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उत्तराखण्ड समर्पण की है भूमि इस धरा ने सदैव हमें प्रेरणा देने वाले व्यक्तित्व दिए हैं-पुष्कर सिंह धामी

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उत्तराखण्ड समर्पण की है भूमि.. इस धरा ने सदैव हमें प्रेरणा देने वाले व्यक्तित्व दिए हैं..
-पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड

संजय बलोदी प्रखर
मीडिया समन्वयक उत्तराखण्ड प्रदेश

 

देहरादून, 12जनवरी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में मरणोपरांत ‘तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार-2022’ से सम्मानित देवभूमि उत्तराखण्ड की बेटी पर्वतारोही स्व0 सविता कंसवाल के पिताजी राधेश्याम कंसवाल ने सपरिवार भेंट की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड समर्पण की भूमि है और इस धरा ने सदैव हमें प्रेरणा देने वाले व्यक्तित्व दिए हैं। साधारण से परिवार में जन्मी स्व0 सविता कंसवाल और उनका पूरा परिवार भी इस गौरवमयी यात्रा के अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि उत्तराखण्ड की बेटी को साहस, दृढ़ संकल्प के लिए राष्ट्रीय गौरव स्वरूप राष्ट्रीय साहस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि निश्चित ही स्व0 सविता कंसवाल प्रदेश के युवाओं के लिए सदैव प्रेरणापुंज के रूप में बनी रहेंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नासिक में 27वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव का किया उद्घाटन

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नासिक। भारत के आदर्श महापुरुष स्वामी विवेकानंद जी की 161वीं जयंती के शुभ अवसर मनाये जाने वाले राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित 27वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव 2024 का उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। 12 जनवरी से 16 जनवरी तक कुंभ नगरी नासिक में 27वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री, रोड शो के माध्यम से आयोजन स्थल (तपोवन मैदान) पर पहुँचे। कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में 1 लाख से भी ज्यादा लोग शामिल हुए।
देश भर से आये हज़ारों युवाओं के इस महाकुंभ के उद्घाटन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, “आज भारत की युवा शक्ति का दिन है। यह दिन उस महान आदमी को समर्पित है जिन्होंने गुलामी के दिनों में भारत को नई ऊर्जा से भर दिया।… स्वामी विवेकानंद की जन्म-जयंती पर यहाँ होकर मुझे खुशी है… राष्ट्रीय युवा दिवस पर मेरी शुभकामनाएं। आज राजमाता जीजा बाई की जयंती है, जो भारत में ‘नारी शक्ति’ का प्रतीक है। आज के भारत के युवा मानते हैं कि ‘विकास और प्रबलता’ दोनों हासिल करना है। मुझे इस पीढ़ी के युवा में विश्वास है क्योंकि देश के युवा आत्मसमर्पण करने को तैयार नहीं है। मेरा मानना है कि युवा, भारत को नए ऊचाइयों तक पहुंचाएगा। मैं आज के युवा को भारत की सबसे भाग्यशाली पीढ़ी मानता हूँ, जिनके हाथ में अपनी पहचान बनाने का सुनहरा अवसर है। भारत दुनिया का विनिर्माण हब बन रहा है, इसका श्रेय देश के युवाओं को जाता है।

उद्घाटन समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, मुख्यमंत्री एकनाथ संभाजी शिंदे, केंद्रीय खेल व युवा मामलों के मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. भारती पवार, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, महाराष्ट्र के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता सरंक्षण मंत्री छगन भुजबल, महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखें-पाटिल, पंचायत राज व ग्रामीण विकास मंत्री दादाजी भूसे, महाराष्ट्र के खेल व युवा मामलों के मंत्री संजय बँसोड़े, महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य चंद्रशेखर बावनकूले व तमाम लोकसभा सांसद और विधायक मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने स्वामी विवेकानन्द के संदेश को दोहराया, “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए।
इस पांच दिवसीय उत्सव में देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के कलाकार भाग ले रहें है। इसमें नृत्य, गायन, भाषण, फोटोग्राफी, पोस्टर मेकिंग, कहानी लिखना, सुविचार, युवा कृति, साहसिक गतिविधियां शामिल हैं। इन कार्यक्रमों के साथ-साथ महाराष्ट्र राज्य के उभरते कलाकारों, उद्यमियों और शोधकर्ताओं के लिए महाराष्ट्र युवा एक्सपो के माध्यम से एक विशेष मंच प्रदान किया गया है।

रुस्तमजी ग्रुप ने बांद्रा पूर्व में लॉन्च किया अपना नया प्रोजेक्ट ‘रुस्तमजी स्टेला’

