अभिनेता परवीन डबास ने भारतीय आर्म रेसलिंग एक्सेल को विश्व स्तर पर पहुंचाया
यूपीएल ने विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर जागरूकता फैलाने के लिए किया दूसरे सारस क्रेन महोत्सव का आयोजन
यूपीएल ने विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर जागरूकता फैलाने के लिए किया दूसरे सारस क्रेन महोत्सव का आयोजन
- गुजरात में पाए जाते हैं भारत में लुप्तप्राय प्रजाति के सारस क्रेन,इस प्रजाति की उपलब्ध संख्या के लिहाज़ से राज्य दूसरे स्थान पर है
- वन विभाग,यूपीएल और समुदाय के संयुक्त प्रयासों के परिणामस्वरूप सारस क्रेन की आबादी 2022-2023 में बढ़कर 1254 हो गई जो 2015-16 में 500 थी
गुजरात, 2 फरवरी 2024: वहनीय कृषि समाधानों की वैश्विक प्रदाता, यूपीएल लिमिटेड ने खेड़ा जिले के पारीज वेटलैंड के परिसर में दूसरे सारस क्रेन महोत्सव का आयोजन किया। विश्व आर्द्रभूमि दिवस (वर्ल्ड वेटलैंड्स डे) के मौके पर आयोजित इस उत्सव का उद्देश्य है, जागरूकता बढ़ाना और भारतीय सारस क्रेन (ग्रस एंटीगोन) के संरक्षण को बढ़ावा देना है। वेटलैंड अत्यधिक उत्पादक और जैविक रूप से विविधीकृत प्रणालियां हैं जो पानी की गुणवत्ता को बढ़ाती हैं, क्षरण को नियंत्रित करती हैं, जल धाराओं के प्रवाह को बनाए रखती हैं, कार्बन को अलग करती हैं और सारस क्रेन को आश्रय प्रदान करती हैं।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री एस के श्रीवास्तव, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण विभाग के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक, गांधीनगर; विशिष्ट अतिथि, सुश्री नम्रता इटालिया, डीसीएफ, आनंद; श्री रूपक सोलंकी, डीसीएफ, खेड़ा, श्री ऋषि पठानिया, उपाध्यक्ष – सीएसआर, यूपीएल लिमिटेड; डॉ. जतिंदर कौर, प्रोग्राम मैनेजर – यूपीएल सारस कंज़र्वेशन, यूपीएल लिमिटेड के अन्य प्रतिनिधियों के साथ मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में 15 स्कूलों की सक्रिय भागीदारी दर्ज हुई, जिसमें 150 छात्र और शिक्षक शामिल हुए। इस समारोह में सारस क्रेन पर एक फोटो प्रदर्शनी और छात्रों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई।
भारतीय सारस क्रेन, विश्व स्तर पर सबसे ऊंचा उड़ने वाला पक्षी है और इसे इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की लाल सूची के तहत संवेदनशील (वल्नरेबल) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका पारंपरिक आश्रय वेटलैंड है और यह इंसान के साथ सहस्तित्व में रहता है। यह भोजन और प्रजनन के लिए कृषि क्षेत्रों पर निर्भर है। वेटलैंड की संख्या में गिरावट और मौजूदा पर्यावास (हैबिटैट) की स्थिति ख़राब होने को सारस की संख्या में कमी की वजह माना जाता है।
सारस क्रेन के संरक्षण के लिए, यूपीएल ने 2015 में सारस संरक्षण परियोजना शुरू की। इस परियोजना ने सारस क्रेन की आबादी 2022-2023 तक बढ़ाकर 1254 करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो 2015-16 में 500 थी। यूपीएल की टीम ने किसानों के साथ मिलकर काम किया, जिसके तहत शिक्षा तथा स्वैच्छिक भागीदारी के माध्यम से सारस के प्रति गलत धारणाओं और व्यवहारिक दृष्टिकोण में सुधार किया गया।
