 से अधिक मधुर कैप्टन को एकजुट कियाऔर सामूहिक रूप से इस त्योहारी मौसम में लगभग 1,000 चेहरों पर मुस्कान ला दी। यह एक बार में एक जीवन और एक मुस्कान के लिए मधुरता‘ फैलाने की मधुर शुगर की यात्रा की शुरुआत है।

 

मधुर शुगर के कार्यकारी निदेशकरवि गुप्ता ने अपना आभार व्यक्त करते हुए कहा, “इतने सारे लोगों के चेहरों पर मुस्कान देखना अभिभूत करने वाला क्षण था। मधुर शुगर में हम अपने चारों ओर मिठास फैलाने में विश्वास करते हैं। मधुर उत्सव उसी दिशा में एक कदम है। हम मधुर कैप्टन बनने के लिए स्वयंसेवकों को आमंत्रित करने की एक अनूठी अवधारणा पर काम कर रहे हैंजो इस मिशन के प्रमुख तत्व होंगे। हम इस पहल को पूरे देश में पूरे साल जारी रखना चाहते हैं।

 

इस अभियान का प्राथमिक उद्देश्य था, लोगों को इस उदार गतिविधि में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना। लोगों ने ज़बरदस्त प्रतिक्रिया दिखाई, वे सभी वंचित लोगों के जीवन में मिठास लाने के लिए बड़ी संख्या में सामने आए।

 

मधुर शुगर2007 में अपने लॉन्च के बाद से उपभोक्ताओं को स्वच्छता से पैक की गई चीनी को अपनाने की खूबियों के बारे में लगातार शिक्षित करने के लिए मशहूर रहा है। यह ब्रांड 95% भारतीय परिवारों के साथ जुड़ा हुआ हैजो खुली चीनी खरीदते हैं। ब्रांड उन्हें पैकेट वाली चीनी खरीदने के गुणों के बारे में जागरूक करता है।

 

यदि आप कुछ अलग करने का शौक रखते हैं और मुस्कुराहट फैलाने के मिशन में मधुर शुगर से जुड़ना चाहते हैंतो www.madhursugar.com/madhurutsav पर लॉग इन करें।

कैलिफोर्निया पिस्टैशियो ने जेनेलिया देशमुख की धमाकेदार दीवाली के जश्न को दिया खास अंदाज़

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मुंबई: बॉलीवुड अदाकारा जेनेलिया देशमुख दिवाली ताश पार्टी का आयोजन करने जा रही हैं और इस बार उन्होंने दीवाली का जश्न पोषण से भरपूर कैलिफोर्निया पिस्टैशियो के साथ मनाने का फैसला किया है। जेनेलिया अपनी सेहत को लेकर काफी सतर्क रहती हैं और वह चाहती हैं कि त्योहारों के अवसर पर हैल्दी स्नैकिंग को अपनाया जाए। यही कारण है कि उन्होंने आगामी दीवाली के जश्न के मद्देनजर कैलिफोर्निया पिस्टैशियो चुने हैं।
    जेनेलिया का मानना है कि कैलिफोर्निया पिस्टैशियो का क्रन्ची और नटी फ्लेवर उनके बॉलीवुड के दोस्तों को खासा पसंद है और यही वजह है कि इस त्योहारी सीज़न में यह पसंदीदा स्नैक बन चुका है। इस कैम्पेन में जेनेलिया के इस खास पहलू को देखा जा सकता है जिसमें वे अपने दोस्तों को एक यादगार जश्न की सौगात देने के लिए #DiwaliTaashParty का आयोजन कर रही हैं।
    दीवाली के मौके पर, जेनेलिया देशमुख ने कहा, “दीवाली दरअसल, जश्न में डूबने का सबसे उपयुक्त समय होता है और इस मौके पर हम अपने प्रियजनों के साथ यादगार अनुभवों को बुन सकते हैं। बेशक, यह समय होता है मिठाइयों और तेल-घी से भरपूर खानपान का, लेकिन हमें त्योहारों पर अपनी सेहत का मंत्र हमेशा याद रखना चाहिए। मुझे खुशी है कि मैं इस त्योहारी मूड और मौज-मस्ती को ध्यान में रखकर अपने घर आए मेहमानों के लिए ऐसे रोस्टेड कैलिफोर्निया पिस्टैशियो पेश करने जा रही हूं जो पोषक होने के साथ-साथ स्वादिष्ट हैं और साथ ही, अपराधबोध से भी दूर रखने वाले हैं। हम अपनी इस धमाकेदार दिवाली ताश पार्टी में अपने दोस्तों और फैमिली के लिए स्वादिष्ट कैलिफोर्निया पिस्टैशियो का स्वाद परोसेंगे।”
    तो फिर आप भी पीछे क्यों रहें, इस बार कैलिफोर्निया पिस्टैशियो के साथ आप भी मनाएं पिस्ता वाली दिवाली और अपने त्योहारी जश्न को दें स्वादिष्ट ट्विस्ट। पिस्टैशियो (पिस्ते) दरअसल, प्रोटीन, फाइबर, अनसैचुरेटेड फैट्स और विटामिन तथा मिनिरल्स के अच्छे स्रोत होते हैं और यही वजह है कि ये स्मार्ट स्नैक विकल्प के रूप में पसंद किए जाते हैं। आप भी अपने त्योहारों की मस्ती, खुशियों, मनोरंजन को पोषक तत्वों से भरपूर बनाएं और इस सीज़न में इस बेहद पसंदीदा मेवे का लुत्फ उठाएं!
    कैलिफोर्निया पिस्टैशियो देशभर में सभी ड्राइ फ्रूट और रिटेल स्टोर्स पर तथा सभी प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर उपलब्ध हैं।