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बांद्रा पूर्व में कंपनी का छठा प्रोजेक्टअपनी मौजूदगी को किया और मजबूत
मुंबई, 12 जनवरी, 2024- मुंबई के अग्रणी और प्रसिद्ध रियल एस्टेट डेवलपर्स में से एक रुस्तमजी ग्रुप ने आज मुंबई के बांद्रा पूर्व इलाके में अपना नया प्रोजेक्ट रुस्तमजी स्टेला’ को लॉन्च करने की घोषणा की। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य एक बेहतर और संतुलित जीवनशैली को बढ़ावा देना हैजहां रहने वाले लोग शहरी जीवन को अपना सकें और साथ ही काम तक पहुंच बढ़ा सकें। इस प्रोजेक्ट में 2 बीएचके और 3 बीएचके अपार्टमेंट बनाए जाएंगेजिनका कार्पेट एरिया 679 वर्ग फुट से 942 वर्ग फुट तक होगा। पुनर्विकास कंपनी के लिए एक मजबूत फोकस क्षेत्र बना हुआ हैऔर यह बांद्रा पूर्व में पुनर्विकास के लिए शुरू की गई कंपनी की छठी परियोजना है।
कंपनी की योजना हरेक तिमाही में एक प्रोजेक्ट लॉन्च करने की है और इस वित्त वर्ष में रुस्तमजी पहले ही 2250 करोड़ रुपए की जीडीवी वाली 4 परियोजनाएं लॉन्च कर चुके हैं। वित्त वर्ष 24 के लिएकंपनी ने 5100 करोड़. रुपए की अनुमानित जीडीवी के साथ कुल 5 प्रोजेक्ट और जोड़े हैं। कुल मिलाकर 34 पूरे प्रोजेक्ट के साथ कंपनी अब तक लगभग 1,400 परिवारों को आशियाना उपलब्ध करा चुकी है।
रुस्तमजी स्टेला प्रोजेक्ट को मध्य-शताब्दी की आधुनिक शैली के कॉन्सेप्ट के साथ डिजाइन किया गया हैजो खुली हरी जगहकुदरती खूबसूरती और सरल पैटर्न पर ध्यान केंद्रित करता है। इस तरह यह प्रोजेक्ट दूसरे प्रोजेक्ट की तुलना में अलग ही नजर आता है। अपार्टमेंट इस तरह डिजाइन किए गए हैंजो इनमें रहने वाले लोगों के लिए अधिक आरामदेह और उपयोगी साबित होंगे। साथ हीसभी अपार्टमेंट में काम करने के लिए पर्याप्ट स्थानगोपनीयताअधिकतम प्राकृतिक वेंटिलेशन और प्रकाश व्यवस्था प्रदान करने का भी पूरा ध्यान रखा गया है।
इस प्रोजेक्ट में सुविधाएं तीन स्तरों पर विस्तृत की गई हैं। भूतल पर बच्चों के खेलने का क्षेत्रकई हरे पॉकेट और साथ ही यहां रॉक क्लाइंबिंग वॉल भी होगी। पहली मंजिल पर जिम्नेजियमइनडोर गेम और पार्टी एरिया जैसी सुविधाएं भी होंगी। इसके अतिरिक्तछत पर 5 जोन में वर्गीकृत 25 से अधिक सुविधाएं होंगी- स्पोर्ट्सइवेंट्सवरिष्ठ नागरिक क्षेत्रथिएटर और मल्टीपरपज जोन। इनमें एक हर्ब गार्डनयोग डेकआकाश वेधशालाएम्फीथिएटर सिटिंगलुकआउट बारमल्टीपरपज कोर्ट और अन्य बहुत कुछ शामिल हैं।
रुस्तमजी ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर श्री बोमन ईरानी ने कहा, ‘‘बीकेसी और उसके आसपास के इलाके एक प्रीमियम आवासीय केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं। इसका कारण यह है कि यहां आसपास बड़ी संख्या में कॉमर्शियल सेंटर हैंसाथ ही इस इलाके में महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थान भी संचालित किए जा रहे हैं और यह इलाका एक अच्छी तरह से स्थापित मॉडर्न सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर के करीब है। इस तरह आने जाने में लगने वाले समय की बचत होती है और साथ ही मुंबई के केंद्र में रहने का अनूठा अवसर भी मिलता है। खेरनगर ऐसा ही एक इलाका हैऔर रुस्तमजी स्टेला के लॉन्च की घोषणा करते हुए हमें बहुत खुशी हो रही है। रुस्तमजी में हम खरीदारों को अनेक विकल्प प्रदान कर रहे हैंताकि वे अपनी पसंदीदा लोकेशन का चुनाव कर सकें। इस प्रोजेक्ट के साथ हम खेरनगर के परिदृश्य को बदलने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। रुस्तमजी स्टेला में रहने वाले लोगों को हम उच्च-स्तरीय सुविधा के साथ बेहतर जीवन की सुविधा प्रदान करेंगे।’’
रणनीतिक रूप से खेरनगर में स्थितबांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के करीब होने के कारणनिवासी आसानी से शहर के सभी हिस्सों में आवागमन कर सकते हैं। रुस्तमजी स्टेला उन घर खरीदारों के लिए एक स्मार्ट अपग्रेड है जो एक संतुलित जीवन शैली की विशेषता वाली उच्च जीवनशैली की तलाश में हैं। यह न केवल उन्नत कनेक्टिविटी के साथ आधुनिक सुविधाएं प्रदान करता हैबल्कि लोगों का समय भी बचाता है और उनकी बेहतरी की चिंता भी करता है।
रुस्तमजी स्टेला बांद्रा के माइक्रोमार्केट में कंपनी का छठा प्रोजेक्ट है। कलानगर में स्थित इसकी पहली दो आवासीय परियोजनाओंरुस्तमजी ओरियाना और रुस्तमजी सीज़न्स को घर खरीदारों की ओर से शानदार रेस्पॉन्स मिला है। इसके अतिरिक्तखेरनगर में स्थित रुस्तमजी एरिका 84 प्रतिशत बिक चुका है और वर्तमान में निर्माणाधीन है। यह 23 महीनों में सबसे तेजी से निर्मित प्रोजेक्ट में से एक है।

प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन और मुंबई’