इस महोत्सव के मुख्य अतिथि श्री एस.के.श्रीवास्तव, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण विभाग के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने कहा, ”सारस संरक्षण परियोजना, यूपीएल की एक सराहनीय पहल है जो वन्यजीव संरक्षण के नेक काम के लिए लोगों को एक साथ लाती है। प्रकृति और मानवता के बीच सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए ऐसे प्रयास महत्वपूर्ण हैं।
यूपीएल लिमिटेड में वैश्विक कॉर्पोरेट मामलों और उद्योग संबंधों के अध्यक्ष, श्री सागर कौशिक ने इस पहल के बारे में कहा, “सारस संरक्षण परियोजना वहनीयता और जैव विविधता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। हमारे सहयोगी प्रयासों के सकारात्मक प्रभाव को देखना खुशी की बात है। सारस क्रेन और लोगों के लिए एक समृद्ध वातावरण बनाना। खेड़ा और आनंद जिलों में इस पहल ने गुजरात को भारत में सारस की दूसरी सबसे बड़ी जंगली आबादी (वाइल्ड पापुलेशन) को आश्रय देने में मदद की है, और हमने आठ वर्षों में 151% की वृद्धि दर्ज की है।
यूपीएल लिमिटेड के उपाध्यक्ष – सीएसआर, श्री ऋषि पठानिया ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, “सारस क्रेन महोत्सव, इस प्रजाति के संरक्षण के प्रति यूपीएल की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। सारस संरक्षण परियोजना के तहत 40 गांवों के 88 ग्रामीण सारस संरक्षण समूह के स्वयंसेवकों का एक व्यापक नेटवर्क बनाया गया है, जो घोंसलों, अंडों और किशोरों को अवैध शिकार और परभक्षियों से बचाने में लगे हुए हैं। इसके अलावा, 32,166 छात्रों तथा स्थानीय समुदाय को सारस क्रेन संरक्षण के प्रति जागरूक किया गया है, और 5,000 किसानों को सारस क्रेन के संरक्षण की आवश्यकता और महत्व के बारे में शिक्षित किया गया है। “
यूपीएल को इस संरक्षण के असर के अलावा सारस पहल के लिए व्यापक मान्यता मिली है और इसके लिए इसे कई सम्मान मिले हैं जिनमें, एसीईएफ एशियन लीडर्स फोरम एंड अवार्ड्स 2017, इंडिया सीएसआर लीडरशिप समिट 2017, कॉफ़ी फॉर कॉज़: कन्वर्सेशन ऑन सस्टेनेबिलिटी एंड सीएसआर 2018, दैनिक जागरण सीएसआर पुरस्कार 2019, 17वां फेडरेशन ऑफ गुजरात इंडस्ट्रीज (एफजीआई) पुरस्कार 2021, 5वां इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स, सोशल इम्पैक्ट अवार्ड्स 2023 और साथ ही 2023 में मिली एक प्रशंसा पट्टिका शामिल है।
बीसी जैन साल 2002 से गायों के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं
अनुज गौतमकी रिपोर्ट न्यूज़ १८ से साभार /सागर: गौ रक्षा की बात तो आज देश में बहुत लोग करते हैं, कई संस्थाएं भी गौ सेवा में लगे हैं. लेकिन, सागर में एक ऐसा शख्स हैं, जो गायों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते हैं. पेशे से वकील है बीसी जैन की बात ही अलग है. वह अब तक गायों से संबंधित 2700 से अधिक केस लड़ चुके हैं और वो भी मुफ्त में
73 साल के जैन साहब अभी 37 मामलों में पैरवी भी कर रहे हैं. सागर और बुंदेलखंड के अलावा महाराष्ट्र, दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में उन्हें गायों का केस लड़ने के लिए बुलाया जाता है. गो वध अधिनियम में संशोधन करने के लिए भी इन्होंने एक साल तक संघर्ष किया है. लोग इन्हें गायों का रखवाला कहते हैं.
