अनुज गौतमकी रिपोर्ट न्यूज़ १८ से साभार /सागर: गौ रक्षा की बात तो आज देश में बहुत लोग करते हैं, कई संस्थाएं भी गौ सेवा में लगे हैं. लेकिन, सागर में एक ऐसा शख्स हैं, जो गायों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते हैं. पेशे से वकील है बीसी जैन की बात ही अलग है. वह अब तक गायों से संबंधित 2700 से अधिक केस लड़ चुके हैं और वो भी मुफ्त में

73 साल के जैन साहब अभी 37 मामलों में पैरवी भी कर रहे हैं. सागर और बुंदेलखंड के अलावा महाराष्ट्र, दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में उन्हें गायों का केस लड़ने के लिए बुलाया जाता है. गो वध अधिनियम में संशोधन करने के लिए भी इन्होंने एक साल तक संघर्ष किया है. लोग इन्हें गायों का रखवाला कहते हैं.

2003 में लिया था संकल्प
सागर के परकोटा निवासी बीसी जैन साल 2002 से गायों के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. विद्यासागर महाराज की प्रेरणा से उन्होंने गायों से संबंधित केस लड़ना और कसाइयों द्वारा उन्हें कटने से बचाने का काम शुरू किया था. बीसी जैन बताते हैं कि करीब 22 साल पहले बीना रेलवे स्टेशन पर गायों से भरी एक ट्रेन आने की सूचना मिली थी, जो कसाइयों के द्वारा बंगाल ले जाई जा रही थी. उन्होंने अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी और इस ट्रेन को बीना में रुकवाया, जिसमें 8900 गोवंश भरे हुए थे. जबकि उनके पास मात्र 1100 मवेशियों की रॉयल्टी थी.

सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी लड़ाई
आगे बताया कि उस ट्रेन में 7000 से अधिक अवैध रूप से मवेशी ले जाए जा रहे थे. इस दौरान 5 घंटे तक वहां पर भारी बवाल मचा रहा. उनके ऊपर मामला दर्ज किया. उन्होंने भी मामला दर्ज कराया. इसके बाद लोअर कोर्ट, सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक मामला गया. आखिर में 7800 से अधिक मवेशियों के लिए गौशाला को दे दिया गया था. यही से उन्होंने गायों के संरक्षण के लिए संकल्प लिया था. इसके बाद बालाघाट के सांगली में भी 61 हजार गायों को साल 2003 में कटने से बचाया था.

तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज भी कर चुके सम्मानित
बीसी जैन ने सागर के डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से साल 1970 में लॉ किया था. 1973 में वकालत शुरू की. 1983 से 2010 तक वह यूनिवर्सिटी में ही असिस्टेंट प्रोफेसर रहे. इसके साथ ही पुलिस अकादमी में भी डीएसपी, थानेदार और सब इंस्पेक्टर के लिए उनके लेक्चर होते थे. बीसी जैन 1994 से 2005 तक सरकारी वकील भी रहे हैं. इतनी सब व्यस्तताएं होने के बाद भी वह गायों से संबंधित मामलों के लिए समय निकाल ही लेते थे और आज भी कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. जैन साहब की विशेषता के लिए साल 2006 में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के द्वारा उन्हें दयोदय रत्न और साल 2023 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सागर गौरव रत्न से सम्मानित किया गया था.

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