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(सन्दर्भ : पुस्तक ‘रूदाद-ए-अंजुमन’)
13 जनवरी को मुंबई में
मुंबई। ‘जनवादी लेखक संघ’ की महाराष्ट्र यूनिट और ‘शोधावरी’ संयुक्त रूप से आगामी 13 जनवरी शनिवार को ‘प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन और मुंबई’ (सन्दर्भ : पुस्तक ‘रूदाद-ए-अंजुमन’) विषय पर एक वैचारिक गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में  कवि—आलोचक विजय कुमार,  प्रोफ़ेसर हूबनाथ पांडेय (मुंबई यूनीवर्सिटी), संस्कृतिकर्मी कामरेड सुबोध मोरे,  डॉ.अब्दुल्लाह इम्तियाज़ (हेड ऑफ़ द डिपार्टमेंट उर्दू, मुंबई यूनीवर्सिटी),
ऊर्दू लेखक वक़ार क़ादरी,  रमन मिश्र (परिदृश्य प्रकाशन), वरिष्ठ पत्रकार विमल मिश्र, लेखक—आलोचक ज़ाहिद ख़ान और मुख्तार खान इस विषय पर अपनी बात रखेंगे।
 यह वैचारिक गोष्ठी ‘जे.पी.नाइक भवन सभागृह विद्यानगरी परिसर’, मुंबई विश्वविद्यालय में सुबह 11 बजे से आयोजित होगी।
    मुंबई, ‘प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन’ का हमेशा मरकज़ रहा है।  मुंबई ही से जहां ‘भारतीय जन नाट्य संघ’ यानी इप्टा का 25 मई 1943 को आग़ाज़ हुआ, तो प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रव्यापी विस्तार में भी मुंबई से जुड़े अदीबों, शायरों और कलाकारों का अहम योगदान है।
 साल 1946—47 में ‘अंजुमन तरक़्क़ीपसंद मुसन्निफ़ीन’ ( प्रगति शील लेखक संघ) की मुंबई शाख़ बेहद सक्रिय थी।
 उसके जलसे बड़ी पाबंदी से अंजुमन के किसी न किसी सदस्य के घर पर हफ़्तावार आयोजित हुआ करते थे। हमीद अख़्तर, अंजुमन के सेक्रेटरी की हैसियत से उन जलसों की बाक़येदा रिपोर्ट लिखकर, मुंबई के हफ़्तावार अख़बार ‘निज़ाम’ में पाबंदी से प्रकाशित किया कराते थे। यह तरक़्क़ीपसंद तहरीक प्रोग्रेसिव मूमेंट  के उरूज का ज़माना था। और इस तहरीक से मुताल्लिक़ तक़रीबन सभी बड़े नाम सज्जाद ज़हीर, अली सरदार जाफ़री, मजरूह सुल्तानपुरी, कृश्न चंदर, जोश मलीहाबादी, सआदत हसन मंटो, ख़्वाजा अहमद अब्बास, अख़्तर-उल-ईमान, विश्वामित्र ‘आदिल’, इस्मत चुग़ताई, सुल्ताना बेगम, मजाज़, कैफ़ी आज़मी, मीराजी, साहिर लुधियानवी, प्रेम धवन, मधुसूदन और ज़ोए अंसारी इसके अलावा बाद के दिनों में अज़ीज़ क़ैसी, इनायत अख्तर और भी कई बड़े नाम उस वक़्त मुंबई में मौजूद थे। वे इन हफ़्तावार अदबी जलसों में शरीक  होते थे।
1946-47 का ज़माना तरक़्क़ीपसंद तहरीक के लिए इस लिहाज़ से भी अहम था कि उस ज़माने में देश में आज़ादी की लहर चारों ओर थी। तरक़्क़ीपसंद तहरीक से जुड़े सभी अदीब, आज़ादी की इस जद्दोजहद का एक इंतिहाई सरगर्म हिस्सा थे। लिहाज़ा इन जलसों की रूदाद और उसके रिकार्ड की यक़ीनन तारीख़ी हैसियत है।
1946-47 के डेढ़ बरसों में ‘अंजुमन तरक़्क़ीपसंद मुसन्निफ़ीन’   ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ की मुंबई शाख़ ने जो हफ़्तावार जलसे किये, उनकी रूदाद (रिपोर्ताज़) किताब ‘रूदाद-ए-अंजुमन’ में मौजूद है। इसी महत्वपूर्ण किताब को केन्द्र में रखकर, इस विचारगोष्ठी का आयोजन ‘जनवादी लेखक संघ’ और ‘शोधावरी’ (मुंबई यूनीवर्सिटी की शोध पत्रिका) संयुक्त रूप से कर रहे हैं।
इस  विचारगोष्ठी का उद्देश्य प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन में मुंबई के योगदान को रेखांकित करना है। इस मौक़े पर ‘रूदाद—ए—अंजुमन’ (हिंदी एडिशन) और ‘तरक़्क़ीपसंद तहरीक के हमसफ़र’ (उर्दू एडिशन) का भी लोकार्पण किया जाएगा।
गौरतलब है कि प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ी अहम शख़्सियात पर केन्द्रित ‘तरक़्क़ीपसंद तहरीक के हमसफ़र’ का हाल ही में उर्दू अनुवाद आया है। जिसके अनुवादक हनीफ़ अव्वल (भोपाल) हैं।  यह किताब ‘किताबी दुनिया’, नई दिल्ली ने प्रकाशित की है।
आप सभी से निवेदन है कि  13 जनवरी को  मुंबई यूनिवर्सिटी में होने जा रहे इस कार्यक्रम में आप ज़रूर उपस्थित रहें ।

भगवान श्रीकृष्ण भी गाय की सेवा करके गोपाल, गोविन्द आदि नामों से पुकारे गये

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गाय को माता माना जाता है, आखिर क्‍यों?
भगवान श्रीकृष्ण भी गाय की सेवा करके गोपाल, गोविन्द आदि नामों से पुकारे गये। जब तक गौ आधारित स्वावलंबी खेती होती रही तब तक भारत विकसित धनवान राष्ट्र रहा। आज हम अहिंसाधाम के माध्यम से पुनः भारत विकसित धनवान राष्ट्र बने उसी दिशा की तरफ काम कर रहे है।

गाय को भारत में मां की तरह पूजा जाता है। गाय के दूध के पोषण के अलावा भी इसके कई सारे कारण हैं – गाय में मानवी भावनाएं होती हैं और आत्मा के विकास की प्रक्रिया में यह इंसानों के करीब है…

गाय को भारत में मां की तरह पूजा जाता है। गाय के दूध के पोषण के अलावा भी इसके कई सारे कारण हैं – गाय में मानवीय भावनाएं होती हैं और आत्मा के विकास की प्रक्रिया में यह इंसानों के करीब है…

मानवता के इतिहास में भोजन कभी इतना व्यवस्थित नहीं रहा जितना कि आज है। आज हालत यह है कि अगर आपके पास पैसा है तो आप एक स्टोर में जाइए और साल भर की खाने की चीजें खरीद लीजिए। इस सामान को लेकर घर जाइए और आराम से रहिए।

अगर आप जीव हत्या करते हैं तो कम से कम इन दो जानवरों की हत्या करने से तो आपको बचना ही चाहिए, क्योंकि इन दोनों में इंसान बनने की पूरी संभावना छिपी है। इन्हें मारना किसी इंसान की हत्या करने जैसा ही है।
फिर साल भर तक खाने का सामान खरीदने के लिए आपको घर से बाहर निकलने की कोई जरूरत नहीं। आज से 25-30 साल पहले तक ऐसा संभव नहीं था। हजारों सालों के मानव- इतिहास में भोजन हमेशा से एक महत्वपूर्ण मसला रहा है। अब जाकर हमारा ध्यान भोजन के अलावा दूसरी चीजों की ओर जा रहा है, क्योंकि खानपान की चीजें इतनी व्यवस्थित हो गई हैं कि साल भर हर समय ये उपलब्ध हैं। जबकि पहले ऐसा नहीं था।