2003 में लिया था संकल्प
सागर के परकोटा निवासी बीसी जैन साल 2002 से गायों के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. विद्यासागर महाराज की प्रेरणा से उन्होंने गायों से संबंधित केस लड़ना और कसाइयों द्वारा उन्हें कटने से बचाने का काम शुरू किया था. बीसी जैन बताते हैं कि करीब 22 साल पहले बीना रेलवे स्टेशन पर गायों से भरी एक ट्रेन आने की सूचना मिली थी, जो कसाइयों के द्वारा बंगाल ले जाई जा रही थी. उन्होंने अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी और इस ट्रेन को बीना में रुकवाया, जिसमें 8900 गोवंश भरे हुए थे. जबकि उनके पास मात्र 1100 मवेशियों की रॉयल्टी थी.
सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी लड़ाई
आगे बताया कि उस ट्रेन में 7000 से अधिक अवैध रूप से मवेशी ले जाए जा रहे थे. इस दौरान 5 घंटे तक वहां पर भारी बवाल मचा रहा. उनके ऊपर मामला दर्ज किया. उन्होंने भी मामला दर्ज कराया. इसके बाद लोअर कोर्ट, सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक मामला गया. आखिर में 7800 से अधिक मवेशियों के लिए गौशाला को दे दिया गया था. यही से उन्होंने गायों के संरक्षण के लिए संकल्प लिया था. इसके बाद बालाघाट के सांगली में भी 61 हजार गायों को साल 2003 में कटने से बचाया था.
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज भी कर चुके सम्मानित
बीसी जैन ने सागर के डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से साल 1970 में लॉ किया था. 1973 में वकालत शुरू की. 1983 से 2010 तक वह यूनिवर्सिटी में ही असिस्टेंट प्रोफेसर रहे. इसके साथ ही पुलिस अकादमी में भी डीएसपी, थानेदार और सब इंस्पेक्टर के लिए उनके लेक्चर होते थे. बीसी जैन 1994 से 2005 तक सरकारी वकील भी रहे हैं. इतनी सब व्यस्तताएं होने के बाद भी वह गायों से संबंधित मामलों के लिए समय निकाल ही लेते थे और आज भी कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. जैन साहब की विशेषता के लिए साल 2006 में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के द्वारा उन्हें दयोदय रत्न और साल 2023 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सागर गौरव रत्न से सम्मानित किया गया था.
केंद्र का अंतरिम बजट सर्वजन हितकारी एवं विकासोन्मुखी -मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
केंद्र का अंतरिम बजट सर्वजन हितकारी एवं विकासोन्मुखी
— मुख्यमंत्री, पुष्कर सिंह धामी
1 फ़रवरी 2024,गुरुवार , देहरादून
यह बजट किसानों, महिलाओं, युवाओं और वंचितों के हितार्थ
देहरादून ,1 फ़रवरी ,आज संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा विकासोन्मुखी बजट पेश करने पर अपनी प्रतिक्रिया एवं धन्यवाद प्रेषित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केंद्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने भारतवासियों के लिए एक गतिशील एवं विकासोन्मुखी बजट पेश किया है। सीएम ने केंद्रीय मंत्री को बधाई देते हुए कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को आर्थिक महाशक्ति के साथ ही विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में यह अंतरिम बजट नई गति प्रदान करेगा।
यह सर्वस्पर्शी बजट किसानों, महिलाओं, युवाओं और वंचितों के उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ ही प्रधानमंत्री जी के “आत्मनिर्भर भारत” की संकल्पना को मूर्त स्वरुप देने में सहायक सिद्ध होगा।