केंद्रीय मंत्री परशोत्तम रूपाला के हाथों वीरेन्द्र जैन दिल्ली में सम्मानित

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इंदौर, 10 नवम्बर । राष्ट्रीय गोधन महासंघ द्वारा राष्ट्रीय गोवंश पर आधारित अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य एवं रोज़गार पर दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में वीरेन्द्र कुमार जैन
इंदौर को सुदर्शन सम्मान से सम्मानित किया गया । यह सम्मान गोमाता की भव्य मूर्ति एवं सम्मान पत्र देकर केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने किया ।देश विदेश में पंचगव्य चिकित्सा को स्थापित कर 14 लाख मरीज़ों का उपचार कर विश्व रिकॉर्ड बनाने एवं देश की गौशालाओं के स्वावलंबन के चलाये जा रहे अभियान के लिए किया गया।

वीरेन्द्र कुमार जैन द्वारा पशुपालन एवं डेयरी मंत्री को देश की 19 हज़ार गौशालाऔं के लिए पंचगव्य थैरेपी की दवाइयाँ और पारंपरिक प्राकृतिक खेती के लिए पंचगव्य आधारित आदान की ट्रेनिंग हेतु प्रपोज़ल भी दीया गया। इस हेतु बेरोज़गारों को ट्रेनिंग देकर रोज़गार देने, आएमपी डॉक्टर्स को पंचगव्य थैरेपी की ऑनलाइन ट्रेनिंग एवं आयुर्वेद डॉक्टर एवं बीएएमएस स्टूडेंट्स को भी आनलाइन ट्रेनिंग देने का प्रस्ताव भी दीया गया।इस अवसर पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंदजी , विश्व हिंदु परिषद के कार्याध्यक्ष अलोककुमार,संकल्प के फाउंडर संतोष तनेजा, उत्तराखंड पं राजेंद्र अंथवाल एवं हरियाणा के राज्य गौसेवा आयोग के अध्यक्ष श्रवण कुमार गर्ग एवं राष्ट्रीय गौधन महासंघ के संयोजक विजय ख़ुराणा सहित पूरे देश से आये प्रतिनिधि उपस्थित थे।

निहारिका रायज़ादा “आद्रिका” के साथ मलयालम सिनेमा में कदम रखेंगी: ममूटी और मोहनलाल से आशीर्वाद की उम्मीद।

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आईबी 71 और सूर्यवंशी की मशहूरी प्राप्त करने वाली निहारिका रायज़ादा अब मलयालम में अपने डेब्यू करने के लिए तैयार हैं, और अपने डेब्यू के लिए मोहनलाल और मम्मूट्टी से आशीर्वाद पाने के सपने देख रही हैं।

निहारिका रायज़ादा को थ्रिलर टाइटल “आद्रिका” में देखा जाएगा, जिसमें डोनोवन वोडहाउस भी होंगे।

हाल ही में हुई मीडिया इंटरेक्शन में उत्साहित रायज़ादा ने अपनी एक्साइटमेन्ट व्यक्त की, उन्होंने अपनी आकांक्षा को जताते हुए कहा, “मैंने हमेशा कहा है कि मैं भारत में हर भाषा में फिल्म बनाना चाहती हूँ।” और जोर दिया, “तो अंत में, मैं मलयालम में डेब्यू कर रही हूँ, और मैं बहुत उत्सुक हूँ।”

“आद्रिका” राष्ट्र की एकता का साक्षात्कार है, जो स्थानीय सीमाओं को पार करता है। रायज़ादा ने फिल्म के अनोखे टैलेंट का जिक्र करते हुए कहा, “टीम उत्कृष्ट है, जिसमें पैन इंडियन स्पिरिट है। हमारे पास एक बंगाली निर्देशक हैं, एक तमिल डीओपी है, और हिंदी कलाकार मलयालम सिनेमा में अपनी पहचान बना रहे हैं।”

इस वेंचर को और भी विशेष बनाने वाली बात यह है कि रायज़ादा की जज्बाती इच्छा है मलयालम सिनेमा के दिग्गजों, मोहनलाल और ममूटी से आशीर्वाद मिले। उन्होंने इस भावना को शेयर करते हुए शूटिंग से एक स्नैपशॉट शेयर किया, जिसे कैप्शन दिया, “राजाओं से आशीर्वाद लेते हुए @mammootty और @mohanlal.”

फिल्म का नेतृत्व बंगाली निर्देशक अभिजीत अध्या द्वारा किया जा रहा है और जयकुमार थांगावेल मूवी के डीओपी हैं।

अब देखना यह हैं की यह फिल्म कब रिलीज़ होगी और बॉक्स-ऑफिस पर कितना कमाल दिखा पाएगी, क्योंकि फेन्स को इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार रहेगा.