गाय का दूध पवित्र है
हर संस्कृति में, हर समाज में अकाल पडऩा सामान्य सी बात थी। हमारी संस्कृति में गावों में ऐसी मान्यता थी कि अगर आपके घर में गाय है तो अकाल की स्थिति में भी आपके बच्चे जीवित रहेंगे। सीधी सी बात थी कि अगर गाय नहीं है तो आपके बच्चे मर जाएंगे। जाहिर है, ऐसे में गाय मां के जैसी हो गई। जब हमारी मां हमें स्तनपान नहीं करा पाती थी और दूसरा भोजन हमें नहीं मिलता था तो गाय ही हमारे लिए मां की तरह होती थी। हम में से हर कोई किसी न किसी समय भोजन और पोषण के लिए गाय के दूध पर निर्भर रहा है। इसलिए गाय का दूध बहुत पवित्र बन गया, क्योंकि यह जीवन को पोषण देता है।

हर संस्कृति में, हर समाज में अकाल पडऩा सामान्य सी बात थी। हमारी संस्कृति में गावों में ऐसी मान्यता थी कि अगर आपके घर में गाय है तो अकाल की स्थिति में भी आपके बच्चे जीवित रहेंगे।
अपने बच्चे को पिलाने के बाद जो भी दूध बचता है, गाय हमें उसे लेने की इजाजत दे देती है, ऐसा हम मानते हैं। लेकिन वह हमें इजाजत दे या न दे, हम उसका दूध ले ही लेते हैं क्योंकि उस दूध से हमारा पोषण होता है। गाय हमारे लिए दूसरी मां है। इसीलिए हमारी संस्कृति में गाय को पवित्र माना गया है।
दूसरी वजह यह है कि गाय में काफी कुछ इंसानों जैसे भाव होते हैं। गाय एक ऐसा जानवर है, जो आपके दुख तकलीफ को समझती है। मान लीजिए आप परेशानी में हैं, गाय आपकी परेशानी को महसूस करती है और आपके कष्ट पर आंसू भी बहाती है। यही वजह है कि भारत में कहा जाता है कि आपको गाय की हत्या नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इसके भाव बहुत कुछ इंसानों के भाव जैसे होते हैं।
गाय के साथ लोगों के बड़े गहरे संबंध रहे हैं। हालांकि आज ऐसा नहीं है। अधिकतर गायें डेरियों में हैं जहां लोग उन्हें दुहना और बस दुहना जानते हैं। वैसे गांवों में आज भी गाय के साथ लोगों के बड़े नजदीकी संबंध हैं और वो उसकी बड़े प्यार व जतन से देखभाल करते हैं।
गाय विकास की प्रक्रिया में इंसानों के पास है
हमारी संस्कृति में गायों और सांपो को पवित्र माने जाने की एक और वजह भी है। आत्मा के विकास की प्रक्रिया में इन्हें जरूरी कदम माना गया हैं। आपको हमेशा बताया गया कि इन दोनों जानवरों को नहीं मारना चाहिए। अगर आपके मन में हर जीव के लिए इतनी दया हो तब तो और भी अच्छी बात है, लेकिन अगर आप जीव हत्या करते हैं तो कम से कम इन दो जानवरों की हत्या करने से तो आपको बचना ही चाहिए, क्योंकि इन दोनों में इंसान बनने की पूरी संभावना छिपी है। इन्हें मारना किसी इंसान की हत्या करने जैसा ही है। ये दोनों इंसान के इतने नजदीक हैं।

भंवर लाल कोठारी की स्मृति में पहला सम्मान समारोह बीकानेर में- डॉ. वल्लभभाई कथीरिया को ‘राष्ट्रीय गो उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार’ दिया जाएगा

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गौ विज्ञान के चिंतक-अध्येता स्वर्गीय भंवर लाल कोठारी की स्मृति में पहला सम्मान समारोह बीकानेर में-
डॉ. वल्लभभाई कथीरिया को राजस्थान गो सेवा परिषद द्वारा प्रथम ‘राष्ट्रीय गो उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार’ दिया जाएगा: डॉ. ए. के. गहलोत

डॉ. आर. बी. चौधरी

नई दिल्ली/चेन्नई/बीकानेर: राजस्थान गौ सेवा परिषद, ने ‘गौ टेक-2023’ के दौरान स्व. भंवर लाल जी कोठारी की स्मृति में ‘गो उद्यमिता प्रोत्साहन’ के क्षेत्र में प्रथम पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की थी। ग्लोबल कनफेडरेशन पर को बेस्ड इंडस्टरीज-जीसीसीआई के संस्थापक डॉ. कथीरिया को गौ सेवा और उनके अथक प्रयासों के लिए 13 जनवरी, 2024 को सुबह 11 बजे बीकानेर के जिला उद्योग संघ में सम्मानित किया जाएगा।

राजस्थान गो सेवा परिषद के अध्यक्ष हेम शर्मा की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि इस अलंकरण समारोह में स्वामी विमर्शानंद गिरि, महंत लालेश्वर महादेव मंदिर का सान्निध्य प्राप्त होगा। वहीं, अध्यक्षता पूर्व सिंचाई मंत्री व भाजपा नेता देवी सिंह भाटी करेंगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहकार भारती के राष्ट्रीय प्रमुख- दीनानाथ ठाकुर एवं विशिष्ट अतिथि- विधायक जेठानंद व्यास, अंशुमान सिंह भाटी होंगे। इस कार्यक्रम में विशेष व्याख्यान देने के लिए प्रो. सतीश के. गर्ग, कुलपति राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्‍वविद्यालय-राजुपास, बीकानेर आमंत्रित किया गया है। वहीं स्वागत भाषण राजुपास के पूर्व कुलपति डॉ. ए. के. गहलोत देंगे। हेम शर्मा ने आगे बताया कि समारोह का समापन भी 13 जनवरी, 2024 को दोपहर 2 बजे जीसीसीआई राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की पहली ऑफलाइन बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। अलंकरण समारोह के आयोजन की तरफ से यह अनुरोध किया गया है, “हम उपरोक्त समारोह में आपकी सम्मानित उपस्थिति चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि साथ ही जीसीसीआई राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की पहली बैठक के लिए सुझावों के रूप में सक्रिय भागीदारी की मांग करते हैं। पुष्टि की एक पंक्ति की अत्यधिक सराहना की जाएगी।