समावेशी विकास के साथ ही यह बजट नए भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी, कृषि, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य, पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों को नए आयाम प्रदान करेगा, जिसके द्वारा विकसित भारत @ 2047 के विजन को सार्थकता मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज देश का चहुंमुखी विकास हो रहा है। यह बजट प्रधानमंत्री मोदी जी के संकल्प के अनुरूप भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में मील का पत्थर साबित होगा। बजट में महिला, गरीब, युवा और किसानों को सरकार ने अपनी प्राथमिकता में रखा है।
सीएम धामी ने कहा कि इसमें जहां खेती किसानी के साथ ही पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन पर फोकस किया गया है, वहीं मातृशक्ति को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए लखपति दीदी योजना का लक्ष्य दो करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि अंतरिम बजट में पर्यटन, उद्योग, हवाई कनेक्टिविटी आदि पर भी खास जोर दिया गया है। इससे उत्तराखंड में पर्यटन विकास को पंख लगेंगे और औद्योगिक निवेश की ग्राउंडिंग में और तेजी आएगी। प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री मोदी जी के विजन के अनुरूप उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने के लिए संकल्पित है। यह अंतरिम बजट इस संकल्प को पूरा करने की दिशा में सहायक बने ! उत्तराखण्ड राज्य के लिए यह अंतरिम बजट महत्वपूर्ण है। वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमान जो आज प्रस्तुत किये गये हैं में केंद्रीय करों में राज्यांश बढ गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्तराखण्ड राज्य के लिए 11419.78 करोड़ रूपये का प्रावधान था, जो कि संशोधित अनुमान में 12348 करोड हो गया है। इस प्रकार लगभग 928 करोड इस वर्ष में अधिक मिलने की संभावना है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 13637 करोड़ हो गया है। यह गत वर्ष के मूल अनुमान से 2217 करोड अधिक है। प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए यह केन्द्र सरकार का महत्वपूर्ण उपहार है।
आम आदमी की पहुंच से दूर होती भारतीय रेल
आम आदमी की पहुंच से दूर होती भारतीय रेल
(राकेश अचल -विभूति फीचर्स)
आज एक -एक दिन में देश में एक-दो,दस नहीं बल्कि 400 रेलों को रद्द किया जा रहा है। आपातकाल के अनुशासन पर्व में देश में रेलें घड़ी की सुई का कांटा मिलाकर चलती थीं दरअसल रेलों के बेपटरी होने की वजह मौसम के अलावा कुप्रबंधन भी है लेकिन कोई इस बारे में बात नहीं करना चाहता ,क्योंकि सब राजनीति में उलझे है।
भारतीय रेल एक लाख किलोमीटर से कहीं ज्यादा लम्बी पटरियों पर दौड़ते हुए हर दिन कोई ढाई करोड़ लोगों को आवागमन की सुविधा मुहैया करने वाली एक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है। यानि हमारी रेलें प्रति दिन जितनी सवारियां ढोती है उतनी तो ऑस्ट्रेलिया की आबादी भी नहीं है। दुर्भाग्य से एक दशक पहले तक जो रेल आम भारतीय की रेल थी वो अब धीरे-धीरे आम आदमी के लिए अलभ्य होती जा रही है । एक दशक में रेलवे को आधुनिक बनाने की तमाम कोशिशें की गई पर न तो सरकार रेल व्यवस्था को पटरी पर ला पाई न चीन की तर्ज पर बुलट ट्रेने चला पायी।बुलेट के स्थान पर वन्दे भारत रेलें चलीं जो समय पर नहीं चल पा रहीं है। वंदे भारत रेलें जरूरत से ज्यादा महंगी हैं सो अलग ,लेकिन इस मुद्दे पर कोई बोलने वाला नहीं है।
