Kota News: कांग्रेस (Congress) हो या बीजेपी (BJP) की सरकार हो कोटा की बंधा धर्मपुरा गोशाला और कायन हाउस गोशाला हमेशा से ही गोवंश की मौत के लिए चर्चा में रहती है.  यहां बजट भरपूर है, लेकिन उसके बाद भी लगातार यहां गोवंश की मौत होती है. जब भी इन दोनों गोशालाओं में गोवंश की मौत होती है, तो उसका मामला जोर शोर से उठता है, लेकिन कुछ दिन बाद मामला ठंडा हो जाता है. एक बार फिर यहां गायों की मौत से हाहाकार शुरू हो गया है.

नगर निगम कमिश्नर सरिता सिंह से जब यह सवाल पूछा गया की 184 से ज्यादा गायें मर गई जिम्मेदार कौन है? इस पर कमिश्नर ने कहा की व्यवस्थाएं तो सभी प्रकार की है. सर्दी ज्यादा होने के कारण गायें मर गई. पहले भी नगर निगम के महापौर आकर गए हैं, निगम की ओर से व्यवस्थाएं हुई हैं. उन्होंने कहा कि गौशाला में अब जो भी कमियां हैं कल पूर्ति करवा देंगे. तापमान का इश्यू था, सर्दी ज्यादा थी इसीलिए गायें मरी है.

गौशाला में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं

नगर निगम कमिश्नर से जब यह सवाल पूछा गया की डेढ़ साल से गौशाला में डॉक्टर ही नहीं है तो कमिश्नर ने यह कहते हुए बात को टाल दिया कि कंपाउंडर लगाए हुए हैं. हम डॉक्टर भी अब लगा देंगे. कमिश्नर से जब टीन सेट को लेकर सवाल पूछा गया की ठंड शुरू होने से पहले टिन सेट क्यों नहीं लगवाए गए, इस पर कमिश्नर ने सवाल को टाल दिया और कहा कि हम लगवा रहे हैं. कोटा संभाग के सबसे बड़े गौशाला बंधा धर्मपुरा में ठंड से 10 दिन में 184 गायों की मौत हो गई. 10 दिनों से गाय तड़प तड़प कर मर रही है, गौशाला में मौजूद 2600 गाय अभी भी बर्फीली सर्दी में खुले में रह रही है. गायों की मौत के आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है.

क्षमता से अधिक गौवंश मौजूद

इस गौशाला में तीन प्रमुख बाड़े हैं, जिनमें स्वस्थ गायों का बाड़ा, दूसरा नंदी शाला और तीसरा बीमार गौवंश बाड़ा है. क्षमता से ज्यादा गोवंश 800 की जगह 1200 गोवंश यहां हर बाड़े में मौजूद है. यहां स्थिति खराब है और गायों की संख्या काफी ज्यादा है. हालत यह है कि गोवंशों को ठुस-ठुस कर रखना पड़ता है. नंदी शाला में 1000 की क्षमता है और यहां 1500 गोवंशों को रखा हुआ है.

दूसरी गौशाल में हर रोज 2 मौतें

वहीं कोटा के काएन हाउस किशोरपुरा गौशाला में रोज दो गायों की मृत्यु हो रही है और नवंबर और दिसंबर के आंकड़े की बात करें तो नवंबर के महीने में 45 गायों की मौत हुई तो दिसंबर के महीने में आंकड़ा 68 हो गया. किशोरपुरा गौशाला में 1 जनवरी से 10 जनवरी तक रोजाना दो गायों की मौत हो रही है.

पिछले 12 दिन में सैकड़ों गायों की सांसे थमी
जितेन्द्र सिंह ने बताया कि इसका परिणाम यह निकाला की एक दिन में कभी 30 तो कभी 20 गोवंश दम तोड़ता रहा. पिछले 12 दिन में तो सैकड़ों गायों की सांसे थम गई. गोशाला समिति के चेयरमैन ने बताया कि यहां गाय पॉलिथिन खाती है, ऐसे में उनका लीवर कमजोर हो जाता है और खून भी कम होता है. पहले जब यहां इन गायों का पोस्टमार्टम कराया गया, तो उनकी मौत का कारण पॉलिथिन को बताया गया. निगम को गोशाला में कमजोर गोवंश के बारे में पहले ही अवगत करा दिया था.

2600 गोवंश सर्दी में कहर रहीं
उन्होंने बताया कि साथ ही निगम से अधिक सर्दी को देखते हुए इन्हें बचाने के लिए भी कहा गया था, लेकिन निगम ने ध्यान नहीं दिया. हम सेवा कर रहे हैं, लगातार सफाई पर ध्यान  देर रहे हैं, लेकिन सर्दी में तिरपाल, हीटर, के साथ-साथ  पोष्टिक आहार के इंतजाम तो निगम को ही करने थे, जो समय रहते नहीं किए गए. कोटा शहर में इन दिनों कडाके की सर्दी पड़ रही है. ऐसे में गोवंश को बंधा धर्मपुरा और कायन हाउस गोशाला में मरने के लिए छोड़ रखा है. इतनी गायों की मौत के बाद भी यहां अभी 2600 गोवंश सर्दी में कहर रही हैं.

बंधा धर्मपुरा गोशाला में तीन प्रमुख बाड़े

इन दोनों  गोशालाओं का बजट भी किसी से छुपा नहीं है. बताया जा रहा है कि 18 करोड़ का बजट गोशालाओं के लिए आता है, जिसके बाद भी यहां व्यवस्थाओं के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है. यहां गायों को ना ही पोष्टिक आहार दिया जा रहा है. ना ही उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा रहा है. बता दें बंधा धर्मपुरा गोशाला में तीन प्रमुख बाड़े हैं, जिनमें स्वस्थ गायों का, दूसरा नंदी शाला और तीसरा बीमार गोवंशों का बाड़ा है. चौथा बाड़ा बड़ा है, लेकिन चौथे बाड़े में केवल गोशाला में सफाई के समय ही गोवंशों को छोड़ा जाता है.

बंधा धर्मपुरा गोशाला में हमेशा ही कीचड़
स्वस्थ गायों के बाड़े में ऊपर टीनशेड लगे हुए हैं. बाकी कुछ जगह से खुला है. बारिश में तो इन गायों का बचाव हो जाएगा, लेकिन सर्दी को रोका नहीं जा सकता. सर्दी से बचाव के दूसरे और कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं. वहीं बंधा धर्मपुरा गोशाला की क्षमता से अधिक गोवंश को वहां रखा जा रहा है. उसकी क्षमता केवल 700 गायों की हैं, जबकी यहां एक हजार के करीब गायों को ढूस-ढूस कर रखा गया. बंधा धर्मपुरा गोशाला में हमेशा ही कीचड़ देखने को मिलता है, जिस कारण गोवंश गिरते रहते हैं. घायल हो जाते हैं और पर्याप्त मात्रा में विचरण भी नहीं कर पाते.

निगम की गोशालाओं में गोवंश को संभालने के लिए पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था नहीं हैं. यदि गोवंश बीमार हो जाए तो डॉक्टर तक नहीं है. केवल कंपाउंडर के भरोसे दोनों गोशालाएं चल रही है. करीब आठ कंपाउंडर गोशालों में गायों का इलाज करने के लिए हैं. पोष्टिक आहार की बात करें तो गायों को गुड, हल्दी, तेल, अजवाइन, हरा चारा दिया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है. सर्दी से बचाव के लिए चारों और से ढका हुआ परिसर होना चाहिए, लेकिन ऐसा भी नहीं है.

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