राजस्थान गो सेवा परिषद के राष्ट्रीय संयोजक एवं पूर्व कुलपति-राजुपास, डॉ. ए. के. गहलोत ने बताया , “राष्ट्रीय गो उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार भंवर लाल कोठारी की स्मृति में डॉ. वल्लभ भाई कथीरिया को दिया जाएगा। इस समारोह में जीसीसीआइ के देशभर से प्रतिनिधि शिरकत करेंगे। राजस्थान गो सेवा परिषद ‘देश में गो पालकों को गोबर और गोमूत्र का पैसा मिले, गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बने’ इस उद्देश्य को लेकर साल 2016 से कार्यरत है। इस मुद्दे पर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तरीय कई सम्मेलन करवाए गये। राज्य सरकारों, केंद्र सरकार, भारत सरकार के नीति आयोग और राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का ध्यान आकृष्ट किया गया। हमने इस बात पर बल दिया कि विभिन्न स्तरों पर ऐसी नीतियां बननी चाहिये जिससे गो पालक को गोबर-गोमूत्र का पैसा मिले और देश में गो उत्पाद आधारित उद्यमिता का नया सेक्टर विकसित हो। इसके लिए परिषद 13 राज्यों की 168 संस्थाओं के संपर्क में है।”

ऋषि कृषि प्रथा को पुनर्जीवित करने के लिएराजस्थान गोसेवा परिषद संकल्पित है और प्रयास कर रहा है कि गोबर खाद और गोमूत्र से बने कीट नियंत्रक रसायनिक खेती का विकल्प बने। मृदा रसायन से मुक्त हो। जैविक कृषि उत्पादों से मानव स्वास्थ्य सुरक्षित रहे। कृषि उत्पाद रसायनिक दुष्प्रभाव मुक्त रखे जाएं। मिट्टी, पानी, हवा और पर्यावरण पर रासायनिक खेती के जीव जगत पर होने वाले घातक प्रभावों से मुक्ति मिले। अगर गोबर-गोमूत्र का गो पालकों को पैसा मिलेगा तो गाय पालन और ज्यादा फायदे का काम हो सकेगा। देश में गो धन आधारित आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। दूध का उत्पादन बढ़ेगा। आर्थिक समृद्धि आएगी। भारत दुनिया का वो देश है, जहां गो आधारित उद्यमिता (नया औद्योगिक सेक्टर) का विकास हो रहा है। अभी 300 से ज्यादा गो आधारित उत्पादों का विपणन हो रहा है। इस उद्योग की इंडस्ट्री के लिए मशीनरी बनाई जा चुकी गई है। गो आधारित उद्यमिता का भविष्य में विकास होगा। इसी भावना से राजस्थान गो सेवा परिषद ने राष्ट्रीय गो उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार की घोषणा की है। यह पहला पुरस्कार जो राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार और जीसीसीआई के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. वल्लभ भाई कथीरिया को दिया जाएगा ।

राजुपास के पूर्व कुलपति एवं राजस्थान गो सेवा परिषद के राष्ट्रीय संयोजक , डॉ. गहलोत ने यह भी बताया कि “राजस्थान गो सेवा परिषद का राजस्थान सरकार, विभिन्न प्रदेशों की सरकारें, नीति आयोग और भारत सरकार से अपील है कि ऐसी नीतियां बनाएं जिससे गोपालक को गोबर गोमूत्र का पैसा मिल सकें। यह प्रमाणित है कि गोबर गोमूत्र ऊर्जा का सतत स्रोत है। जमीन का पोषण है। गोबर-गोमूत्र का महत्व पौराणिक ग्रंथों में भी वर्णित है। वैज्ञानिक रूप से इनकी उपादेयता सिद्ध है। राजस्थान गो सेवा परिषद तो सबका ध्यान आकर्षित करने और इस मुद्दे पर पर काम करने का एक मंच है। इसमें राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विवि के एमओयू के तहत परिषद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम रहा है। जीसीसीआई भी परिषद के इस उद्देश्य में नीतिगत रूप से सहयोगी है। आप सबके सहयोग से इस उद्देश्य को संबल मिलेगा।”

‘कलियों का चमन’ फेम मेघना नायडू लंबे ब्रेक के बाद फिल्मों में फिर करेगी अभिनय वापसी

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“कलियों का चमन” सुपरहिट रीमिक्स सांग से लोगों के दिलों में राज करने वाली अभिनेत्री हैं मेघना नायडू। इन्होंने हिंदी, बंगाली, तमिल, तेलगु और मराठी सहित कई भाषाओं की फिल्मों में काम किया है। बॉलीवुड में फिल्म ‘क्या कूल है हम 3, माशूका’ सहित ढेर सारी फिल्मों में काम किया है। इसके साथ ही उन्होंने टीवी शो ‘जोधा अकबर और ससुराल सिमर का’ में भी अभिनय किया है। वहीं दक्षिण भारत में भी इन्होंने कई फिल्मों में काम किया और सफल रही।
गीत ‘कलियों का चमन’ में इनकी उपस्थिति के पीछे भी एक रोचक कहानी है शायद नियति इस गीत के लिए मेघना की ही राह देख रही थी। इस गीत के ऑडीशन देने के लिए उनकी महिला मित्र गई थी और मेघना भी उनका साथ देने के लिए वहाँ गई। उनकी मित्र ऑडिशन दे रही थी और वह कई घंटों तक उनका इंतजार कर रही थी इसी बीच उनकी बातचीत वहाँ के टीम के सदस्यों से हुई उन्होंने मेघना को भी ऑडिशन देने के लिए सलाह दिया, मगर मेघना ने यह कहकर इनकार कर दिया कि यह ऑडिशन उनके मित्र का है। इस बीच स्टॉफ ने उनका पता लिया और कहा कि अगली बार यदि ऑडिशन होगा तो वह भी शामिल हो जाये और कुछ दिनों बाद मेघना को उसी गीत के लिए बुलाया गया और मेघना ने ऑडिशन दिया और वह चुन ली गई। क्योंकि राधिका राव को एक प्रोफेशनल मॉडल नहीं बल्कि एक सिंपल, लंबे बाल वाली और एक अलग रंगरूप और छवि वाली लड़की की तलाश थी जो मेघना को देखकर पूरी हुई और सच में इस गाने ने चारों ओर धूम मचा दी और ‘कलियों का चमन’ गर्ल नाम से मेघना मशहूर हो गई। आज भी उनकी यह छवि बरकरार है। भले उन्होंने कई फिल्मों में काम किया मगर इस गीत की कामयाबी और उनकी भूमिका उनका वास्तविक प्रतिबिम्ब बन गया।
मेघना नायडू ने कई वर्षों तक इंडस्ट्री में काम किया है और विवाह के पश्चात कुछ समय के लिए इंडस्ट्री से दूरी भी बना ली। अब वापस वह अपनी नई पारी की शुरुआत करने वाली है। जल्द ही उनकी मराठी फिल्म रिलीज होने वाली है। यह फिल्म दिग्गज अभिनेता विक्रम गोखले की अंतिम फिल्म होगी।