रेलवे की आधिकारिक जानकारी के मुताबिक 26 जनवरी को जिस दिन देश भारतीय गणतंत्र दिवस की हीरक जयन्ती मना रहा था उस दिन भारतीय रेलवे ने 372 ट्रेनों को रद्द कर दिया कर दिया ।अगले दिन भी रेलवे ने 304 ट्रेनें रद्द की थी।रद्द होने वाली रेलों में पैसेंजर, मेल और एक्सप्रेस गाड़ियां शामिल हैं।दुर्गियाना एक्सप्रेस, लिच्छवी एक्सप्रेस, हमसफर एक्सप्रेस और झारखंड एक्सप्रेस सहित लंबी दूरी तय करने वाली कई रेलें ही नहीं बल्कि दिल्ली से राजधानियों के बीएच चलने वाली वन्दे भारत रेलें भी इसमें शामिल हैं । कड़ाके की ठंड में ट्रेनों के रद्द होने से यात्रियों की परेशानियां बढ़ गई हैं लेकिन इनकी कहीं सुनवाई नहीं है। देश में इतनी बड़ी संख्या में रेलें रद्द होने का ये नया इतिहास है।
रेलें रद्द होने से रेलवे को कुल कितना नुकसान हो रहा है इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा हमारे पास नहीं है। लेकिन ये आंकड़े जरूर हैं कि एक ही मंडल में प्रतिदिन 20 हजार से ज्यादा टिकट केंसिल कराये जा रहे हैं और किराया वापस किया जा रहा है। ये नुकसान करोड़ों में है लेकिन किसी को कोई फ़िक्र नहीं। वर्ष 2016 से रेलवे का अपना बजट भी सरकार ने पेश करना बंद कर दिया है। अब आपको पता ही नहीं चल पाता की रेलवे की सेहत कैसी है ? आप एक दशक पहले जितने किराये में एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक पैसेंजर रेल से जा सकते थे अब उतना पैसा तो प्लेटफार्म टिकिट का है। रेलवे की पार्किंग हवाई अड्डे की पार्किंग की तरह महंगी हो चुकी है। रेलवे स्टेशन निजी कंपनियों को ठेके पर दे दिए गए हैं। किराया,टिकिट आरक्षण और निरस्तीकरण तक महंगा कर दिया गया है। अनारक्षित रेलों और दूसरी रेलों में अनारक्षित कोच की संख्या में लगातार कमी की जा रही है ,और इसका खमियाजा भुगत रहा है आम आदमी।
इस समय रेलों को रद्द किये जाने की एक वजह मौसम और दूसरी वजह अयोध्या है। सरकार ने रामभक्तों को रामलला के दर्शन कराने के लिए तमाम रेलों का मुंह अयोध्या की ओर मोड़ दिया है। अयोध्या के लिए विशेष रेलें चलाई जा रहीं हैं ,लेकिन इसके लिए दूसरी रेलों का संचालन रद्द किया जा रहा है। आपको बता दूँ कि भारतीय रेलवे में 12147 इंजिन , 74003 यात्री डिब्बे और 289185 मालवहक डिब्बे हैं भारत में 8702 यात्री ट्रेनों के साथ प्रतिदिन कुल 13523 ट्रेनें चलती हैं। भारतीय रेलवे में 300 रेलवे यार्ड, 2300 माल ढुलाई और 700 वर्कशाप हैं। कीर्तिमान की दृष्टि से देखें तो भारतीय रेल दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे सेवा है। 12.27 लाख कर्मचारियों के साथ, भारतीय रेलवे दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी व्यावसायिक इकाई है।
देश की मौजूदा सरकार ने हालाँकि हर साल रेल बजट में इजाफा किया है किन्तु प्रबंधन के लिहाज से उसे कामयाबी नहीं मिल रही है ।पिछली बार सरकार ने सवा लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट रेलवे के लिए जारी किया था, इस बार अगर इसमें 25 फीसदी का इजाफा हो जाता है तो ये सरकार के रेलवे की सूरत बदलने के प्रयासों के मुताबिक ही होगा।इसका सीधा सा अर्थ है कि ये रेलवे बजट इस साल करीब 3 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के स्तर तक जा सकता है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 में ₹55,088 करोड़ रुपये ,वर्ष 2019-20 में ₹69,967 करोड़ रुपये ,वर्ष 2020-21 में ₹70,250 करोड़ रुपये और वर्ष 2021-22 में ₹1.17 लाख करोड़ रुपये रेलवे को आवंटित किये थे। इसके बावजूद भारतीय रेल आम आदमी कि पहुँच से लगातार दूर हो रही है। आने वाले दिनों में भारतीय रेलों की सूरत क्या होगी,कोई नहीं जानता क्योंकि भारतीयरेल विमर्श से बहुत दूर जा चुकी है।