मेघना ने कई दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया है और उनके अनुभव भी सुनहरे हैं। मेघना ने अपने अनुभव भी साझा किए और बताया कि अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के साथ बंगाली और हिंदी फिल्मों में उन्होंने साथ काम किया और उनसे काफी कुछ सीखने को मिला। मिथुन के साथ तीनों शिफ्ट में भी कई बार काम किया है और यह उनके जीवन का बेहतरीन अनुभव रहा। अभिनेता धनुष के बारे में मेघना ने बताया कि वह अपने काम के प्रति बेहद प्रोफेशनल है और समय के पाबंद और लगनशील भी। धनुष जमीन से जुड़े व्यक्ति है।
मेघना बताती है कि दक्षिण भारतीय फिल्मों के कास्ट और क्रू अपने काम के प्रति ज्यादा समर्पित हैं। वहाँ की इंडस्ट्री का हिस्सा बनना मेघना के लिए सुखद अनुभव रहा। बस उन्हें खेद इस बात का है कि आज के डिजिटल युग के कारण जैसे दक्षिण भारतीय फिल्मों का क्रेज़ है और आज लोग वहां के कलाकारों को जानने लगे हैं, यही सुविधा यदि पहले होती तो उनके कार्य को दर्शकों और बॉलीवुड में और अधिक सराहना प्राप्त हो जाती।
मेघना नायडू ने बताया कि कुछ वर्ष का अंतराल लेकर उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली। इस बीच उन्होंने अपने निजी जीवन को महत्व दिया। मेघना ने टेनिस खिलाड़ी लुइस मिगुएल रीस से विवाह किया और अपने निजी जीवन को ज्यादा वक्त दिया। साथ ही लगभग सारी दुनिया की सैर भी की। वर्तमान समय में भले ही वह फिल्मों का हिस्सा नहीं ही मगर वह लगातार इवेंट, एनजीओ और अन्य कार्यक्रमों में व्यस्त है। जल्द ही वह फिल्मों में अपनी वापसी करने वाली है। उनका कहना है कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया का महत्व बढ़ गया है। बड़े पर्दे पर ही नहीं छोटे पर्दे पर अर्थात ओटीटी के कारण फिल्मों का दायरा बढ़ गया है और सभी के काम करने के अवसर भी बढ़ गई है और वह भी नए समय के अनुकूल डिजिटल दुनिया और सोशल मीडिया को समझ रही है और उनका अनुसरण भी कर रही है। उनका कहना है कि बहुत सारे लोगों की डिजिटल मीडिया की आदत लग गई है और कुछ इसका अंधानुकरण कर डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं जो उन लोगों के लिए घातक सिद्ध होता है। इसलिए केवल इसे केवल मनोरंजन के उद्देश्य से देखें और अच्छी बातों का अनुकरण करें और सही गलत को समझने का ज्ञान रखें क्योंकि जो सोशल मीडिया हमें दिखाती है वह वास्तविक जीवन से बेहद अलग है। इसलिए सोशल साइट्स और मीडिया प्रेमी बनकर इसे स्वयं पर हावी ना होने दें। अपना समय और जीवन बर्बाद ना करें बल्कि एक दायरा बनाकर इसका उपयोग कर सुखी रहें।

– गायत्री साहू

अभिनेता आयुष गर्ग रंगमंच के बाद फिल्म और टीवी शो में सक्रिय

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अभिषेक बच्चन अभिनीत वेब सीरीज ब्रेथ और दीपिका पादुकोण अभिनीत छपाक फिल्म में भी दिखे हैं आयुष

मुम्बई। रंगमंच अभिनेता आयुष गर्ग जागृति विहार, मेरठ के निवासी हैं। उनकी इंटर तक की पढ़ाई बालेराम बृजभूषण सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज, डी ब्लॉक शास्त्री नगर, मेरठ से हुई और वह एन. ए. एस. कॉलेज से पास आउट हैं। उन्होंने बताया कि वो रंगमंच में पिछले 7 सालों से सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। जिस दौरान उन्होंने मुक्ताकाश नाट्य संस्थान, भारतीय जन नाट्य संघ, (इप्टा) और अस्मिता थिएटर संस्थाओं के साथ काम किया।
इस दौरान उन्होंने रंगमंच मे फूल लेंथ 18 नाटक किए। जिसमे से उनका “अंधायुग” व “पगड़ी संभाल जट्टा” नाटक बड़ा प्रचलित रहा। अंधायुग में इन्होंने धृतराष्ट्र का रोल निभाया था। जिसको लोगो की काफी सराहना मिली और पगड़ी संभाल जट्टा में इन्होंने दो किरदार निभाए थे। पहला पुलिस ऑफिसर का व दूसरा भगत सिंह के दादा का। दोनों पात्र को लोगो की काफी सराहना मिली थी।