संयोग से मुझे चीन की रेलों में यात्रा करने का अवसर मिला है ,इसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि हम रेल सुविधाओं और रेल सेवाओं के मामले में चीन से कोसों दूर हैं ।भले ही हमने चंद्रयान और सूरज को जानने के लिए यान छोड़ दिए हैं पर हमारी रेलें सुरक्षा,सफाई,खानपान, समयबद्धता के मामले में चीन की रेलों से कोसों पीछे हैं। हमारे यहां जिस गति से रेल सेवाओं का उन्ननयन हो रहा है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि हम नौ दिन चले अढ़ाई कोस की कहावत को चरितार्थ कर रहे है और ये सब तब है जब कि रेल की हरी झंडी हमारे भाग्य विधाताओं के हाथ में है।(विभूति फीचर्स)
वेब शो ‘सपने वर्सेज एवरीवन’ ने मचाया धमाल
सोनू सूद मानवीय योगदान के लिए ‘चैंपियंस ऑफ चेंज’ पुरस्कार से सम्मानित
सोनू सूद मानवीय योगदान के लिए ‘चैंपियंस ऑफ चेंज’ पुरस्कार से सम्मानित
अनिल बेदाग, मुंबई
मशहूर अभिनेता और परोपकारी सोनू सूद को उनके उत्कृष्ट मानवीय प्रयासों के लिए प्रतिष्ठित ‘चैंपियंस ऑफ चेंज’ पुरस्कार मिला है। अपने निस्वार्थ प्रयासों के लिए प्रसिद्ध है, सूद ने सामाजिक कल्याण के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता के लिए व्यापक प्रशंसा अर्जित की है, जिसके लिए उन्हें कई प्रशंसाएं मिली हैं।
अपने धर्मार्थ संगठन, ‘द सूद फाउंडेशन’ के माध्यम से, अभिनेता ने शिक्षा के मामले में वंचितों की मदद की है, गरीबों को उनके उद्यमों को बढ़ावा देने में मदद की है और उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट, वृद्धाश्रम निवास पर भी काम शुरू कर दिया है। समय के साथ विभिन्न समुदायों के उत्थान के लिए उनका समर्पण के लिए विश्व स्तर पर प्रशंसा की गई है और व्यापक पैमाने पर व्यक्तिगत आत्म-बलिदान के प्रभाव पर जोर दिया गया है।
‘चैंपियंस ऑफ चेंज’ सम्मान सूद की परिवर्तन को प्रभावित करने की शक्ति को बढ़ाता है और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति उनके योगदान को दर्शाता है। उनकी पहल ने न केवल तत्काल राहत प्रदान की है, बल्कि विपत्ति के समय में सामूहिक कार्रवाई और एकजुटता को भी प्रेरित किया है। अपने निरंतर कार्यों के माध्यम से, सोनू सूद मानवतावाद के सार को साकार करते हुए आशा को प्रेरित करते हैं और सकारात्मक बदलाव की लौ जगाते रहते हैं।
काम के मोर्चे पर, सोनू सूद ने निर्देशक के रूप में अपनी पहली फिल्म पूरी कर ली है। ‘फतेह’ एक साइबर क्राइम थ्रिलर है जिसमें सूद और जैकलीन फर्नांडीज मुख्य भूमिका में हैं, और सूद की प्रोडक्शन कंपनी, शक्ति सागर प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित और ज़ी स्टूडियो द्वारा सह-निर्मित है।
केंद्रीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड के प्रतिनिधि हरिनारायण सोनी राजस्थान गोचरण संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष बने
डॉ आर बी चौधरी
ओसिया (राजस्थान) : केंद्र सरकार के अधीनस्थ हाई प्रोफाइल प्रतिष्ठान, भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के राजस्थान के प्रतिनिधि को पूर्व कैबिनेट मंत्री – राजस्थान सरकार एवं गोचर ओरण संरक्षण संघ के प्रदेश अध्यक्ष, देवीसिंह भाटी ने ओसियां के निवासी हरि नारायण सोनी को राजस्थान को चरण संघ का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया है। सोनी गौ-संरक्षण, संवर्धन तथा विकास के क्षेत्र में पिछले 40 सालों से देश भर की तमाम गौशालाओं से जुड़कर कार्य कर रहे । वर्तमान में वह दर्जनों गौशाला संस्थाओं से जुड़कर राजस्थान,मध्य प्रदेश , गुजरात , महाराष्ट्र तथा अन्य राज्यों में गौ संरक्षण की विभिन्न विशेष परियोजना के संचालन में लगे हुए हैं। इन संस्थानों में समस्त महाजन जैसी सम्मानीय संस्था भी शामिल है , जहां सोनी समस्त महाजन के साथ बतौर राजस्थान राज्य समन्वयक का कार्यभार देख रहे हैं।
हरनारायण सोनी की उल्लेखनीय सेवाओं को देखते हुए कई अन्य राष्ट्रीय संस्थाओं ने उन्हें अपनी संस्था का मार्गदर्शक सम्मान प्रदान किया है। सोनी समस्त महाजन के बैनर तले राजस्थान में विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से गोचर-ओरण से अंग्रेजी बबुल हटाकर देसी घास,स्थानीय वृक्ष लगाने, वर्षा जल संरक्षित करने और गौ आधारित खेती की प्रेरणा देने जैसे विभिन्न जीव रक्षा के कार्य करते हुए उन्होंने उल्लेखनीय सफलताएं अर्जित की हैं।सोनी के जीवन का मूल मंत्र है कि यदि सरकार गोचर – ओरण के संरक्षण करने ततः उसे समृद्ध बनाने के लिए उचित बजट का प्रावधान करे और विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं एवं गौशालाओं को इस कार्य में कार्य करने का अवसर प्रदान करे , तो निश्चित ही जीव रक्षा एवं पर्यावरण का देश में बहुत बड़ी सफलता अर्जित की जा सकती है।
केंद्र सरकार के अधीनस्थ संचालित भारतीय जीवन कल्याण बोर्ड के राजस्थान जीव जंतु कल्याण प्रतिनिधि हरनारायण सोनी ने देश भर के समस्त पशु प्रेमियों तथा गौ सेवा में लगे गो सेवकों से अनुरोध किया है कि यदि उन्हें गौशाला स्थापित करने और उसे सफलता पूर्वक संचालित करने के लिए किसी भी सहयोग और मार्गदर्शन की आवश्यकता हो तो बेहिचक उनसे संपर्क करें,उनका संपर्क सूत्र है : +91 94144 13075
ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने राहुरी के वकील दम्पति हत्याकांड की कड़ी निंदा की
एआईएलयू ने अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम पारित करने के लिए राज्य भर के सभी कोर्ट बार एसोसिएशनों से आंदोलन का आह्वान किया है
एक दुखद और चौंकाने वाली घटना मे महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के राहुरी कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील पति-पत्नी राजाराम आढ़ाव और उनकी पत्नी मनीषा आढ़ाव की हत्या उनके ही मुवक्किल ने कर दी। जबरन चोरी, चोरी, जबरन वसूली, आर्म्स एक्ट जैसे 12 गंभीर अपराधों वाले उनके मुवक्किल किरण दुशिंग ने अपने 4 अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर दोनों को उन्हे उनके ही घर में बंद कर पांच लाख रुपये की फिरौती मांगी. पैसे देने से इनकार करने पर आढ़ाव दंपति को पांच-छह घंटे तक प्रताड़ित किया गया, सिर पर प्लास्टिक की थैलियां बांधकर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। आढ़ाव दंपत्ति के शवों को पत्थरों से बांधकर उम्बेरे गांव में स्मशान के पास एक कुएं में फेंक दिया गया था. इस घटना के सामने आने के बाद से प्रदेश भर के वकील वर्ग में आक्रोश का माहौल है।
वकीलों के राष्ट्रीय संगठन ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी, मामले में विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति और फास्ट-ट्रैक अदालतों के माध्यम से त्वरित सजा की मांग की है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद एआईएलयू फिर से महाराष्ट्र में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट (अधिवक्ता संरक्षण कानून) लागू करने की मांग कर रहा है। एआईएलयू आढ़ाव परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है और राज्य की विभिन्न अदालतों के बार एसोसिएशनों से इस घटना का हर संभव तरीकों से कड़ा विरोध करने की अपील की है।