आयुष गर्ग ने लगभग 170 नुक्कड़ नाटक किए हैं और रंगमंच के साथ साथ टी. वी. पर धारावाहिकों में भी काम किया। इन्होंने जी टीवी पर “ज़िंदगी की महक” और सोनी टीवी पर “ये प्यार नही तो क्या है” दोनों धारावाहिक में काम किया है।
इसके बाद इन्होंने “छपाक” मूवी में काम किया। और उसके बाद “क्राइम पेट्रोल” और एंड टीवी पर “मौका-ए-वारदात” में काम किया।
इन्होंने किशोर नामित कपूर एक्टिंग इंस्टीट्यूट से ट्रेनिंग ली। और उसके बाद वह अपने सपने के पीछे लग गए।
2021 से मुंबई में रह रहे हैं और लगातार ऑडिशन दे रहे हैं। इन्होंने अभिषेक बच्चन के साथ एक वेब सीरीज ‘ब्रेथ इनटू द शैडो सीजन 2’ में अभिनय किया था जो कि एमेजॉन प्राइम पर रिलीज हुई थी। इसमें इनके रोल को काफी प्रशंसा मिली।

पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किया ‘भारतीय छात्र संसद’ का उद्घाटन

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चर्चित होंगे मुद्दे – राजनीति में युवाओं, एआई-सोशल मीडिया के प्रभाव, जाति जनगणना, महिला सुरक्षा सहित कई विषय

मुंबई। भारतीय छात्र संसद (बीसीएस) कॉन्क्लेव के बहुप्रतीक्षित 13वें संस्करण का उद्घाटन पुणे के कोथरुड में एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी परिसर में भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने किया। सम्मलेन के पहले दिन प्रतिष्ठित व्यवसाय सलाहकार तथा लेखक प्रोफेसर डॉ. राम चरण के साथ-साथ उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष सतीश महाना और कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष, यू.टी. खादर फरीद ने हिस्सा लिया। एमआईटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के संस्थापक अध्यक्ष, डॉ. विश्वनाथ कराड और एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष, राहुल कराड ने इस तीन दिवसीय सम्मेलन की शुरुआत करते हुए कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा, “राजनीति कोई पेशा नहीं है; यह किसी भी कमीशन की अपेक्षा किए बिना और बगैर किसी चूक या छूट के, जुनून के साथ राष्ट्र की सेवा करने का एक मिशन है। एक समय विश्वगुरु रहे भारत के पास फिर से अपना गौरव हासिल करने का मौका है। लेकिन कुछ चुनौतियां हैं, जिनका हमें मिलकर समाधान करना होगा। राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं का राजनीति में शामिल होना समय की मांग है। हमें देश को मजबूत करने के लिए एक साथ आना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में और अंत्योदय के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा और बेहतर सुविधाएं प्रदान करना।”
प्रसिद्ध बिज़नेस लीडर और लेखक, प्रोफेसर डॉ. राम चरण ने राष्ट्र निर्माण में नेतृत्व की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर देते हुए कार्यक्रम में छात्रों को प्रेरित किया। सिंगापुर का उदाहरण लेते हुए, जो कभी सिर्फ एक तटरेखा था, उन्होंने दूरदर्शी नेतृत्व के प्रभाव की बात की। युवा दर्शकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “आप इस देश का भविष्य हैं, नेता हैं जो इसके भाग्य को आकार देंगे। जो गलत है उसके बारे में शिकायत करने के बजाय उसे पहचानें और ठीक करें। एक समस्या चुनें और उसका समाधान करें – यह रवैया वह बदलाव लाएगा जो हम चाहते हैं।”
एमआईटी-डब्ल्यूपीयू के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल कराड ने भारतीय छात्र संसद शुरू करने के पीछे के दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने कहा,”हमारे देश में दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली है और यहां 3.5 करोड़ छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, ऐसे में सामाजिक जुड़ाव की भावना को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। हम शिक्षित युवाओं को सार्वजानिक जीवन में सक्रिय रूप से शामिल होने लिए प्रोत्साहित करने और जागरूक नागरिकों से राजनीति में भाग लेने का आग्रह करने वाले इस दृष्टिकोण का समर्थन कर रहे हैं।
10 से 12 जनवरी तक आयोजित बीसीएस के 13वें संस्करण में ‘राजनीति में युवा नेतृत्व – बयानबाजी या वास्तविकता’, ‘संक्रमण में युवा’, ‘लोकतंत्र 2.0 – एआई और सोशल मीडिया कैसे ला रहे हैं हर तरह का बदलाव’, ‘हमारी संस्कृति में लोककथाओं की शक्ति’, ‘जाति जनगणना दुविधा’ जैसे विषयों पर जीवंत चर्चा होगी। कार्यक्रमों में भारत की मिसाइल वुमन डॉ. टेसी थॉमस, प्रसिद्ध लेखक मनोज मुंतशिर, डॉ. विक्रम संपत, चिराग पासवान, इमरान प्रतापगढ़ी, शहजाद पूनावाला जैसे युवा नेता, राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा, प्रसिद्ध अभिनेत्री और गायिका रूपा सहित कई गांगुली और कई अन्य गणमान्य वक्ता शामिल होंगे।

बेहतर भविष्य की खेती: सटीक कृषि और प्रौद्योगिकी नवोन्मेष के ज़रिये किसानों को सशक्त बनाना

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बेहतर भविष्य की खेती: सटीक कृषि और प्रौद्योगिकी नवोन्मेष के ज़रिये किसानों को सशक्त बनाना

यूपीएल सस्टेनेबल एग्री सॉल्यूशंस के मुख्य कार्यकारीआशीष डोभाल से मिली जानकारी के आधार पर

खेती बेहद सहनशीलता का व्यवसाय हैजिसमें सबसे अनुकूल परिस्थितियों में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह ऐसी दृढ़ता की मांग करता है जिसकी ज़रूरत कुछ ही दूसरे व्यवसायों में होती है। किसानों को भयहताशाअनिश्चितता और चिंता की भावनाएं हमेशा जकड़े रहती हैं क्योंकि वे हर मौसम में लगातार सामने आने वाली चुनौतियों से जूझते हैं। हालांकिसमकालीन संदर्भ मेंलगातार बढ़ती वैश्विक आबादी को खिलाने का बोझ बहुत बढ़ गया हैजिससे ज़मीन पर मेहनत करने वालों की परेशानी और बढ़ गई है।

जलवायु परिवर्तन हमारी दुनिया के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करने वाला एक आसन्न संकट है और इसने विशेष रूप से किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों को बढ़ा दिया है। मौसम की तीव्रता जैसे अत्यधिक गर्मीसूखाबाढ़ और बेमौसम बारिश और तापमान में उतार-चढ़ाव सहित मौसम का अनियमित पैटर्नआदि का असर खेती पर बढ़ता ही जा रहा है। इसी तरहपानी जैसे आवश्यक संसाधन पर बहुत दबाव है जबकि निरंतर बढ़ रही चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अधिक भोजन के उत्पादन के लिए पानी बेहद महत्वपूर्ण है।

संक्षेप मेंआज खाद्यान्न उत्पादन का काम पहले से कहीं अधिक कठिन हो गया है। विडंबना यह है कि आज किसानों से आज पहले से कहीं अधिक उत्पादन की उम्मीद की जाती है। इन प्रतिकूलताओं के बावजूदकिसान असली नायक के रूप में उभरते हैं और प्रतिबद्धतासमर्पण तथा दृढ़ता के साथ अपने पेशे की जटिलताओं को पार कर रहे हैं। हालांकि इसके प्रति कृतज्ञता जताने से परे जाकर किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाना अनिवार्य है। इसका लक्ष्य उन्हें अधिक खाद्यान्न उगानेवहनीयता को बढ़ावा देने और वित्तीय सुरक्षा प्राप्त करने के साधन प्रदान करना है।

सौभाग्य सेआज के दौर में प्रौद्योगिकी के तीव्र विकास के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। मौजूदा प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों के उपयोग से खेतों की उत्पादकता और वहनीयता काफी बढ़ सकती हैजिससे आखिरकार किसानों के जीवन में सुधार हो सकता है।

इंटरनेट ऑफ थिंग्सआर्टिफिशियल इंटेलिजेंसड्रोन और सैटेलाइट इमेजिंग जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ-साथ किसानों के फोन पर भेजे जाने वाले स्वचालित अलर्ट जैसी सामान्य प्रौद्योगिकी भी परिवर्तनकारी संभावनाएं प्रदान करती हैं। साथ जोड़ने पर, इन प्रौद्योगिकियों की शक्ति सटीक कृषि के लिए मार्ग प्रशस्त करती है – एक ऐसा तरीका जिसके तहत मौसम की स्थितिमिट्टी के स्वास्थ्यकीट प्रसार और समग्र फसल की स्थिति जैसे डेटा के आधार पर इनपुट को सही समय पर और सही मात्रा में लागू किया जाता है।

सटीक कृषि (प्रेसिज़न एग्रीकल्चर) से न केवल उपज बढ़ती हैबल्कि यह मिट्टी के दीर्घकालिक स्वास्थ्य में भी योगदान देती हैजिससे कृषि भूमि की उर्वरता बढ़ती है। इस तरीके में इनपुट का अधिक सटीकता से उपयोग होता है और इसके परिणामस्वरूप किसानों के लिए लागत कम होती है। साथ हीबढ़ी हुई उत्पादकता और बेहतर फसल गुणवत्ता किसानों को उच्च आय प्राप्त करने में मदद करती है।

 

प्रौद्योगिकी के विस्तार के लिहाज़ से इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटीकनेक्टेड कृषि परितंत्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आईओटी उपकरणजैसे कि खेतों में तैनात सेंसरमिट्टी की नमीतापमान और अन्य महत्वपूर्ण कारकों के संबंध में रीयल टाइम डाटा इकट्ठा करते हैं। किसानों को कार्रवाई योग्य जानकारी प्रदान करने के लिए इस डेटा को कृत्रिम बुद्धिमत्ता एल्गोरिदम का उपयोग करके संसाधित किया जाता है। उदाहरण के लिएकिसान अपने स्मार्टफोन पर मौजूदा मौसम की स्थिति के आधार पर रोपाई के उपयुक्त समय या सिंचाई की आवश्यकता के बारे में अलर्ट प्राप्त कर सकते हैं।

ड्रोन और सैटेलाइट इमेजिंग कृषि पद्धतियों की सटीकता को और बढ़ाते हैं। ये प्रौद्योगिकियां किसानों को अपनी फसलों के स्वास्थ्य का आकलन करनेकीट संक्रमण की संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान करने और अपने खेतों की समग्र स्थिति की निगरानी करने में मदद करती हैं। इस तरह की विस्तृत जानकारी किसानों को सूचित निर्णय लेनेलक्षित हस्तक्षेप लागू करने और संसाधनों और प्रयास दोनों के संदर्भ में बर्बादी को कम करने में सशक्त बनाती है।

प्रौद्योगिकी का एकीकरण वित्तीय और लॉजिस्टिक्स से जुड़े पहलुओं को शामिल करने के लिए क्षेत्रों से परे फैला हुआ है। मोबाइल एप्लिकेशनजो बाज़ार की जानकारी प्रदान करते हैंऑनलाइन बिक्री की सुविधा प्रदान करते हैं और किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ते हैंअधिक कुशल और पारदर्शी कृषि आपूर्ति श्रृंखला में योगदान करते हैं। इससे न केवल बिचौलियों पर निर्भरता कम होती है बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले।

आइए हम अपने किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने और वहनीयता तथा सटीक कृषि जैसी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हों। ऐसा करहम सामूहिक रूप से एक ऐसे भविष्य के निर्माण की दिशा में प्रयास कर सकते हैं जहां किसानों को कम चुनौतियों का सामना करना पड़ेगाउनका कल्याण होगा और वे वैश्विक खाद्य सुरक्षा की रीढ़ बने रहेंगे। प्रौद्योगिकी के एकीकरण से न केवल उत्पादकता बढ़ती है बल्कि वहनीयता को भी बढ़ावा मिलता हैजिससे यह सुनिश्चित होता है कि खेती जैसा महान पेशा उभरती चुनौतियों के सामने दृढ़ बना रहे।