पिछले वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश में एड. उमेश पाल की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई. अप्रैल में दिल्ली के द्वारका इलाके में दो हमलावरों ने वकील वीरेंद्र कुमार नरवाल की गोली मारकर हत्या कर दी थी. वकील के पास आरोपी के परिवार के विवादित कृषि भूखंड के दस्तावेज मौजूद थे. हत्या के विरोध में दिल्ली के वकीलों ने सभी जिला अदालतें बंद कर दीं और सभी जिला बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति ने जमानत और सुनवाई का बहिष्कार करने और अदालतों में फोटोकॉपी मशीनें बंद करने का फैसला किया था।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2020 में भारत में वकीलों पर हमले के 143 मामले सामने आए हैं। वकीलों को अक्सर अपने ग्राहकों, विरोधियों और यहां तक कि न्यायाधीशों तक से उत्पीड़न और धमकी का सामना करना पड़ता है। हमलों में मौखिक दुर्व्यवहार, धमकी, शारीरिक हमला, पिटाई, चोट, हत्या शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 2010 और 2020 के बीच दुनिया भर में 2,500 से अधिक वकील मारे गए, हिरासत में लिए गए या अपहरण कर लिए गए। यही कारण है कि वकीलों की सुरक्षा के खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 2010 से हर साल दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय संकट वकील दिवस मनाया जाता है।
हमारे देश में 21 मार्च 2023 को राजस्थान राज्य विधानसभा ने वकीलों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए संशोधित रूप में राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक, 2023 पारित किया। वहां के वकीलों के कल्याण के लिए राज्य सरकार की ओर से बार काउंसिल को सालाना 5 करोड़ रुपये दिये जाते हैं. साथ ही, यदि कोई अपराधी किसी वकील की संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, तो अदालत द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि वसूल कर पीड़ित वकील को देने का प्रावधान उस कानून में किया गया है। महाराष्ट्र समेत देशभर के सभी राज्यों में वकील संरक्षण अधिनियम को जल्द से जल्द लागू करना जरूरी है।
पंजाब और हरियाणा राज्य बार काउंसिल ने पंजाब अधिवक्ता (संरक्षण) बिल 2023 और हरियाणा अधिवक्ता (संरक्षण) बिल 2023 के दो ड्राफ्ट पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों को भेजे हैं और इन्हें जल्द लागू करने की मांग की है। दोनों राज्यों की बार काउंसिल ने चेतावनी दी है कि यदि उचित कदम नहीं उठाए गए तो वे राज्यव्यापी आंदोलन में भाग लेंगे और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे.
अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम के माध्यम से सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि वकील इस तरह के उत्पीड़न और धमकी के डर के बिना अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें। यदि अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू होता है, तो वकीलों को हमले, गंभीर चोट, आपराधिक बल और धमकी से कुछ सुरक्षा मिलेगी। उनकी संपत्ति के नुकसान की भरपाई की जा सकती है. महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल के सदस्य, जो राज्य भर के वकीलों द्वारा से चुने गए हैं, इस संबंध में बेहद निष्क्रिय और उदासीन हैं। एआईएलयू ने मांग की है कि वे इस संबंध में तत्काल कदम उठाए जाएँ.